English Teaching Tips in Hindi
छोटे बच्चों को अंग्रेजी सिखाना बेहद कठिन कार्य है। और अगर वे बच्चे ग्रामीण क्षेत्र के हों, तो फिर दुश्वारियां और बढ जाती हैं। लेकिन अगर आपको कुछ बेसिक पता हों, तो इस समस्या को भी आसान बनाया जा सकता है। उन बेसिक को बताने के लिए ही आज आपके लिए अंग्रेजी पढ़ाने के आसान तरीके - English Teaching Tips in Hindi लेकर आए हैं। अगर आपके दिमाग में How to Teach English, English Teaching Methods, Basic English for Kids या Teaching English to Children जैसी बातें घूम रही हों, तो यह लेख आपके लिए ही है। आप इसे ध्यान से पढ़ें। हमें यकीन है कि अंग्रेजी पढ़ाने के आसान तरीके - English Teaching Tips in Hindi लेख आपको जरूर पसंद आएगा।
ग्रामीण विद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ाने के आसान तरीके
English Teaching Tips in Hindi
-सुशील कुमार शर्मा
भारत में अंग्रेजी विषय का शिक्षण लोगों की आशा एवं शिक्षा की गुणवत्ता का प्रतीक माना जाने लगा है। विश्व की 60% जनसँख्या बहुभाषीय है। भारत भी एक बहुभाषीय देश है इसमें बहुत संख्या में भाषाएँ एवं बोलियाँ हैं। भारत में करीब 1652 भाषा एवं बोलियाँ बोली जाती हैं। संविधान के 8 वें अनुच्छेद में 22 भाषाओं को दर्शाया गया है। 87 भाषाएँ प्रिंट मीडिआ में एवं 71 भाषाएँ आडिओ मीडिआ में अपनाई जा रही हैं। 47 भाषाएँ विद्यालयों में पढ़ाई में प्रयोग में लाई जा रही हैं। भारत में अंग्रेजी राजकाज की भाषा के रूप में प्रतिस्थापित है।
➤भाषा शिक्षण का मुख्य उदेश्य क्या होना चाहिए? क्या भाषा शिक्षण का मुख्य उद्देश्य पाठ्यक्रम, बातचीत में प्रवीणता, पठन, अनुवाद के लिए है या कोई और उद्देश्य है ?
➤भाषा की प्रकृति क्या है? एवं इससे उस भाषा के शिक्षण पर क्या प्रभाव होगा ?
➤मातृ भाषा का उस भाषा के शिक्षण में क्या योगदान होगा?
➤भाषा की प्रवीणता के लिए कौन से तरीके अपनाने चाहिए,क्या ये तरीके भाषा शिक्षण की विधि बन सकते है?
➤भाषा शिक्षण के लिए कौन सी क्रिया विधि एवं तकनीकी उस माहोल में अपनाई जानी चाहिए?
ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी भाषा को पढ़ाने में बहुत सारी समस्याएं आती है। इनमें सबसे जटिल समस्या अंग्रेजी के प्रशिक्षित शिक्षकों की भारी कमी है। भाषा शिक्षण में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी शिक्षक ही है। शिक्षक के पास वो समझ होनी चाहिए जो नई पीढ़ी में ज्ञान एवं सार को सम्प्रेषित कर सके। उसका लक्ष्य सुदृढ़ ज्ञान पर आधारित एक ऐसी आधारशिला होनी चाहिए जो भविष्य में छात्र के व्यक्तित्व निर्माण में कारगर साबित होकर उसे समाज उपयोगी सदस्य के रूप में विकसित कर सके। शिक्षक का कक्षा पर नियंत्रण इस बात पर निर्भर करता है कि उसका विषय पर कितना ज्ञान है ? एवं वह सीखने की प्रक्रिया में अपना कितना योगदान दे पा रहा है? छात्र और शिक्षक के बीच सीखने की प्रक्रिया को लेकर समन्वय एवं छात्र तक ज्ञान का सम्प्रेषण भाषा शिक्षण की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी भाषा के शिक्षण में शिक्षक को अधोलिखित विषयों पर कठनाइयों का सामना करना पड़ता है।
