The Secret of Happiness Hindi Article.
प्रसन्नता एक सर्वव्यापी भावना है जिसे हम सभी महसूस करना चाहते हैं। यद्द्यपि हम सभी क्रोध, अवसाद, असफलता, धोखा, निराशा आदि भावनाओं से घिरे हैं। प्रसन्नता एक चुनाव है जिसे हमें हर हाल में चुनना चाहिए। खुद को प्रसन्न रखने के कुछ कारण हैं जो हमें इस भावना को महसूस करने के लिए प्रेरित करते हैं।
प्रसन्नता आपका आत्मिक अधिकार है
-सुशील कुमार शर्मा
1. आध्यात्मिक 2. मनोवैज्ञानिक 3. वैज्ञानिक
आध्यात्मिक विश्लेषण:
1. आध्यात्मिक रूप से अगर हम इसकी समीक्षा करें तो वेदांत के अनुसार हमारी आत्मा का स्वभाव एवं स्वरुप ही सत चित आनंद है। चूँकि हम उस आत्मा को धारण किये हुए हैं अतः जो उस चेतन का प्रमुख गुण है उसे ही स्वभावतः हम महसूस करना चाहते हैं। स्व या आत्मा को निम्न पांच स्थितियों की आवश्यकता होती है-
1. भौतिक: भोजन एवं पानी आदि।
2. ऊर्जा: वायु एवं चेतन।
3. मन: मस्तिष्क एवं भावनायें
4. बुद्धि: विचार।
5. परम आनंद: आत्मा का स्वभाव।
प्रसन्नता स्व या आत्मा का स्वभावगत गुण है अतः यह हमारी चेतना एवं ऊर्जा को बढ़ाता है। इससे आशावादी या धनत्मक ऊर्जा पैदा होती है जो हमारी जीवन शक्ति में वृद्धि करती है।
मनोवैज्ञानिक विश्लेषण:
मार्टिन सेलिगमेन ने प्रसन्नता का विश्लेषण करते हुए कहा है कि प्रसन्नता सिर्फ बाहरी एवं क्षणिक नहीं है। इसके लिए निम्न मनोवैज्ञानिक स्थितियां जिम्मेदार होती हैं-
A. आनंद:- भोजन एवं शरीर के भौतिक तत्वों से संबंधित प्रक्रियाएँ।
B. सम्बद्धता:- इसमें आपके क्रियाकलापों का निगमन एवं प्रसन्नता प्रदान करने वाले कार्यों का संपादन निहित होता है।
C. सामाजिक व्यवहारिकता एवं रिश्ते:- सामाजिक क्रियाकलापों एवं व्यवहारों का निष्पादन एवं रिश्तों का निर्वहन।
D. जीवन की सार्थकता का अहसास।
E. लक्ष्यों की प्राप्ति।
सोनजा लुएवोमास्की (Sonja Lyubomirsky) ने अपनी किताब 'द हाउ ऑफ हेपीनेश' (The How of Happiness) में लिखा है कि हमारी 50 प्रतिशत प्रसन्नता का निर्धारण अनुवांशिक होता है बाकी 10 प्रतिशत का निर्धारण परिस्थितियों के अनुसार एवं 40 प्रतिशत का निर्धारण स्वनियंत्रण से होता है।
उपर्युक्त सभी स्थिति आपकी प्रसन्ता का निर्धारण करती है। शरीर की पूरी यांत्रकी में प्रसन्नता धनात्मक ऊर्जा का संचार करती है अतः इस अनुभव को हमारा मस्तिष्क बार-बार महसूस करना चाहता है।
सभी को यह विश्वास है कि प्रसन्नता बहुत कठिनता से प्राप्त होती है और हम सभी उन चीजों के पीछे भागते है जो कठिनता से प्राप्त होती हैं। अतः हम हमेशा प्रसन्नता की खोज में लगे रहते हैं। हम सभी अपने व्यक्तिगत जीवन में कुछ लक्ष्य निर्धारित करतें हैं और मन में यह विश्वास कर लेते हैं कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करके हम प्रसन्नता का या आनंद का अनुभव करेंगें।
वैज्ञानिक विश्लेषण:
हमारे मस्तिष्क में डोपामाइन नामक एक रसायन होता है जिसका मुख्य कार्य मस्तिष्क के न्यूरॉन्स के मध्य संकेतों का सम्प्रेषण करना होता है। हमारे मस्तिष्क में सुख के केंद्र (Pleasure Center) होते हैं। यह डोपामाइन (Dopamine) रसायन उन सुख के केन्द्रों को उत्तेजित करता है जिस से वह उत्तेजना न्यूरॉन्स (Neurons) के माध्यम से सारे मस्तिष्क में फैल जाती हैं एवं हमें प्रसन्नता का अनुभव होने लगता है।
मस्तिष्क में न्यूरॉन्स के मध्य संकेतों के सम्प्रेषण से एंडोमार्फिन (Endomorphin) नमक हार्मोन उत्सर्जित होता है इस हार्मोन के कारन हमारा शरीर अपने आप को ऊर्जावान एवं प्रसन्नचित्त महसूस करता है। अतः प्रसन्न रहने की भावना शरीर में उत्सर्जित हार्मोन पर निर्भर करती है।
हमें प्रसन्न क्यों रहना चाहिए?
