जब हम मछली का शिकार करते हैं, तो काँटे में वह चारा लगाते हैं, जो मछली को पसंद होता है, न कि उसे जो हमें पसंद होता है। (हालाँकि ब्लॉग ...
जब हम मछली का शिकार करते हैं, तो काँटे में वह चारा लगाते हैं, जो मछली को पसंद होता है, न कि उसे जो हमें पसंद होता है।
(हालाँकि ब्लॉग और शिकार में कोई समानता नहीं होती, लेकिन यह उन लोगों के लिए सबक हो सकता है, जो अपने ब्लॉग पर पाठक बढ़ाने की अभिलाषा रखते हैं।)
हो सकता है कि आपने अब तक इस विषय पर पचासों ब्लॉग पोस्ट पढ़ी हों कि अपने ब्लॉग पर विजिटर्स कैसे बढ़ाए, पर इससे आपके ब्लॉग का ट्राफिक तो नहीं बढ़ा, हाँ जिसने इस तरह की पोस्ट लिखी, उस दिन उसके ब्लॉग पर कुछ विजिटर्स अवश्य बढ़ जाते हैं। पर फिर वही ढ़ाक के तीन पात, यानी कि हम पलकें बिछाए विजिटर्स का इंतजार करते रहते हैं और वे हैं कि कमबख्त गल्ती से भी इधर नहीं आते।
आमतौर से देखा जाए तो लोग अपने विजिटर्स बढ़ाने के लिए कुछ खास तरीके अपनाते हैं।
1- आलोचनात्मक शैली में दूसरों की धज्जियाँ उड़ाना
आमतौर से ब्लॉगजगत में इस तरह के ब्लॉग/पोस्टों की भरमार रहती है, जिनमें किसी खास धर्म/पंथ/विचारधारा को निशाना बनाया जाता है। आमतौर से इस तरह के ब्लॉग पर ट्राफिक भी अच्छा रहता है, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है कि ऐसे ब्लॉगर्स को एक खास तरह के लोग ही पसंद करते हैं और इसका दुष्परिणाम यह होता है कि आप एक बहुत बड़े तबके की नजरों में अछूत साबित हो जाते हैं। साथ ही साथ इस तरह की पोस्ट लिखने वाले लोग धीरे-धीरे एक प्रकार की नकारात्मकता के गुलाम हो जाते हैं। वह नकारात्मकता उनके व्यक्तित्व में हावी हो जाती है और उनके आसपास के लोगों को भी प्रभावित करने लगती है। इसलिए समझदार ब्लॉगर को इस तरह की मानसिकता से बचना चाहिए।
2- ग्रुप बनाकर उसका फायदा उठाना
आमतौर से इसकी शुरूआत इस तरह से होती है कि हम जिन लोगों को पसंद करते हैं, उन्हें अपने फेवरिट लिस्ट में शामिल कर लेते हैं। उनके ब्लॉग पे भावुकतापूर्ण और लम्बे-लम्बे कमेंट करना, उन्हें खास मौकों पर विश करना, बात-बेबात फोन करके उनपर अपने अपनत्व की छाप छोड़ना, उनकी बातों का अंध समर्थन करना इस तरह के लोगों की प्रमुख गतिविधियाँ होती हैं। लेकिन धीरे-धीरे यह प्रवृत्ति इतनी कठोर रूप लेने लगती है कि ब्लॉगर न चाहते हुए भी स्वयं को एक विशेष ग्रुप में शामिल कर लेता है। इसका फायदा यह होता है कि आपको उस ग्रुप के लोगों के कमेंट तो मिलने लगते हैं, लेकिन अन्य लोग आपको संदेह की दृष्टि से देखते हैं।
3- खूब सारे कमेंट करना और खूब सारे कमेंट पाना
ब्लॉग जगत में हिट होने का यह चौथा फंडा है, जिसमें आप जितने ज्यादा कमेंट करते हैं, आपको उतने ज्यादा कमेंट प्राप्त करते हैं। लेकिन इस क्रिया में परिणाम इतनी आसानी से नहीं मिलता है। इसके लिए बहुत सारे धैर्य की जरूररत होती है, जो आमतौर से ज्यादातर लोगों में नहीं होता है। इसीलिए इस तरह से अपने विजिटर्स बढ़ाने में कुछ खास तरह के लोग ही सफल हो पाते हैं।
