प्रकाश मनु: हिन्‍दी साहित्‍य के चर्चित हस्‍ताक्षर!

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कुछ लोग अपने नाम से जाने जाते हैं, कुछ लोग अपने काम से, कुछ लोग अपने व्‍यवहार से जाते हैं और कुछ अपने व्‍यक्तित्‍व से। लेकिन कुछ ही लो...

कुछ लोग अपने नाम से जाने जाते हैं, कुछ लोग अपने काम से, कुछ लोग अपने व्‍यवहार से जाते हैं और कुछ अपने व्‍यक्तित्‍व से। लेकिन कुछ ही लोग ही ऐसे होते हैं, जो अपने सीधे-सच्‍चे व्‍यवहार के लिए जाने जाते हैं। संयोग से प्रकाश मनु जी में ये सारी चीजें पाई जाती हैं। देश में हिन्‍दी साहित्‍यकार के रूप में उनका काफी नाम है (यह जो दिल्ली है, कथा सर्कस और पापा के जाने के बाद उपन्‍यास के साथ बाल साहित्‍यकार के रूप में ढ़ेरों पुस्‍तकें), हिंदी बाल कविता का इतिहास लिख कर उन्‍होंने बड़ा काम किया है। वर्तमान में वे समग्र बाल साहित्‍य का इतिहास लिख रहे हैं। यह हिन्‍दी में पहली बार होने वाला काम है। वे बच्‍चों की सबसे लोकप्रिय पत्रिका 'नंदन' के सहायक सम्‍पादक रहे हैं और अपने मृदुभाषी तथा सरल व्‍यवहार के कारण जिससे भी एक बार मिल लेते हैं, सीधे उसके दिल में उतर जाते हैं।

बाल कविता के इतिहास के बाद बाल साहित्‍य का इतिहास लेखन
मैं, विनायक जी, प्रकाश मनु जी और डॉ0 सुनीता
मनु जी से मेरी सिर्फ एक बार की मुलाकात थी। करीब 15 वर्ष पहले जब मैंने लिखना शुरू किया था, तब दिल्‍ली गया था किसी काम से। उसी दौरान 'नंदन' के कार्यालय में उनसे छोटी सी मुलाकात हुई थी। बाद में जब मैंने उनकी बाल कविता का इतिहास पुस्‍तक देखी, तो बहुत खुशी हुई। उसी दौरान उनका मोबाईल नम्‍बर मिल गया और अक्‍सर बात होने लगी। उसी सिलसिले में यह भी पता चला कि हिन्‍दी बाल साहित्‍य का इतिहास भी लिख रहे हैं। यह जानकर मेरे मन में उनकी इज्‍जत और बढ़ गयी। इस कार्य में वे कई सालों से लगे हुए थे, पर कार्य की अधिकता और उम्र के तकाजे के कारण वह अभी तक टलता रहा है। पर अब वे पूरी तरह इतिहास के प्रति कंसंट्रेट हो गये हैं और सारे कार्य छोड़ कर उसे पूरा करने में जुटे हैं।

आपका घर देख लूं, समझ लूंगा कि लखनऊ घूम लिया
लखनऊ में मनु जी के बड़े भाई साहब रहते हैं। पिछले दिनों उनकी शादी की 50वीं साल गिरह पड़ी। इस मौके पर उनका पूरा परिवार इकट्ठा हुआ। लखनऊ आते ही उन्‍होंने मुझे फोन मिलाया और मिलने के लिए जा पहुंचा। मनु जी अपनी पत्‍नी डॉ0 सुनीता के साथ आए। उन्‍होंने लखनऊ घूमने की इच्‍छा प्रकट की। लेकिन गोमती नगर स्थित डॉ0 भीमराव अम्‍बेदकर उद्यान देखने के बाद उनका जी उचट गया और बोले, अब तो बस आप लोगों का घर देखने की इच्‍छा है। उसी से मेरा लखनऊ दर्शन पूरा हो जाएगा। 
पारूल जी और उनकी होनहार बेटियां
डॉ0 सुनीता, पारूल जी और उनकी बेटियों के साथ
सबसे पहले विनायक जी अपनी बेटी पारूल अग्रवाल के घर लेकर गये। पारूल जी 'OASIS' (World of Words) प्रकाशन की संचालिका हैं और उन्‍होंने अपने पब्लिकेशन से विनायक जी के दो चर्चित बाल उपन्‍यास 'नदिया और जंगल' तथा 'चरखी का बेटा' का प्रकाशन किया है। पारूल जी की दो होनहार बेटियां हैं अनन्‍या और ऐश्‍वर्या। अनन्‍या को ड्राइन्‍ग का बहुत शौक है और ऐश्‍वर्या का विश्‍व स्‍तर पर चलने वाले एक कल्‍चरल अवेयरनेस प्रोग्राम 'ग्‍लोबल यंग लीडर्स' में चयन हुआ है, जिसमें वह जून में संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ में आयोजित एक वैश्विक मीट में शामिल होगी।