प्रसन्नता एक सर्वव्यापी भावना है जिसे हम सभी महसूस करना चाहते हैं। यद्द्यपि हम सभी क्रोध, अवसाद, असफलता, धोखा, निराशा आदि भावनाओं से घिरे हैं। प्रसन्नता एक चुनाव है जिसे हमें हर हाल में चुनना चाहिए। खुद को प्रसन्न रखने के कुछ कारण हैं जो हमें इस भावना को महसूस करने के लिए प्रेरित करते हैं।
➧ प्रसन्न लोग स्वस्थ होते हैं। हमारा मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य हमारी प्रसन्नता पर निर्भर करता है।
➧ हमारे जीवन में कुछ लोग हैं जो हमें बिना किसी शर्त के स्नेह करते हैं। ये सभी लोग हमारी प्रसन्नता पर निर्भर होते हैं। कितनी कठिन परिस्थितियां क्यों न हों हमें उनकी खातिर प्रसन्न रहना चाहिए।
➧ जिंदगी किसी भी क्षण बदल सकती है। हमारे साथ भविष्य में क्या होने वाला है कोई नहीं जनता है अतः हर पल हमें प्रसन्नता का चुनाव करना चाहिए।
➧ हमारे चारों और निराशा, घृणा, गरीबी, धोखा, भुखमरी मौतें फैली हुईं हैं एक प्रसन्न व्यक्ति कई जीवनों को रौशनी दे सकता है आपकी प्रसन्नता से कई लोग अपनी जिंदगी को रोशन कर सकते हैं।
➧ अगर आप को पता चल जाये की आप की जिंदगी का आज आखिरी दिन है और आपको पूरी जिंदगी इसी दिन में गुजार देनी है तो क्या आप उदास रहना चाहेंगे? आप उस एक दिन को भरपूर जीना चाहेंगे। अतः हर दिन आप महसूस करें की आज ये आपकी जिंदगी का आखरी दिन है इस भावना से आप उस दिन भरपूर प्रसन्नता से जीने की कोशिश करिये।
➧प्रसन्नता हरेक दिन को सर्वोत्तम में बदल देती है।
➧ प्रसन्न व्यक्ति ज्यादा उत्पादक होते है। जो व्यक्ति प्रसन्न रहता है वह आशावादी होता है एवं अपने लक्ष्य शीघ्रता से प्राप्त कर लेता है।
➧ प्रसन्न व्यक्ति ज्यादा उत्पादक होते है। जो व्यक्ति प्रसन्न रहता है वह आशावादी होता है एवं अपने लक्ष्य शीघ्रता से प्राप्त कर लेता है।
➧ प्रसन्न व्यक्तियों के सम्बन्ध सबसे सौहाद्र पूर्ण होते हैं क्योंकि हर कोई प्रसन्न व्यक्ति का साथ चाहता है, दुखी लोगों से लोग दूर भागते हैं।
प्रसन्नता के लिए कोई कारण नहीं होता है कारणों पर आधारित प्रसन्नता अस्थायी होती है। आपके अलावा आपकी खुशियों का नियंत्रण किसी के पास नहीं है। सृष्टि का मूलतत्व प्रसन्नता है जो सारे ब्रह्माण्ड में समाहित है। अरस्तु के अनुसार 'मानव अस्तित्व का एक मात्र लक्ष्य प्रसन्नता है।'
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लेखक परिचय:
सुशील कुमार शर्मा व्यवहारिक भूगर्भ शास्त्र और अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक हैं। इसके साथ ही आपने बी.एड. की उपाधि भी प्राप्त की है। आप वर्तमान में शासकीय आदर्श उच्च माध्य विद्यालय, गाडरवारा, मध्य प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत हैं। आप सामाजिक एवं वैज्ञानिक मुद्दों पर चिंतन करने वाले लेखक के रूप में भी जाने जाते हैं। अापकी रचनाएं समय-समय पर 'साइंटिफिक वर्ल्ड' सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। आपसे सम्पर्क करने का पता है- सुशील कुमार शर्मा (वरिष्ठ अध्यापक), कोचर कॉलोनी, तपोवन स्कूल के पास, गाडरवारा, जिला-नरसिंहपुर, पिन -487551 (MP)
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हटाएं➧ सच कहा कि जिंदगी किसी भी क्षण बदल सकती है। हमारे साथ भविष्य में क्या होने वाला है कोई नहीं जनता है इसलिए हर क्षण,हर पल में खुशियां खोजी जाना चाहिए।
सार्थक एवं प्रेरणादायक लेख के लिए कोटिशः आभार व् बधाई !
--संतोष भावरकर नीर
हटाएं➧ सच कहा कि जिंदगी किसी भी क्षण बदल सकती है। हमारे साथ भविष्य में क्या होने वाला है कोई नहीं जनता है इसलिए हर क्षण,हर पल में खुशियां खोजी जाना चाहिए।
सार्थक एवं प्रेरणादायक लेख के लिए कोटिशः आभार व् बधाई !
--संतोष भावरकर नीर
nice article on happiness
हटाएंबहुत ही अच्छी तरह से लिखा है सर।
हटाएंबहुत ही अच्छे से आपने यह ज्ञान दिया है
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