Secret of Happiness in Hindi.
शहर के व्यस्त चौराहे पर दो दोस्त काफी दिन के बाद मिले। एक ने हंस कर नमस्कार किया और फिर उत्साहपूर्वक पूछा, ''कैसे हो यार?''
दूसरा दाेस्त कुछ परेशान था। वह निराशापूर्वक बोला, ''वैसे तो सब ठीक है, लेकिन भइया बड़ी परेशानी में हूँ। लड़कों की नौकरी नहीं लग रही है, लड़की के लिए कोई ढ़ंग का रिश्ता नहीं मिल रहा है, पत्नी बीमार...''
जी
हां, ज्यादातर जब दो लोग मिलते हैं, तो ऐसी ही बातचीत देखने को मिलती है।
आपने किसी से पूछा नहीं कि अगला चालू हो गया अपने घर की समस्याएं बताने
में। भले ही सामने वाले को उसमें रूचि हो, न हो। भले ही उसे कितनी भी
जल्दी हो और भले ही उसे आपकी चिन्ताओं से कोई लेना-देना न हो। शायद ऐसा
भी होता हो, कि वह पीठ पीछे आपकी खिल्ली भी उड़ाता हो, बावजूद इसके आप
चालू हो जाते हैं।
जब यह स्थिति एक से अधिक बार दोहरायी जाती है, तो ज्यादातर लोग आपको देखते ही बगल से निकलने लगते हैं। इसमें उनकी गल्ती नहीं है। कारण, हर आदमी की अपनी परेशानियां हैं, अपनी जरूरतें हैं और अपनी प्राथमिकताऍं। वह उन्हीं से पीछा छुड़ा नहीं पा रहा और आप उसके दिमाग का बोझ बढ़ाने पर तुले हुए हैं। ऐसे में अगला व्यक्ति कन्नी काट कर न निकले तो क्या करे?
बिलकुल सही कह रहे हैं आप। पर उसके लिए सही व्यक्ति तो चुनिए। एक ऐसा व्यक्ति, जो आपको पसंद करता हो, आपसे वास्तव में सहानुभूति रखता हो।
अगर आप हर गली, हर मोहल्ले में इस तरह से अपना दुखड़ा रोने लगेंगे, तो इससे आपकी समस्याएं घटने की बजाए बढ़ेंगी ही। जी हां, आपकी समस्याएं बढ़ती जाएंगी। यकीन जानिए आपकी समस्याओं के पिटारे में किसी की कोई दिलचस्पी नहीं हैं, इसलिए अच्छा है आप उसे अपने पास संभाल कर रखें।
भले ही आपके पास सारे जमाने के दुख हों (वैसे आजके समय में किसके पास नहीं हैं), फिरभी जब भी आप लोगों से मिलें, हंस कर मिलें, जिन्दादिली के साथ मिलें। जब आप दूसरों से हाथ मिलाएं, पूरे जोश-ओ-खरोश के साथ मिलाएं। सामने वाले को लगना चाहिए कि वह किसी जिन्दादिल इंसान से मिल रहा है। जो लोग जिन्दादिली के साथ रहते हैं, ऐसे लोगों से मिलना मुझे अच्छा लगता है, सबको अच्छा लगता है और आपको भी अच्छा लगेगा।
इसलिए जब भी आप किसी व्यक्ति से मिलें, तो भले ही आप कितनी मुसीबतों से घिरे हों, लेकिन मुस्करा कर उसका स्वागत करें और जब वह व्यक्ति आपके बारे में पूछे, तो विश्वास के साथ कहें- बढिया है, मज़े में हूं, ईश्वर की कृपा है आदि-आदि। यदि आप युवा हैं, तो आप कह सकते हैं कि मौज में हूं या फर्स्टक्लास है अथवा आनन्द ही आनन्द है। या ऐसा ही जोश से भरा कोई अन्य वाक्य।
आपको शुरू-शुरू में यह सब अटपटा लगेगा और हो सकता है आप मन ही मन गिल्टी जैसी फील करें। लेकिन यकीन जानिए यह अटपटापन कुछ ही दिनों में रफूचक्कर हो जाएगा। इस तरीके को आप अपना कर देखिए, मैं गारन्टी के साथ कहता हूँ कि जिंदगी को देखने का आपका नज़रिया बदल जाएगा। और तब लोग आपसे मिलकर प्रसन्न होंगे, आपसे बात करना चाहेंगे, आपके बारे में बातें करना पसन्द करेंगे और पीठ पीछे ही नहीं, आपके मुँह पर भी कहेंगे- आपसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई।
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दूसरा दाेस्त कुछ परेशान था। वह निराशापूर्वक बोला, ''वैसे तो सब ठीक है, लेकिन भइया बड़ी परेशानी में हूँ। लड़कों की नौकरी नहीं लग रही है, लड़की के लिए कोई ढ़ंग का रिश्ता नहीं मिल रहा है, पत्नी बीमार...''