हिज़्ज़े (Spellings):
किसी शब्द के हिज्जे मातृ भाषा में भी बहुत कठिन होते हैं। भाषा शिक्षण में प्राइमरी स्तर पर छात्र शब्दों को पढ़ नहीं पाते, अंग्रेजी शब्दों के सही उच्चारण नहीं जानने के कारण उन्हें शब्द पढ़ने में कठनाई जाती है अंग्रेजी भाषा की विविधता के कारण हिज्जे एवं उच्चारण में असमानता होती है। अंग्रेजी में 26 अक्षरों के लिए 44 ध्वनियाँ होती है। शब्द के प्रयोग के आधार पर ध्वनियों का निर्धारण किया जाता है। निन्म प्रक्रियाओं को प्रयोग में लाकर हम बच्चों को अंग्रेजी भाषा के शब्दों के हिज्जे (spellings) सिखा सकते हैं।
➤शिक्षक को हिज्जे (spellings) के सही नियम कक्षा में बताने चाहिए।
➤बच्चों से नए शब्दों के हिज्जे (spellings ) जोर से समूह में कम से कम 5 बार बुलवाने चाहिए।
➤सही शब्द उच्चारित करने में शिक्षक को सहायता करनी चाहिए।
➤साप्ताहिक शुद्धलेख के अभ्यास से बच्चों को सही हिज्जे सीखने में मदद मिलेगी।
➤हाई स्कूल स्तर पर अंग्रेजी शब्दकोष का प्रयोग हिज्जे सीखने में कारगर साबित होता है।
➤प्रति सप्ताह कठिन शब्दों के पोस्टर बना कर कक्षा में लगाने चाहिए।
गृहकार्य:
ग्रामीण क्षेत्रों में 90 % छात्र गृहकार्य पर ध्यान नहीं देते हैं। शिक्षक भी कभी गृहकार्य को देने में एवं उसे जांचने में तत्पर दिखाई नहीं देते हैं। इसका मुख्य कारण कक्षा में छात्रों का अनुपात से ज्यादा होना है। गृह कार्य करने से छात्रों में विषय के प्रति समझ एवं उसका सारांश ग्रहण करने की क्षमता का विकास होता है। गृह कार्य से सम्बंधित मुख्य निराकरण बिंदु निम्न है।
➤छात्र अगर गृहकार्य करके नहीं लाता है तो उसके बहाने को स्वीकार करिये।
➤अगर वह प्रतिदिन बहाने बना रहा है तो कारण जान कर उस के निराकरण का उपाय करिये।
➤गृह कार्य देते समय स्पष्ट निर्देश देना चाहिए ताकि छात्र को समझ में आये की वास्तव मंं शिक्षक क्या चाहता है।
➤गृह कार्य के महत्व पर उससे बातचीत करिये।
➤अगर प्रतिदिन या साप्ताहिक गृहकार्य आप नहीं जाँच पातें हैं तो तीन या चार बच्चों का गृह कार्य की जाँच प्रतिदिन करें।
➤जो नियमित गृह कार्य करके लातें हों ऐसे छात्रों की सार्वजनिक रूप से कक्षा में प्रशंसित करें।
अंग्रेजी सीखने के उत्साह में कमी:
अध्यापकों को अंग्रेजी पढ़ाने के आसान तरीके की सही जानकारी न होने के कारण बच्चे अक्सर कक्षा में अंग्रेजी से दूर भागते हैं। अंग्रेजी सीखने के प्रति उनका उत्साह नगण्य रहता है|इसकामुख्य कारण सीखने की क्रिया में उनकी सहभागिता का न होना है। ऐसी स्थिति में शिक्षक को निम्न प्रक्रियाएं अपनानी चाहिए।
➤कक्षा में अंग्रेजी के वातावरण का निर्माण करना चाहिए।
➤पाठ योजना को प्रभावी बनाने के लिए उसमे विविधता होनी चाहिए।
➤कक्षा में शिक्षक को ये सुनिश्चित करना चहिये की प्रत्येक छात्र पाठ में सहभागी बने।
➤विद्यार्थियों को अपने मन से प्रश्न बनाने, चित्र तैयार करने, पोस्टर निर्माण करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
➤छात्रों को मौखिक अभ्यास में संकेत देना, कविता को गाकर मनोरंजक तरीके से पढ़ाना एवं गद्य को नाट्यरूपांतर करके पढ़ाने से छात्रों में रूचि जाग्रत होगी।
