Best Motivational Story in Hindi Language.
ईश्वर से भेंट एक लोकप्रिय Motivational Story in Hindi है। यह कहानी बेहद मर्मस्पर्शी है और हमें बताती है कि अगर आप दृढ निश्चय के स्वामी हैं, तो फिर आपको मंजिल तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। तो लीजिए ये Motivational Story in Hindi पढिए! हमें उम्मीद है कि आपको ये Motivational Story पसंद आएगी।
Ishwar Se Bhent - Motivational Story in Hindi
एक छोटा सा बच्चा था। उसकी उम्र थी सिर्फ 7 साल, पर गम्भीरता इतनी कि 17 के बच्चे को भी मात कर जाए। एक दिन उसने अपनी मां से पूछा, ''मां, क्या हम भगवान से मिल सकते हैं?''
बच्चे की बात सुनकर मां हैरान रह गयी। उसने बच्चे के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ''हां बेटा, जिस दिन तुम सच्चे मन से ईश्वर की खोज करोगे, उस दिन वे तुमसे मिलने ज़रूर आएंगे।''
मां ने यह बात बच्चे का दिल रखने के लिए कही थी, पर वह बच्चे के दिमाग में बैठ गयी। बच्चा सोते—जगते, उठते—बैठते इसी बारे में सोचने लगा। जितना वह इस बारे में सोचता, उसके मन में ईश्वर से मिलने की लगन और बढ़ती जाती।
एक दिन की बात है। बच्चा खाना खाने जा रहा था। तभी उसके मन में विचार आया— ईश्वर से भेंट करने के लिए मुझे कब तक इंतजार करना होगा?
और अगले ही पल बच्चे ने निश्चय कर लिया— बस बहुत हो गया इंतजार। आज वह खाना ईश्वर के साथ बैठ कर ही खाएगा। यह निश्चय करके बच्चे ने खाना को एक पोटली में बांधा और घर में बिना किसी को कुछ बताए एक ओर चल पड़ा।
चलते चलते बच्चा बहुत दूर निकल गया। सुबह से शाम हो गयी। थकान और भूख के कारण उसका बुरा हाल हो गया। तभी उसे कुछ दूरी पर एक तालाब नज़र आया। उसके किनारे पर एक महिला बैठी हुई थी।
बच्चा उस महिला के पास पहुंचा और उसे ध्यान से देखा। महिला की उम्र 70-80 साल रही होगी। लेकिन इसके बावजूद उसकी आंखों में गज़ब की चमक थी।
उस महिला को देखकर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गयी। वह महिला भी बच्चे को देखकर मुस्कराई। उसने प्यार से बच्चे के सिर पर हाथ फेरा। बच्चे को लगा जैसे वह इस सुनसान जंगल में उसी का इंतज़ार कर रही थीं।
तभी बच्चे को अपनी भूख का एहसास हुआ। उसने अपनी पोटली खोली और एक रोटी बुजुर्ग महिला की ओर बढ़ाते हुए पूछा, ''माई, रोटी खाओगी?''
यह देख कर महिला के झुर्रियों वाले चेहरे पा अजीब सी ख़ुशी आ गई। उसकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे। यह देखकर बच्चा बोला, ''तुम क्यों रो रही हो माई? क्या तुम्हारा कोई सामान खो गया है?''
