‘ यश भारती ’ सम्मान की शुरूआत वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने की थी, जिसका मकसद था प्रदे...
‘यश भारती’ सम्मान की शुरूआत वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश के
तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने की थी, जिसका मकसद था प्रदेश से जुड़ी
विभिन्न क्षेत्र की ऐसी विभूतियों को सम्मानित करना, जिन्होंने देश और विदेश
में प्रदेश का नाम ऊँचा किया हो। इस कड़ी में आज से पूर्व तक हरिवंश राय बच्चन,
गोपाल दास नीरज, कैफ़ी आज़मी, सोम ठाकुर, उदय प्रताप सिंह, विवेकी राय योगेश
प्रवीन, कमलेश्वर जैसे कवि/साहित्यकार, अच्युतानंद मिश्र एवं कुलदीप नैयर जैसे
पत्रकार बिस्िमल्लाह खाँ, गिरिजा देवी, पं0 बिरजू महाराज एवं पं0 हरि प्रसाद
चौरसिया जैसी शास्त्रीय गीत/संगीत के फनकार, मुजफ्फर अली, अमिताभ बच्चन, जया बच्चन,
राज बब्बर, शबाना आज़मी, राजपाल यादव जैसी फिल्मी हस्तियां और जसपाल राणा, शकील
अहमद, मोहम्मद कैफ़ जैसे खिलाड़ी विभूषित हो चुके थे।
आज (23 मार्च 2013) लखनऊ के लोहिया पार्क में आयोजित सम्मान समारोह में
प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपने सांसद पिता मुलायम सिंह यादव के साथ जब इस कड़ी
में जब साहित्यकार मस्तराम कपूर, राजेन्द्र यादव, प्रो0 सत्यमित्र दुबे, डॉ0
रामकृष्ण राजपूत, डॉ0 सरिता शर्मा, प्रो0 वसीम बरेलवी, शास्त्रीय गायक पं0 छन्नू
लाल मिश्र, पार्श्व गायक अभिजीत भट्टाचार्य, जावेद अली रंगमंच के कलाकार आमिर
रज़ा हुसैन, खिलाड़ी सुरेश रैना, विवेक गुप्ता, पहलवान मेवालाल यादव, नरसिंह यादव
एवं अंशु तोमर को सम्मानित करते हुए 11 लाख रूपये की सम्मान राशि प्रदान की, तो
इस सम्मान को पाने वाली विभूतियों की संख्या 70 तक पहुंच गयी।
यश भारती से सम्मानित डॉ0 रामकृष्ण राजपूत |
तपती दोपहरी में खचाखच भरे विशाल पंडाल में जब इन विभूतियों को ये सम्मान
प्रदान किये गये, तो
दर्शकों के चेहरे की खुशी देखने लायक थी। इस विशाल हुजूम में जहां कुछ लोग
अपनी सरकार का एक साल पूरा होने से खुश नजर आ रहे थे, तो कुछ लोग अपने
परिवार/घनिष्ठों को सम्मानित होते देख कर प्रसन्न हो रहे थे। वहीं बहुत से लोग
ऐसे भी थे, जो सामने सम्मानित हो रहे चेहरों के बीच अपने झिलमिलाते हुए भविष्य
को देख कर गदगद हो रहे थे।
और हां, खुश तो मैं भी हूं। और मेरी इस खुशी का कारण है इसमें शामिल दो नाम, जिन्हें देखकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई, इनमें पहला नाम लेखक एवं पुरातत्ववेत्ता डॉ0 रामकृष्ण राजपूत का और दूसरा नाम है साहित्यकार मस्तराम कपूर का। डॉ0 राजपूत सहृदय, विनम्र व्यक्ति हैं और मुझे तब से अपना स्नेह प्रदान करते हैं, जब मैंने लेखन की शुरूआत की थी, उनमें बारे में विस्तार से चर्चा बाद में। अभी यहां पर मस्तराम जी के बारे में कुछ बातें।
मस्तराम कपूर जी के यूं चार उपन्यास (विपथगामी, रास्ता बंद काम चालू, नाक का डॉक्टर, एक सदी बांझ), तीन कहानी संग्रह (एक अदद औरत, ग्यारह पत्ते, ब्रीफकेस), दो नाटक (पत्नी ऑन ट्रायल एवं सां आदमी नहीं होता) सहित लगभग तीन दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, लेकिन मैं उनके बाल साहित्य के कारण उन्हें विशेष रूप से पसंद करता हूं।
यश भारती से सम्मानित श्री मस्तराम कपूर |
बाल साहित्य में मस्तराम कपूर की ख्याति प्रयोगवादी कहानीकार
के रूप में है। उन्होंने बाल कहानियों को यथार्थ से जोड़ा और बच्चों की समस्याओं को केन्द्र
में रखकर कहानियों का प्रणयन किया। इसके लिए उन्होंने अपने आस-पास के ही पात्रों
का चुनाव किया है और उन्हें बड़े सलीके से अपनी रचनाओं में ढ़ाल दिया है। कहीं-कहीं
उनका यह प्रयोग इतना सार्थक है कि पाठक चमत्कृत हुए बिना रह ही नहीं पाता है। ‘लिखत‘ उनकी एक ऐसी ही रचना है। आज के समय में भी जहां
कहानियों में स्त्री पात्र बिरले ही दिखई पड़ते हैं, वही ‘लिखत‘ में वे ऐसी लड़की का चित्रण करते हैं, जो अपने भाई से किसी मामले में कम नहीं है। वह पढ़ाई
में ठीक-ठाक है, तो शैतानियों में
भी अपने भाई से पीछे नहीं है। उसके भई के द्वारा उसे ‘पकौड़ी‘
कहकर
चिढ़ाना उसे बहुत बुरा लगता है। लेकिन वह ऐसी लड़की नहीं है, जो इसकी वजह से आंसू बहाए और मम्मी-पापा से षिकायत
करे। वह ईंट का जवाब पत्थर से देने में यकीन रखती है और अपनी इस चिढ़ की एक ऐसी काट
निकाल लेती है, जो पाठक को चमत्कृत
कर जाती है। यह एक विलक्षण कहानी है। बाल साहित्य में ऐसी कहानियां कम देखने को
मिलती हैं।
‘बाल कथा निधि' मस्तराम कपूर का प्रतिनिधि कहानी संग्रह है, जिसमें 50 कहानियां संग्रहीत
हैं। इसके अतिरिक्त निर्भयता का वरदान, दंड का पुरस्कार, सपेरे की लड़की, भूतनाथ, चोर की तलाश, बेजुबान साथी आदि उनके अन्य चर्चित बाल कथा संग्रह हैं। इनके अलावा उन्होंने बच्चों के लिए एकांकी/नाटक भी लिखें हैं जो 'बच्चों के एकांकी', 'बच्चों के नाटक' एवं 'पांच बाल एकांकी' नाम से प्रकाशित हैं।
श्री कपूर ने अपनी गम्भीर लेखनी के द्वारा बाल साहित्य को एक विशिष्ट पहचान दी है। उनके जैसे रचनाकार को यश भारती सम्मान मिलने से सचमुच सम्पूर्ण बाल साहित्य जगत स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहा है।
एक एक बात सही कही है आपने. हार्दिक शुभकामनायें शख्सियत होने की सजा भुगत रहे संजय दत्त :बस अब और नहीं . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
हटाएंसबको बधाइयाँ, हिन्दी सदा पल्लवित रहे।
हटाएंचलो अच्छा है कि लैपटाॅप से आगे भी निकली ये सरकार
हटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनायें!!!
हटाएं