➤पाठ्य योजना में तीव्रता रखनी चाहिए जिससे छात्रों के अंदर यह भावना जाग्रत होगी की हम पाठ में आगे बढ़ रहे हैं। अगर छात्र उत्तर नहीं दे पा रहे हैं तो योग्य छात्रों से उत्तर निकलवाएँ एवं कुछ देर बाद पनाह कमजोर छात्रों से उत्तर पूछें।
➤जब विद्यार्थियों को उत्साहित कर रहें हो तो उनकी गलतियां न निकाले उनकी गलतियों को दिमाग में रखे और फिर किसी दूर दिन आगे के पाठों में उनका सुधार करवाएं।
➤बच्चों को प्रोत्साहित करें उनकी छोटी छोटी सफलताओं पर शबासी दें एवं मूल्यांकन करते समय उनकी गलतियां बताते हुए हौसलाअफजाई करें। उनसे कहे तुम्हारा आज का कार्य कल से बहुत अच्छा है।
➤कक्षा में सामान्य बातचीत जो छात्र हिंदी में करते हैं उन्हें उसे अंग्रेजी में बोलने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें बताएं की उन बातों को अंग्रेजी में काम शब्दों एवं सरल वाक्यों में हम अपनी बात कह सकतें हैं।
➤अगर पूर्व प्रयासों से छात्रों का मन पाठ में न लग रहा हो तो पाठ बंद कर उनके मन की बात शुरू करें एवं उन बातों को अंग्रेजी के सरल वाक्यों में बदल कर उन्हें बोलने के लिए प्रोत्साहित करें।
कक्षा में छात्रों का असंयमित व्यवहार:
ऐसा देखने में आया है की अंग्रेजी के कालखण्ड में कक्षा में छात्रों का व्यवहार दूसरे कालखंडों की अपेक्षा ज्यादा असयंमित होता है इस का मुख्य कारण छात्रों का अंग्रेजी के प्रति लगाव न होना एवं अंग्रेजी सीखने के प्रति अरुचि प्रमुख है। ऐसे समय शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर कक्षा में छात्रों का व्यवहार असंयमित हो तो शिक्षक निम्न विधि अपना कर उनपर नियंत्रण कर सकतें हैं।
➤ कक्षा में विद्यार्थियों को व्यस्त रखें।
➤छात्रों के बहानों को स्वीकार करें।
➤परीक्षा या टेस्ट में शामिल न होने पर उन्हें माफ़ करें।
➤उनकी प्रशंसा करें दुत्कारने या फटकारने उनका विद्रोह बढ़ेगा।
➤उनकी योग्यता के अनुरूप ही उनसे अपेक्षा रखें।
➤अपनी ओर से उन्हें समझाएं की आप उनसे क्या अपेक्षा रखतें हैं।
➤सामूहिक प्रश्न न करें।
➤जब छात्र बात कर रहें हो तब ऊँची आवाज में न चिल्लाएं न ही पाठ चालू रखें।
➤बुरे बर्ताव पर उन्हें डांटे नहीं बल्कि जो अच्छा व्यवहार करते हो ऐसे छात्रों की प्रशंसा करें एवं उन्हें ईनाम दें।
सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक का व्यवहार एवं आचरण होता है जिसका सीधा प्रभाव कक्षा के अनुशासन पर पड़ता है। शिक्षक स्वयं संयमित आचरण कर छात्रों के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करें।
उच्चारण में सुधार:
छात्र बोलने से पहले सुनता है। शिक्षा का नियम है की दृष्टिकोण एवं सुनना पहले होता है उसके बाद बोलना या उत्पादन करना होता है। उच्चारण सुधारने के लिये शिक्षकों को कक्षा में सजग रहने की आवश्यकता होती है नहीं तो छात्र गलत उच्चारण सीख कर भविष्य में अत्यंत समस्या मूलक बन जातें हैं।
➤शिक्षक को छात्रों के सामने हमेशा अंग्रेजी के शब्दों का सही उच्चारण करना चाहिए क्योंकि छात्र शिक्षक का ही अनुसरण करता है। इस के लिए शिक्षक को नए शब्दों का प्रयोग करने से पहले उनके उच्चारण जाँच लेना चाहिए।
