True Inspirational Story in Hindi
दोस्तों, आज हम एक Motivational Story in Hindi लेकर आए हैं जिसका शीर्षक है, क्या आप बंदर हैं? ये कहानी एक मज़ेदार एक्सपेरिमेंट का हिस्सा है! ...और हां, अगर आपको ये Motivational Story पसंद आए, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करिएगा। ...तो आइए, सुनते हैं ये इंट्रेस्टिंग Motivational Story in Hindi ...क्या आप बंदर हैं?
Motivational Story in Hindi : ...क्या आप बंदर हैं?
एक बार यूरोप के कुछ वैज्ञानिकों ने बंदरों पर एक एक्सपेरिमेंट किया। उन्होंने कुछ बंदर लिये और उन्हें एक बड़े से पिंजरे में बंद कर दिया। पिंजरे के बीचो-बीच उन्होंने एक सीढ़ी लगा दी। सीढ़ी के उपरी हिस्से में उन्होंने कुछ केले बांध कर लटका दिये।
जैसी की उम्मीद थी, अचानक एक बन्दर की नज़र उन केलों पर पड़ी। केले देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और वह उनकी ओर दौड़ पड़ा।
पर जैसे ही बंदर कुछ सीढ़ियां चढ़ा, साइंटिस्ट ने उसपर ठण्डे पानी की एक तेज धार डाल दी। एक तो यूरोप की कंपकपाती ठंड और दूसरे ठंडे पानी की तेज़ धार। इससे वह बंदर घबरा गया और उसे सीढ़ी से उतर कर भागना पड़ा।
साइंटिस्ट ने इसके बाद बाकी के सभी बंदरों को भी ठन्डे पानी से भिगो दिया। यह देखकर सारे बंदर हक्के-बक्के रह गये और एक कोने में दुबक गए।
पर भला वे कब तक ऐसे बैठे रहते? कुछ समय के बाद एक दूसरे बन्दर का मन केले खाने के लिए मचलने लगा। इसलिए वह सीढ़ी की तरफ लपका और जल्दी—जल्दी उपर की ओर चढने लगा।
लेकिन अभी वह बंदर सीढ़ी के चार—पांच स्टेप ही चढ़ा था कि पानी की तेज धार ने उसका भी रास्ता रोक दिया। पानी से घबरा कर वह बंदर भी सीढ़ी से नीचे कूद पड़ा और एक कोने में जा दुबका।
पहले की तरह इस बार भी बन्दर की गुस्ताखी की सज़ा बाकी बंदरों को भी मिली। उन्हें एक बार फिर ठंडे पानी से नहला दिया गया। इससे सारे बंदर फिर से सहम गये और पिंजरे के कोनों में दुबक गये।
थोड़ी देर के बाद तीसरे बंदर को केले खाने की तलब लगी। वह उछलता कूदता हुआ सीढ़ी की ओर चल पड़ा। यह देखकर बाकी के सभी बंदरों को पानी की ठंडी फुहार याद आ गयी।
उन्होंने सोचा कि इस मूर्ख बंदर की वजह से अभी हम सब को फिर से ठंडे पानी से नहाना पड़ेगा। इसलिए बाकी के सारे बंदरों ने आगे बढकर उसका रास्ता रोक लिया और फिर मिलकर उसकी धुनाई कर दी।
अब तो यह सिलसिला ही बन गया। जैसे ही कोई बंदर केले खाने के लिए आगे बढ़ता, बाकी के सारे बंदर उसका रास्ता रोक लेते और मिलकर उसकी कुटाई कर देते।
वैज्ञानिकों के एक्सपेरिमेंट का एक स्टेप पूरा हो गया था। अब उन्होंने पिंजरे में बंद एक बंदर को बाहर निकाल दिया और उसकी जगह एक नये बन्दर को पिंजरे में डाल दिया।
नया बन्दर केले और ठंडे पानी के नियम को नहीं जानता था। केले देखते ही उसके मुंह में पानी भर आया और वह तुरंत केलों की तरफ दौड़ पड़ा।
बाकी बंदर इसके लिए पहले से तैयार थे। उन्होंने नये बंदर को सीढ़ी की तरफ बढता देखकर उसका रास्ता रोक लिया और फिर मिलकर उसकी कुटाई कर दी।
नये बंदर को यह बात समझ में नहीं आई कि आख़िर ये माज़रा क्या है? लेकिन इस घटना से एक बात उसे समझ में आ गयी कि सीढियों पर लटके हुए केले सिर्फ देखने के लिए हैं, खाने के लिए नहीं।
इसके बाद वैज्ञानिकों ने एक और पुराने बन्दर को पिंजरे से बाहर निकाला और उसकी जगह नये बंदर को पिंजरे में बंद कर दिया।
इस बार फिर वही हुआ। केले के इतिहास से अंजान नया बन्दर जैसे ही सीढ़ी की तरफ बढ़ा, बाकी के बंदरों ने उसकी भी धुनाई कर दी। और मज़ेदार बात ये कि पिछली बार आया हुआ नया बन्दर भी धुनाई करने वालों में शामिल था, जबकि उसके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था!
