विजेता होने का एहसास... अपनी कामयाबी पर किसे खुशी नहीं होती ? लेकिन उससे ज्यादा खुशी तब होती है जब आपके बच्चे कामयाबी की सीढि...
विजेता होने का एहसास... |
अपनी कामयाबी पर किसे खुशी नहीं होती? लेकिन उससे ज्यादा खुशी तब होती है जब आपके बच्चे कामयाबी की सीढि़यों पर चढ़ते हुए नज़र आते हैं। जी हाँ, गत वर्षों की भाँति सफलता के चक्र को बरकरार रखते हुए हमारे साहबजादे (सैयद अहल ज़ाकिर) इस साल भी अपने माँ-बाप की झोली में ढ़ेर सारी खुशियाँ डालने में सफल रहे हैं।
कामयाबी की मुस्कान.... |
लखनऊ पब्लिक स्कूल, वृन्दावन योजना, सेक्टर-2 के क्लास टू के स्टूडेन्ट अहल को फाइनल इक्ज़ाम में 97.7 प्रतिशत नम्बर हासिल हुए हैं। हालाँकि 0.01 प्रतिशत से पिछड़ जाने के कारण वह इस बार क्लास में तो सेकेण्ड पोजीशन (जिसका उनकी मम्मी को दु:ख है) पा सके हैं, पर इसके अलावा भी अनेक क्षेत्रों में अपना लोहा मनवाने में सफल रहे हैं।
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अहल ने इस साल नवयुग रेडिएन्स किड्स, लखनऊ द्वारा आयोजित प्राइमरी स्तर के बच्चों की अन्तर्विद्यालय भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इसके साथ ही साथ उसने स्कूल में आयोजित रेसिटेशन तथा स्टोरी टेलिंग कम्पटीशन में पहला स्थान एवं क्विज़ एवं फैन्सी ड्रेस कम्प्टीशन में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। हर माँ-बाप की तरह यह देखकर हमें भी बेहद खुशी होती है कि उनकी सार्टिफिकेट एवं मेडल की फाइल दिनों दिन मोटी होती जा रही है।
सैयद रामिश ज़ाकिर |
लेकिन इसके साथ एक डर भी हमें सताने लगा है। दरअसल हमारे छोटे साहबजादे (सैयद रामिश ज़ाकिर) का इसी साल नर्सरी में ऐडमिशन हुआ है। हालाँकि अपनी ऐडमिशन से पूर्व की तैयारी के आधार पर वे प्री-नर्सरी को फर्लांग कर इस मामले में अपने बड़े भाई से आगे निकल चुके हैं।
लेकिन ज़रूरी नहीं कि पढ़ाई-लिखाई तथा अन्य गतिविधियों के मामले में वे भी अपने बड़े भाई की तरह ही तेज़-तर्रार साबित हों। इसलिए उम्मीदों का पहाड़ कहीं उसके नाजुक कंधों को दबा न दे, कभी-कभी यह सोच कर डर लगने लगता है।
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अहल और रामिश को बधाई और ढ़ेरों शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंकृपया तुलना न करें, न ही विशेष अपेक्षा व्यक्त करें। स्वयंमेव प्राकृतिक विकास ही सुदृढ़ होता है।
होनहार बिरवान के होत चिकने पात --कहावत को चरितार्थ कर रहा है आपका बेटा .
जवाब देंहटाएंअहल सहित आप दोनों भी बधाई के पात्र हैं .
इस उपलब्धि से छोटे बेटे को भी प्रोत्साहन मिलेगा .
अहलजी को इस उपलब्धि के लिये ढेरों शुभकामनायें..
जवाब देंहटाएंबच्चे सफल और कामयाब होते हैं तो किस माता-पिता का सीना गर्व से नहीं फूलता। और गर्व होना भी चाहिये, खुशी होना लाजमी है कि हमारे बच्चे मेहनती हैं। लेकिन अब शिक्षा में पोजिशन आदि के बजाय ग्रेड सिस्टम लागू हो गया है, ये आपको और स्कूल वालों को भी मालूम ही होगा और ये भी जानते होंगे कि ग्रेड सिस्टम लागू करने के पीछे क्या कारण और उद्देश्य रहे होंगें। दूसरी बात कक्षा में 2nd पोजिशन पर लाना भी कोई कम उपलब्धी नहीं होती है, इसपर बच्चे का हौंसला बढाने के बजाय दुख जता कर बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर करना कहां तक उचित है।
जवाब देंहटाएंप्रणाम
आशीष और शुभकामनाएँ!!
जवाब देंहटाएंसाहिल भाई, यह पूरी पोस्ट ही उत्साह ही उमंग से भरी हुई है। पता नहीं आपको इसमें दु:ख कहां नजर आ गया?
जवाब देंहटाएंनिम्न पंक्तियां इसी पोस्ट की हैं, आदरणीय जाकिर जी
जवाब देंहटाएंहालाँकि 0.01 प्रतिशत से पिछड़ जाने के कारण वह इस बार क्लास में तो सेकेण्ड पोजीशन (जिसका उनकी मम्मी को दु:ख है) पा सके हैं,
प्रणाम स्वीकार करें
अहलजी को ढेरो शुभकामनाये!
जवाब देंहटाएंSohil ji, Lekin post papa ne likhi hai. :)
जवाब देंहटाएंएक हाथ की पंचों अंगुलियाँ एक सी नहीं होती ...
जवाब देंहटाएंअहल और रामिश को बहुत बधाई !
होनहार बिरवान के होत चिकने पात ....अहल और रामिश को बधाई और ढ़ेरों शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंदोनों बच्चों की उपलब्धियों के बारे में जानकर बहुत ही खुशी हुई .हमारी तरफ से भी बधाईयाँ और भविष्य के लिए शुभकामनाएँ और आशीर्वाद.
जवाब देंहटाएंआज के समय में जिस तरह की प्रतिस्पर्धा है उस में बच्चों की यह कामयाबी कबीले तारीफ़ है ..और इसमें बहुत हद तक श्रेय उनकी माँ को भी जाता है..इसलिए उन्हें भी खास बधाई.