स्वामी विवेकानन्द का ऐतिहासिक शिकागो भाषण - Swami Vivekananda Chicago Speech in Hindi
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स्वामी विवेकानन्द का ऐतिहासिक शिकागो भाषण - Swami Vivekananda Chicago Speech in Hindi

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Swami Vivekananda Chicago Speech in Hindi

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11 सितंबर 1893 का दिन अमेरिका के शिकागो शहर ही नहीं भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित गया है। यही वह दिन था जब शिकागो की विश्व विख्यात ‘पार्लियामेंट ऑफ़ रिलीजन’ के सभागार में दुनिया भर के धर्म के प्रतिनिधियों के बीच एक 30 वर्ष के भारतीय युवा ने अपने ओजस्वी भाषण (Swami Vivekananda Chicago Bhashan in Hindi) से पूरे विश्व के लोगों को अपने वक्तव्य से मंत्रमुग्ध कर दिया था।

उस वक्त ‘पार्लियामेंट ऑफ़ रिलीजन’ के सभागार और उसकी बड़ी सी गैलरी में संसार भर के विभिन्न देशों के छह-सात हजार प्रतिनिधि तथा शहर के सभी प्रतिष्ठित व्यक्ति विराजमान थे। इसके साथ ही मंच पर संसार की सभी जातियों के बड़े-बड़े विद्वान भी प्रतिष्ठित थे। और ऐसे भव्य माहौल में 30 वर्ष के तेजस्वी युवा विवेकानंद ने जैसे ही मंच पर पहुंच कर भाषण (Swami Vivekananda Chicago Speech in Hindi) देना शुरू किया, हॉल मे मौजूद 7 हजार लोग उत्साह से झूम उठे। वे सभी लोग अपनी सीट से खड़े हो गये और दो मिनट तक उनके लिए तालिया बजाते रहे।

संवाद का ये जादू चिर–पुरातन भारतीय संस्कृति, सभ्यता, अध्यातम व उस युवा के त्यागमय जीवन का था, जोकि शिकागो से ऐसे निकला कि पूरे विश्व में छा गया। स्वामी विवेकानंद का लगभग तीन मिनट का वह भाषण (Swami Vivekananda Chicago Bhashan in Hindi) आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना उस समय था। उस भाषण का एक–एक शब्द अपने आप में एक परंपरा, एक जीवन व हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति से चले आ रहे संदेश का परिचायक है। तो आइये सुनते हैं स्वामी विवेकानंद का वह ऐतिहासिक भाषण-
 
Swami Vivekananda Chicago Speech

Swami Vivekananda Chicago Speech in Hindi

मेरे अमरीकी भाइयों और बहनों!

आपने जिस हर्ष-उल्लास और स्नेह के साथ हमारा यहां स्वागत किया है, उसके प्रति आभार प्रकट करने के लिए मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है। दुनिया में साधू-संतो की सबसे प्राचीन परम्परा की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। मैं आपको सभी धर्मों की माता की ओर से धन्यवाद देता हूँ और सभी जाति-सम्प्रदायों के लाखों-करोड़ों हिन्दुओं की ओर से भी आपको धन्यवाद देता हूं।

मैं इस मंच पर से बोलने वाले उन महान वक्ताओं के प्रति भी धन्यवाद करता हूं जिन्होंने इस बात का उल्लेख किया और आपको यह बतलाया कि सहिष्णुता का विचार पूरे विश्व में पूरब के देशो से फैला है। मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूं, जिसने दुनिया को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृत दोनों की ही शिक्षा हम सब को दी है। हम लोग सभी धर्मों के प्रति ही केवल सहनशीलता में ही विश्वास नहीं करते बल्कि सारे धर्मों को सत्य मान कर स्वीकार करते हैं।