4- विषय आधारित लेखन के द्वारा सर्च इंजन से पाठक बटोरना
हिन्दी में जितने भी ब्लॉग प्रचलित हैं, उनमें 95 प्रतिशत कविता, कहानी, व्यंग्य, संस्मरण अथवा राजनीति आदि के होते हैं और लोग उम्मीद करते हैं कि इन पर पाठक टूट पड़ेंगे। लेकिन आप खुद सोचिए, आप ऐसे कितने ब्लॉग मन से पढ़ते हैं? ऐसे में आपके पाठक कहाँ से आएँगे। इसलिए यदि आप अपने ब्लॉग का ट्रैफिक बढ़ाना चाहते हैं, तो उसे विषय आधारित बनाइए। और यकीन मानिए, अपने ब्लॉग पर विजिटर्स की भीड़ लगाने का यही एकमात्र और कामयाद तरीका है। इसके लिए सबसे पहले अपनी रूचि को जाँचिए कि आप किस विषय में अच्छा लिख सकते हैं। उसके बाद उस विषय पर गम्भीर और सार्थक लेखन करिए। फिर देखिए आपके ब्लॉग पर सर्च इंजन से कैसे पाठक टूटते हैं।
क्या कहा आपने? आपको मेरी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा? तो हुजूर, 'तस्लीम' (इसका साक्षात प्रमाण है, जहाँ आप कभी भी 4-5 विजिटर्स ऑनलाइन देख सकते हैं) के इमेज रूप में कुछ आँकड़े आपके लिए हाजिर हैं। हो सकता है, इन्हें देखकर आपको कुछ समझ में आ जाए।
traffic badhane KAY DO RASTAY HOTAY HAIN PEHLA FORTCUT DUSRA CHOTA FORTCUT...
जवाब देंहटाएंआप लंबा रास्ता बता रहे है जाकिर भाई.. आजकल चाइनीज माल चलता है... जापानीज कौन लेता है...
Jakir bhai, ye to bahut badee uplabdhee hai, logo ko isse seekh leni chahiye.
जवाब देंहटाएंआपने सही बात कही है..सार्थक लिखेंगे तो पाठक स्वयं आयेंगे...वर्ना किसको पड़ी है जो इतनी ऊर्जा खर्च कर आपके ब्लॉग पर आयेगा...
जवाब देंहटाएंनीरज
baate to sari sochne wali hain bhut rochak...
जवाब देंहटाएंregards
व्यंजना के माध्यम से सार्धक पोस्ट।
जवाब देंहटाएंSatya Vachan.
जवाब देंहटाएंAur haan is uplabdhi ke liye tasliim team ko badhayi.
जवाब देंहटाएंआपकी पिछली पोस्ट्स में पढ़ा और जाना कि ब्लोगवाणी पर चटका लगाना क्या होता है , ऐसे हथकंडे अपने काम के ही नहीं हैं , हाँ पिछले दिनों ये जरुर समझ में आया था कि कुछ लोगों के पोस्ट्स थोड़े थोड़े दिनों के अंतराल पर ब्लौगवाणी बार बार स्क्रोल पर डाल देती है , जिस से वो ज्यादा से ज्यादा लोगों की निगाहों में आ जाते हैं । हम तो अपना काम किये जा रहे हैं , वक्त जो हमें सिखाना चाहता है वो किसी न किसी माध्यम से सिखा ही देता है । टिप्पणी का धन्यवाद ...हाँ मुझे तो इतना पता है ..'थोड़ी दूर वो साथ चलें 'इस पोस्ट को मैंने जिस दिन प्रकाशित किया था उसी दिन ब्लौगवाणी बंद हो गयी थी और किसी भी पाठक ने इस पर दस्तक नहीं दी । और मेल करके पाठक मैं बुलाना भी नहीं चाहती । देखिये न इसीलिये मन बिलकुल शांत है । शुभकामनाओं के साथ
जवाब देंहटाएंअरे भाई , विजिट दिखाने वाला विजेट ही काम नहीं कर रहा ।
जवाब देंहटाएंलिखा बिलकुल सही है जाकिर भाई ! और यह रहा आपका ११ वाँ कमेंट्स !
