आंकड़ों की बात करें तो शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां पर उत्तर प्रदेश ऊपर की ओर नज़र आता हो। बात चाहे शिक्षा की हो, रोजगार की हो, उद्योग...
आंकड़ों की बात करें तो शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां पर उत्तर प्रदेश ऊपर की ओर नज़र आता हो। बात चाहे शिक्षा की हो, रोजगार की हो, उद्योगों की हो या फिर स्वास्थ्य की, हमारी गिनती नीचे की ओर से शुरू होती है और हम तीसरे चौथे और पांचवे स्थान पर जाकर ठहर जाते हैं। लेकिन क्यों? इन्हीं सवालों से जूझते मिले लोग “हिन्दुस्तान” द्वारा आयोजित “समागम 2009” में।
लखनऊ के होटल ताज में दिनांक 27-10-2009 को आयोजित यह कार्यक्रम इस लिहाज से महत्वपूर्ण रहा कि इसमें न सिर्फ विभिन्न राजनीतिक दलों के युवा चेहरे एक मंच पर इकटठा हुए और उत्तर प्रदेश की दशा और दिशा पर चर्चा की, बल्कि यह कार्यक्रम इस लिहाज से भी उल्लेखनीय रहा कि वहाँ पर जुटे लोगों ने प्रदेश की दशा को सुधारने के लिए खुले मन से अपने विचार रखे।
ऐसा नहीं कि बात सिर्फ वीआईपी वक्ताओं तक ही सीमित रही, ऐसा होता तो कार्यक्रम सिर्फ एक औपचारिकता बन कर रह जाता। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाले लगभग 200 लोगों ने न सिर्फ अपनी सहभागिता दर्ज की, बल्कि समय-समय पर अपने प्रश्न ही नहीं शंकाओं को भी वक्ताओं के सामने रखा और वक्ताओं तथा आयोजकों ने यथासम्भव तरीके से उनका उत्तर देने की कोशिश भी की।
वक्ताओं में जहां एक ओर सर्वश्री जितिन प्रसाद, जयंत चौधरी, सुभाषिनी अली और मुख्तार अब्बाज नकवी जैसे खांटी राजनीतिज्ञ जुटे, वहीं महेश भटट जैसे फिल्मकार, पर्यावरण की चेतना जगाने वाली नन्ही विदुषी युगरत्ना मौजूद थी, तो जमीन से जुड़े एक्टीविस्ट संदीप पाण्डे भी आम आदमी की बात कहने के लिए मौजूद रहे।
कार्यक्रम के संचालकों की ईमानदारी उनके प्रयासों में साफ झलक रही थी। अंधविश्वास के मुददे पर जब मैंने हिन्दुस्तान समूह के प्रधान संपादक शशि शेखर से मीडिया की भूमिका को कठघरे में खड़ा किया, तो उन्होंने पूरी ईमारदारी से स्वीकारते हुए कहा- “जब हम लोग पब्लिक के बीच में जाते हैं, तो जनता कभी हमें खौफ से और कभी घृणा से देखती है। समागम इन्हीं सब विषयों पर ध्यान देने और दूर करने की शुरूआत है। हम आप मिलकर कोशिश करेंगे, तो समाधान भी निकलेगा।”
परिणाम किसी भी क्षेत्र में हो एक दिन में नहीं निकलता, पर उसकी शुरूआत विचार से ही होती है। यह प्रसन्नता की बात है, गैर सरकारी स्तर पर ही सही उसकी शुरूआत हो चुकी है। आशा है आने वाले दिनों में इस तरह की कोशिशों से हम सब जुड़ेंगे और अपनी जिन्दगी के व्यस्त पलों में से कुछ लम्हे प्रदेश की बेहतरी के लिए भी खर्च करेंगे।
लखनऊ के होटल ताज में दिनांक 27-10-2009 को आयोजित यह कार्यक्रम इस लिहाज से महत्वपूर्ण रहा कि इसमें न सिर्फ विभिन्न राजनीतिक दलों के युवा चेहरे एक मंच पर इकटठा हुए और उत्तर प्रदेश की दशा और दिशा पर चर्चा की, बल्कि यह कार्यक्रम इस लिहाज से भी उल्लेखनीय रहा कि वहाँ पर जुटे लोगों ने प्रदेश की दशा को सुधारने के लिए खुले मन से अपने विचार रखे।
