ब्‍लॉगवाणी: बेहतर लेखन की ‘अनवरत’ प्रस्‍तुति

SHARE:

  ('जनसंदेश टाइम्स', 20 जुलाई, 2011 के 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा) अभिव्‍यक्ति एक चाह ...



 ('जनसंदेश टाइम्स', 20 जुलाई, 2011 के
'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा)

अभिव्‍यक्ति एक चाह है, जो विचारशील प्राणी में पाई जाती है। मनुष्‍य जब से धरती पर पैदा हुआ, वह अपनी इस चाह को नित नए आयाम देता रहा है। पहले पहल इशारों से शुरू हुआ यह सिलसिला जब आवाज से होता हुआ लिपि तक पहुँचा, तो उसे एक हल्‍का सा स्‍थायित्‍व सा मिला। लिपि सबसे पहले मिट्टी, पेड़ों के पत्‍तों और छलों पर अंकित हुई और फिर वह एक लम्‍बा सफर तय करती हुई कपड़ा, कागज से होती हुई किताब के लोकप्रिय स्‍वरूप तक जा पहुँची। पर मानवीय अभिलाषा कभी एक जगह रूकने का नाम कहाँ लेती है? यही कारण है कि उसने किताब से भी आगे बढ़ते हुए फोटोग्राफी, रिकार्डिंग, वीडियोग्राफी, कम्‍प्‍यूटर सीडी का सफर तय किया और इंटरनेट की अबाध दुनिया तक आ पहुँची। इंटरनेट पर कभी भी, कहीं भी, कुछ भी, देखना, पढ़ना, सुनना, लिखना सम्‍भव है। यह तकनीक ही नहीं अभिव्‍यक्ति की भी पराकाष्‍ठा है, जो अपने सर्वोच्‍च स्‍तर पर पहुँची सी जान पड़ती है। यही कारण है कि आज इस माध्‍यम की ओर सभी का ध्‍यान आकर्षित हो रहा है।

समय की नब्‍ज समझने वाले लोग तेजी से इस नव विकसित माध्‍यम की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वे न सिर्फ इस माध्‍यम का लाभ उठाकर अपने ज्ञान को समृद्ध बना रहे हैं वरन लोगों को इस माध्‍यम की महत्‍ता समझाने का महत्‍वपूर्ण कार्य भी कर रहे हैं। इसके साथ ही साथ वे अपने स्‍तर से स्‍वयं भी इस माध्‍यम को समृद्ध बनाने का काम कर रहे हैं। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं कोटा, राजस्‍थान निवासी दिनेश राय द्विवेदी। अनवरत (http://anvarat.blogspot.com) उनका रोचक एवं महत्‍वपूर्ण ब्‍लॉग है, जिसमें वे एक कुशल साहित्‍यकार और सामाजिक चिंतक की भूमिका निभाते नजर आते हैं।

दिनेश पेशे से वकील हैं और साहित्य, कानून, समाज, पठन, सामाजिक संगठन, लेखन, साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में समान रुचि रखते हैं। वे कानून के जानकार हैं और साहित्‍य के मर्मज्ञ भी। इसके साथ ही साथ वे एक वैज्ञानिक दृष्टि सम्‍पन्‍न व्‍यक्ति हैं। यही कारण है कि ज्‍योतिष को बेहद करीब से जानने के बावजूद वह उन्‍हें एक दकियानूसी सोच से अधिक कभी नहीं लगा। वे एक स्‍वस्‍थ, तार्किक और व्‍यवहारिक सोच के मालिक भी हैं।

एक व्‍यवहारिक आदमी होने के कारण दिनेश यह बात भलीभांति जानते हैं कि जीवन चलने का नाम है और समझदार वो लोग होते हैं जो समय के साथ अपनी चाल को बदलते रहते हैं। वे साहित्‍य को इंटरनेट पर लाने के हिमायती हैं ताकि उसे अधिक के अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सके और साथ ही साथ उसे अधिक समय तक सु‍रक्षित भी रखा जा सके। अपनी इस सोच के समर्थन में वे साहित्‍य की परिभाषा देते हुए कहते हैं कि साहित्‍य शब्‍द संस्‍कृत के सहित से बना है, जिसका अर्थ है साथ-साथ। इसलिए साहित्‍य शब्‍द का अर्थ साथ-साथ रहने का भाव लिया जाता है। इसीलिए साहित्‍य को तकनीक के साथ-साथ रहना चाहिए। वे अपनी सोच के समर्थन में तर्क देते हुए कहते हैं कि पुस्‍तकों की अपेक्षा फिल्‍में अधिक प्रचलित हुईं, टेलीविजन अधिक लोकप्रिय हुआ। जबकि कम्‍प्‍यूटर इन सभी को एक साथ पूरी दुनिया में पहुँचाने की क्षमता रखता है। यह वर्तमान में संचार का सबसे सक्षम माध्‍यम है और साहित्‍यकारों को इसका फायदा उठाना चाहिए।