➤शिक्षक को स्वर,व्यंजन एवं स्ट्रेस के आधार पर नए शब्दों पर विशेष ध्यान देना चाहिए एवं पाठ से पहले उनके अभ्यास कर लेना चाहिए।
➤शिक्षक को वाक्य बोलने का अभ्यास,सही टोन,वाक्य का तनाव,एवं बोलने की गति को ध्यान में रख कर करना चाहिए।
➤शिक्षक को तेज गति पठन (Loud Reading), व्याकरण सूत्र (Grammatical Structure) एवं शब्दकोष (Vocabulary) पढ़ाते समय शुद्ध उच्चारण आवश्यक रूप से छात्रों के सामने रखने चाहिए।
➤शिक्षक को लुप्त अक्षर (Silent letters) लिखते समय उनको चिन्हित कर अच्छी तरह से समझाना चाहिए। इससे हिज्जे (Spellings )एवं उच्चारण सीखने में आसानी होगी।
➤शिक्षक को ऐसे शब्दों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए जो समस्यात्मक उच्चारण रखते हैं।
➤शब्दों के समूह बना कर छात्रों के समक्ष प्रदर्शन करना चाहिए। एक से उच्चारण वाले शब्दों के समूह, एक सी हिज्जे (spellings )लेकिन अलग उच्चारण वाले शब्दों का समूह।
अधिकांश छात्रों को हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्तर पर रचना (composition) में बहुत कठनाइयां आती हैं। इसका मुख्य कारन शिक्षकों का सही तरीके से छात्रों को रचना (Composition) को न समझाना ही है। मुख्य रूप से रचना (Composition)के अध्ययन में निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 01 अंग्रेजी की लिपि समझ में न आना। 02. अंग्रेजी के व्याकरण का उचित प्रयोग न कर पाना। 03. परिस्थितियों के अनुसार विचारों का प्रकटीकरण न कर पाना। 04. सहज एवं सरल भाषा का प्रदर्शन न कर पाना। शिक्षक को कक्षा में छात्रों को रचना (composition) निम्न तरीके से समझाना चाहिए।
➤कक्षा में शिक्षक को टॉपिक ब्लैकबोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखना चाहिए।
➤टॉपिक से सम्बंधित hint या clue उसके नीचे लिखना चाहिए।
➤सरल भाषा में उस टॉपिक से सम्बंधित बातें बताएं एवं उस कम्पोजीशन का मुख्य विचार समझाना चाहिए।
➤उस टॉपिक पर छात्रों के विचार ब्लैकबोर्ड पर लिखवाना चाहिए। छात्रों की ओर से जितने भी वाक्य आएं उन को क्रमबद्ध ज़माने लिए कहें।
➤छात्रों को सूत्र, शब्दकोष एवं चार्ट के माध्यम से अपने विचारों के विस्तारीकरण में सहायता चाहिए।
➤रचना (Composition) को जांचते समय निर्देश लिखें "अच्छा है और भी अच्छा हो सकता था यदि निम्न बिन्दुओं को विस्तारित किया जाता।"
➤रचना (Composition) को जांचते समय व्याकरण, शब्दक्रम एवं विराम चिन्हों पर विशेष ध्यान देने चाहिए।
अंग्रेजी व्याकरण (Grammar) पढ़ने में आने वाली कठनाइयाँ:
अंग्रेजी व्याकरण (Grammar) को सन्दर्भ रहित पढ़ाने से छात्र के मन पर भर पड़ता है ,अतः अंग्रेजी व्याकरण (Grammar) पढ़ाने का सबसे उचित तरीका कहानी के द्वारा ही माना गया है। कक्षा में ग्रामर पढ़ाते समय निम्न विधियां अपनानी चाहिए।
➤प्रारंभिक स्तर पर ग्रामर के नियम स्पष्ट रूप से समझाने चाहिए।
➤छात्र अगर अंग्रेजी व्याकरण (Grammar) के नियमो से परिचित नहीं हैं तो तो उन्हें अंग्रेजी व्याकरण (Grammar) नहीं बतानी चाहिए।
➤कक्षा में close exercises देना चाहिए ताकि छात्रों में सहभागिता की भावना बनी रहे।
➤विद्यार्थियों से व्यक्तिगत प्रश्नों का अभ्यास करना चाहिए ताकि उनमे त्वरित उत्तर देने की क्षमता का विकास हो सके।
