जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, वैसे-वैसे 'संवाद सम्मान' की समापन बेला करीब आती जा रही है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज दो श्रेणिय...
गीत श्रेणी के लिए जिस व्यक्ति का चयन किया गया है, वे हैं राकेश खण्डेलवाल जी। राकेश जी को सरस्वती जी का वरद हस्त प्राप्त है। यही कारण है कि उनकी रचनाओं में गीतात्मकता ऐसी रची बसी होती है, जैसे बारिश के मौसम में हवा में आर्द्रता। वे भावों के शहंशाह हैं और लयात्मकता के कुबेर। यह सारी बातें उनके किसी भी गीत में सहज रूप में देखी जा सकती हैं। खण्डेलवाल जी की इसी प्रतिभा को दृष्टिगत रखते हुए संवाद समूह ने गीत श्रेणी का नामित सम्मान उन्हें समर्पित करने का फैसला लिया है। उन्हें यह सम्मान भेंट करते हुए हम गर्व की अनुभूति कर रहे हैं।
गीत श्रेणी के बाद अगली बारी कार्टून की आती है। कार्टूनिस्ट न सिर्फ अपनी पैनी नजर समाज पर रखता है, वरन जिंदगी की विद्रूपताओं पर अपनी कलम और कूंची इस तरह से चलता है कि उसे देखकर हमारे चेहरे पर अनायास ही हंसी तैर जाती है। यह हमारे लिए सौभाग्य का विषय है कि ब्लॉग जगत में इस समय अनेकानेक कार्टूनिस्ट सक्रिय हैं। कार्टूनिस्ट की इसी भीड़ में से जिस व्यक्ति का नाम संवाद सम्मान के लिए चयनित किया गया है, वे हैं श्री काजल कुमार। काजल जी एक समर्पित ब्लॉगर होने के साथ-साथ कुशल कार्टूनिस्ट भी हैं। संवाद समूह उनकी कला को सलाम करता है और बड़े गर्व के साथ संवाद सम्मान की कार्टून श्रेणी का नामित सम्मान उन्हें अर्पित करता है।
हमें आशा है कि ये दोनों ब्लॉगर आने वाले समय में भी ब्लॉग जगत की सेवा करते रहेंगे और अपनी रचनाओं से अंतर्जाल के भण्डार को भरते रहेंगे। संवाद समूह इनके सुखद एवं यशस्वी जीवन की कामना करता है।
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राकेश जी एवं काजल जी को बहुत बहुत बधाई
हटाएंबधाई गीत-कार्टून युगलद्वय को
हटाएंएक कॉर्टून में गीत हो
गीत में हो कार्टून
टून टून टनन
यह हो धुन
मन हो जाए मगन।
काजल कुमार जी और राकेश खण्डेलवाल जी को बहुत-बहुत बधाई!
हटाएंराकेश जी और काजल कुमार जी को बधाई।
हटाएंकाजल कुमार के कार्टून हम भी नियमित रूप से देखते रहते हैं।
अरे वाह! हमारे गुरु जी को यहाँ देखकर मन आनन्दित हो गया.
हटाएंबहुत बहुत बधाई दोनों को. अनेक शुभकामनाएँ.
बधाई दोनों विजेताओं को
हटाएंव
शुभकामनाएँ
काजल कुमार जी और राकेश खण्डेलवाल जी को बहुत-बहुत बधाई!
हटाएंराकेश जी और काजल कुमार जी को बधाई।
हटाएंखंडेलवाल जी को बधाई और काजल कुमार जी...वे तो हमारे पसंदीदा कार्टूनिस्ट हैं जी ! हमारा ख्याल है कि वे दोहरी प्रतिभा के धनी है...एक वैचारिक स्तर पर... दूसरा रेखाओं के साथ मनमुताबिक /रचनात्मक छेडछाड के मामले में ...इसलिये हमारी अशेष शुभकामनायें !
हटाएंदोनों को बहुत बहुत बधाई
हटाएंराकेश जी एवं काजल जी को बहुत बहुत बधाई!!
हटाएंराकेश जी सिर्फ़ ब्लौग जगत के ही नहीं , सिर्फ़ अमेरिका के ही नहीं , कहीं भी , किसी भी काल के सर्वश्रेष्ट गीतकारों में से हैं । यह हमारा सौभाग्य है कि हम उन के ’काल’ में जी रहे हैं और यह उन की विनम्रता है कि हमें उन के गीत इतनी सरलता से बिना किसी बढी़ चढ़ी भूमिका के उपलब्ध हो जाते हैं ।
हटाएंउन्हें दिया गया कोई भी सम्मान , उस सम्मान के लिये ही सम्मान होगा ।
बधाई और शुभ कामनाओं के साथ
अनूप जी की ही बात को हूबहू दोहरा रहा हूँ !
हटाएंराकेश जी को नमन !
काजल जी को भी सम्मान की बधाई !
राकेशजी के गीतों को सम्मानित कर यह सम्मान स्वयं सम्मानित हुआ है |
हटाएंउनका लेखन तो कालजयी है!
सम्मान स्वयं सम्मानित होने के लिये राकेश जी के पास आते हैं। राकेश जी जितने बड़े रचनाकार हैं उतने बड़े व्यक्ति भी हैं। सहज, सरल और विनम्र!
हटाएंमेरी हार्दिक शुभकामनायें!
अनूप जी एवं शार्दुला जी की बातों का मैं भी समर्थन करता हूँ।
आदरणीय राकेश जी ,
हटाएंइस सम्मान के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं । गीतों के लिए नवाजा गया यह सम्मान इस सम्मान की गरिमा में वृद्धि करता है...उनकी लेखनी को नमन करती हूँ।
कार्टून के कुशल चितेरे काजल कुमार जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
डा. रमा द्विवेदी
राकेश जी के सम्मान की खबर सुनकर बहुत अच्छा लगा. संवाद सम्मान को अनेक शुभकामनाएं.
हटाएंदूर मुरझाये से वृक्ष की शाख पर,
एक पंछी नें जाकर बसेरा किया,
गुनगुनाया तो खिलने लगीं टहनियां,
दूर कुछ इस तरह से अँधेरा किया,
पार की झोंपड़ी में उजाला हुआ,
क्योंकि राकेश किरणें लुटाता रहा,
तमहरण मनहरण रसवरण के लिए,
सूर्य बन कर सदा जगमगाता रहा,
गीत नव प्रार्थना की मधुर तान है,
शब्द अमृत सरीखे ग़ज़ल है भजन,
छंद ज्यों शारदा के खिले से कमल,
हे कविश्वर! तुम्हें कोटि कोटि नमन.
काजल जी को भी अनेक बधाइयाँ.
गीत जिसने दिये लेखनी को स्वयं
हटाएंऔर दीं कल्पना को उड़ानें नई
उसकी झन्कार के स्वर में स्वर को मिला
चल रही लेखनी बन घड़ी की सुई
उसके आशीष ने ही दिया साथ है
आपका, प्रेरणा जो सदा दे रहा
जो विजय, माल पहने मेरे नाम की
सत्य में वह विजय आप ही की हुई
थाम मेरे करों ने रखी लेखनी
और है कोई, जो शब्द लिखवा रहा
है नियंत्रण मेरा तो तनिक भी नहीं
भाव किस किस दिशा में बहा जा रहा
जिसने गिंजन दिया है मधुप को, भरी
कोकिला कंठ में इक मधुर तान है
बन के वाणी वही आ गई होंठ पर
और मैं हो के अनभिज्ञ हूँ गा रहा.