नकारात्मकता (Negativity) को गुडबॉय करने के आसान उपाय।
जीवन में सुखी और सफल होने के लिए सकरात्मकता आवश्यक है। लेकिन जीवन में अक्सर ऐसी घटनाएं अथवा क्षण आ जाते हैं, जब न चाहते हुए भी मन में नकारात्मक विचार जन्म लेने लगते हैं। तब जीवन में गहन अंधकार सा छा जाता है और सब कुछ व्यर्थ लगने लगता है। ऐसे में अगर नकारत्मकता से तत्काल छुटकारा न पाया जाए, तो जीवन बेहद कष्टपूर्ण हो जाता है। जीवन में आने वाली इस इनचाही नकारात्मकता के बचने के लिए प्रस्तुत है यह महत्वपूर्ण आलेख:
नकारात्मक विचारों से उबरने के आसान उपाय
-सुशील कुमार शर्मा
नकारात्मक विचार हमारे मन के अंदर की ही भावनाएं हैं जो हमें एवं दूसरों को नुकसान पहुंचाती हैं। मस्तिष्क में भय मनुष्य को बहुत छोटा बना देता है, जिससे वह स्वयं को असुरक्षित महसूस करने लगता है। नकारात्मक विचार स्वयं को एवं दूसरों को नुकसान पहुंचाने की गतिविधियों से प्रारम्भ होते हैं। हमारे मष्तिष्क में विचार मुख्यतः तीन भागों से आते हैं।
1. अपने एवं दूसरों के कर्मों के विचार
2. स्वतः की इच्छा के विचार
3. स्वयं को असुरक्षित समझने के विचार।
नकारत्मक विचारों का मुख्य कारण हमारी मानसिक स्थिति होती है। हम अक्सर स्थितियों के प्रति धारणा बना कर अपने विचार उत्पन्न करते हैं ऐसे विचार हमेशा हमारे विरूद्ध जाते हैं। किसी एक घटना, व्यक्ति या स्थिति को आधार मानकर हम उसी आधार पर पूर्वाग्रह बना लेते हैं। ऐसे विचारों के साथ "हमेशा मेरे साथ ही क्यों होता है?", "मैं कभी सही काम नहीं करता", "मैं हमेशा अकेला रहूँगा" इस प्रकार के वाक्य जुड़े रहते हैं।
नकारात्मक विचार और भाव दिमाग को खास निर्णय लेने के लिए उकसाते हैं। ये विचार मन पर कब्जा करके दूसरे विचारों को आने से रोक देते हैं। हम केवल खुद को बचाने पर फोकस होकर फैसला लेने लगते हैं। नकरात्मक विचार के हावी होने के कारण हम संकट के समय जान नहीं पाते कि स्थितियां उतनी बुरी नहीं हैं, जितनी दिख रही हैं। संकट को पहचानने या उससे बचने के लिए नकारात्मक विचार जरूरी होते हैं, जो कि हमारे जैविक विकास क्रम का ही हिस्सा है।
चार बातें हमारे शरीर और हमारे जीवन में नकारात्मक विचार उत्पन्न करती हैं। ये भावनाएँ दूसरों पर दोषारोपण करने और अपने अनुभवों के लिए स्वयं को जिम्मेदार न ठहराने से आती है। यदि हम सभी अपने जीवन में हर बात के लिए जिम्मेदार हैं तो हम किसी पर दोषारोपण नहीं कर सकते। बाहर जो भी घट रहा है, वह केवल हमारे आंतरिक विचारों का एक आईना है। हमारे विश्वास ही लोगों को हमसे किसी प्रकार का व्यवहार करने के लिए आमंत्रित करते हैं।
यदि आप खुद को यह कहता पाएँ, ‘हर कोई मेरे साथ ऐसा करता है, मेरी आलोचना करता है, कभी मेरी मदद नहीं करता, मुझे पायदान की तरह इस्तेमाल करता है, मेरे साथ दुव्र्यवहार करता है,’ तो यह आपकी प्रवृत्ति है। आपके अन्दर ऐसे विचार हैं, जो ऐसा व्यवहार प्रर्दिशत करने के लिए लोगों को आर्किषत करते हैं।
नकारात्मक सोच के लक्षण:
