Script Writing Book in Hindi Language
बेशक एक लेखक अपनी चेतना और वैचारिकता के बल पर ही अपनी लेखनी को नए आयाम देता है। लेकिन बावजूद इसके अच्छा और प्रभावी लेखन उसकी मनमर्जी से नहीं हुआ करता। यही कारण है कि अपनी सारी उम्र कलम घिसने के बाद भी अगर व्यक्ति अपने जीवन में एक सार्थक और उपयोगी कृति रच पाए, तो शायद उसकी लेखनी धन्य हो जाती है। और मुझे लग रहा है कि 'हिन्दी में पटकथा लेखन' पुस्तक मेरे जीवन में कुछ—कुछ ऐसी ही भूमिका निभाने वाली है।
यूं तो अब तक मेरी कुल जमा 65 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, पर इनमें से कितनी किसको भाईं, यह मुझे नहीं पता। हालांकि विज्ञान कथा पर आधारित मेरा लघु बाल उपन्यास 'समय के पार' पुरस्कारों/सम्मानों की दृष्टि से बहुत लकी साबित हुआ है, पर मुझे लगता है मेरे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक 'हिन्दी में पटकथा लेखन' सिद्ध होने जा रही है और यह अपनी उपयोगिता के बल पर मुझे लगातार चमत्कृत करती जा रही है।
वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ की एक फेलोशिप के तहत लिखी गयी 'हिन्दी में पटकथा लेखन' पुस्तक वर्ष 2009 में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से हिन्दी संस्थान से प्रकाशित हुई थी। संयोग से अपने प्रकाशन के साथ ही यह पुस्तक पाठकों के बीच काफी लोकप्रिय सिद्ध हुई और बिना किसी प्रचार—प्रसार के संस्थान की सर्वाधिक लोकप्रिय पुस्तकों में शामिल हो गयी। बिना किसी प्रचार-प्रसार के बावजूद पुस्तक का प्रथम संस्करण समाप्त हो गया है और वर्तमान में इसका दूसरा संस्करण प्रकाशनाधीन है।
लेकिन इससे भी धमाकेदार बात यह है कि 'हिन्दी में पटकथा लेखन' पुस्तक दिल्ली विश्वविद्यालय (University Of Delhi) के चार वर्षीय हिन्दी पत्रकारिता एवं जनसंचार स्नातक पाठ्यक्रम (4 Year Under Graduate Program in Hindi Patrakarita) में आवश्यक अध्ययन सामग्री के रूप में चुनी गयी है।
वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ की एक फेलोशिप के तहत लिखी गयी 'हिन्दी में पटकथा लेखन' पुस्तक वर्ष 2009 में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से हिन्दी संस्थान से प्रकाशित हुई थी। संयोग से अपने प्रकाशन के साथ ही यह पुस्तक पाठकों के बीच काफी लोकप्रिय सिद्ध हुई और बिना किसी प्रचार—प्रसार के संस्थान की सर्वाधिक लोकप्रिय पुस्तकों में शामिल हो गयी। बिना किसी प्रचार-प्रसार के बावजूद पुस्तक का प्रथम संस्करण समाप्त हो गया है और वर्तमान में इसका दूसरा संस्करण प्रकाशनाधीन है।
लेकिन इससे भी धमाकेदार बात यह है कि 'हिन्दी में पटकथा लेखन' पुस्तक दिल्ली विश्वविद्यालय (University Of Delhi) के चार वर्षीय हिन्दी पत्रकारिता एवं जनसंचार स्नातक पाठ्यक्रम (4 Year Under Graduate Program in Hindi Patrakarita) में आवश्यक अध्ययन सामग्री के रूप में चुनी गयी है।
जुलाई, 2013 से प्रारम्भ हुए इस नए कोर्स के अनुप्रयुक्त पाठ्यक्रम (ACAPPLIED COURSES) के अन्तर्गत यूं तो प्रश्न पत्र—2 'पटकथा लेखन और कॉपी राइटिंग' में कुल 6 पुस्तकों का चयन हुआ है, जिसमें चर्चित कथा लेखिका मन्नू भंडारी की पुस्तक 'कथा पटकथा', प्रख्यात कथाकार एवं पटकथाकार मनोहर श्याम जोशी की पुस्तक 'पटकथा लेखन' एवं चर्चित उपन्यासकार असगर वजाहत की पुस्तक 'टेलिविजन लेखन' भी शामिल हैं। पर आश्चर्यजनक रूप से मेरी पुस्तक को इस सूची में वरीयता क्रम में प्रथम स्थान प्रदान किया गया है।
मित्रो, निश्चय ही यह सब आप सबकी दुआओं का ही सिला है, वर्ना मैंने तो ऐसा कभी सपने में भी नहीं सोचा था।
मित्रो, निश्चय ही यह सब आप सबकी दुआओं का ही सिला है, वर्ना मैंने तो ऐसा कभी सपने में भी नहीं सोचा था।
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bahut bahut mubarak (h)
हटाएंशुक्रिया जीशान भाई।
हटाएंSir mujhe bhi chahiye, ye waala kitab. Kaise prapt hogaa aap se.
हटाएंहार्दिक शुभकामनायें...
हटाएंपल्लवी जी, हार्दिक आभार।
हटाएंढेरों शुभकामनायें..
हटाएंशुक्रिया प्रवीण भाई।
हटाएंjab bina kisi purvagrah ke aur nisvarth bhav se parishram kiya jata hai to usaka phal meetha hi hota hai aur usake liye apake kiye gaye shram ka sahi paritoshak bhi hai.
हटाएंbahut bahut shubhakamanayen evam badhai bas isi tarah se roj va roj aage kadam badhte rahen .
आभार, रेखा जी।
हटाएंवाह जी ढेरों बधाई
हटाएंशुक्रिया काजल जी।
हटाएंबहुत बधाई जाकिर
हटाएंशुक्रिया मीनू जी।
हटाएंजा़किर भाई ,रमजान का पवित्र महीना और आपकी यह उपलब्धि ...बहुत-बहुत मुबारक़ ।
हटाएंशुक्रिया गिरिजा जी।
हटाएंबहुत-बहुत बधाई ,ये हुआ योग्यता का सम्मान !
हटाएंशुक्रिया प्रतिभा जी।
हटाएंबहुत बहुत बधाई !
हटाएंशुक्रिया अरविंद जी।
हटाएंsir ji engireeng ke liye nahi haiiiiiiiiiii
हटाएंwahhhhhhhhhhhhh
हटाएंबहुत बहुत बधाई
हटाएंसफलता हेतु बहुत-बहुत बधाई एवं धन्यवाद.
हटाएंसफलता के लिए बधाई,
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