शायद यह अलबेला खत्री जी का आकर्षण ही था कि इस लखनवी ब्लॉगर्स मीट में पहली बार इतने लोग पधारे। और निश्चित रूप से यह भी हमारे मुख्य अत...
शायद यह अलबेला खत्री जी का आकर्षण ही था कि इस लखनवी ब्लॉगर्स मीट में पहली बार इतने लोग पधारे। और निश्चित रूप से यह भी हमारे मुख्य अतिथि का सम्मोहन ही था कि चुटकियों और ठहाकों का मौका किसी ने हाथ से जाने नहीं दिया। यही कारण एक घंटे के लिए बुलाई गई यह मीट पूरे चार घंटे तक चलती रही। और ये चार घंटे कब बीत गये, किसी को पता ही नहीं चला।
यह पहला अवसर था कि बाहर से आए किसी ब्लॉगर का सम्मान लखनऊ में होना था। और यह भी पहला अवसर था कि यह कार्यक्रम आफिस ऑवर में होना था। लेकिन इसके बावजूद एक दिन की शार्ट नोटिस पर अलबेला जी के स्वागत में लगभग एक दर्जन ब्लॉगर इकट्ठा हो गये। लखनवी ब्लॉगर्स मीट में पहली बार पधारी श्रीमती सुशीला पुरी, उषा राय और अनीता श्रीवास्तव जी तो इतनी उत्साही निकलीं कि वे एक घंटे से भी कम समय की नोटिस पर कार्यक्रम में उपस्थित हो गयीं और कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में लखनवी तजजीब के मुताबिक मुख्य अतिथि अलबेला खत्री जी का बुके देकर स्वागत किया गया। उसके बाद लखनऊ ब्लॉगर्स एसोसिएशन की ओर से उसके नवनियुक्त अध्यक्ष श्री रवीन्द्र प्रभाज जी ने और संवाद समूह की ओर से जाकिर अली 'रजनीश' ने संयुक्त रूप से अलबेला जी को 'चिट्ठाकार हास्य रत्न-2010' की उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया। इस सारस्वत सम्मान में उन्हें लखनऊ के समस्त ब्लॉगर्स की ओर से एक शाल, स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र भेंट किया गया।
यह पहला अवसर था कि बाहर से आए किसी ब्लॉगर का सम्मान लखनऊ में होना था। और यह भी पहला अवसर था कि यह कार्यक्रम आफिस ऑवर में होना था। लेकिन इसके बावजूद एक दिन की शार्ट नोटिस पर अलबेला जी के स्वागत में लगभग एक दर्जन ब्लॉगर इकट्ठा हो गये। लखनवी ब्लॉगर्स मीट में पहली बार पधारी श्रीमती सुशीला पुरी, उषा राय और अनीता श्रीवास्तव जी तो इतनी उत्साही निकलीं कि वे एक घंटे से भी कम समय की नोटिस पर कार्यक्रम में उपस्थित हो गयीं और कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में लखनवी तजजीब के मुताबिक मुख्य अतिथि अलबेला खत्री जी का बुके देकर स्वागत किया गया। उसके बाद लखनऊ ब्लॉगर्स एसोसिएशन की ओर से उसके नवनियुक्त अध्यक्ष श्री रवीन्द्र प्रभाज जी ने और संवाद समूह की ओर से जाकिर अली 'रजनीश' ने संयुक्त रूप से अलबेला जी को 'चिट्ठाकार हास्य रत्न-2010' की उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया। इस सारस्वत सम्मान में उन्हें लखनऊ के समस्त ब्लॉगर्स की ओर से एक शाल, स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र भेंट किया गया।