नकारात्मक सोच स्पष्टतः व्यवहार में झलकती है। इसके कुछ व्यवहारिक एवं शारीरिक लक्षण निम्न हैं।
1. अपने एवं दूसरों कार्यों, व्यवहारों से हमेशा असंतुष्ट रहना तथा अपने कार्यों से लगाव न रहना।
2. हमेशा ग्लानि में रहना कि मैं कुछ नहीं कर सकता।
3. दूसरों से आदर की अपेक्षा रखना किन्तु दूसरों को आदर न देना।
4. छोटी-छोटी अपेक्षायें पूरी न होने पर स्वयं को अपमानित महसूस करना।
5. हर व्यक्ति एवं वस्तु का नकारात्मक पहलू देखना।
6. व्यक्ति एवं वस्तुओं की हमेशा बुराई करना।
7. हर किसी को प्रभावित करने की कोशिश करना।
8. अच्छे व्यक्ति या वस्तु की प्रशंसा से कतराना।
9. अपने से ज्यादा योग्य व्यक्ति को देख कर कतराना, उसकी बुराई करना एवं अपने आप को असुरक्षित महसूस करना।
10. अपने अभिमान को स्वाभिमान बता कर दम्भोक्ति का प्रदर्शन करना।
11. अपनी आलोचना सहन न कर पाना एवं सही आलोचना पर भी लोगों से झगड़ जाना।
12. विश्व की हर वस्तु में गलती निकालना।
13. अच्छे परिणामों के लिए खुद को श्रेय देना एवं गलत परिणामों के लिए ईश्वर या दूसरों को दोष देना।
कैसे पाएं नकारात्मक विचारों से छुटकारा?
अपनी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए हमें सकारात्मक विचार कम्पनों को अपने अंदर समाहित कर उन्हें आचरण में उतारना होगा। इस व्यवहार को आचरण में लाने के तीन स्तर हैं।
2. नकारत्मक विचारों को अस्वीकृत करना होगा- इसके लिए बहुत अभ्यास की आवश्यकता है। इसके लिए समर्पण,सही निर्णय एवं वस्तुओं को सही दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है। हमेशा अपने नकारत्मक व्यवहार एवं सोच पर नजर रखनी होगी और जब भी यह नकारात्मकता हमारे व्यवहार में झलके हमें इसे तुरंत बदलना होगा।
3. सकारात्मक संवेदनाओं को महसूस करिये- नकारात्मक ऊर्जा से निजात पाने के लिए हमें अपने अंदर सकारात्मक संवेदनाओं को जगह देनी पड़ेगी। पुरानी परस्थितियों के बारे में सोचना छोड़ना होगा एवं नए विचारों को परख कर अपने व्यवहार में लाना होगा।
कोई भी अपने अंदर नकारात्मक विचारों को नहीं पनपने देना चाहता है किन्तु हमारी पूर्व परस्थितियां एवं अनुभव इसे हमारे अंदर खींच लाते हैं। अगर हम इन परिस्थितियों एवं बुरे अनुभवों को अपने अंदर से निकल कर अपनी जीवन की घटनाओं पर नियंत्रण करना सीख लें तो सकारात्मक ऊर्जा का झरना हमारे अंदर स्रावित होने लगेगा एवं सारी नकारत्मक ऊर्जा को बहा कर बाहर कर देगा।
नकारात्मक विचारों से छुटकारा पाने के प्रभावशाली तरीके निम्न हैं:
1. वस्तुओं के प्रति कृतज्ञ बनना सीखिये।
2. स्वयं पर हँसना सीखिये।
3. दूसरों की सहायता बिना अपेक्षा के करना सीखिये।
4. सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों को दोस्त बनायें।
5. समाज उपयोगी कार्यों को करने की कोशिश करें।
6. अच्छे एवं बुरे दोनों परिणामों की जिम्मेवारी लेना सीखें।