वो आए घर हमारे खुदा की कुदरत है
पारूल जी के घर पर काफी समय बिताने के बाद मनु जी हमारे ग़रीबखाने पर तशरीफ लाए। उन्‍होंने और सुनीता जी ने दिल खोलकर बातें कीं। सुनीता जी बड़ी देर तक बच्‍चों के बारे में बातें करती रहीं। इस दौरान उन्‍होंने मेरी श्रीमती जी को बच्‍चों के लालन-पालन पर कई महत्‍वपूर्ण टिप्‍स भी दिये। बात करने के दौरान वे कई बार बड़ी भावुक हो गयीं। 

मेरे घर में एक परी रहती है
सुनीता जी, मनु जी, मेरी पत्‍नी और विनायक जी
बातों ही बातों में मनु जी ने श्रीमती जी के नाम का अर्थ पूछा। मेरी पत्‍नी का नाम 'अर्शिया' है। अर्शिया अर्श से बना है। अर्श यानी की आसमान। मैं बस इतना ही बता सका। इसपर मनु जी बोले अर्शिया का मतलब है आसमान जितने ऊंचे वकार वाली। विनायक जी ने जोड़ा आसमान पर रहने वाली। यह सुनते ही सुनीता जी बोल पड़ीं अर्शिया के माने होते हैं परी, वही तो आसमान पर रहती है। यह सुनते ही सभी लोग हंस पड़े।

क्‍यों दिलों में बसते हैं मनु जी 
आज के समय में जब हर कोई मंजिल पर पहुंच जाने के लिए बेता‍ब है, तब भी मनु जी हमेशा दूसरों की बात करते हैं, दूसरे वे जो अच्‍छा लिख रहे हैं, दूसरे वे जो अच्‍छा काम कर रहे हैं। वे सिर्फ ऐसे लोगों की खुलकर तारीफ ही नहीं करते, ऐसे लोगों की आलोचना से भी पीछे नहीं हटते, जो हर समय अपने मुंह मिंया मिटठू बनते रहते हैं। यही कारण है कि उनसे मिलना, उनसे बात करना, उनको याद करना हर किसी को अच्‍छा लगता है।

ये है प्रकाश मनु जी के ब्‍लॉग का पता। एक बार उनके ब्‍लॉग पर अवश्‍य जाएं, यकीन जानिए  मैंने उनके बारे में जितना कुछ कहा है, हकीकत में आप उन्‍हें उससे बढकर ही पाएंगे।
Keywords: Prakash Manu, Vinayak, Arshia Ali, Children Writer, Hindi Writer, Indian Writer, Indian Children Writer, Prakash Manu Blog, Bal Kavita ka Itihas, Bal Sahitya ka Itihas

COMMENTS

BLOGGER: 30
  1. मनु जी से रूबरू कराने के लिए आभार!

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  2. Manu ji ka parichay bahut achchha laga .aabhar .

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  3. प्रकाश मनुजी ऐसे रचनाकार से मिलवाने का शुक्रिया ...

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  4. मनु जी , जैसी विन्रम हस्ती से मिलवाने का शुक्रिया |

    जवाब देंहटाएं
  5. ज़ाकिर भाई! एक बहुत ही विशाल ह्रदय वाले व्यक्ति से परिचय करवाया आपने.. और जो वृत्तान्त आपने प्रस्तुत किया सचमुच आत्मीय लगा!!

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  6. जाकिर भाई, एक बेहतरीन ब्लॉग का पता दिया है आपने, धन्यवाद्!

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  7. ऐसे विलक्षण प्रतिभा के व्यक्ति से मुलाकात करवा कर आपने बहुत उपकार किया है...
    नीरज

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  8. बेनामी5/29/2011 12:07 am

    मनुजी,अनन्य,ऐवार्य,डॉ साहिबा सबसे मिलकर अच्छा लगा.किस्मत वाले हो जाकिर भई!

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  9. मनुजी के परिचय के साथ सरस मुलाकात का रोचक वर्णन...आप्नके माध्यम से इन सबसे मिलना अच्छा
    लगा !

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  10. श्री प्रकाश मनु जी से सार्थक परिचय करवाने के लिये आभार सहित...

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  11. ऐसे प्रतिभावान, और साहित्य के प्रति समर्पित व्यक्तित्व से मुलाकात करवाने का शुक्रिया !

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  12. अच्छा लगा परिचय प्राप्त करके.

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  13. मनु जी के इतने विस्तृत और आत्मीय परिचय के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.

    सादर

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  14. मनु जी से रूबरू कराने के लिए आभार|

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  15. समग्र साहित्यकार से परिचय का आभार।

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  16. प्रकाश मनु जी तो जाने माने साहित्यकार हैं। उनसे और उनके परिवार से परिचय कराने के लिए धन्यवाद, रजनीश जी।

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  17. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (30-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  18. मनु जी के समग्र व्यक्तित्व से परिचय कराती अच्छी पोस्ट है रजनीश भाई....
    आभार....