ऐसा नहीं कि बात सिर्फ वीआईपी वक्ताओं तक ही सीमित रही, ऐसा होता तो कार्यक्रम सिर्फ एक औपचारिकता बन कर रह जाता। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाले लगभग 200 लोगों ने न सिर्फ अपनी सहभागिता दर्ज की, बल्कि समय-समय पर अपने प्रश्न ही नहीं शंकाओं को भी वक्ताओं के सामने रखा और वक्ताओं तथा आयोजकों ने यथासम्भव तरीके से उनका उत्तर देने की कोशिश भी की।
वक्ताओं में जहां एक ओर सर्वश्री जितिन प्रसाद, जयंत चौधरी, सुभाषिनी अली और मुख्तार अब्बाज नकवी जैसे खांटी राजनीतिज्ञ जुटे, वहीं महेश भटट जैसे फिल्मकार, पर्यावरण की चेतना जगाने वाली नन्ही विदुषी युगरत्ना मौजूद थी, तो जमीन से जुड़े एक्टीविस्ट संदीप पाण्डे भी आम आदमी की बात कहने के लिए मौजूद रहे।
कार्यक्रम के संचालकों की ईमानदारी उनके प्रयासों में साफ झलक रही थी। अंधविश्वास के मुददे पर जब मैंने हिन्दुस्तान समूह के प्रधान संपादक शशि शेखर से मीडिया की भूमिका को कठघरे में खड़ा किया, तो उन्होंने पूरी ईमारदारी से स्वीकारते हुए कहा- “जब हम लोग पब्लिक के बीच में जाते हैं, तो जनता कभी हमें खौफ से और कभी घृणा से देखती है। समागम इन्हीं सब विषयों पर ध्यान देने और दूर करने की शुरूआत है। हम आप मिलकर कोशिश करेंगे, तो समाधान भी निकलेगा।”
परिणाम किसी भी क्षेत्र में हो एक दिन में नहीं निकलता, पर उसकी शुरूआत विचार से ही होती है। यह प्रसन्नता की बात है, गैर सरकारी स्तर पर ही सही उसकी शुरूआत हो चुकी है। आशा है आने वाले दिनों में इस तरह की कोशिशों से हम सब जुड़ेंगे और अपनी जिन्दगी के व्यस्त पलों में से कुछ लम्हे प्रदेश की बेहतरी के लिए भी खर्च करेंगे।
mahesh bhatt ji ke saath aapki photu dekhakar badi khushi hui...
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी है । चलो अच्छी शुरुयात के लिये आयोजकों को बधाई धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंउत्तर प्रदेश और बिहार ये दोनों ही राज्य एक ही श्रेणी में आते हैं.
जवाब देंहटाएंbharat mein Lagbhag har kshetr mein super success pane walee kayee mahanubhutiyan Uttar pradesh se hain..
जवाब देंहटाएंmagar afsos..
uttar pradesh ke chhavi abhi tak saalon se waisee hi hai..sudhaar nahin hua.
Aap ki is report ko padh kar kuchh umeed bandhi hai.
वाह आपके साथ तो महेश भट्ट भी सेलिब्रिटी दिख रहे हैं ! उन्हें बधायी !
जवाब देंहटाएंपरिणाम किसी भी क्षेत्र में हो एक दिन में नहीं निकलता, पर उसकी शुरूआत विचार से ही होती है। यह प्रसन्नता की बात है, गैर सरकारी स्तर पर ही सही उसकी शुरूआत हो चुकी है।
जवाब देंहटाएंin shabdo mein umeed hai aur umeedein hi kaamyaab hoti hai...... ganmaany logon ke saath aapki mulakaat bhi achchi lagi
:) Cute.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सब सही हो जाएगा ..बढ़िया चर्चा..फोटो वास्तव में बहुत अच्छी आई है..बधाई
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया पोस्ट ! सबसे अच्छा लगा महेश भट्ट जी के साथ आपकी तस्वीर!
जवाब देंहटाएंAre waah, aap to vip ho gaye.
जवाब देंहटाएंसम्मेलन की संक्षिप्त सी अच्छी रिपोर्ट। बधाई।
जवाब देंहटाएंतस्वीर में आप हैंडसम लग रहे हैं। हां उत्तर प्रदेश की बात करें, तो हिंदुस्तान के इस सूबे में किसी चीज़ की कमी नहीं है, लेकिन जिनके ऊपर ज़िम्मेदारी है, वो इसको निभाने में नाकाम हैं।
जवाब देंहटाएंbahut badiya post.
जवाब देंहटाएंbahut achchha post.
जवाब देंहटाएं