Electronic Voting Machine Information in Hindi.
चुनाव के समय अक्सर यह सुनने में आता है कि वोटिंग मशीन को फलां जगह पर हैक कर लिया गया या फलां जगह पर मशीन में गड़बड़ी पाई गयी, जिससे किसी एक राजनैतिक दल को लाभ मिला। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर यह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या है, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन कैसे काम करती है? और क्या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को हैक किया जा सकता है? यहां पर इस तरह के तमाम सवालों के जवाब दिये जा रहे हैं। आशा है ये जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
दरअसल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन दो मशीनों का योग है, जिसमें कंट्रोल यूनिट एवं बैलेटिंग यूनिट होती है। ये यूनिट पांच-मीटर केबल द्वारा जुड़ी होती हैं। मतदान के समय कंट्रोल यूनिट
पीठासीन अधिकारी/मतदान अधिकारी के पास रहती है तथा बैलेटिंग यूनिट
वोटिंग कम्पार्टमेंट में रखी होती है। जब कंट्रोल यूनिट का प्रभारी मतदान अधिकारी बैलेट बटन को दबा देता है, उसके बाद बैलेट यूनिट वोट दर्ज करने के लिए तैयार हो जाती है और मतदाता अपनी पसंद के अभ्यर्थी एवं चुनाव चिन्ह के सामने बने नीले बटन को
दबाकर अपना मत दर्ज कराता है। प्रत्येक इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में अधिकतम 2000 वोट डाले जा सकते हैं।
प्रश्न-2: ईवीएम से चुनाव कराने में अधिकतम कितने उम्मीदवार हो सकते हैं?
एक इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में अधिकतम 64 उम्मीदवारों के लिए चुनाव कराना संभव है। एक महीन से अधिकतम 16 उम्मीदवार (नोटा को शामिल करते हुए) जुड़ सकते हैं। 16-32 उम्मीदवार होने पर 2 मशीनें, 33-48 उम्मीदवार होने पर 3 मशीनें तथा 49-64 उम्मीदवार होने पर 4 मशीनें जोड़कर चुनाव कराया जाता है।
प्रश्न-3: कन्ट्रोल यूनिट में कितने दिनों तक मतगणना परिणाम सुरक्षित रह सकते हैं?
कंट्रोल यूनिट की मेमोरी में मतगणना परिणाम अधिकतम 10 सालों तक सुरक्षित रह सकते हैं।
प्रश्न- 4: क्या यह सम्भव है कि वोटिंग बटन को लगातार दबाने से एक से अधिक वोट दिया जा सकता है?
ऐसा सम्भव नहीं है। क्योंकि बैलेट यूनिट का बटन एक बार दबाने के बाद मशीन लॉक हो जाती है। इसके बाद कंट्रोल यूनिट का 'बैलेट' बटाने दबाने के बाद ही मशीन वोट को रिकार्ड करने के लिए तैयार हो पाती है।
[post_ads]
प्रश्न- 5: किसी वोटर को यह कैसे यकीन होगा कि वोटिंग मशीन ठीक ढंग से काम कर रही है?
जब भी कोई मतदाता चुनाव चिन्ह के सामने का नीबा बैलेट बटन दबाता है, उसके दाहिनी ओर लाल रंग की लाइट जलती है, साथ ही लम्बी बीप की आवाज भी सुनाई पड़ती है। इससे यह पता चलता है कि मशीन सही ढंग से काम कर रही है औ मतदाता का वोट रिकार्ड हो गया है।
प्रश्न- 6: क्या यह जान पाना संभव है कि किस समय तक वोटिंग मशीन में कितने वोट पड़ चुके हैं? और मतदान के दिन कुल पड़े वोटों की जानकारी कैसे होती है?
वोटिंग मशीन में 'टोटल' को दबाकर उस समय तक पड़े टोटल वोटों की जानकारी हो सकती है। हालांकि इस बटन द्वारा यह जानना संभव नहीं कि किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले हैं। प्रत्येक उम्मीदवार को मिलने वाले कुल वोटों की संख्या जानने के लिए 'रिजल्ट' बटन का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक विशेष प्रक्रिया के बाद ही काम करता है।
प्रश्न-7: क्या किसी क्षेत्र में 10 उम्मीदवार होने पर वोटिंग मशीन का 11 से 16 नम्बर का बटन दबाने से वोट बेकार हो जाएगा?
