कुछ लोग अपने नाम से जाने जाते हैं, कुछ लोग अपने काम से, कुछ लोग अपने व्यवहार से जाते हैं और कुछ अपने व्यक्तित्व से। लेकिन कुछ ही लो...
कुछ लोग अपने नाम से जाने जाते हैं, कुछ लोग अपने काम से, कुछ लोग अपने व्यवहार से जाते हैं और कुछ अपने व्यक्तित्व से। लेकिन कुछ ही लोग ही ऐसे होते हैं, जो अपने सीधे-सच्चे व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। संयोग से प्रकाश मनु जी में ये सारी चीजें पाई जाती हैं। देश में हिन्दी साहित्यकार के रूप में उनका काफी नाम है (यह जो दिल्ली है, कथा सर्कस और पापा के जाने के बाद उपन्यास के साथ बाल साहित्यकार के रूप में ढ़ेरों पुस्तकें), हिंदी बाल कविता का इतिहास लिख कर उन्होंने बड़ा काम किया है। वर्तमान में वे समग्र बाल साहित्य का इतिहास लिख रहे हैं। यह हिन्दी में पहली बार होने वाला काम है। वे बच्चों की सबसे लोकप्रिय पत्रिका 'नंदन' के सहायक सम्पादक रहे हैं और अपने मृदुभाषी तथा सरल व्यवहार के कारण जिससे भी एक बार मिल लेते हैं, सीधे उसके दिल में उतर जाते हैं।
बाल कविता के इतिहास के बाद बाल साहित्य का इतिहास लेखन
मैं, विनायक जी, प्रकाश मनु जी और डॉ0 सुनीता |
आपका घर देख लूं, समझ लूंगा कि लखनऊ घूम लिया
लखनऊ में मनु जी के बड़े भाई साहब रहते हैं। पिछले दिनों उनकी शादी की 50वीं साल गिरह पड़ी। इस मौके पर उनका पूरा परिवार इकट्ठा हुआ। लखनऊ आते ही उन्होंने मुझे फोन मिलाया और मिलने के लिए जा पहुंचा। मनु जी अपनी पत्नी डॉ0 सुनीता के साथ आए। उन्होंने लखनऊ घूमने की इच्छा प्रकट की। लेकिन गोमती नगर स्थित डॉ0 भीमराव अम्बेदकर उद्यान देखने के बाद उनका जी उचट गया और बोले, अब तो बस आप लोगों का घर देखने की इच्छा है। उसी से मेरा लखनऊ दर्शन पूरा हो जाएगा।
पारूल जी और उनकी होनहार बेटियां
डॉ0 सुनीता, पारूल जी और उनकी बेटियों के साथ |
वो आए घर हमारे खुदा की कुदरत है
पारूल जी के घर पर काफी समय बिताने के बाद मनु जी हमारे ग़रीबखाने पर तशरीफ लाए। उन्होंने और सुनीता जी ने दिल खोलकर बातें कीं। सुनीता जी बड़ी देर तक बच्चों के बारे में बातें करती रहीं। इस दौरान उन्होंने मेरी श्रीमती जी को बच्चों के लालन-पालन पर कई महत्वपूर्ण टिप्स भी दिये। बात करने के दौरान वे कई बार बड़ी भावुक हो गयीं।
मेरे घर में एक परी रहती है
सुनीता जी, मनु जी, मेरी पत्नी और विनायक जी |
क्यों दिलों में बसते हैं मनु जी
आज के समय में जब हर कोई मंजिल पर पहुंच जाने के लिए बेताब है, तब भी मनु जी हमेशा दूसरों की बात करते हैं, दूसरे वे जो अच्छा लिख रहे हैं, दूसरे वे जो अच्छा काम कर रहे हैं। वे सिर्फ ऐसे लोगों की खुलकर तारीफ ही नहीं करते, ऐसे लोगों की आलोचना से भी पीछे नहीं हटते, जो हर समय अपने मुंह मिंया मिटठू बनते रहते हैं। यही कारण है कि उनसे मिलना, उनसे बात करना, उनको याद करना हर किसी को अच्छा लगता है।
ये है प्रकाश मनु जी के ब्लॉग का पता। एक बार उनके ब्लॉग पर अवश्य जाएं, यकीन जानिए मैंने उनके बारे में जितना कुछ कहा है, हकीकत में आप उन्हें उससे बढकर ही पाएंगे।
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मनु जी से रूबरू कराने के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंManu ji ka parichay bahut achchha laga .aabhar .
जवाब देंहटाएंप्रकाश मनुजी ऐसे रचनाकार से मिलवाने का शुक्रिया ...
जवाब देंहटाएंमनु जी , जैसी विन्रम हस्ती से मिलवाने का शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंज़ाकिर भाई! एक बहुत ही विशाल ह्रदय वाले व्यक्ति से परिचय करवाया आपने.. और जो वृत्तान्त आपने प्रस्तुत किया सचमुच आत्मीय लगा!!
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई, एक बेहतरीन ब्लॉग का पता दिया है आपने, धन्यवाद्!
जवाब देंहटाएंसार्थक परिचय कराया ...
जवाब देंहटाएंऐसे विलक्षण प्रतिभा के व्यक्ति से मुलाकात करवा कर आपने बहुत उपकार किया है...
जवाब देंहटाएंनीरज
मनुजी,अनन्य,ऐवार्य,डॉ साहिबा सबसे मिलकर अच्छा लगा.किस्मत वाले हो जाकिर भई!
