Leader Qualities in Hindi.
राजनीति की माया किसे आकर्षित नहीं करती? चाहे समाज सेवक हों, चाहे अभिनेता, चाहे योगाचार्य हों और चाहे धार्मिक रहनुमा इसकी मृगमरीचिका हर किसी को भ्रमित कर सकती है। आखिर हो भी क्यों न, जिसे गलती से भी एक मौका मिल गया, उसका खुद का ही नहीं सात पुश्तों तक का जीवन धन्य हो गया।
जिस प्रकार छल और बल के बिना मोहब्बत और जंग के मैदान नहीं जीते जाते, उसी प्रकार ये दो गुण भी राजनीति की पहली सीढ़ी हैं। ये ऐसे गुण हैं, जिनकी महत्ता रामायण और महाभारत काल से ही प्रमाणित होती आई है। हमारे पौराणिक ग्रन्थ हमें बताते हैं कि जिस व्यक्ति में यह गूढ़ ज्ञान नहीं होता कि कब बल के द्वारा विरोधी की टाँगें तोड़नी हैं और कब छल द्वारा उसके पैर पकड़ने हैं, वह राजनीति में कदापि सफल नहीं हो सकता।
धन आज की राजनीति का तीसरा महत्वपूर्ण अंग है। धन के बल पर ही नेताओं के चमचे पलते हैं, धन के बल पर ही असलहेधारी साथ में चलते हैं और धन की धुन पर ही अक्सर वोटर भी नाचते हैं। यही नहीं यह धन कभी-कभी विरोधियों को अपने पाले में करने और कभी-कभी ठिकाने लगाने के काम में भी आता है। इसीलिए धन का राजनीति से बहुत गहरा नाता है। यही कारण है कि जो व्यक्ति एक बार इस इम्तहान में पास हो जाता है, उसके पास धन का अम्बार लग जाता है।
हालाँकि कबीरदास जी ‘माया महा ठगिनी हम जानी’ कह कर आम जन को सदियों पहले चेता गये हैं, लेकिन वे इसी बहाने इसे ठगों का सबसे प्रमुख अस्त्र भी बता गये हैं। सच को झूठ दिखाने की माया, अनहोनी हो होनी बनाने की माया और अप्रिय एवं दु:खद प्रसंगों के द्वारा स्वयं के लिए सुखकर स्थितियों को रच पाने की माया जिसके पास होती है, राजनीति की देवी उसी के पहलू में सोती है।
बेशर्मी आज की राजनीति का प्रमुख पर्याय है। अगर आप एक पल में किसी बात को कहकर, दाँव उल्टा पड़ता देखकर अगले ही पल उससे मुकरने की बेशर्मी नहीं कर सकते, तो राजनीति की ओर कतई कदम न रखें। यह एक ऐसा गुण है, जो राजनेताओं की कदम-कदम पर मदद करता है। इसी गुण के कारण ही नेता कभी धर्म, जाति और कभी-कभी लाशों पर भी राजनीति कर पाते हैं। अपनी इसी विलक्षणता के कारण वे कभी-कभी सरेआम कत्लेआम करवाते हैं और कभी लोगों को जिंदा जलवाने के बाद उसके प्रायश्चित स्वरूप उपवास पर बैठ जाते हैं। इसलिए राजनीति में सफल होने का यह भी एक अहम गुण माना जता है।
जो व्यक्ति भितरघात में जितना पारंगत होता है, वह तरक्की की उतनी ही सीढि़याँ चढ़ता जाता है। जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना, जिस घर में रहना, उसकी ही दीवारों को खोखला करना राजनीति का मूल मंत्र है, ताकि दूसरों को किनारे लगाया जा सके और अपने पंथ को निष्कंटक बनाया जा सके। कभी-कभी अपने इस गुण के कारण राजनेता पूरी की पूरी पार्टी, पूरा का पूरा समाज और यदा-कदा पूरा का पूरा देश ही खा जाते हैं।
मौका परस्ती राजनीति का अभिन्न अंग है। मौके के अनुसार रस्सी को साँप और लड्डू को बम कहना कुशल राजनीतिज्ञ की प्रमुख पहचान है। मौका पड़ने पर गधे को बाप बनाना और मौका पड़ने पर बाप को भी लात जमाना राजनीतिज्ञों की प्रमुख पहचान है। इसलिए हे मानवश्रेष्ठ, यदि आपमें यह गुण कूट-कूट कर विद्यमान हों, तभी आप राजनीति में जाएँ। अन्यथा आप अपना घर फूँक कर तमाशा देखते नजर आएँगे और मुफ्त में सात जनमों तक अपने औलादों की गालियाँ भी खाएँगे। (जनसंदेश टाइम्स में 1 फरवरी, 2012 को प्रकाशित हास्य व्यंग्य)
सत्य वचन ...यही तो है आज की राजनीति...