मुझे एक ऐसे देश का व्यक्ति होने पर गर्व है जिसने इस धरती के सभी धर्मों और देशों के पीड़ितों और शरणार्थियों को शरण दी है। मुझे यह बताते हुए भी गर्व होता है कि हमने अपने ह्रदय में उन यहूदियों के शुद्ध स्मृतियों को स्थान दिया था, जिन्होंने भारत आकर उसी वर्ष शरण ली थी, जिस वर्ष उनका पवित्र मन्दिर रोमन जाति ने तोड़-तोड़ कर खण्डहर में मिला दिया था।

मुझे गर्व है कि में एक ऐसे धर्म से हूं जिसने महान पारसी देश के अवशिष्ट अंश को शरण दी और अभी भी उसको बढ़ावा दे रहा है। भाईयो, मैं आप लोगों को एक श्लोक की कुछ पंक्तियाँ सुनाता हूं जिसे मैंने बचपन से स्मरण किया है और अभी भी कर रहा हूं और जिसे प्रतिदिन लाखों-करोड़ो लोगो द्वारा दोहराया जाता है-

रुचीनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम्। नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव।।

(जैसे विभिन्न नदियां अलग-अलग स्रोतों से निकलकर समुद्र में मिल जाती हैं ठीक उसी प्रकार से अलग-अलग रुचि के अनुसार विभिन्न टेढ़े-मेढ़े अथवा सीधे रास्ते से जाने वाले लोग अन्त में भगवान में ही आकर मिल जाते हैं।)
Chicago Religion Conference East India Delegates
 
यह सभा जो अभी तक की सर्वश्रेष्ठ पवित्र सम्मेलनों में से एक है, स्वतः ही गीता के इस अदभुत उपदेश का प्रतिपादन एवं जगत के प्रति उसकी घोषणा करती है- 
 
यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः।।


(जो कोई मेरी ओर आता है वह चाहे किसी प्रकार से हो,मैं उसको प्राप्त होता हूं। लोग अलग-अलग रास्तों द्वारा प्रयत्न करते हुए अन्त में मेरी ही ओर आते हैं।)

साम्प्रदायिकता, हठधर्मिता और उनकी वीभत्स वंशधर धर्मान्धता इस सुन्दर पृथ्वी पर बहुत समय तक राज्य कर चुकी हैं। वे इस धरती को हिंसा से भरती रही हैं व उसको बारम्बार मानवता के खून से नहलाती रही हैं और कई सभ्यताओं का नाश करती हुई पूरे के पूरे देशों को निराशा के गर्त में डालती रही हैं।

यदि ये दानवी शक्तियां न होतीं तो मानव समाज आज की स्थिति से कहीं अधिक विकसित हो गया होता पर अब उनका समय आ गया हैं और मैं आन्तरिक रूप से यह उम्मीद करता हूं कि आज सुबह इस सभा के सम्मान में जो घण्टा ध्वनि हुई है वह समस्त धर्मान्धता का, तलवार या लेखनी के द्वारा होने वाले सभी अत्याचारों का तथा एक ही लक्ष्य की ओर अग्रसर होने वाले मानवों की पारस्पारिक कटुता की मृत्यु करने वाला साबित होगा।


दोस्तों, इस भाषण (Swami Vivekananda Chicago Bhashan in Hindi) को आज भी दुनिया भुला नहीं पाई है। इस भाषण का एक–एक शब्द अपने आप में एक परंपरा, एक जीवन व हजारों वर्षों की संस्कृति से चले आ रहे संदेश का परिचायक है। शिकागो के ‘पार्लियामेंट ऑफ़ रिलीजन’ भवन में घटी इस अतुलनीय घटना ने पश्चिम में भारत की एक ऐसी छवि बना दी, जो आजादी से पहले और इसके बाद सैंकड़ों राजदूत मिलकर भी नहीं बना सके हैं। यह भाषण (Swami Vivekananda Chicago Speech in Hindi) आज भी प्रासंगिक है और हम इससे आज भी सबक ले सकते हैं।

COMMENTS

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आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

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