जवाब देंहटाएंमनुजी के परिचय के साथ सरस मुलाकात का रोचक वर्णन...आप्नके माध्यम से इन सबसे मिलना अच्छा
जवाब देंहटाएंलगा !
श्री प्रकाश मनु जी से सार्थक परिचय करवाने के लिये आभार सहित...
जवाब देंहटाएंऐसे प्रतिभावान, और साहित्य के प्रति समर्पित व्यक्तित्व से मुलाकात करवाने का शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा परिचय प्राप्त करके.
जवाब देंहटाएंमनु जी के इतने विस्तृत और आत्मीय परिचय के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंसादर
मनु जी से रूबरू कराने के लिए आभार|
जवाब देंहटाएंसमग्र साहित्यकार से परिचय का आभार।
जवाब देंहटाएंप्रकाश मनु जी तो जाने माने साहित्यकार हैं। उनसे और उनके परिवार से परिचय कराने के लिए धन्यवाद, रजनीश जी।
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (30-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
मनु जी के समग्र व्यक्तित्व से परिचय कराती अच्छी पोस्ट है रजनीश भाई....
जवाब देंहटाएंआभार....
शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंअरे, कितना कुछ लिख दिया तुमने जाकिर। मैं तो कुछ नहीं हूँ, जाकिर, सच मानो कुछ भी नहीं हूँ। तुम्हारे दिल में भावनाएँ ऊँची हैं, उन्हीं ने मुझे बड़ा बना दिया। सच्ची मानो तो जाकिर, मैं इकसठ साल का निरा बच्चा हूँ और बच्चा बने रहने में ही सुख मिलता है मुझे, विद्वान होने में नहीं। और शायद यही चीज है जो मुझे बाल साहित्य का काम करने के लिए उकसाती हूँ। किसी की भी अच्छी रचना पढ़कर मैं पगला सा जाता हूँ, एकदम बेसब्र हो जाता हूँ। और एक छोटे बच्चे की तरह चाहता हूँ कि जो बढ़िया मिठाई मैंने खाई, वो भी इसका थोड़ा तो आनंद लें। और बस, इसी चीज ने हिंदी बाल कविता का इतिहास लिखवा लिया और अब बाल साहित्य का इतिहास लिखवाए जा रही है।
जवाब देंहटाएंतुम्हारे और सभी लेखक मित्रों तथा पाठकों के प्यार के बारे में क्या कहूँ। बस, समझो क मेरी आँखें भीग रही हैं।
सुनीता जी कुरुक्षेत्र गई हैं, माँ-पिता जी से मिलने। कल रात तक आएँगी। तब उन्हें भी पढ़वाऊँगा। मुझे लगता है, मेरी तरह वे भी भावुक हो जाएँगी।
तुम्हारा ही अपना, बहुत-बहुत अपना...प्र.म.
Simple people really resides deep in our heart !!!!
जवाब देंहटाएंमनु जी, यही तो आपका बडप्पन है कि इतना कुछ करने के बाद भी आप अपने को कुछ नहीं कहने का साहस जुटा पाते हैं, वर्ना तो आज हर कोई यही बताने में लगाने में लगा हुआ कि मैं ये, मैं वो..
जवाब देंहटाएंएक बात और कहूंगा कि वैसे भी गुलाब को कहां पता होता है कि उसके भीतर कितनी खुशबू भरी हुई है और हीरे को भी कहां पता होता है कि वह दुनिया के लिए कितना कीमती है।
आदरणीय मनु जी की एक बात प्रभावित कर गयी कि अब तो बस आप लोगों का घर देखने की इच्छा है। उसी से मेरा लखनऊ दर्शन पूरा हो जाएगा।
जवाब देंहटाएंइतनी सीधी और सरल बात कोई महात्मा ही कह सकता है.
जाकिर भाई नमस्कार प्रकाश मनु जैसे साहित्य प्रेमी और सच्चे इन्सान से मिला पुनीत काम किया आप ने -आप और उन्हें भी शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंसीधे, सच्चे लोग सदा दिल में उतर जाते हैं।
प्रकाश मनु: हिन्दी साहित्य के चर्चित हस्ताक्षर
हिंदी बाल कविता का इतिहास लिख कर उन्होंने बड़ा काम किया है। वर्तमान में वे समग्र बाल साहित्य का इतिहास लिख रहे हैं।
शुक्ल भ्रमर ५
मनु जी से परिचय करवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! सुन्दर तस्वीरों के साथ बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति. अच्छा लगा प्रकाश मनु जी के बारे में जानकर......
जवाब देंहटाएंमनु जी को जानना बहुत अच्छा लगा ... नंदन की यादें अभी भी ताज़ा हैं दिमाग़ में ...
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई , बिलकुल सही लिखा आपने , मनु जी बाल साहित्य के सच्चे प्रतिनिधि हैं और ... बहुत ही अच्छे इन्सान भी . उन्हें प्रणाम . तुम्हे बधाई .
जवाब देंहटाएंज़ाकिर भाई आपके खजाने में अद्भुत चीजें हैं. सबके लिंक भेज दो. प्रकाश मनु का तो बिलकुल नेटवर्कअ रूप दिखा दिया तुमने. बहुत बहुत अच्छा लगा. ब्लॉग के ले आउट के बारे में भी ज्ञान बर्धन करते रहना. आपको इसके लिए गुरु मान लेता हूँ. मैं तो अज्ञानी हूँ. बड़ी मुश्किल से पिक्चर अपलोड करना सीखा है. सादर, रमेश तैलंग
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