सम्मान समारोह के बाद सभी ब्लॉगर्स ने अपना-अपना परिचय प्रस्तुत करते हुए ब्लॉग जगत के अनुभवों को साझा किया। इस क्रम में श्रीमती अलका मिश्रा, श्रीमती सुशीला पुरी, श्रीमती उषा राय, श्रीमती अनीता श्रीवास्तव, श्री अमित कुमार ओम, श्रीमती मीनू खरे, श्री रवीन्द्र प्रभात, श्री मो० शुएब, श्री हेमंत, श्री विनय प्रजापति, श्री जाकिर अली रजनीश एवं मुख्य अतिथि श्री अलबेला खत्री ने अपने रोचक अनुभवों को भी साझा किया।
अलका मिश्रा जी ने अपने आयुर्वेद सम्बंधी अनुभवों को बताते हुए कहा कि जरूरी नहीं कि जब तक आयुर्वेद की छोटी छोटी बातों का ध्यान रखें तो रोगों पर होने वाले बडे बडे खर्चों को बचाया जा सकता है। सुशीला पुरी जी ने अपने अनुभवों को बताते हुए ब्लॉगिंग को अपनी जिंदगी का हिस्सा कहा और एक रोचक बात बताई कि उन्हें नए लोगों को ब्लॉग से जोड़ने में बहुत खुशी होती है। इसके द्वारा हम लोग सिर्फ दूसरों के विचारों से ही परिचित नहीं होते, दूसरों की रचनाओं पर एक-एक हफ्ते तक चर्चा भी करते हैं। ब्लॉगिंग को लेकर बेहद उत्साहित नजर आई श्रीमती उषा राय ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ब्लॉग एक ऐसा माध्यम है, जिसने महिलाओं को अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम उपलबध कराया है। किसी ब्लॉगर मीट में नॉन ब्लॉगर की हैसियत से पधारी कवि और कहानीकार अनीता श्रीवास्तव जी ब्लॉग की ताकत से चमत्कृत दिखीं और उन्होंने कहा कि जल्दी ही वे भी ब्लॉगर बनने वाली हैं। इसी क्रम में अमित ओम ने अपनी व्यस्तताओं की बात करते हुए कहा कि वे अब अपने ब्लॉग 'जैसा मैंने देखा' पर ध्यान देंगे और उसे अपडेट करते रहने की कोशिश करेंगे।
मीनू खरे जी ने अंग्रेजी ब्लॉगिंग से हिन्दी ब्लॉगिंग की ओर आने के अपने राज़ को फाश करते हुए कहा कि यहां के कमेंट्स को देखकर मैं आश्चर्यचकित रहती थी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि ब्लॉग जगत में हर व्यक्ति एक सेलेब्रिटी है। प्रत्येक व्यक्ति का ब्लॉग उसका राज्य है और वह स्वयं उस राज्य का राजा। रवीन्द्र प्रभात जी ने रचना प्रक्रिया के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि हमें सृजन का काम करते रहना चाहिए, भले ही उस पर कोई प्रतिक्रिया हो अथवा नहीं। हो सकता है कि जिस रचना को लोग आज नहीं पहचान पा रहे हैं, कल उसे पहचाना जाए। इस सम्बंध में उन्होंने 'ब्लागोत्सव' के महत्व को बताते हुए घोषणा की कि इसकी समाप्ति पर 'लोक संषर्घ' पत्रिका द्वारा यह पुस्तकाकार रूप में भी प्रकाशित किया जाएगा। इसी क्रम में 'लोक संघर्ष' ब्लॉग और पत्रिका के सम्पादक शुएब साहब ने आतंकवाद के सच और पुलिसिया भूमिका से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि जब मुझे लगा कि मेरी बात को दुनिया के सामने रखने वाला कोई नहीं है, तब मैंने ब्लॉग का सहारा लिया। और अब मेरी बात दुनिया के कोने कोने तक पहुंच रही है।
