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aapka lekh prabhaavshali hai.aaj ke pragatisheel vaqt me jo naye madhyam aa rahe hain unse hume labhanvit hona chahiye.saath hi bahut achche blog ki jaankari dene ke liye aabhar.
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर |
जवाब देंहटाएंबधाई ||
निश्चित ही दिनेश जी बहुत ही सार्थक काम करते हैं । उनके बारे मे विस्त्र्त जानकारी दे आपने अच्छा काम किया है
जवाब देंहटाएंउपयुक्त मूल्यांकन.
जवाब देंहटाएंदिनेश जी का सार्थक कार्य ........आपका sundar lekh
जवाब देंहटाएंसराहनीय....
बहुत बढ़िया.सार्थक ब्लॉग पर सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसुंदर और सटीक प्रस्तुति,आभार.
जवाब देंहटाएंद्विवेदी जी के व्यक्तित्त्व का सही विश्लेषण किया है . वाकई बहुत अच्छा लिखते हैं , काम की जानकारी भी देते हैं .
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें .
सुंदर और सार्थक प्रस्तुति...आभार...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन विश्लेषण किया है आपने....
जवाब देंहटाएं"दिनेश एक संवेदनशील व्यक्ति भी हैं। वे समाज में घट रही घटनाओं के मूक दृष्टा भर नहीं हैं। वे उन्हें देखकर सिर्फ वक्ता की ही भूमिका नहीं निभाते हैं बल्कि अपनी तर्कपूर्ण और सुलझी हुई दृष्टि से कानून सम्मत राह भी सुझाते हैं"
पूर्णत: सहमत हूँ जी!
अनवरत को अनवरत ही पढ़ रहा हूँ।
जवाब देंहटाएंद्विवेदी जी बहुत अच्छा लिखते हैं
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया..... सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी टिप्पणी कर्त्ता से पूर्णता सहमत हूँ.
जवाब देंहटाएंअपने गुरुवर जी के बारे में कहूँ निशब्द हूँ. उसके बारे में कहना-लिखना सूर्य को दिया दिखाने के समान है और सारे समुन्द्र को स्याही बनाकर व सारी धरती को कागज बनाकर भी लिखूं.मैं तब भी गुरुवर के विषय में नहीं लिखा जा सकता हैं.
सभी पाठक देखें और विचार व्यक्त करें. जरुर देखे."प्रिंट व इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया को आईना दिखाती एक पोस्ट"
साइंस ब्लॉग पर आपकी सटीक टिपण्णी के लिए आभार .जुगाड़ से ही जुगाड़ है घनश्याम जी मौर्य कहीं भी घुस लो अगर जुगाड़ है तो .
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रेरक व्यक्ति परिचय .कल को देखें के क्षमता से लैस .कृपया समीक्षा की चौथी पंक्ति में तीसरे शब्द छलों को छालों कर लें .
जानकारी दे आपने अच्छा काम किया ,आभार...
जवाब देंहटाएंकानून को सहज भाषा में रखना और वह भी निःशुल्क,यह कोई मज़ाक नहीं है। बस,यही उम्मीद रखें कि यह पहल अनवरत जारी रहे।
जवाब देंहटाएंअति उत्तम प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंअनवरत पर्याय हैं दिनेशराय द्विवेदी जी का।
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