जवाब देंहटाएंदिलचस्प लेख के लिए शुक्रिया !
आपके फैंकें काँटे में भी अभी तक 12 मछलियाँ(हमारे सहित) तो फंस ही चुकी हैं :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया आलेख !
जवाब देंहटाएंफंडे तो सभी नायाब हैं बधाई आपको तस्लीम पर भीड बढाने के लिये।
जवाब देंहटाएंसटीक और विचारणीय पोस्ट
जवाब देंहटाएं( हमने सोचा बाद में विषय भी बताइयेगा :)
जवाब देंहटाएंवो तो सब ठीक है भाईजान कि भीड़ कैसे बढाई जाये हमें तो बस ढंग के दस बीस पाठक का जुगाड़ बताइये ! एक शिकायत है आपसे...देखिये हमारे पास गुज़ारे लायक कुछ पाठक रहे हैं पर आपने हमसे एक ढंग का पाठक छीन लिया है !
पते की बात है, ब्लॉग सूत्र मंत्र.
जवाब देंहटाएंबाकी कुछ हो या न हो आपने इस पोस्ट पर अच्छे खासे पाठक जुगाड़ लिए ...badhayaee ! :)
जवाब देंहटाएंलो एक और मछली आ गयी
जवाब देंहटाएं।
->सुप्रसिद्ध साहित्यकार और ब्लागर गिरीश पंकज जी का साक्षात्कार पढने के लिऐ यहाँ क्लिक करेँ
अच्छा ज्ञान दिया.
जवाब देंहटाएंलीजिये जाकिर भाई ....हम भी खिचे चले आये | .......और हाँ आज ही फ़ोन करके ज़रा मीठी मीठी बाते करते हैं(टोटका नंबर -2) |
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई हम भी आजकल अच्छे कंटेट लिये घूम रहे हैं, यह बात ओर है कि ब्लॉग जगत के लोग कम आते हैं और गूगल और दूसरे सर्च इंजिनों से ज्यादा लोग आते हैं :}
जवाब देंहटाएं0 तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – १० [श्रीकालाहस्ती शिवजी के दर्शन..] (Hilarious Moment.. इंडिब्लॉगर पर मेरी इस पोस्ट को प्रमोट कीजिये, वोट दीजिये
nice analysis.. :)
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट.
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट.
जवाब देंहटाएंशारदा अरोरा जी से १०० प्रतिशत सहमत..ये मछली कांटा हम नहीं जानते...
जवाब देंहटाएंबढ़िया विश्लेषण
जवाब देंहटाएंकुछ ब्लोगर ऐसे भी हैं जो भीड़ बढाने के लिए बहुत अधिक लालायित नहीं हैं और अपना काम किये जा रहे हैं.जिसके पास जो विधा है उसका प्रयोग अपनी समझ के अनुसार कर रहा है. मेरा मानना है की सार्थक लेखन की कद्र, देर से ही सही, होगी जरूर.हाँ, जैसा हर जगह होता है, कुछ लोग तिकड़मों के सहारे योग्य लोगों को पीछे धकेल देते हैं, ब्लोगजगत में भी हो रहा है.
जवाब देंहटाएंब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने हमारे यहाँ भी पधारें.....click here for Letest free tricks smartphone, tablets and laptops,
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