ब्लॉग की तकनीक के विशेषज्ञ विनय प्रजापति ने पहली बार ब्लॉगर्स मीट में अपनी काव्य प्रतिभा से लोगों को परिचित कराया और 'कविता कोश' तथा अपने कविता के ब्लॉगों की चर्चा करके उपस्थित ब्लॉगर्स को चौंका दिया। इस क्रम में जाकिर अली रजनीश ने 'तस्लीम' और 'साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन' के उद्देश्यों की चर्चा के साथ 'संवाद सम्मान' की भूमिका बताते हुए कहा कि सभी लोगों को चाहिए कि वे ब्लॉग लेखन के साथ ही साथ सकारात्मक ब्लॉगर्स का प्रोत्साहन भी करें और नकारात्मक पोस्टों को पढने से बचें। इससे आपकी ऊर्जा तो बचेगी ही साथ ही आपके व्यक्तित्व में भी निखार आएगा।
मुख्य अतिथि अलबेला खत्री जी ने ब्लॉगिंग के सम्बंध में अपने अनुभवों को विस्तार से बताते हुए कहा कि वे ब्लॉग जगत में सिर्फ इस वजह से आए क्योंकि उन्हें एक व्यक्ति ने कहा था कि दो साल में इसके द्वारा आप इतनी लोकप्रियता हासिल कर लोगे, जो आप लाखों रूपये खर्च करके भी नहीं कमा पाओगे। उन्होंने कहा कि उस व्यक्ति की बात सही साबित हुई। आज भारत में ही नहीं दुनिया के हर बड़े शहर में मेरे मित्र हैं और मैं जहां कहीं भी जाता हूँ मुझे मेरे परिवार के लोग मिल जाते हैं। ऐसा सिर्फ और सिर्फ ब्लॉगिंग के कारण ही सम्भव हो सका है।
अंत में अलबेला खत्री जी ने अपनी तीन छोटी-छोटी रचनाएँ भी सुनाईं। उनकी जिस रचना ने सभी को मुस्कराने पर मजबूर कर दिया, उसे यहाँ पर आप सबके लिए भी प्रस्तुत किया जा रहा है-
मोहब्बत में हर एक पत्नी ग़ज़ल का शेर लगती है।
खफ़ा हो जाए तो बारूद का एक ढ़ेर लगती है।
बहुत जल्दी पति को इसलिए गुस्सा नहीं आता,
बड़ा बर्तन गरम होने में थोड़ी देर लगती है।।
खफ़ा हो जाए तो बारूद का एक ढ़ेर लगती है।
बहुत जल्दी पति को इसलिए गुस्सा नहीं आता,
बड़ा बर्तन गरम होने में थोड़ी देर लगती है।।
फैजाबाद रोड स्थित सहारा ट्रेड सेन्टर में आयोजित यह कार्यक्रम श्री रवीन्द्र प्रभात जी के संयोजन में सम्पन्न हुआ। उन्होंने साथी ब्लॉगर्स के सुझावों को दृष्टिगत रखते हुए यह भी घोषणा कि जल्दी ही एक दिवसीय ब्लॉगर कार्यशाला का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें ब्लॉगर्स के सामने आने वाली छोटी-मोटी समस्याओं का हल बताया जाएगा। उनकी इस घोषणा का सभी ब्लॉगर्स ने ताली बजाकर स्वागत किया।
मैंने उन्हें खूब मिस किया मैं था वही पास में मगर बहुत ज़रूरी काम से व्यस्त था यूँ कहिये कुछ जेल जैसे स्थिति थी वरना मैं ज़रूर उपस्थित होता.
जवाब देंहटाएंबस कुछ यूँ लग रहा है कि कारवां गुज़र गया और ग़ुबार देखते रहे::::फिलहाल बधाइयां
अच्छा लगा मिलन के बारे में जानकर और तस्वीरें देखकर.
जवाब देंहटाएंसिलसिला चलता रहे
जवाब देंहटाएंWaah! Kya baat hai... Albela Ji Ko Badhai!! Shubhkaamnaayen!!!
जवाब देंहटाएं"RAM"
अलबेला खत्री जी को बहुत बहुत बधाई .
जवाब देंहटाएंअरे वाह। बहुत सुंदर। इसे ही तो कहते हैं नंबरों का कमाल। अलबेला जी को यह रहस्य मालूम है।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंचित्रों से लग रहा है यह मन भावन मिलन रहा.
जवाब देंहटाएंwow! good...however I missed the opportunity
जवाब देंहटाएंहमारी ओर से भी बधाईयाँ.
जवाब देंहटाएंबढ़िया रही यह बैठक
जवाब देंहटाएंऔर यह क्या? अलबेला जी को तो नारी विरोधी कहा जाता है! लेकिन यहाँ तो ...