नहीं, ऐसा नहीं हो सकता है। क्योंकि जिस क्षेत्र में जितने उम्मीदवार होते हैं, वोटिंग मशीन में उतने ही बटन सक्रिय होते हैं, शेष बटन बंद कर दिये जाते हैं, जिससे उनका उपयोग कर पाना संभव नहीं होता है।
प्रश्न-8: क्या किसी वोटिंग स्थल की मशीन को बदला जा सकता है?
नहीं, प्रत्येक कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट पर विशिष्ट पहचान नम्बर खुदा होता है। इसलिए किसी मतदान स्थल की मशीन को बदल पाना संभव नहीं है।
प्रश्न-9: क्या वोटिंग मशीन में वोट दर्ज होने से पहले यह चेक करना संभव है कि उसमें कोई वोट पहले से तो दर्ज नहीं है?
मतदान प्रारम्भ होने से पूर्व पीठासीन अधिकारी सभी पोलिंग एजेंट के सामने मशीनों का टोटल बटन दबाकर यह दर्शाता है कि मशीन में पहले से कोई वोट दर्ज नहीं है। इसके बाद वोटिंग की मॉक पोल (दिखावटी मतदान) की जाती है, जिसमें पीठासीन अधिकारी वोट डाल कर दिखाता भी है कि वोटिंग मशीन सही ढंग से काम कर रही है अथवा नहीं। ऐसा करने के बाद डाला गया वोट क्लियर बटन दबा कर मिटा दिया जाता है। उसके बाद कंट्रोल यूनिट में रिजल्ट सेक्शन को सील कर दिया जाता है और तत्पश्चात मतदान प्रारम्भ किया जाता है।
[next]
प्रश्न-10: क्या मतदान बंद होने के पश्चात पोलिंग एजेंट या मतदानकर्मी चुपके से किसी मशीन में गैरकानूनी वोट दर्ज कर सकते हैं?
नहीं, क्योंकि मतदान समाप्त होने के बाद कंट्रोल यूनिट का प्रभारी 'क्लोज' बटन दबा देता है, जिसके बाद वोटिंग मशीन में कोई वोट दर्ज नहीं होता है। इसके बाद कंट्रोल यूनिट वोटिंग यूनिट को अलग-अलग बॉक्स में सील कर दिया जाता है। इसलिए मतदान समाप्त होने के बाद किसी भी मशीन में वोट दर्ज करना संभव नहीं है। इसके लिए एक और सावधानी भी बर्ती जाती है। इसके अंतर्गत वोट काउंट के समय वोटिंग में पड़े कुल मतों को उस बूथ में वैलेट पेपर एकाउंट से भी मिलान किया जाता है और उसमें किसी भी प्रकार की असमानता पाए जाने पर उस मशीन/पोलिंग के वोट निरस्त कर दिये जाते हैं।
मतदान के दौरान किसी मशीन के खराब होने पर उसे बदल दिया जाता है। इस दशा में मशीन में पड़े कुल मत उसकी मेमोरी में सुरक्षित रहते हैं, जिन्हें मतगणना के दिन नई मशीन के वोटों के साथ जोड़ लिया जाता है।
प्रश्न- 12: क्या वोटिंग मशीन से बूथ कैप्चरिंग सम्भव है?
यदि किसी मतदान स्थल पर जबरन वोट डालने का प्रयास किया जाता है, तो ऐसे में पीठासीन अधिकारी तुरंत कंट्रोल यूनिट का 'क्लोज' बटन दबा देता है, जिसके बाद मशीन पर वोट डालना संभव नहीं है। इस तरह से वोटिंग मशीन द्वारा बूथ कैप्चरिंग करना सम्भव नहीं है।
प्रश्न-13: क्या ईवीएम के कन्ट्रोल यूनिट में सुरक्षित डॉटा में हेराफेरी की जा सकती है?
वोटिंग मशीन में प्रयोग किया जाने वाला साफ्टवेयर वोटिंग मशीन में सोल्डरिंग के द्वारा चिपकाया जाता है, इसलिए न तो उसे बदला जा सकता है और न ही उसमें किसी प्रकार की छेड़छाड सम्भव है।
प्रश्न-14: क्या ईवीएम को चुनाव में प्रयोग करने से पूर्व चेक किया जाता है?
