क्या आपने नीम के बीज को देखा है? देखने में वह छोटा सा होता है, लेकिन जमीन में पड़े उस बीज की तब तक कोई महत्ता नहीं होती, जब तक उसे उगने ...
क्या आपने नीम के बीज को देखा है? देखने में वह छोटा सा होता है, लेकिन जमीन में पड़े उस बीज की तब तक कोई महत्ता नहीं होती, जब तक उसे उगने के लिए आवश्यक पानी नहीं मिल जाता। और जैसे ही उसे पर्याप्त नमी मिलती है, उसमें से अंकुर फूट पड़ता है। ठीक ऐसे ही घटनाक्रम नवोदित रचनाकारों के साथ भी देखने को मिलता है। न जाने कितने ऐसे रचनाकार हैं जिनकी लेखनी में असीम संभावनाएं निहित होती हैं, लेकिन प्रशंसा की एक बूंद के अभाव में वे अंकुरित होने के पहले ही मुर्झा जाती है। उपरोक्त विचार, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 'जनमाध्यम, प्रौद्यौगिकी और सामाजिक परिवर्तन' के दूसरे दिन उसके समापन सत्र में मुख्य अतिथि पूर्वांचल विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डा० वी0एल0 आर्य ने व्यक्त किये।
दिनांक 21 अप्रैल 2010 को उक्त समारोह में विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के लेक्चरर और ब्लॉगर डा0 मनोज मिश्र को संवाद समूह द्वारा 'ब्लॉग रत्न' श्रेणी का संवाद सम्मान प्रदान किया गया। डा0 मिश्र को यह सम्मान संवाद समूह के संयोजक श्री जाकिर अली 'रजनीश' और पूर्वांचल विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डा० वी0एल0 आर्य ने संयुक्त रूप से प्रदान किया।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 'जनमाध्यम, प्रौद्यौगिकी और सामाजिक परिवर्तन' के दूसरे दिन उसके समापन सत्र में आयोजित इस कार्यक्रम में अनेक गणमान्य विद्वान मौजूद रहे। उपस्थित विद्वत जनों में मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान, काशी विद्यापीठ, वाराणसी के निदेशक प्रो0 ओ0पी0 सिंह, सेन्टर और मीडिया स्टडीज़, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फैकल्टी मेम्बर श्री धनंजय चोपड़ा, टाइम्स ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार डा0 एस0पी0 त्रिपाठी, संवाद समूह के संयोजक श्री जाकिर अली 'रजनीश', कस्तूरी राम कालेज ऑफ हायर एजूकेशन के मॉस कम्यूनिकेशन के फैकल्टी मेम्बर श्री उमेश पाठक आदि मुख्य थे।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में गोरखपुर, वाराणसी, दिल्ली और लखनऊ से पधारे वक्ताओं ने 'जनमाध्यम, प्रौद्यौगिकी और सामाजिक परिवर्तन' विषय पर अपने विचार रखे। श्री धनंजय चोपड़ा जी ने जहां सामाजिक परिवर्तन के मुद्दे पर खबरिया चैनलों को आड़े हाथों लेते हुए प्रिंट मीडिया की संभावनाओं पर ओजस्वी विचार रखे, वहीं डा0 एस0पी0 त्रिपाठी ने पत्रकारिता के मूल्यों में आए गिरावट पर चर्चा की और अन्तर्जाल के तेजी से होते विकास के मद्देनजर प्रिंट मीडिया के भविष्य पर शंका व्यक्त की। जबकि जाकिर अली 'रनजीश' ने सामाजिक बदलाव के सम्बंध में विज्ञान कथाओं की भूमिका की पड़ताल की। इस अवसर पर डा0 वी0एल0 आर्य ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए भावी पत्रकारों को चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरे विश्वास से लग जाने का आह्वान किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो0 ओ0पी0 सिंह ने पत्रकारिता के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त की और सभी विद्यार्थियों को अपनी शुभकामनाएं अर्पित कीं।
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सहज समाचार।
जवाब देंहटाएंताजी टटकी रिपोर्ट -मनोज को बधाई -और आपको भी इस नेक कर्म के लिए और तुरंता रिपोर्ट के लिए !
जवाब देंहटाएंइस झटपट-रिपोर्ट के लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंमनोज जी को इस सम्मान की हार्दिक बधाई !
बहुत अच्छी रिपोर्ट! रजनीश जी ,आपके विज्ञानं लेखन एवं बालमन को पढ़ा! अच्छी ओर प्रेरणापद रचनाओं के लिए साधुवाद स्वीकारें !डॉ मनोज मिश्र जी को कोटि- कोटि बधाइयाँ !
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