➤वाक्यों के विन्यास समझाने के लिए मातृभाषा का उदहारण देना चाहिए। दोनों भाषाओं के समान्तर वाक्य देने से छात्र को जल्दी समझ में आ सकेगा।
➤शिक्षक को Grammar translation विधि एवं Situational method दोनों का मिश्रण कर अंग्रेजी व्याकरण (Grammar) का अध्यापन कराना चाहिए।
ख़राब लिखावट:
शिक्षक के लिए सबसे ज्यादा समस्या छात्रों की ख़राब लिखावट से होती है | कुछ बातों को व्यवहार में लाने पर छात्रों की लिखावट में सुधार करवाया जा सकता है। सर्व प्रथम शिक्षक को बोर्ड पर सुन्दर तरीके से लिखना चाहिए ताकि छात्र के मन में अच्छी एवं सुन्दर लिखावट लिखने की इच्छा जाग्रत हो | कुछ छात्र पेन को सही ढंग से नहीं पकड़ते हैं शिक्षक को इस बात पर निगाह रखना चाहिए एवं व्यक्तिगत रूप से जाकर पेन पकड़ने का सही ढंग समझाना चाहिए | छात्रोंको अक्षरों के आकार से अछे तरीके से परिचित कराना चाहिए क्योंकि कुछ बच्चों को अक्षरों के आकर समझने में कठनाई होती है जैसे (b-d), (u-n), (m-w), (q-p) इन अक्षरों का निरंतर लिखवाने का अभ्यास कक्षा में करवाना चाहिए।
अच्छी एवं सुन्दर लिखावट के नियम समझाना चाहिए।
01- वाक्य की शुरुआत capital letter से होनी चाहिए।
02- वाक्य के अंत में पूर्ण विराम होना चाहिए।
03- वाक्य में दो शब्दों के बीच में नियमित अन्तराल होना चाहिए।
04- प्रश्न वाचक एवं विस्मियादी बोधक वाक्यों में अंत में सम्बंधित चिन्ह का प्रयोग किया जाना चाहिए।
05- छात्रों के लिखते समय हाथों की गति अवं स्थिति पर ध्यान देना चाहिए।
06- सबसे अच्छी लिखावट का प्रदर्शन सभी छात्रों के समक्ष करना चाहिए।
07- लिखावट की प्रतियोगिता रखनी चाहिए एवं सुन्दर लिखावट वाले छात्रो को पुरुष्कृत करना चाहिए ताकि छात्रों के मन में सुन्दर लिखावट बनाने की इच्छा जाग्रत हो सके।
अंग्रेजी कविता (Poetry) का अध्यापन:
भारतीय ग्रामीण परिवेश में अंग्रेजी कविता का अध्यापन बहुत कठिन कार्य है। जब अंग्रेजी की कक्षा में शिक्षक कविता पढ़ाता है तो अधिकांश छात्र उबाऊ वातावरण के कारन कविता पढ़ने के इक्छुक नहीं रहते एवं कक्षा का वातावरण बोझिल रहता है। अंग्रेजी कविता (poetry) पढ़ाने के लिए शिक्षक को छात्रोंको कविता से जोड़ना पड़ता है। कविता के शब्दों को छात्रों के भावों से जोड़ने पर poetry पढ़ने में बच्चों को आनंद आने लगता है। शिक्षक को अंग्रेजी कविता पढ़ाते समय निम्न विधियां अपनाना चाहिए।
➤छात्रों के समाने कविता का मधुर स्वर में पाठ करें एवं छात्रों से कहें की वे आँख बंद करके आपकी आवाज का उतार चढ़ाव सुने।
➤छात्रों से पूछें की इस कविता के भाव कैसे हैं। दुःख भरे, आनंद देने वाले या आध्यात्मिक या अन्य कोई और भाव।
➤कविता के भावों के बारे में छात्रों से बातचीत करें।
➤जो शब्द उन भावों को प्रदर्शित करते हों उन शब्दों की व्याख्या भी समझायें।
➤कविता की प्रत्येक लाइन के बारें में छात्रों से बात करें कविता की लय एवं लयात्मक शब्दों की व्याख्या करें।
➤पूरी कविता समझने के बाद छात्रों से एक बार कविता का सस्वर पाठ करवाएं एवं उनसे पूछें की उनके पहले के भावों में कोई परिवर्तन आया है क्या?
