मंचस्थ विद्वतजन - डॉ. सुधाकर अदीब, श्री उदय प्रताप सिंह, श्री अखिलेश यादव , डॉ. महीप सिंह, श्री गोविंद मिश्र इसमें कोई दोराय नहीं क...
इसमें कोई दोराय नहीं कि समाज बदल रहा है, जीवन शैली बदल रही है, लोगों की मान्यताएं बदल रही हैं। लेकिन दु:ख इस बात का है कि अक्सर यह बदलाव नकारात्मकता की ओर जाता हुआ प्रतीत होता है। ऐसे में समाज के सामने गम्भीर संकट उत्पकन्न हो रहे हैं। ये संकट समाजिक स्तर पर भी है और राजनैतिक स्तर पर भी। और कुछ हद तक यह संकट साहित्यकारों की दुनिया में भी देखा जा सकता है। लेकिन सुकून की बात यह है कि साहित्यकारों की दुनिया में यह प्रदूषण अभी 20 प्रतिशत से अधिक नहीं है।
सम्मानित साहित्यकार: श्री श्रीकृष्ण तिवारी, श्री केपी सक्सेना, डॉ. सरला शुक्ल, श्रीमती नासिरा शर्मा, श्रीमती मैत्रेयी पुष्पा, डॉ. कमल किशोर गोयनका |
भले ही कुछ लेखक ‘सीकरी’ के लिए लालायित रहते हों और ‘संतन को कहां सीकरी से काम’ की धारणा को धता बता रहे हों, पर बावजूद इसके अधिसंख्य लेखकों के लिए ईमानदार होना उनकी मजबूरी है। अक्सर लेखक इस ईमानदारी के लिए अपने आप से संघर्ष करता है। क्योंकि कई बार जो वह कहना चाहता है, वह स्वयं उसके लिए अप्रिय होता है और कई बार समाज के लिए। लेकिन इसके बावजूद लेखक यह रिस्क उठाता है। वह अपनी ईमानदारी से समझौता नहीं करता है।
इसकी एक वजह यह भी है कि जब तक लेखक ईमानदार नहीं होगा, तब तक न तो वह समाज में विश्वसनीयता हासिल कर पाएगा और न ही जुडाव।
लेकिन क्या लेखक के लिए सिर्फ ईमानदार होना ही उसकी एकमात्र कसौटी है? और क्या सिर्फ विश्वसनीय होकर ही कोई लेखक पाठकों की आंखों की तारा बन सकता है? शायद नहीं, समाज की समस्या ओं को जस का तस परोस देना ही पर्याप्ति नहीं है।
लखनऊ के गौरव श्री के पी सक्सेना को सम्मानित करते मुख्यमंत्री |
लेखक तब ही पाठकों की आंखों का तारा बनता है, जब वह खराब से भी खराब स्थितियों में भी उम्मीद का दिया जला देता है (लेखक के पास बेहतर समाज का स्वाप्न होना जरूरी है –कमल किशोर गोयनका), वह तब ही पाठकों के दिलों में उतर पाता है, जब जीवन के सौंदर्य को पाठकों को दिखाने में समर्थ हो पाता है (Beauty will save the World -Dostoevsky)।
उपरोक्त विचार उ.प्र. हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा दिनांक 22 मार्च 2013 को लखनऊ में आयोजित सम्मान समारोह में सम्मानित रचनाकारों ने व्यक्त किये। समारोह में वर्ष 2009 का भारत भारती सम्मान-डॉ. महीप सिंह, महात्मा गांधी सहित्यत सम्मान-डॉ. कमल किशोर गोयनका, हिन्दी गौरव सम्मान-डॉ. सरला शुक्ल, वर्ष 2010 के लिए भारत भारती सम्मान-डॉ. कैलाश वाजपेयी (अस्वस्थता के कारण अनुपस्थित), महात्मा गांधी सहित्य सम्मान-श्रीमती मैत्रेयी पुष्पा, हिन्दी गौरव सम्मान-श्री के.पी. सक्सेना, वर्ष 2011 के लिए भारत भारती सम्मामन-श्री गोविंद मिश्र, महात्मा गांधी सहित्य सम्मान-श्रीमती नासिरा शर्मा, हिन्दी गौरव सम्मान-श्रीकृष्ण तिवारी को प्रदान किये गये। यह सम्मान संस्थान के अध्यक्ष एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रदान किये।
लखनऊ की विद्वान डॉ. सरला शुक्ल को सम्मानित करते मुख्यमंत्री |
ज्ञातव्य है कि भारत भारती सम्मान के अन्तर्गत रू0 2.50 लाख तथा महात्मा गांधी साहित्य सम्मान एवं हिन्दी् गौरव सम्मान के अन्तर्गत 2.00 लाख रूपये प्रदान किये जाते हैं। ये सम्मा्न मायावती सरकार में रद्द कर दिये गये थे तथा अन्य सम्मान समाप्त कर दिये गये थे।
प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हिन्दी संस्थान के स्थापना दिवस समारोह में सभी सम्मानों को बहाल करने एवं उनकी राशि दोगुनी करने की घोषणा की थी। यह घोषणा अगले वित्तीय वर्ष से प्रदान किये जाने वाले सम्मानों पर लागू होगी।
इस अवसर पर 'समकालीन समाज और हिन्दी साहित्य का उत्तरदायित्व' विषयक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें सम्मानित रचनाकारों ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में स्वागत भाषण संस्थान के निदेशक डॉ0 सुधाकर अदीब द्वारा दिया गया, जबकि अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह ने की। कार्यक्रम का संचालन संस्थान की प्रकाशन अधिकारी डॉ0 अमिता दुबे ने किया।
इस अवसर पर 'समकालीन समाज और हिन्दी साहित्य का उत्तरदायित्व' विषयक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसमें सम्मानित रचनाकारों ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में स्वागत भाषण संस्थान के निदेशक डॉ0 सुधाकर अदीब द्वारा दिया गया, जबकि अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह ने की। कार्यक्रम का संचालन संस्थान की प्रकाशन अधिकारी डॉ0 अमिता दुबे ने किया।
लेखक तब ही पाठकों की आंखों का तारा बनता है, जब वह खराब से भी खराब स्थितियों में भी उम्मीद का दिया जला देता है (लेखक के पास बेहतर समाज का स्वाप्न होना जरूरी है –कमल किशोर गोयनका), वह तब ही पाठकों के दिलों में उतर पाता है, जब जीवन के सौंदर्य को पाठकों को दिखाने में समर्थ हो पाता ...
हटाएंबहुत सही बात कही है ...जीवन सच में तभी सुन्दर और शिष्ट बनता है .....पुरुस्कार शुरू होने की अच्छी खबर सुनाई आपने ..
Bahut sundar samachar diya aapne. hindi ke prachar prasar men badhawa milega isse.
हटाएंThanks for coverage!
हटाएंअच्छी कवरेज .
हटाएंबढ़िया रिपोर्ट ..... यह सम्मान पुरस्कार अनवरत चलते रहने चाहिए ।
हटाएंहिन्दी का सम्मान प्रसन्नता का विषय है..
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