भारत पाकिस्तान के बंटवारे की अनाेखी कहानी।
क्या आप जानते हैं कि भारतवर्ष का बंटवारा उस आदमी ने कर डाला, जिसने पहले कभी हिंदुस्तान देखा तक नहीं था। इसका नतीजा यह निकला कि एक घर के कुछ कमरे एक देश में और दूसरे अन्य देश में चले गये। और सबसे बड़ी बात यह कि भारत के साढ़े चार लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का बंटवारा सिर्फ 5 सप्ताह में निपटा दिया गया। पढिए पूरा लेख:
भारत के बंटवारे की अनोखी दास्तान
दोस्तों, हम जानते हैं कि हिंदुस्तान को आज़ाद हुए आज 69 वर्ष हो रहे हैं। लेकिन इस आज़ादी में जो सबसे ज्यादा बात खटकती है, वो यह है कि इसी दिन देश का बंटवारा भी हुआ। आज़ादी, जिसके लिये लाखों लोगों ने बलिदान दिया, जब वो मिली भी, तो दो टुकड़ों में, एक भारत और एक पाकिस्तान के नाम से। दोस्तों, भारतवर्ष तो उसी दिन खत्म हो गया, रह गयी सिर्फ एक तारीख, जो हमारे भीतर गहरी टीस छोड़ गयी।
हम जानते हैं कि पाकिस्तान में स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को और भारत में 15 अगस्त को मनाया जाता है। इसीलिये लोग यही समझते हैं कि पहले भारतवर्ष का बंटवारा हुआ, फिर दोनों देश आजाद हुए, जबकि सही मायने 1947 में सब कुछ इसके विपरीत हुआ था था। पहले भारत और पाकिस्तान आज़ाद हुए, उसके दो दिन बाद भारत का बंटवारा हुआ। यही नहीं, जिस आदमी ने भारत के दो टुकड़े किये, उसने पहले कभी हिंदुस्तान को देखा तक नहीं था। वो आदमी पहली बार भारत 8 जुलाई 1947 को आया था।
किसने किया भारतवर्ष का बंटवारा?
Cyril John Radcliffe |
पांच सप्ताह में साढ़े चार लाख वर्ग किलोमीटर का बंटवारा:
रेडक्लिफ को करीब 8.8 करोड़ लोगों के लगभग साढ़े चार लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का न्यायोचित ढंग से बंटवारा करना था। हर राज्य के आयोग में दो कांग्रेस और दो मुस्लिम लीग के प्रतिनिधि भी थे, हालांकि अंतिम निर्णय रेडक्लिफ को ही करना था।
[post_ads]
इस विषय में सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि सर सिरिल जॉन रेडक्लिफ को हिन्दुस्तान के भूगोल की जानकारी बहुत कम थी। वे तो पहले कभी हिन्दुस्तान भी नहीं आये थे। 8 जुलाई 1947 को हिंदुस्तान पहुंचने के बाद उन्हें बताया गया कि उन्हें क्या करना है। यही नहीं, ब्रिटिश सरकार ने महत्वपूर्ण काम के लिए रेडक्लिफ को मात्र 5 सप्ताह ही दिये। यही नहीं, ब्रिटिश सरकार ने उन्हें क्षेत्रीय जानकारी एकत्रित करने का समय भी नहीं दिया था।
रेडक्लिफ ने सिर्फ कुछ पुराने नक्शों और तमाम समुदायों की जनसंख्या के निष्कर्षों को आधार बनाया और महज कुछ नक्शों, जाति और धर्म के आधार पर ही देश को बांट दिया। अपनी समय सीमा को ध्यान में रखते हुए रेडक्लिफ ने गांवों की सीमाओं के मामले में सावधानी बरतने को नजरअंदाज किया। इसका नतीजा यह हुआ कि गांव का कुछ भाग भारत में और कुछ भाग पाकिस्तान में रह गया। उनकी सीमा रेखा घनी आबादी वाले प्रदेशों के बीच से जाने के बजाये ठीक उनके बीचों-बीच से होकर गुजरी।
ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ विभाजन रेखा एक घर के बीच से गुजरी जिसके कुछ कमरे एक देश में और दूसरे अन्य देश में रह गये। अगर सावधानी से साथ विभाजन किया जाता, तो इनमें भारी भूलों से बचा जा सकता था।
रेडक्लिफ ने पाकिस्तान और भारत के नक्शों को 9 और 12 अगस्त तक पूरा कर लिया था। लेकिन विभाजित क्षेत्रों के सीमा विवाद के कारण देरी हुयी। विवाद की वजह से ही रेडक्लिफ रेखा_Radcliffe Line का प्रकाशन विभाजन के दो दिन बाद 17 अगस्त 1947 को किया गया। और 17 अगस्त 1947 को विभाजन के बाद ‘रेडक्लिफ रेखा’ भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमा रेखा बन गयी। (साभार: सर्व सृजन)
keywords:
Partition of India and Pakistan in Hindi, partition of india and pakistan bloodshed in hindi, partition of india and pakistan reasons in hindi, partition of india and pakistan riots in hindi, partition of india and pakistan date in hindi, partition of india and pakistan in 1947 in hindi, how divide india and pakistan in hindi, radcliffe line in hindi, radcliffe line between in hindi, india pakistan division 1947 in hindi, india pakistan division history in hindi, india pakistan division date in hindi, india pakistan division line in hindi
जानकारी के लिए धन्यवाद। सच बात है अखंड भारत का तो शायद उसी दिन अंत हो गया।
जवाब देंहटाएंबहुत महत्त्वपूर्ण जानकारी दी है आपने। सम्भवतः ऐसा विभाजन न हुआ होता तो दोनों देशो की तस्वीर कुछ और होती
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंcan you publish the hidden and the secret documents put in HOUSE OF COMMONS,ENGLAND belonging to slave of india during british reign.
जवाब देंहटाएंThank you for this information(Ab)
जवाब देंहटाएं