➤कक्षा में छात्रों से कविता के ब्बारें में उनके विचार जाने एवं उनके स्वयं के शब्दों में कविता के भाव को ब्लैक बोर्ड पर लिखवाएं।
➤कक्षा में उस कविता के सामान या अन्य कोई विषय देकर विद्यार्थियों को कविता लिखने के लिए प्रोत्साहित करें एवं अगले दिन उन कवितायों को सुन कर उन्हें पुरस्कृत करें।
अंग्रेजी पाठ (PROSE) का अध्यापन:
गद्य या गद्दयांश अपने विचार एवं भावनायें व्यक्त करने के लिया लिखा जाता है। अंग्रेजी पाठ के अध्यापन का अर्थ है पठन (Reading) एवं लेखन (writing) का संयुक्त अभ्यास कराना। इससे गद्द्यांश समझने में, पाठ के पठन एवं शब्दकोष में निपुणता प्राप्त होती है। किसी पाठ के सम्पूर्ण ज्ञान देने में जिसमे लेखक का इरादा,पाठ का सारांश, महत्वपूर्ण सूचनाएं, लेखक का भाव आदि को समझाना शिक्षक के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। अंग्रेजी गद्य का अध्यापन सूत्र पाठ्यक्रम आधारित होना चाहिए।
शिक्षक को अंग्रेजी गद्य या पाठ पढ़ाते समय निम्न तकनीकियों का प्रयोग करना चाहिए।
➤पाठ को रोचक बनाएं।
➤पाठ शुरू करने से पहले छात्रों से उस पाठ की पृष्टभूमि पर चर्चा करने चाहिए।
➤कठिन शब्द, वाक्यांश एवं विचार व्यवस्थित तरीके से समझाने चाहिए।
➤शांत पठन (Silent reading) एवं सस्वर पठन (Loud reading) छात्रों से करवाना चाहिए।
➤पूरे पाठ को टुकड़ों में विभाजित कर अध्यापन करवाएं ,एक साथ पूरा पाठ न समझाएं।
➤प्रत्येक भाग को प्रश्नों के माध्यम से समझाएं एवं प्रश्नों के उत्तर छात्रों से निकलवाएँ।
➤छात्रो को प्रोत्साहित करें ताकि वे पाठ के सारांश को अपने शब्दों में व्यक्त कर सकें।
➤पाठ के प्रभाव, विचार एवं पुनरावृति पर छात्रों से चर्चा करें।
➤पाठ के अंत में कक्षा में समूह बना कर उस पाठ के बारे में बातचीत के लिए प्रोत्साहित करें।
शब्दकोष (Vocabulary):
किसी भाषा में निपुणता के लिए उस भाषा के शब्दकोष का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों में अंग्रेजी के शब्दकोष का आभाव रहता है, अतः शिक्षक को प्राथमिकता के साथ कक्षा में छात्रों के शब्दकोष को विस्तृत करने के लिए निम्न विधियों का प्रयोग करना चाहिए।
➤शिक्षक नए शब्दों को प्रसंग सहित समझाएं।
➤पाठ में से नए शब्दों को ब्लैक बोर्ड पर अंकित करें।
➤उन शब्दों को चित्र या संकेत के द्वारा प्रदर्शित करें।
➤शब्दकोष का अभ्यास ब्रेन स्टार्मिंग विधि से कराएँ।
➤जोड़ी बनाना, खाली स्थान (match the column), (choose the odd one) आदि विधियों से अभ्यास कराएँ।
➤छात्रों का समूह बना कर नए शब्दों पर बातचीत के लिए प्रोत्साहित करें।