महिला ने बच्चे के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, 'नहीं बेटा, ये तो खुशी के आंसू हैं।' आज मेरी हर इच्छा पूरी हो गयी।''
यह सुनकर बच्चा मुस्करा दिया। उसने अपने हाथ से रोटी तोड़कर बुजुर्ग महिला को खिलाई। महिला की आंखों से आंसुओं की धार बह चली। उसने भी अपने हाथ से बच्चे को रोटी खिलाई और उसे दुलार किया।
रोटी खाने के बाद बच्चे को अपनी मां की याद आई। उसे लगा कि घर पर मां परेशान हो रही होंगी। इसलिए उसने उस बुजुर्ग महिला से इजाज़त ली और वापस अपने घर की ओर लौट पड़ा।
बच्चा जब अपने घर पहुंचा, तो मां दरवाजे पर ही मिल गयी। उसने बच्चे को अपनी गोद में उठा लिया और उसे जोर-जोर से चूमने लगी। यह देखकर बच्चा बोला, ''मां, आज मैं भगवान से मिला, मैंने उनके साथ बैठ कर रोटी खाई। मैं बहुत खुश हूं मां।''
उधर वह बुजुर्ग महिला जब अपने घर पहुंची, तो उसकी खुशी देखकर घर वाले हैरान रह गये। उसने अपने घर वालों को बताया, ''मैं भगवान की तलाश में घर से निकली थी। भगवान की प्रतीक्षा में मैं 2 दिन तक तालाब के किनारे अकेली भूखी बैठी रही। मुझे विश्वास था कि भगवान आएंगे और मुझे अपने हाथों से खाना खिलाएंगे। आज सचमुच भगवान ने मुझे दर्शन दिये और अपने हाथों से रोटी खिलाई। इस तरह मेरी साध पूरी हो गयी और मैं वापस अपने घर लौट आई।''
दोस्तों, यहां पर यह Motivational Story in Hindi खत्म हुई। पर अभी रूकें! इस कहानी के बारे में गहराई से सोचें। आपने ध्यान दिया होगा कि उस बच्चे और बुजुर्ग महिला दोनों को ईश्वर की तलाश थी। ईश्वर कहीं नहीं था, उनके दिलों में था, इसीलिए उन्होंने उसका रूप उस व्यक्ति में खोज लिया, जो स्वयं ईश्वर की तलाश में निकला था।
कहने का आशय यह है कि जब हम किसी चीज को शिद्दत से चाहते हैं, उसे पाने के लिए प्राण-पण से प्रयत्न करते हैं, तो मंजिल के रास्ते खुद-ब-खुद खुल जाते हैं और हमारा काम सफल हो जाता है। यही उन दोनों के साथ भी हुआ और यही आपके साथ भी होगा।
आप भी अपनी मंजिल को पा सकते हैं, अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं, पर शर्त यही है कि आपके भीतर भी उस बच्चे और उस महिला जैसा जुनून होना चाहिए। और अगर आपके भीतर वह जोश, वह जुनून है, तो फिर मंजिल तक पहुंचने से कोई आपको रोक नहीं सकता।
बच्चे की बात सुनकर मां हैरान रह गयी। उसने बच्चे के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ''हां बेटा, जिस दिन तुम सच्चे मन से ईश्वर की खोज करोगे, उस दिन वे तुमसे मिलने ज़रूर आएंगे।''
मां ने यह बात बच्चे का दिल रखने के लिए कही थी, पर वह बच्चे के दिमाग में बैठ गयी। बच्चा सोते—जगते, उठते—बैठते इसी बारे में सोचने लगा। जितना वह इस बारे में सोचता, उसके मन में ईश्वर से मिलने की लगन और बढ़ती जाती।
एक दिन की बात है। बच्चा खाना खाने जा रहा था। तभी उसके मन में विचार आया— ईश्वर से भेंट करने के लिए मुझे कब तक इंतजार करना होगा?
और अगले ही पल बच्चे ने निश्चय कर लिया— बस बहुत हो गया इंतजार। आज वह खाना ईश्वर के साथ बैठ कर ही खाएगा। यह निश्चय करके बच्चे ने खाना को एक पोटली में बांधा और घर में बिना किसी को कुछ बताए एक ओर चल पड़ा।
चलते चलते बच्चा बहुत दूर निकल गया। सुबह से शाम हो गयी। थकान और भूख के कारण उसका बुरा हाल हो गया। तभी उसे कुछ दूरी पर एक तालाब नज़र आया। उसके किनारे पर एक महिला बैठी हुई थी।
बच्चा उस महिला के पास पहुंचा और उसे ध्यान से देखा। महिला की उम्र 70-80 साल रही होगी। लेकिन इसके बावजूद उसकी आंखों में गज़ब की चमक थी।
उस महिला को देखकर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गयी। वह महिला भी बच्चे को देखकर मुस्कराई। उसने प्यार से बच्चे के सिर पर हाथ फेरा। बच्चे को लगा जैसे वह इस सुनसान जंगल में उसी का इंतज़ार कर रही थीं।
तभी बच्चे को अपनी भूख का एहसास हुआ। उसने अपनी पोटली खोली और एक रोटी बुजुर्ग महिला की ओर बढ़ाते हुए पूछा, ''माई, रोटी खाओगी?''