धीरे—धीरे करके पिंजरे के वे सभी बंदर बाहर हो गये, जिन्होंने पानी की ठंडी फुहार का सामना किया था। अब पिंजरे के अंदर बंद सभी बंदर नये थे और उनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था। पर आश्चर्यजनक रूप से उनका व्यवहार भी पुराने बंदरों की तरह ही हो गया था।
अब पिंजरे में बंद सारे बंदर यह मान चुके थे कि ये केले खाने के लिए नहीं हैं। इसलिए जैसे ही कोई बंदर भूख से वशीभूत होकर केलों की ओर कदम बढ़ाता था, वे मिल कर उसकी बैंड बजा देते थे।
जैसी की उम्मीद थी, अचानक एक बन्दर की नज़र उन केलों पर पड़ी। केले देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और वह उनकी ओर दौड़ पड़ा।
पर जैसे ही बंदर कुछ सीढ़ियां चढ़ा, साइंटिस्ट ने उसपर ठण्डे पानी की एक तेज धार डाल दी। एक तो यूरोप की कंपकपाती ठंड और दूसरे ठंडे पानी की तेज़ धार। इससे वह बंदर घबरा गया और उसे सीढ़ी से उतर कर भागना पड़ा।
साइंटिस्ट ने इसके बाद बाकी के सभी बंदरों को भी ठन्डे पानी से भिगो दिया। यह देखकर सारे बंदर हक्के-बक्के रह गये और एक कोने में दुबक गए।
पर भला वे कब तक ऐसे बैठे रहते? कुछ समय के बाद एक दूसरे बन्दर का मन केले खाने के लिए मचलने लगा। इसलिए वह सीढ़ी की तरफ लपका और जल्दी—जल्दी उपर की ओर चढने लगा।
लेकिन अभी वह बंदर सीढ़ी के चार—पांच स्टेप ही चढ़ा था कि पानी की तेज धार ने उसका भी रास्ता रोक दिया। पानी से घबरा कर वह बंदर भी सीढ़ी से नीचे कूद पड़ा और एक कोने में जा दुबका।
पहले की तरह इस बार भी बन्दर की गुस्ताखी की सज़ा बाकी बंदरों को भी मिली। उन्हें एक बार फिर ठंडे पानी से नहला दिया गया। इससे सारे बंदर फिर से सहम गये और पिंजरे के कोनों में दुबक गये।
थोड़ी देर के बाद तीसरे बंदर को केले खाने की तलब लगी। वह उछलता कूदता हुआ सीढ़ी की ओर चल पड़ा। यह देखकर बाकी के सभी बंदरों को पानी की ठंडी फुहार याद आ गयी।
उन्होंने सोचा कि इस मूर्ख बंदर की वजह से अभी हम सब को फिर से ठंडे पानी से नहाना पड़ेगा। इसलिए बाकी के सारे बंदरों ने आगे बढकर उसका रास्ता रोक लिया और फिर मिलकर उसकी धुनाई कर दी।
अब तो यह सिलसिला ही बन गया। जैसे ही कोई बंदर केले खाने के लिए आगे बढ़ता, बाकी के सारे बंदर उसका रास्ता रोक लेते और मिलकर उसकी कुटाई कर देते।
वैज्ञानिकों के एक्सपेरिमेंट का एक स्टेप पूरा हो गया था। अब उन्होंने पिंजरे में बंद एक बंदर को बाहर निकाल दिया और उसकी जगह एक नये बन्दर को पिंजरे में डाल दिया।
नया बन्दर केले और ठंडे पानी के नियम को नहीं जानता था। केले देखते ही उसके मुंह में पानी भर आया और वह तुरंत केलों की तरफ दौड़ पड़ा।
बाकी बंदर इसके लिए पहले से तैयार थे। उन्होंने नये बंदर को सीढ़ी की तरफ बढता देखकर उसका रास्ता रोक लिया और फिर मिलकर उसकी कुटाई कर दी।
नये बंदर को यह बात समझ में नहीं आई कि आख़िर ये माज़रा क्या है? लेकिन इस घटना से एक बात उसे समझ में आ गयी कि सीढियों पर लटके हुए केले सिर्फ देखने के लिए हैं, खाने के लिए नहीं।
इसके बाद वैज्ञानिकों ने एक और पुराने बन्दर को पिंजरे से बाहर निकाला और उसकी जगह नये बंदर को पिंजरे में बंद कर दिया।
इस बार फिर वही हुआ। केले के इतिहास से अंजान नया बन्दर जैसे ही सीढ़ी की तरफ बढ़ा, बाकी के बंदरों ने उसकी भी धुनाई कर दी। और मज़ेदार बात ये कि पिछली बार आया हुआ नया बन्दर भी धुनाई करने वालों में शामिल था, जबकि उसके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था!