➤नए शब्दों को सिखाने के लिए माइंड गेम ,विंगो ,पहेली एवं अन्य खेलो का प्रयोग करें।
कक्षा में अंग्रेजी बोलने में कठनाई:
कक्षा में अंग्रेजी बोलने के लिए प्रेरित करना एक बहुत कठिन कार्य है। छात्र अपनी मातृभाषा में बोलने के अभ्यस्त होते हैं अतः अंग्रेजी भाषा बोलना उनको कठिन लगता है। शिक्षक को कक्षा में अंग्रेजी बोलने के लिए प्रेरित करने के लिए निम्न तकनीकियों ( English Teaching Tips in Hindi ) का प्रयोग करना चाहिए।
➤शिक्षक को स्वयं कक्षा में अंग्रेजी बोलने वाले वक्ता के रूप में खुद को प्रस्तुत करना चाहिए।
➤छात्रों की मातृभाषा का प्रयोग कक्षा में अति आवश्यक होने पर ही करना चाहिए। उनके मातृभाषा में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी अंग्रेजी में देने चाहिए।
➤अगर उन्हें अंग्रेजी के वाक्य समझ में नहीं आ रहे हो तो चित्रों, इशारों एवं चेहरे के भाव द्वारा समझने का प्रयत्न करना चाहिए।
➤छात्रों से प्रश्न करके उसका आदर्श उत्तर उन्हें बताना चाहिए ताकि उन्हें सही उत्तर देने की प्रक्रिया समझ में आ सके।
➤उनकी गलतियों को नोट करते जाएँ एवं बोलने के बीच में न टोकें बाद में उन गलतियों में सुधर करवायें।
➤उन्हें अपने विचार व्यक्त करने के लिए पर्याप्त समय दें जल्दी न करें।
➤जो छात्र बोलने के लिए तैयार न हों उन पर धैर्य रखे जबरदस्ती न करें।
➤गलती करने पर छात्रों की आलोचना न करें बल्कि प्रोत्साहन के साथ गलती में सुधार करें।
➤योग्य छात्रों को बोलने के लिए आगे करें ,बोलते समय छात्रों के चेहरे की और एकटक न देखें।
➤समूह बातचीत के लिए प्रोत्साहित करें।
मूल्यांकन:
बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने के आसान तरीके - English Teaching Tips in Hindi के अंतर्गत अब हम मूल्यांकन पर विचार करेंगे। मूल्यांकन एक ऐसा औजार हे जिससे शैक्षणिक पाठ्यक्रम की प्रभावशीलता का विश्लेषण किया जाता है। सिर्फ छात्रों के प्रदर्शन से हम यह पता नहीं लगा सकते की वह शैक्षणिक तंत्र कितना प्रभावशाली है। इसके लिए समग्र तंत्र के मूल्यांकन की आवश्यकता होती है। मूल्यांकन का प्रमुख लक्ष्य छात्रों की प्रत्येक दक्षता का आंकलन करना होता है। इसका उदेश्य छात्रों के ऊपर परीक्षा का दबाब कम करना होता है।
अंग्रजी के मूल्यांकन में निम्न बातें समाहित होनी चाहिए-
1. स्थिति का अवलोकन- प्रश्न क्या है एवं उसे कैसे समझाना है?
2. वियोजक (DEDUCTION) विधि -छात्र क्या जानता है एवं स्थिति के अनुसार उसे केसे प्रदर्शित करता है?
3. वास्तविक स्थिति से सामंजस्य या समायोजन कैसे करता है?
