Motivational Poem in Hindi by Zakir Ali Rajnish
कुछ बड़ा अगर जो करना है...
-डॉ. ज़ाकिर अली 'रजनीश'
कुछ बड़ा अगर जो करना है, तो सोच को पहले बड़ा करो।
हौसला दबा जो भीतर है, उसको पर्वत सा खड़ा करो।।
हौसला दबा जो भीतर है, उसको पर्वत सा खड़ा करो।।
क्यों भेड़ बकरियों के जैसे, यूं लीक पकड़ कर चलते हो,
क्यों आलोचनाएं सुन कर के ओलों के जैसे गलते हो।
तुम शेर हो राजा जंगल के अपनी खुद राह बनाओगे,
दुनिया पीछे से आएगी, जिस राह गुज़र तुम जाओगे।
क्यों डरते हो तुम दुनिया को अपनी इच्छाएं बताने से,
तुम अपने पथ के राही हो, क्या लेना तुम्हें ज़माने से।
माना कि ढ़ेर चुनौती हैं, जो कदम-कदम पर आएंगी,
नदिया की धारा लेकिन क्या चट्टानों से रुक जाएगी?
अपनी बातें मनवाने को बच्चों सा ज़िद पर अड़ा करो।
कुछ बड़ा अगर जो करना है, तो सोच को पहले बड़ा करो।।
संघर्षों से डरना कैसा, ये तो वीरों का गहना है,
तपने के बाद ही कुंदन का, ताज स्वर्ण ने पहना है।
तुम अपनी कमज़ोरी पर खुद अपने ही हाथों वार करो,
छोटी पड़ जाएं चुनौती सब, ऐसा खुद को तैयार करो।
कुछ पाने का है लक्ष्य अगर, तो फिर खोने का डर कैसा,
आनंदलोक की चाह अगर, तो मन में भय का ज्वर कैसा।
जब लक्ष्य भेदना ठान लिया, फिर इधर-उधर न नज़र रहे,
चिड़िया की आंख दिखे केवल, बाकी हलचल बेअसर रहे।
तूफान भी फिर न डिगा सके गांडीव यूं अपना खड़ा करो।
कुछ बड़ा अगर जो करना है, तो सोच को पहले बड़ा करो।।
पर्वत पर चढ़ने से पहले करनी होगी कुछ तैयारी,
दुनिया को जिससे बता सकें हम ही हैं इसके अधिकारी।
खुद को भी पड़े बदलना तो, इसकी खातिर तैयार रहो,
आलस को त्याग, परिश्रम के रथ पर चढ़ने से नहीं डरो।
हालात बदलने की ख़ातिर, तत्काल अभी उठना होगा,
निष्चय जो अडिग हमारा हो, अम्बर को भी झुकना होगा।
हम बिना झुके, हम बिना रुके, आगे ही बढ़ते जाएंगे,
देखेगी ये दुनिया एक दिन हम तारे तोड़ के लाएंगे।
विश्वास के अनुपम मोती तुम सपनों में नित यूं जड़ा करो।
कुछ बड़ा अगर जो करना है, तो सोच को पहले बड़ा करो।।
हम वीर भरत के वंशज हैं, जिसने शेरों के दांत गिने,
हम गांधी जी के अनुयायी, जिनसे गोरे अंग्रेज़ हिले।
हम भगत सिंह, आजाद, सुभाष, हम वीर हमीद सिपाही हैं,
जिसने साधारण जीप से भी दुष्मन की तोप उड़ाई हैं।
अपनी ताकत से भिज्ञ सदा, अपनी कमियों का ज्ञान रहे,
हमको अपने निष्चय पे सदा अभिमन्यु सा अभिमान रहे।
हमने उन लम्हों से सदैव सीखा जो दुःख सुख है भोगा,
हम आज ये निश्चय करते हैं, कल जैसा चाहेंगे होगा।
लाखों अफ़साने कहते हैं, हक़ पाना है तो लड़ा करो।
कुछ बड़ा अगर जो करना है, तो सोच को पहले बड़ा करो।।
हौसला दबा जो भीतर है, उसको पर्वत सा खड़ा करो।
कुछ बड़ा अगर जो करना है, तो सोच को पहले बड़ा करो।।
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