धीरे—धीरे करके पिंजरे के वे सभी बंदर बाहर हो गये, जिन्होंने पानी की ठंडी फुहार का सामना किया था। अब पिंजरे के अंदर बंद सभी बंदर नये थे और उनके ऊपर एक बार भी ठंडा पानी नहीं डाला गया था। पर आश्चर्यजनक रूप से उनका व्यवहार भी पुराने बंदरों की तरह ही हो गया था।
अब पिंजरे में बंद सारे बंदर यह मान चुके थे कि ये केले खाने के लिए नहीं हैं। इसलिए जैसे ही कोई बंदर भूख से वशीभूत होकर केलों की ओर कदम बढ़ाता था, वे मिल कर उसकी बैंड बजा देते थे।
दोस्तों, यह एक्सपेरिमेंट आज भी चल रहा है। पर आज वे बंदर उस पिंजरे से निकल कर हमारे चारों ओर बिखर गये हैं। अगर आपने महसूस किया हो, तो आज हमारा समाज भी उन बंदरों की तरह व्यवहार करने लगा है।
जब भी कोई व्यक्ति नया काम शुरू करता है, तो उसके आसपास के लोग उस पिंजरे में कैद बंदरों की तरह ही व्यवहार करने लगते हैं। वे उस व्यक्ति को असफलता का डर दिखाते हैं। और मज़ेदार बात यह है कि उसे रोकने वाले लोग वे होते हैं जिन्हें उस फील्ड का कोई अनुभव भी नहीं होता है..
दोस्तों, यही वह वक्त होता है, जब उस व्यक्ति का भविष्य लिखा जा रहा होता है। इस वक्त यदि वह व्यक्ति समाज के उन बंदरों से डर कर अपने कदम पीछे लेता है, तो खुद भी बंदरों की उसी भीड़ में शामिल हो जाता है।
लेकिन जिस व्यक्ति के भीतर कुछ नया करने का जुनून होता है, जिसे अपनी लगन पर भरोसा होता है, वह ऐसे मौके पर उस बंदर रूपी भीड़ को चीर कर आगे बढ़ जाता है। और ऐसा ही व्यक्ति आगे चलकर इतिहास लिखता है।
जब भी कोई व्यक्ति नया काम शुरू करता है, तो उसके आसपास के लोग उस पिंजरे में कैद बंदरों की तरह ही व्यवहार करने लगते हैं। वे उस व्यक्ति को असफलता का डर दिखाते हैं। और मज़ेदार बात यह है कि उसे रोकने वाले लोग वे होते हैं जिन्हें उस फील्ड का कोई अनुभव भी नहीं होता है..
दोस्तों, यही वह वक्त होता है, जब उस व्यक्ति का भविष्य लिखा जा रहा होता है। इस वक्त यदि वह व्यक्ति समाज के उन बंदरों से डर कर अपने कदम पीछे लेता है, तो खुद भी बंदरों की उसी भीड़ में शामिल हो जाता है।
लेकिन जिस व्यक्ति के भीतर कुछ नया करने का जुनून होता है, जिसे अपनी लगन पर भरोसा होता है, वह ऐसे मौके पर उस बंदर रूपी भीड़ को चीर कर आगे बढ़ जाता है। और ऐसा ही व्यक्ति आगे चलकर इतिहास लिखता है।
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दोस्तो, अगर आपको ये Motivational Story in Hindi पसंद आए, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करिएगा। और हां, अगर आपके पास भी इस तरह की Motivational Story हों, तो आप हमें zakirlko AT gmail.com पर भेज सकते हैं। उन्हें आपके नाम और परिचय के साथ प्रकाशित करके हमें खुशी होगी।
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सत्य कथा !
हटाएंसबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग ?
nice story
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