नकारात्मक भावों से रहित मन की स्थिति ही निर्वाण या मोक्ष की और ले जाती है। अंत का अर्थ चेतना का अंत नहीं वरन नकारात्मक भावों का अंत होता है। वस्तुतः हमारा शत्रु हमारे अंदर है सभी नकारात्मक व्यवहार जैसे क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, आसक्ति, लगाव, तृष्णा आदि नकारात्मक भाव मन को अशांत करते हैं। कोई भी बाहरी शत्रु कितना भी ताकतवर क्यों न हो यदि हमारा मन शांत है तो वह हमारा नुकसान नहीं कर सकता है। और मन तभी शांत होता है जब हमारे भीतर सकरारात्मक विचारों का समन्वय हो।
किसी दार्शनिक ने कहा है कि- "अपने विचारों का परिक्षण करों क्योंकि वो शब्द बनते हैं, अपने शब्दों का परिक्षण करो क्योंकि वो आपके कर्म बनने वाले हैं, अपने कर्मो का परिक्षण करो क्योंकि वो आपकी आदत बनते हैं, अपनी आदतों का परिक्षण करो क्योंकि वो आपका चरित्र बनते हैं एवं अपने चरित्र का परिक्षण करो क्योंकि उससे आपके भाग्य का निर्माण होता है।"
1. अपने एवं दूसरों के कर्मों के विचार
2. स्वतः की इच्छा के विचार
3. स्वयं को असुरक्षित समझने के विचार।
नकारत्मक विचारों का मुख्य कारण हमारी मानसिक स्थिति होती है। हम अक्सर स्थितियों के प्रति धारणा बना कर अपने विचार उत्पन्न करते हैं ऐसे विचार हमेशा हमारे विरूद्ध जाते हैं। किसी एक घटना, व्यक्ति या स्थिति को आधार मानकर हम उसी आधार पर पूर्वाग्रह बना लेते हैं। ऐसे विचारों के साथ "हमेशा मेरे साथ ही क्यों होता है?", "मैं कभी सही काम नहीं करता", "मैं हमेशा अकेला रहूँगा" इस प्रकार के वाक्य जुड़े रहते हैं।
नकारात्मक विचार और भाव दिमाग को खास निर्णय लेने के लिए उकसाते हैं। ये विचार मन पर कब्जा करके दूसरे विचारों को आने से रोक देते हैं। हम केवल खुद को बचाने पर फोकस होकर फैसला लेने लगते हैं। नकरात्मक विचार के हावी होने के कारण हम संकट के समय जान नहीं पाते कि स्थितियां उतनी बुरी नहीं हैं, जितनी दिख रही हैं। संकट को पहचानने या उससे बचने के लिए नकारात्मक विचार जरूरी होते हैं, जो कि हमारे जैविक विकास क्रम का ही हिस्सा है।
चार बातें हमारे शरीर और हमारे जीवन में नकारात्मक विचार उत्पन्न करती हैं। ये भावनाएँ दूसरों पर दोषारोपण करने और अपने अनुभवों के लिए स्वयं को जिम्मेदार न ठहराने से आती है। यदि हम सभी अपने जीवन में हर बात के लिए जिम्मेदार हैं तो हम किसी पर दोषारोपण नहीं कर सकते। बाहर जो भी घट रहा है, वह केवल हमारे आंतरिक विचारों का एक आईना है। हमारे विश्वास ही लोगों को हमसे किसी प्रकार का व्यवहार करने के लिए आमंत्रित करते हैं।
यदि आप खुद को यह कहता पाएँ, ‘हर कोई मेरे साथ ऐसा करता है, मेरी आलोचना करता है, कभी मेरी मदद नहीं करता, मुझे पायदान की तरह इस्तेमाल करता है, मेरे साथ दुव्र्यवहार करता है,’ तो यह आपकी प्रवृत्ति है। आपके अन्दर ऐसे विचार हैं, जो ऐसा व्यवहार प्रर्दिशत करने के लिए लोगों को आर्किषत करते हैं।
नकारात्मक सोच के लक्षण:
नकारात्मक सोच स्पष्टतः व्यवहार में झलकती है। इसके कुछ व्यवहारिक एवं शारीरिक लक्षण निम्न हैं।
1. अपने एवं दूसरों कार्यों, व्यवहारों से हमेशा असंतुष्ट रहना तथा अपने कार्यों से लगाव न रहना।