पहले वाले दोस्त ने अपनी घड़ी की ओर देखा और फिर उसकी बात काटता हुआ बोला, ''यार, आज मैं थोड़ा जल्दी में हूं, फिर मिलता हूं।''
जब यह स्थिति एक से अधिक बार दोहरायी जाती है, तो ज्यादातर लोग आपको देखते ही बगल से निकलने लगते हैं। इसमें उनकी गल्ती नहीं है। कारण, हर आदमी की अपनी परेशानियां हैं, अपनी जरूरतें हैं और अपनी प्राथमिकताऍं। वह उन्हीं से पीछा छुड़ा नहीं पा रहा और आप उसके दिमाग का बोझ बढ़ाने पर तुले हुए हैं। ऐसे में अगला व्यक्ति कन्नी काट कर न निकले तो क्या करे?
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क्या कहा आपने? दूसरों से कहने पर मन का बोझ थोड़ा कम हो जाता है।
क्या कहा आपने? दूसरों से कहने पर मन का बोझ थोड़ा कम हो जाता है।
बिलकुल सही कह रहे हैं आप। पर उसके लिए सही व्यक्ति तो चुनिए। एक ऐसा व्यक्ति, जो आपको पसंद करता हो, आपसे वास्तव में सहानुभूति रखता हो।
अगर आप हर गली, हर मोहल्ले में इस तरह से अपना दुखड़ा रोने लगेंगे, तो इससे आपकी समस्याएं घटने की बजाए बढ़ेंगी ही। जी हां, आपकी समस्याएं बढ़ती जाएंगी। यकीन जानिए आपकी समस्याओं के पिटारे में किसी की कोई दिलचस्पी नहीं हैं, इसलिए अच्छा है आप उसे अपने पास संभाल कर रखें।
भले ही आपके पास सारे जमाने के दुख हों (वैसे आजके समय में किसके पास नहीं हैं), फिरभी जब भी आप लोगों से मिलें, हंस कर मिलें, जिन्दादिली के साथ मिलें। जब आप दूसरों से हाथ मिलाएं, पूरे जोश-ओ-खरोश के साथ मिलाएं। सामने वाले को लगना चाहिए कि वह किसी जिन्दादिल इंसान से मिल रहा है। जो लोग जिन्दादिली के साथ रहते हैं, ऐसे लोगों से मिलना मुझे अच्छा लगता है, सबको अच्छा लगता है और आपको भी अच्छा लगेगा।
इसलिए जब भी आप किसी व्यक्ति से मिलें, तो भले ही आप कितनी मुसीबतों से घिरे हों, लेकिन मुस्करा कर उसका स्वागत करें और जब वह व्यक्ति आपके बारे में पूछे, तो विश्वास के साथ कहें- बढिया है, मज़े में हूं, ईश्वर की कृपा है आदि-आदि। यदि आप युवा हैं, तो आप कह सकते हैं कि मौज में हूं या फर्स्टक्लास है अथवा आनन्द ही आनन्द है। या ऐसा ही जोश से भरा कोई अन्य वाक्य।
आपको शुरू-शुरू में यह सब अटपटा लगेगा और हो सकता है आप मन ही मन गिल्टी जैसी फील करें। लेकिन यकीन जानिए यह अटपटापन कुछ ही दिनों में रफूचक्कर हो जाएगा। इस तरीके को आप अपना कर देखिए, मैं गारन्टी के साथ कहता हूँ कि जिंदगी को देखने का आपका नज़रिया बदल जाएगा। और तब लोग आपसे मिलकर प्रसन्न होंगे, आपसे बात करना चाहेंगे, आपके बारे में बातें करना पसन्द करेंगे और पीठ पीछे ही नहीं, आपके मुँह पर भी कहेंगे- आपसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई।
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