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  19. अरे, कितना कुछ लिख दिया तुमने जाकिर। मैं तो कुछ नहीं हूँ, जाकिर, सच मानो कुछ भी नहीं हूँ। तुम्हारे दिल में भावनाएँ ऊँची हैं, उन्हीं ने मुझे बड़ा बना दिया। सच्ची मानो तो जाकिर, मैं इकसठ साल का निरा बच्चा हूँ और बच्चा बने रहने में ही सुख मिलता है मुझे, विद्वान होने में नहीं। और शायद यही चीज है जो मुझे बाल साहित्य का काम करने के लिए उकसाती हूँ। किसी की भी अच्छी रचना पढ़कर मैं पगला सा जाता हूँ, एकदम बेसब्र हो जाता हूँ। और एक छोटे बच्चे की तरह चाहता हूँ कि जो बढ़िया मिठाई मैंने खाई, वो भी इसका थोड़ा तो आनंद लें। और बस, इसी चीज ने हिंदी बाल कविता का इतिहास लिखवा लिया और अब बाल साहित्य का इतिहास लिखवाए जा रही है।
    तुम्हारे और सभी लेखक मित्रों तथा पाठकों के प्यार के बारे में क्या कहूँ। बस, समझो क मेरी आँखें भीग रही हैं।
    सुनीता जी कुरुक्षेत्र गई हैं, माँ-पिता जी से मिलने। कल रात तक आएँगी। तब उन्हें भी पढ़वाऊँगा। मुझे लगता है, मेरी तरह वे भी भावुक हो जाएँगी।
    तुम्हारा ही अपना, बहुत-बहुत अपना...प्र.म.

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  20. Simple people really resides deep in our heart !!!!

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  21. मनु जी, यही तो आपका बडप्‍पन है कि इतना कुछ करने के बाद भी आप अपने को कुछ नहीं कहने का साहस जुटा पाते हैं, वर्ना तो आज हर कोई यही बताने में लगाने में लगा हुआ कि मैं ये, मैं वो..

    एक बात और कहूंगा कि वैसे भी गुलाब को कहां पता होता है कि उसके भीतर कितनी खुशबू भरी हुई है और हीरे को भी कहां पता होता है कि वह दुनिया के लिए कितना कीमती है।

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  22. आदरणीय मनु जी की एक बात प्रभावित कर गयी कि अब तो बस आप लोगों का घर देखने की इच्‍छा है। उसी से मेरा लखनऊ दर्शन पूरा हो जाएगा।
    इतनी सीधी और सरल बात कोई महात्मा ही कह सकता है.

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  23. जाकिर भाई नमस्कार प्रकाश मनु जैसे साहित्य प्रेमी और सच्चे इन्सान से मिला पुनीत काम किया आप ने -आप और उन्हें भी शुभ कामनाएं

    सीधे, सच्‍चे लोग सदा दिल में उतर जाते हैं।
    प्रकाश मनु: हिन्‍दी साहित्‍य के चर्चित हस्‍ताक्षर
    हिंदी बाल कविता का इतिहास लिख कर उन्‍होंने बड़ा काम किया है। वर्तमान में वे समग्र बाल साहित्‍य का इतिहास लिख रहे हैं।
    शुक्ल भ्रमर ५

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  24. मनु जी से परिचय करवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! सुन्दर तस्वीरों के साथ बेहतरीन प्रस्तुती!

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  25. सुन्दर प्रस्तुति. अच्छा लगा प्रकाश मनु जी के बारे में जानकर......

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  26. मनु जी को जानना बहुत अच्छा लगा ... नंदन की यादें अभी भी ताज़ा हैं दिमाग़ में ...

    जवाब देंहटाएं
  27. जाकिर भाई , बिलकुल सही लिखा आपने , मनु जी बाल साहित्य के सच्चे प्रतिनिधि हैं और ... बहुत ही अच्छे इन्सान भी . उन्हें प्रणाम . तुम्हे बधाई .

    जवाब देंहटाएं
  28. ज़ाकिर भाई आपके खजाने में अद्भुत चीजें हैं. सबके लिंक भेज दो. प्रकाश मनु का तो बिलकुल नेटवर्कअ रूप दिखा दिया तुमने. बहुत बहुत अच्छा लगा. ब्लॉग के ले आउट के बारे में भी ज्ञान बर्धन करते रहना. आपको इसके लिए गुरु मान लेता हूँ. मैं तो अज्ञानी हूँ. बड़ी मुश्किल से पिक्चर अपलोड करना सीखा है. सादर, रमेश तैलंग

    जवाब देंहटाएं
आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

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प्रकाश मनु: हिन्‍दी साहित्‍य के चर्चित हस्‍ताक्षर!
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