2. हमेशा ग्लानि में रहना कि मैं कुछ नहीं कर सकता।
3. दूसरों से आदर की अपेक्षा रखना किन्तु दूसरों को आदर न देना।
4. छोटी-छोटी अपेक्षायें पूरी न होने पर स्वयं को अपमानित महसूस करना।
5. हर व्यक्ति एवं वस्तु का नकारात्मक पहलू देखना।
6. व्यक्ति एवं वस्तुओं की हमेशा बुराई करना।
7. हर किसी को प्रभावित करने की कोशिश करना।
8. अच्छे व्यक्ति या वस्तु की प्रशंसा से कतराना।
9. अपने से ज्यादा योग्य व्यक्ति को देख कर कतराना, उसकी बुराई करना एवं अपने आप को असुरक्षित महसूस करना।
10. अपने अभिमान को स्वाभिमान बता कर दम्भोक्ति का प्रदर्शन करना।
11. अपनी आलोचना सहन न कर पाना एवं सही आलोचना पर भी लोगों से झगड़ जाना।
12. विश्व की हर वस्तु में गलती निकालना।
13. अच्छे परिणामों के लिए खुद को श्रेय देना एवं गलत परिणामों के लिए ईश्वर या दूसरों को दोष देना।
कैसे पाएं नकारात्मक विचारों से छुटकारा?
अपनी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए हमें सकारात्मक विचार कम्पनों को अपने अंदर समाहित कर उन्हें आचरण में उतारना होगा। इस व्यवहार को आचरण में लाने के तीन स्तर हैं।
1. जिम्मेदारी लेनी होगी- जब हम सोचतें हैं कि हर विरूद्ध परिणाम किसी दूसरे की गलती है तो हम नकारात्मक होते हैं। जब हम यह स्वीकार कर लेंगे कि हर चीज हमारे अंदर से ही उत्पन्न होती है एवं सभी अच्छे बुरे परिणामों का जन्म हमारे ही कर्मों से हुआ है तब हमारे अंदर जिम्मेदारी का अहसास जागेगा जो की एक सकारात्मक विचार है।
2. नकारत्मक विचारों को अस्वीकृत करना होगा- इसके लिए बहुत अभ्यास की आवश्यकता है। इसके लिए समर्पण,सही निर्णय एवं वस्तुओं को सही दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है। हमेशा अपने नकारत्मक व्यवहार एवं सोच पर नजर रखनी होगी और जब भी यह नकारात्मकता हमारे व्यवहार में झलके हमें इसे तुरंत बदलना होगा।
3. सकारात्मक संवेदनाओं को महसूस करिये- नकारात्मक ऊर्जा से निजात पाने के लिए हमें अपने अंदर सकारात्मक संवेदनाओं को जगह देनी पड़ेगी। पुरानी परस्थितियों के बारे में सोचना छोड़ना होगा एवं नए विचारों को परख कर अपने व्यवहार में लाना होगा।
कोई भी अपने अंदर नकारात्मक विचारों को नहीं पनपने देना चाहता है किन्तु हमारी पूर्व परस्थितियां एवं अनुभव इसे हमारे अंदर खींच लाते हैं। अगर हम इन परिस्थितियों एवं बुरे अनुभवों को अपने अंदर से निकल कर अपनी जीवन की घटनाओं पर नियंत्रण करना सीख लें तो सकारात्मक ऊर्जा का झरना हमारे अंदर स्रावित होने लगेगा एवं सारी नकारत्मक ऊर्जा को बहा कर बाहर कर देगा।
नकारात्मक विचारों से छुटकारा पाने के प्रभावशाली तरीके निम्न हैं:
1. वस्तुओं के प्रति कृतज्ञ बनना सीखिये।
2. स्वयं पर हँसना सीखिये।
3. दूसरों की सहायता बिना अपेक्षा के करना सीखिये।
4. सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों को दोस्त बनायें।
5. समाज उपयोगी कार्यों को करने की कोशिश करें।
6. अच्छे एवं बुरे दोनों परिणामों की जिम्मेवारी लेना सीखें।