Aap sabko badhai... aur Albela ji ko bhi. coverage achchha kiya.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसबसे मिल कर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंपढ़-देख कर बहुत अच्छा लगा. अपनी कमी बहुत खली. मेरे शहर छोड़ने के २४ घंटों के बाद मुझे अलबेला जी के आगमन और ४८ घंटों बाद ब्लागर्स मीट का समाचार मिला. उस समय सिर्फ अफ़सोस किया जा सकता था.
जवाब देंहटाएंमुझे दुःख है वहां मैं नहीं था तो मेरा ज़िक्र कैसे होता. लेकिन उपस्थित जनों में से भी एकाध का नाम तक नहीं लिया गया, न लिखा गया. ऐसा क्यों, कैसे हुआ, इस पर चर्चा हो भी तो किससे और क्यों.
अभी बताया गया कि ब्लाग, ब्लागर का साम्राज्य होता है और वो उस साम्राज्य का राजा. अब किसी के साम्राज्य में हस्तक्षेप तो किया नहीं किया जा सकता.
एक बात जरूर कहना चाहूँगा कि ऐसे ही प्रकरण राजनीति और गुटबाजी को जन्म देते हैं. ऐसे ही माहौल से लोगों में मिलने-जुलने के प्रति अरुचि पैदा होती है.
मैं इस पर कोई सफाई जैसा बिलकुल नहीं चाहता. फिर भी, लखनऊ ब्लागर्स एसोसिएशन का एक अदना सा सदस्य होने के नाते (यदि मुझे भी एसोसिएशन ऐसा समझती है), यह जरूर चाहूँगा कि किसी को शिकायत का अवसर न मिले.
मीट के लिए शार्ट नोटिस पर उपस्थित होने वाले लोग सम्मानीय माने जाएँ. आखिर किसी की उपस्थिति को नकारते हुए या उसका सिरे से ही उल्लेख न करके कुछ हासिल तो नहीं होता. यदि ऐसा हो जाने के पीछे कोई ग्रन्थि या मामला हो तो बेहतर है कि बुलाया ही न जाए. बुलाने के बाद अहमियत न देना मेरी समझ से परे है.
अलबेला जी वाकई अलबेला है.अच्छा लगा आप लोगो का आपस मे मिलना.
जवाब देंहटाएंkyon kya agra uttar pradesh me nahee aataa hame to soochanaa bhi nahi di gaee aakhir yah aisa bhedbhaav kyo .khir padhkar achchhhaa lagaa albela ji vaakaee albela hai unaka samman to hona hi chahiye thaa badhaaee
जवाब देंहटाएंkyon kya agra uttar pradesh me nahee aataa hame to soochanaa bhi nahi di gaee aakhir yah aisa bhedbhaav kyo .khir padhkar achchhhaa lagaa albela ji vaakaee albela hai unaka samman to hona hi chahiye thaa badhaaee
जवाब देंहटाएंkyon kya agra uttar pradesh me nahee aataa hame to soochanaa bhi nahi di gaee aakhir yah aisa bhedbhaav kyo .khir padhkar achchhhaa lagaa albela ji vaakaee albela hai unaka samman to hona hi chahiye thaa badhaaee
जवाब देंहटाएंसर्वत जी, आपकी नाराजगी जायज है। गल्ती तो हुई है, हो सके तो माफ कर दीजिएगा।
जवाब देंहटाएंमाननीया बीना शर्मा जी आप निश्चिंत रहें, शीघ्र ही आगरा में एक हिन्दी ब्लॉगर मिलन का आयोजन किया जाने वाला है। आप तो बस स्थान का विकल्प ध्यान में रखिएगा।
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉगर मिलन में जिनको भी बुलाया जाता है, चाहे वे किन्हीं भी कारणों से उपस्थित नहीं हो पाते हैं तो भी उनका जिक्र किया जाना चाहिए। मैं तो अपने सभी ब्लॉगर मिलन में ऐसा ही करता हूं। और चाहता हूं यदि आपको उचित लगे तो आप सब भी यही किया करें और उपस्थित हिन्दी ब्लॉगरों के ब्लॉग के लिंक अवश्य दिए जाया करें।
अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंपूरा अहवाल जानकर
इन्तज़ाम करने वालों ओर पधारने वालों का शुक्रिया