यह देख कर महिला के झुर्रियों वाले चेहरे पा अजीब सी ख़ुशी आ गई। उसकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे। यह देखकर बच्चा बोला, ''तुम क्यों रो रही हो माई? क्या तुम्हारा कोई सामान खो गया है?''
महिला ने बच्चे के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, 'नहीं बेटा, ये तो खुशी के आंसू हैं।' आज मेरी हर इच्छा पूरी हो गयी।''
यह सुनकर बच्चा मुस्करा दिया। उसने अपने हाथ से रोटी तोड़कर बुजुर्ग महिला को खिलाई। महिला की आंखों से आंसुओं की धार बह चली। उसने भी अपने हाथ से बच्चे को रोटी खिलाई और उसे दुलार किया।
रोटी खाने के बाद बच्चे को अपनी मां की याद आई। उसे लगा कि घर पर मां परेशान हो रही होंगी। इसलिए उसने उस बुजुर्ग महिला से इजाज़त ली और वापस अपने घर की ओर लौट पड़ा।
बच्चा जब अपने घर पहुंचा, तो मां दरवाजे पर ही मिल गयी। उसने बच्चे को अपनी गोद में उठा लिया और उसे जोर-जोर से चूमने लगी। यह देखकर बच्चा बोला, ''मां, आज मैं भगवान से मिला, मैंने उनके साथ बैठ कर रोटी खाई। मैं बहुत खुश हूं मां।''
उधर वह बुजुर्ग महिला जब अपने घर पहुंची, तो उसकी खुशी देखकर घर वाले हैरान रह गये। उसने अपने घर वालों को बताया, ''मैं भगवान की तलाश में घर से निकली थी। भगवान की प्रतीक्षा में मैं 2 दिन तक तालाब के किनारे अकेली भूखी बैठी रही। मुझे विश्वास था कि भगवान आएंगे और मुझे अपने हाथों से खाना खिलाएंगे। आज सचमुच भगवान ने मुझे दर्शन दिये और अपने हाथों से रोटी खिलाई। इस तरह मेरी साध पूरी हो गयी और मैं वापस अपने घर लौट आई।''
दोस्तों, यहां पर यह Motivational Story in Hindi खत्म हुई। पर अभी रूकें! इस कहानी के बारे में गहराई से सोचें। आपने ध्यान दिया होगा कि उस बच्चे और बुजुर्ग महिला दोनों को ईश्वर की तलाश थी। ईश्वर कहीं नहीं था, उनके दिलों में था, इसीलिए उन्होंने उसका रूप उस व्यक्ति में खोज लिया, जो स्वयं ईश्वर की तलाश में निकला था।
कहने का आशय यह है कि जब हम किसी चीज को शिद्दत से चाहते हैं, उसे पाने के लिए प्राण-पण से प्रयत्न करते हैं, तो मंजिल के रास्ते खुद-ब-खुद खुल जाते हैं और हमारा काम सफल हो जाता है। यही उन दोनों के साथ भी हुआ और यही आपके साथ भी होगा।
आप भी अपनी मंजिल को पा सकते हैं, अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं, पर शर्त यही है कि आपके भीतर भी उस बच्चे और उस महिला जैसा जुनून होना चाहिए। और अगर आपके भीतर वह जोश, वह जुनून है, तो फिर मंजिल तक पहुंचने से कोई आपको रोक नहीं सकता।
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बहुत ही भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंVery good creation
जवाब देंहटाएंVery good creation
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बहुत- बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंgood story
जवाब देंहटाएंnice
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