दिनेश एक संवेदनशील व्‍यक्ति भी हैं। वे समाज में घट रही घटनाओं के मूक दृष्‍टा भर नहीं हैं। वे उन्‍हें देखकर सिर्फ वक्‍ता की ही भूमिका नहीं निभाते हैं बल्कि अपनी तर्कपूर्ण और सुलझी हुई दृष्टि से कानून सम्‍मत राह भी सुझाते हैं और जरूरतमंदों को अपने स्‍तर से मुफ्त कानूनी सलाह (अपने ब्‍लॉग तीसरा खम्‍बा http://www.teesarakhamba.com के द्वारा) भी उपलब्‍ध कराते हैं। वे जीवन की बेहतरी के पक्षधर हैं और ब्‍लॉग जगत में सक्रिय लोगों को बेहतर लेखन हेतु प्रेरित करने के लिए भी जाने जाते हैं। उनका मानना है कि हम जैसा सृजन कर रहे हैं, हमें उससे बेहतर करना होगा। अपनी-अपनी कलाओं में निष्णात होना होगा। वे इसका कारण बताते हुए कहते हैं कि जो लोग कागज को बेहतर मानते हैं वे चाहे यह स्वीकार करें या न करें कि कभी इंटरनेट बेहतर हो सकता है। लेकिन हम, जो इधर आ चुके हैं, जानते हैं कि वे सभी एक न एक दिन इधर आएँगे। इसलिए हमें अपनी पहचान बचाए रखने के लिए उन तमाम लोगों से बेहतर करना होगा।

दिनेश अनवरत चलने वाले लोगों में से हैं। वे अपने उद्देश्‍यों की राह में अपनी व्‍यस्‍त दिनचर्या को बाधक नहीं बनने देते। वे अपनी सधी हुई भाषा और संयमित शब्‍दावली के द्वारा प्रभावशाली लेखन के लिए जाने जाते हैं। बात चाहे लोकपाल जैसे गर्मागर्म मुद्दे की हो अथवा आस्तिकता और नास्तिकता जैसे तीखे बिन्‍दु की, वे हर बार बेहद सहजता से अपनी बात इस तरह कह जाते हैं कि पाठक चमत्‍कृत सा रह जाता है। और यही उनके अनवरत लेखन का राज भी है, जिससे वे बिना थके, बिना किसी से उलझे अपनी राह पर चले जा रहे हैं, चले जा रहे हैं। 

Keywords: Dinesh Rai Dwivedi, Anvarat, Jansandesh Times, Blog Review, Indian Blogs, Hindi Bloges, Indian Bloggers, Hindi Bloggers

COMMENTS

BLOGGER: 19
  1. aapka lekh prabhaavshali hai.aaj ke pragatisheel vaqt me jo naye madhyam aa rahe hain unse hume labhanvit hona chahiye.saath hi bahut achche blog ki jaankari dene ke liye aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  2. निश्चित ही दिनेश जी बहुत ही सार्थक काम करते हैं । उनके बारे मे विस्त्र्त जानकारी दे आपने अच्छा काम किया है

    जवाब देंहटाएं
  3. उपयुक्‍त मूल्‍यांकन.

    जवाब देंहटाएं
  4. दिनेश जी का सार्थक कार्य ........आपका sundar lekh
    सराहनीय....

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया.सार्थक ब्लॉग पर सुन्दर प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर और सटीक प्रस्तुति,आभार.

    जवाब देंहटाएं
  7. द्विवेदी जी के व्यक्तित्त्व का सही विश्लेषण किया है . वाकई बहुत अच्छा लिखते हैं , काम की जानकारी भी देते हैं .
    शुभकामनायें .

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर और सार्थक प्रस्तुति...आभार...

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन विश्लेषण किया है आपने....

    "दिनेश एक संवेदनशील व्‍यक्ति भी हैं। वे समाज में घट रही घटनाओं के मूक दृष्‍टा भर नहीं हैं। वे उन्‍हें देखकर सिर्फ वक्‍ता की ही भूमिका नहीं निभाते हैं बल्कि अपनी तर्कपूर्ण और सुलझी हुई दृष्टि से कानून सम्‍मत राह भी सुझाते हैं"

    पूर्णत: सहमत हूँ जी!