4. सूचना प्रोद्योगिकी का उपयोग कर आकलन।
मूल्यांकन करते हुए शिक्षक को निम्न बैटन को क्रिया विधि में लाना चाहिए-
➤छात्रों को मूल्यांकन का महत्व समझायें।
➤मूल्यांकन से सीखने के परिणाम सामने आने चाहिए।
➤मूल्यांकन व्यक्तिपरक होना चाहिए एवं छात्रों को मूल्यांकन से अपने स्तर का पता लगना चाहिए।
➤छात्रों को स्वमूल्यांकन हेतु प्रेरित करें।
➤मूल्यांकन में चारों विधाओं LRSW को शामिल होना चाहिए।
➤मूल्यांकन में छात्रों से फीडबैक मिलता है एवं भविष्य में उनकी गलतियों में सुधार होता है।
➤मूल्यांकन की विधि से छात्रों में आगे बढ़ने का आत्मविश्वास मिलना चाहिए।
➤मूल्यांकन से शिक्षकों को अपने शिक्षण में सुधार एवं परिवर्तन में मदद मिलती है।
भारतीय ग्रामीण परिवेश में अंग्रेजी का शिक्षण अत्यंत दुरूह कार्य है एवं इस क्षेत्र में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। इसके लिए एक सुनिश्चित बुनियाद बनाना आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी की शिक्षा सृजनात्मक तरीके से होनी चाहिये जिससे काम तनाव के साथ काम समय में छात्रों को अच्छी शिक्षा दी जा सके। ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में अपरिमित क्षमता एवं योग्यता है किन्तु सही दिशा एवं निर्देशन के अभाव में ये ऊर्जा नष्ट हो रही है। छात्र जब अंग्रेजी का व्यवहारिक प्रयोग समझ लेंगे तो उसे वो अपनी बोलचाल के माध्यम के रूप में अपना लेंगे। यह कठिन कार्य किसी एक के प्रयास से संभव नहीं है। इसके लिए शिक्षक एवं समाज का सामूहिक प्रयास अपेक्षणीय है।
दोस्तों, अगर आपको अंग्रेजी पढ़ाने के आसान तरीके - English Teaching Tips in Hindi लेख पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें, जिससे वे भी इसका लाभ उठा सकें। और हां जब भी कोई आपसे How to Teach English, English Teaching Methods, Basic English for Kids या Teaching English to Children जैसी बातें पूछे, तो उसे 'हिंदी वर्ल्ड' का पता बताना न भूलें।
--लेखक परिचय--
सुशील कुमार शर्मा व्यवहारिक भूगर्भ शास्त्र और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक हैं। इसके साथ ही आपने बी.एड. की उपाधि भी प्राप्त की है। आप वर्तमान में शासकीय आदर्श उच्च माध्य विद्यालय, गाडरवारा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत हैं। आप सामाजिक एवं वैज्ञानिक मुद्दों पर चिंतन करने वाले लेखक के रूप में भी जाने जाते हैं। आपकी रचनाएं समय-समय पर 'साइंटिफिक वर्ल्ड' सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। आपसे सम्पर्क करने का पता है- सुशील कुमार शर्मा (वरिष्ठ अध्यापक), कोचर कॉलोनी, तपोवन स्कूल के पास, गाडरवारा, जिला-नरसिंहपुर, पिन-487551 (MP)
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bare kam ka
जवाब देंहटाएंशुशील कुमार जी के इस लेख की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। इस में उन्होंने उन सभी परिस्थियों के बारे में बताया है जो अंग्रेज़ी सीखने से संबंधित हैं।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित लेख।
जवाब देंहटाएंबढ़िया शर्मा जी. आपसे मुलाकात की तमन्ना है. वैसे आपका निवास मेरे यहाँ से चालीस किलोमीटर की दूरी पर ही है.
जवाब देंहटाएंसुशील जी आप अपने लेख से आने वाले कई वर्षों तक शिक्षकों का मागदर्शन करते रहेंगे।।।
जवाब देंहटाएंआप के लेख से बहुत अच्छी जानकारी मिली...
जिसे शब्दो मे नही बताया जा सकता।।।
आपका बहुत धन्यवाद....
ईश्वर आप जैसे ज्ञानी का साथ सबको दे...