चुनाव से पूर्व वोटिंग मशीन की कई स्तर पर जांच की जाती है। जिसमें सबसे पहली जांच इसकी निर्माता कंपनी यथा मेसर्स भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड, बंगलौर एवं मेसर्स इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद के इंजीरियर करते हैं। इसके बाद मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष भी मशीनों की जांच की जाती है, इसे एफ.एल.सी. कहते हैं। इसके बाद कंट्रोल यूनिट पर 'पिंक पेपर सील' लगा दी जाती है। यह सील इस तरह की होती है कि इसे हटाये बिना मशीन में किसी प्रकार की छेड़छाड़ सम्भव नहीं होती। मतदान के दिन भी मतदान से पूर्व इस सील को चेक किया जाता है। किसी मशीन की सील में गड़बड़ी पाए जाने पर उक्त मशीन को मतदान से अलग कर दिया जाता है।
फर्स्ट लेवल चेकिंग के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी प्रथम रैण्डमाइजेशन का कार्यक्रम निर्धारित करते हैं, जिसमें राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए मशीनों का आंवटन होता है। इसके बाद इन मशीनों को स्ट्रांगरूम में कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है, जिससे इनमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ न हो सके।
स्ट्रांग रूम से वोटिंग मशीनों की निकासी के समय भी इनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है। इस दौरान राजनैतिक दलों के अभिकर्ता एवं प्रेक्षक मौजूद रहते हैं। उसी दिन मशीनें पोलिंग पार्टी को एलॉट की जाती हैं और वे पोलिंगकर्मियों के साथ मतदान स्थल की ओर रवाना हो जाती हैं।
प्रश्न- 15: पोलिंग स्टेशन पर मतदान के बाद वोटिंग मशीन किस तरह से सील की जाती हैं?
मतदान समाप्त होने के बाद पीठासीन अधिकारी वोटिंग मशीन के कंट्रोल यूनिट/रिजल्ट सेक्शन को चार तरीके से सील करता है-
1. रिजल्ट सेक्शन को ग्रीन पेपर द्वारा सील करना।
2. रिजल्ट सेक्शन के अंदर के दरवाजे को धागे द्वारा सील करना।
3. कंट्रोल यूनिट के अंतिम भाग को धागे द्वारा सील करना।
4. 16 उम्मीदवार से अधिक होने पर बैलेट यूनिट के कनेक्टर बॉक्स को धागे से सील करना।
इससे यह स्पष्ट है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के निर्माण से लेकर वोटिंग पूरी होने तक मशीन की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है, इसलिए उसे हैक करना या उसमें गड़बड़ी करना संभव नहीं है।
keywords: electronic voting machine in Hindi, electronic voting machine problems, electronic voting machine companies, electronic voting machine hacking, electronic voting machine security, electronic voting machine issues, electronic voting machine vulnerabilities, electronic voting machine india, electronic voting machine project, electronic voting machine manufacturers, electronic voting machine video, electronic voting machine working, electronic voting machine pdf, how to use electronic voting machine, electronic voting machine ppt, first state to use electronic voting machine, electronic voting machine manipulation, voting machines rigged for democrats, voting machines rigged for republicans, diebold voting machines rigged, who owns diebold voting machines, diebold voting machines controversy, diebold voting machines rigged 2016, voting machines hacked 2016, are voting machines connected to the internet, What is the use of electronic voting machine?, What is an electronic voting system?, When was EVM used for the first time in India?, Who created the first voting machine?, ईवीएम मशीन, वोट डालने वाली पेटी, evm machine in hindi, वोट डालने वाली पेटी का नाम, वोटिंग कार्ड, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या है, मतदान पर निबंध, जिसमें आम चुनाव मतपत्र भारत में पेश किया गया था, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन इन इंडिया, इलेक्ट्रॉनिक मतदान मशीन,
इससे यह स्पष्ट है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के निर्माण से लेकर वोटिंग पूरी होने तक मशीन की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है, इसलिए उसे हैक करना या उसमें गड़बड़ी करना संभव नहीं है।
COMMENTS