नकारात्मक भावों से रहित मन की स्थिति ही निर्वाण या मोक्ष की और ले जाती है। अंत का अर्थ चेतना का अंत नहीं वरन नकारात्मक भावों का अंत होता है। वस्तुतः हमारा शत्रु हमारे अंदर है सभी नकारात्मक व्यवहार जैसे क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, आसक्ति, लगाव, तृष्णा आदि नकारात्मक भाव मन को अशांत करते हैं। कोई भी बाहरी शत्रु कितना भी ताकतवर क्यों न हो यदि हमारा मन शांत है तो वह हमारा नुकसान नहीं कर सकता है। और मन तभी शांत होता है जब हमारे भीतर सकरारात्मक विचारों का समन्वय हो।
किसी दार्शनिक ने कहा है कि- "अपने विचारों का परिक्षण करों क्योंकि वो शब्द बनते हैं, अपने शब्दों का परिक्षण करो क्योंकि वो आपके कर्म बनने वाले हैं, अपने कर्मो का परिक्षण करो क्योंकि वो आपकी आदत बनते हैं, अपनी आदतों का परिक्षण करो क्योंकि वो आपका चरित्र बनते हैं एवं अपने चरित्र का परिक्षण करो क्योंकि उससे आपके भाग्य का निर्माण होता है।"
-X-X-X-X-X-
लेखक परिचय:
सुशील कुमार शर्मा व्यवहारिक भूगर्भ शास्त्र और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक हैं। इसके साथ ही आपने बी.एड. की उपाधि भी प्राप्त की है। आप वर्तमान में शासकीय आदर्श उच्च माध्य विद्यालय, गाडरवारा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत हैं। आप सामाजिक एवं वैज्ञानिक मुद्दों पर चिंतन करने वाले लेखक के रूप में भी जाने जाते हैं। अापकी रचनाएं समय-समय पर 'साइंटिफिक वर्ल्ड' सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। आपसे सम्पर्क करने का पता है- सुशील कुमार शर्मा (वरिष्ठ अध्यापक), कोचर कॉलोनी, तपोवन स्कूल के पास, गाडरवारा, जिला-नरसिंहपुर, पिन-487551 (MP)
keywords: Say Goodbye to Negativity in Hindi, how to remove negativity from body in hindi, how to remove negativity from mind in hindi, how to remove negativity from a person in hindi, how to remove negativity in hindi, how to remove negativity from your spirit in hindi, how to remove negativity from office in hindi, how to remove negativity from your workplace, how to remove negativity from your house, how to improve positive attitude in hindi, how to improve positive attitude towards life in hindi, how to improve positive attitude in workplace, how to improve positive thinking in hindi, how to improve positive thoughts in hindi, how to improve personality in hindi, how to develop positive attitude towards life in hindi, goodbye negativity quotes in hindi, negativity quotes and sayings in hindi, negativity quotes for negative people in hindi, quotes about negativity in hindi, negative quotes on attitude in hindi, quotes about negative thoughts in hindi,
बहुत ही प्रेणना दायी आलेख..सादर चरण स्पर्श
हटाएंनकारात्मकता पर सकारात्मक आलेख
हटाएंबहुत खूब बहुत खूब।।