    जवाब देंहटाएं
  10. अनवरत को अनवरत ही पढ़ रहा हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  11. द्विवेदी जी बहुत अच्छा लिखते हैं

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत बढ़िया..... सुन्दर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  13. सभी टिप्पणी कर्त्ता से पूर्णता सहमत हूँ.

    अपने गुरुवर जी के बारे में कहूँ निशब्द हूँ. उसके बारे में कहना-लिखना सूर्य को दिया दिखाने के समान है और सारे समुन्द्र को स्याही बनाकर व सारी धरती को कागज बनाकर भी लिखूं.मैं तब भी गुरुवर के विषय में नहीं लिखा जा सकता हैं.

    सभी पाठक देखें और विचार व्यक्त करें. जरुर देखे."प्रिंट व इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया को आईना दिखाती एक पोस्ट"

    जवाब देंहटाएं
  14. साइंस ब्लॉग पर आपकी सटीक टिपण्णी के लिए आभार .जुगाड़ से ही जुगाड़ है घनश्याम जी मौर्य कहीं भी घुस लो अगर जुगाड़ है तो .
    बेहतरीन प्रेरक व्यक्ति परिचय .कल को देखें के क्षमता से लैस .कृपया समीक्षा की चौथी पंक्ति में तीसरे शब्द छलों को छालों कर लें .

    जवाब देंहटाएं
  15. जानकारी दे आपने अच्छा काम किया ,आभार...

    जवाब देंहटाएं
  16. कानून को सहज भाषा में रखना और वह भी निःशुल्क,यह कोई मज़ाक नहीं है। बस,यही उम्मीद रखें कि यह पहल अनवरत जारी रहे।

    जवाब देंहटाएं
  17. अति उत्तम प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  18. अनवरत पर्याय हैं दिनेशराय द्विवेदी जी का।

    जवाब देंहटाएं
आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

नाम

achievements,3,album,1,award,21,bal-kahani,9,bal-kavita,5,bal-sahitya,33,bal-sahityakar,13,bal-vigyankatha,4,blog-awards,29,blog-review,45,blogging,42,blogs,49,books,9,buddha stories,4,children-books,14,Communication Skills,1,creation,9,Education,4,family,8,hasya vyang,3,hasya-vyang,8,Health,1,Hindi Magazines,7,interview,2,investment,3,kahani,2,kavita,9,kids,6,literature,15,Motivation,71,motivational biography,27,motivational love stories,7,motivational quotes,15,motivational real stories,5,motivational speech,1,motivational stories,25,ncert-cbse,9,personal,18,Personality Development,1,popular-blogs,4,religion,1,research,1,review,15,sahitya,28,samwaad-samman,23,science-fiction,4,script-writing,7,secret of happiness,1,seminar,23,Shayari,1,SKS,6,social,35,tips,12,useful,16,wife,1,writer,9,Zakir Ali Rajnish,27,
ltr
item
हिंदी वर्ल्ड - Hindi World: ब्‍लॉगवाणी: बेहतर लेखन की ‘अनवरत’ प्रस्‍तुति
ब्‍लॉगवाणी: बेहतर लेखन की ‘अनवरत’ प्रस्‍तुति
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg88fLh_qIY8gcUTg1aDdH6tDmFBAnOExXf3bqapOfLXA1eLN617z0_ROgFaAeOyBgxZ-TYcd3_f1u9h1Q3KG3ZucQZWz_nhlrBfrF5Y-t4LTj0xV4SwBMgFNWKpn5TCBf0zNSEI9IkErIo/s320/Anvarat_Dinesh+Rai+Dwivedi.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg88fLh_qIY8gcUTg1aDdH6tDmFBAnOExXf3bqapOfLXA1eLN617z0_ROgFaAeOyBgxZ-TYcd3_f1u9h1Q3KG3ZucQZWz_nhlrBfrF5Y-t4LTj0xV4SwBMgFNWKpn5TCBf0zNSEI9IkErIo/s72-c/Anvarat_Dinesh+Rai+Dwivedi.jpg
हिंदी वर्ल्ड - Hindi World
https://me.scientificworld.in/2011/07/Dinesh-Rai-Dwivedi-Anvarat.html
https://me.scientificworld.in/
https://me.scientificworld.in/
https://me.scientificworld.in/2011/07/Dinesh-Rai-Dwivedi-Anvarat.html
true
290840405926959662
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy