Listening Skills in Hindi | Active Listening Skills in Hindi | Art of Listening
दोस्तों, हमारे समाज में बच्चों को बोलना, लिखना और पढ़ना तो सिखाया जाता है, लेकिन सुनना Basic Listening Skills यानी कि सुनने की कला Art of Listening के बारे में नहीं बताया जाता। इसका खामियाजा यह होता है कि ज्यादातर लोगों में दूसरों की बात सुनने का सलीका नहीं होता। इसकी वजह से कई बार परिवार में दरारें पड़ जाती हैं, कैरियर में ब्रेक लग जाता है और बिज़नेस फ्लॉप हो जाता है। लेकिन अगर हम लिसनिंग की कला Listening Skills in Hindi में परफेक्ट हो जाएं, तो नतीजे इसके उलट हो सकते हैं। यानि कि सुनने की कला Active Listening Skills के द्वारा हम सिर्फ पर्सनल रिलेशन ही नहीं बिजनेस रिलेशन भी बढ़िया बना सकते हैं और बड़ी आसानी से सफलता की सीढ़िया चढ़ सकते हैं।
Listening Skills in Hindi | Active Listening Skills in Hindi
मोटे तौर पर हम कह सकते हैं कि सुनना दो प्रकार का होता है हियरिंग और लिसनिंग। जब हम किसी काम को करते हुए अनिच्छापूर्वक किसी व्यक्ति की बातों को सुनते हैं, तो उसे हियरिंग कहा जाता है। इस प्रक्रिया में हमारा सारा फोकस तो अपने काम पर होता है पर हम मजबूरी या दिखावे के लिए वहां पर बैठे हुए व्यक्ति की बातें भी सुनते रहते हैं।सुनने का दूसरा प्रकार है लिसनिंग। इसे एक्टिव लिसनिंग Active Listening के रूप में भी समझ सकते हैं। एक्टिव लिसनिंग का मतलब है, पूरी तरह से एकाग्र होकर किसी व्यक्ति की बातों को सुनना। इसमें हमारी आंखें, मन, विचार और कल्पनाशक्ति चारों चीज़ें सामने वाले पर केंद्रित रहती हैं।
एक्टिव लिसनिंग (Active Listening Skills in Hindi) के 4 चार मेन स्टेप हैं। आइए इन्हें डिटेल में समझते हैं।
1 Control ठहराव
एक्टिव लिसनिंग का पहला स्टेप है ठहराव या कंट्रोल। इसका मतलब है कि अगर आप किसी से बात कर रहे हैं, तो उस बातचीत से बेहतर परिणाम पाने के लिए बाकी के काम रोक दें। फॉर इक्ज़ाम्पल, अगर आपके हाथ में मोबाइल है, तो उसे बंद करके अलग रख दें। अगर टीवी चल रहा है, तो उसे आफ कर दें। सामने न्यूज पेपर या बुक वगैरह खुली हैं, तो उन्हें बंद कर दें। यहां तक कि अगर आप पान मसाला, च्युंगम वगैरह कुछ खा रहे हैं, तो उसे भी थूक दें। कहने का आशय यह है कि ऐसी कोई भी चीज़ जिसकी वजह से आपकी बातचीत में रूकावट आ सकती है, बातचीत शुरू करने से पहले उसे दूर कर लेना बेहतर है।बातचीत के दौरान आप आराम की मुद्रा में बैठें और सामने वाले व्यक्ति से आई कांटैक्ट बनाते हुए पूरे मन से उसकी बातों को सुनें। अगर उस व्यक्ति के बारे में आपके मन में पहले से कोई धारणा बनी हुई है, तो उसे भी परे हटा दें और अपने आपको इस तरह से प्रस्तुत करें जैसे आप उस व्यक्ति से पहली बार मिल रहे हों। जब आप सभी तरह से पूर्वाग्रहों से मुक्त हो जाएंगे, तभी उसकी बातों को पूरी तरह से सुन पाएंगे और उसकी गहराई तक पहुंच सकेंगे।
2. मिरर इमेज Mirror image बनें
एक्टिव लिसनिंग का दूसरा स्टेप है मिरर इजेज बनाना। इसका मतलब है कि आप जिस व्यक्ति से बात कर रहे हैं, बिलकुल उसी की जैसी दशा में पहुंचने का प्रयास करें। इसके लिए सबसे पहले उसके मूड को मैच करें। अगर सामने वाला प्रसन्न है, तो आप भी उसकी बातों को सुनकर खुशी का प्रदर्शन करें। अगर सामने वाला दु:खी है, तो आप भी गम्भीर हो जाएं और अपने आपको उसके दु:ख में शामिल दिखाएं। यदि यह वार्तालाप नॉर्मल मोड में भी चल रहा हो, तो भी बातचीत के दौरान सामने वाले के पॉश्चर और बॉडी लैंग्वेज को समझें और उसी तरह से रिएक्ट करने की कोशिश करें।दोस्तों, यह प्रॉसेस आपको थोड़ा सा नाटकीय लग सकता है, पर यह पूरी तरह से टेस्टेड है। जब आप बातचीत करने वाले की खुशी में खुश और उसके दु:ख में खुद को दुखी दिखाते हैं और बातचीत के दौरान उसी के जैसी भाव भंगिमा अपनाते हैं, तो आपकी मस्तिष्क की वेवलेंथ उसकी मस्तिष्क की वेवलेंथ से मैच हो जाती है। ऐसे में सामने वाला व्यक्ति मानसिक स्तर पर आपके करीब आ जाता है और वह आपके साथ जुड़ाव महसूस करने लगता है।
3. डीप लिसनिंग (Deep listening) : मन से सुनें
एक्टिव लिसनिंग की तीसरी स्टेज है डीप लिसनिंग। आपने ध्यान दिया होगा कि आमतौर पर हम जब भी किसी से बात करते हैं, तो उसकी बातों के बीच में अपनी बात कहने के लिए बेहद उतावले रहते हैं और अक्सर उसकी बात काटकर अपनी बात रखने लगते हैं। पर प्लीज़, ऐसा करने से अपने आपको रोकें। साथ ही सामने वाले की बातों का जवाब देने के लिए मन ही मन रिप्लाई का रिहर्सल भी मत करें।ध्यान रखें, आपको सिर्फ सामने वाले को सुनना है ताकि जो बात वो कह रहा है उसे आप अच्छी तरह से समझ सकें, उसके मन्तव्य तक पहुंच सकें। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अक्सर लोग बोलते समय सही शब्दों का चुनाव नहीं कर पाते हैं। इसलिए वे कहना तो कुछ और चाहते हैं, पर बोलने के फ्लो में कह कुछ और जाते हैं। इसलिए यदि आप बिना अपने जवाब देने की प्रतीक्षा किये पूरे मन से सामने वाले की बातों को सुनेंगे, तभी उसकी बातों की गहराई तक पहुंच सकेंगे।
4. फीडबैक या प्रतिक्रिया करें
एक्टिव लिसनिंग की लास्ट और सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है फीडबैक या प्रतिक्रिया। यदि आपको एक्टिव लिसनिंग के चमत्कारिक फायदे पाने हैं, तो आपको सामने वाले की बातों को सुनते समय सकारात्मक प्रतिक्रिया भी देनी चाहिए। अगर आपकी बातचीत किसी उत्साहजनक विषयक पर हो रही है, तो आप बीच बीच में इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे कि अरे वाह, बहुत बढ़िया, सही कहा आपने, आपका जवाब नहीं आदि। लेकिन अगर चर्चा का विषय दु:खद हो, तो प्रसंग के अनुकूल इस तरह के शब्द इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे- अरे! ओह माई गॉड, ये तो बहुत बुरा हुआ, ओह सैड! वगैरह-वगैरह।इसके साथ ही बातचीत को सार्थक बनाने के लिए बीच बीच में ओपेन एंडेड क्वेश्चन्स का भी यूज़ करना चाहिए। ओपेन एंडेड क्वेश्चंस, यानी ऐसे सवाल जो बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाने में मदद करें। जैसे- फिर क्या हुआ? फिर उसने क्या कहा? तब आपने क्या किया? वगैरह-वगैरह! ऐसे सवाल बोलने वाले को और ज्यादा बताने के लिए उत्साहित करते हैं। साथ ही उसके मन में यह विश्वास भी जगाते हैं कि सामने वाला व्यक्ति मेरी बातों को पूरे मन से सुन रहा है।
जब आप अपनी बातचीत के दौरान इन सारी टेक्निक्स का इस्तेमाल करते हैं, तो बातचीत का माहौल बेहद सकारात्मक बन जाता है और सामने वाले व्यक्ति के मन में आपके प्रति एक मानसिक लगाव सा उत्पन्न होने लगता है।
इस बॉन्ड को और ज्यादा मजबूती देने के लिए आपको चाहिए कि आप तब तक सामने वाले को सुनें, जब तक कि उसकी बातें पूरी न हो जाएं। जब सामने वाला व्यक्ति चुप हो जाए, तब एक हल्का सा पॉज़ यानी कि ठहराव लें और उसके बाद उसकी बातों का रिप्लाई दें।
रिप्लाई देने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि अगर सामने वाला व्यक्ति आपको कुछ समझा रहा है, या शिकायत दर्ज करा रहा है, तो सबसे पहले उसके मेन प्वाइंट्स को दोहरा दें, जिससे ये क्लियर हो जाए कि आप उसकी बात पूरी तरह से समझ गये हैं। अगर आपको अभी भी कोई बात समझ में नहीं आई है, तो उसे बिना झिझक पूछ लें। और अगर नॉर्मल टॉपिक पर बातचीत चल रही है, तो भी उन बातों के जो मुख्य बिन्दु थे, या जो मुख्य घटनाएं बातचीत में आई थीं, उनके बारे में उत्साहजनक प्रतिक्रिया दें और बिना झिझक ये बताएं कि आपको कौन सी बात सबसे अच्छी लगी या किसे सुनकर आपको सबसे ज्यादा मज़ा आया। और अगर हो सके तो इसका कोई जेन्यून कारण भी दें, जैसे कि आपको भी खाने में वो व्यंजन पसंद है या फिर आपको भी ऐसी जगहों पर जाना पसंद है, वगैरह-वगैरह।
यहां पर एक बात का खास ख्याल रखें कि अगर आपकी यह बातचीत किसी खास उद्देश्य के लिए थी, तो भी आप उस व्यक्ति से बात करते समय अपने मनचाहे मुद्दे बातचीत न करें। सिर्फ उसके बारे में सुनें और जानें। ध्यान रखें कि आपकी बातचीत का उद्देश्य होना चाहिए सामने वाले को अच्छी फीलिंग्स देना। अगर आप बातचीत के दौरान अपने व्यवहार और प्रतिक्रियाओं के द्वारा यह करने में सफल हो जाते हैं, तो आपकी बातचीत सफल मानी जाएगी। इस तरह की बातचीत से सामने वाले के मस्तिष्क में आपके प्रति एक साफ्ट कॉर्नर सा बन जाता है, जिसमें आपकी छवि एक सौम्य और मिलनसार व्यक्ति के रूप में दर्ज हो जाती है।
और जब ऐसे व्यक्ति से आप दुबारा मिलेंगे, तो वह आपके साथ ऐसा व्यवहार करेगा जैसे वह आपको बरसों से जानता हो। वह न सिर्फ उत्साह के साथ आपका स्वागत करेगा बल्कि आपकी बातों को भी इम्पॉर्टेन्स देगा। इस तरह उस व्यक्ति के साथ न सिर्फ आपकी लिसनिंग की समस्या खत्म हो जाएगी बल्कि आप दोनों के बीच एक फ्रेंडशिप भी डेवलप हो जाएगी।
दोस्तो, यह थी लिसनिंग Listening Skills in Hindi को प्रभावी बनाने वाली टेक्निक्स। हो सकता है कि आपको बेसिक लिसनिंग स्किल्स Basic Listening Skills अभी ज्यादा नाटकीय और अतिवादी लग रही हों, पर जब आप ये एक्टिव लिसनिंग स्किल्स Active Listening Skills आप बार बार दोहराएंगे, तो सुनने की कला Art of Listening के अभ्यस्त हो जाएंगे और किसी भी व्यक्ति के साथ बातचीत करने पर उसके चमत्कारिक नतीजे पाएंगे।
लिसनिंग की क्रिया (Listening Skills in Hindi) का अगला चरण है बातचीत। और किसी भी बातचीत को सफल बनाने के लिए ज़रूरी है कि उसकी बारीकियों को भी समझा जाए। तो बातचीत की इस कला को समझने के लिए लिए आप यहां पर क्लिक कर सकते हैं।
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