हटाएंओ सातो गुड़ तो नही है लेकिन मैं फिर भी इस राजनीति में जाऊंगा
हटाएंसामान्य भारतीय
विनोद यादव
हम्म सही..हर एक के बस की बात नहीं नेता बनना.
हटाएंशिखा जी अगर हम थान ले तो सच में हमारे बस की कुछ व् नही लकिन अगर हम ये थान ही ले की हमें राजनीती ही करनी है तो हमें कोई रोके ये किसी के बाप के बस की बात नही !!!
हटाएंगुस्ताखी के लिए माफ़ी चाहूंगा
आप सभी का एक सामान्य भारतीय भाई
शशांक सिंह
9310251669
सही कहा शशांक भाई जी 9027275753
हटाएंvaah ..vaah jitni tareef ki jaaye is aalekh ki utni kam hai very nice...very nice...very nice
हटाएंक्यूँ न इस लेख की एक प्रति हर नेता को भेज दी जाय...शायद किसी की आँख इस आलेख को पढ़ कर खुले...मेरी बधाई स्वीकारें
हटाएंनीरज
राजनीति में भाग लेना आम जन की पकड़ के बाहर हो जायेगा।
हटाएंसात विशेष गुणों की आवश्यकता होती हैं: छल, बल, धन, माया, बेशर्मी, भितरघाती, मौकापरस्ती।
हटाएंजी हाँ राज कर रहे हैं लोग इन गुणों को अपनाकर... बोलबाला है इनका...
oh! इसमें से कोई गुण नहीं है।
हटाएंसीखने योग्य बातें.......!!!!
हटाएंबढिया व्यंग्य।
ज़्यादातर राजनीतिज्ञों पर सटीक है पर कई जगह ऐसा न होने पर भी सफल राजनेता दिखे हैं.. नहीं?
हटाएंकभी-कभी अपने इस गुण के कारण राजनेता पूरी की पूरी पार्टी, पूरा का पूरा समाज और यदा-कदा पूरा का पूरा देश ही खा जाते हैं।
हटाएंइसी कगार पर आगया है देश .
सही कहाँ सरजी आज की राजनीति मेँ सच एंव कार्य का कोई मतलब नहीँ कितना भी आप कार्य करलो लेकिन जबतक झुठ बोलना नहीँ सीखोगे राजनीति के पास आने की भी मत सोचना- विजय औझा छात्रसंघ अध्यक्ष
हटाएंa
हटाएंB +
हटाएंआप की बात 100 प्रतिशत सही है
हटाएंआप की बात 100 प्रतिशत सही है
हटाएंआप की बात 100 प्रतिशत सही है
हटाएंहम सुधरेगे तो सात वचन भी सुधरेगा। अब हम सब मिलकर इस राजनीति को अच्छी राजनीति बनाते हैं बूंद बूंद से घड़ा भर जाता है ये तो राजनीति है। हम लोग, इसमें कदम कदम पर अच्छा गुण भरा जा सकता है।
हटाएंजरूरी नहीं की छल कपट का नाम ही राजनीती हो ,,
हटाएंसबके साथ मिलकर , एक सही दिशा में आगे बढ़ना भी राजनीति होती है
धन्यवाद
लागो को साथ लेकर एक सही दिशा में आगे बढ़ना भी राजनीती का एक बेहतरीन हिस्सा है
हटाएंपॉलिटिक्स
हटाएंThis is true.
हटाएंR.k Sonkar
Nice
हटाएंराजनीति में निजी हित के लिए ये सात गुण सही साबित हो सकते है लेकिन देशहित के लिए नही,और मुझे नही लगता कि राजनीति हमें सिर्फ इन सात गुण के आधार पर ही करनी चाहिए"हर एक मनुष्य का जीवन में एक स्वाभाविक गुण होता है और हमें जो भी कार्य करना चाहिए वो इसी आधार पर करना चाहिए,किसी भी क्षेत्र में अगर हमारा कर्म अच्छा है तो हमें आगे बढ़ने से कोई नही रोक सकता ।
हटाएंफिर से सुभाष मांगता हे देश जुडे एसे मंच पर जो देश के स्वाभिमान के लिए लडना चाहते है हिन्द समर्पित पार्टी के साथ9517861347 पर।समाज की एकता और अखंडता के माध्यम से ही अखंड भारत बनाया जा सकता है।फूट डालो और राज करो की नीति से नहीआज देश ओर देशभक्ति के नाम पर विदेशी एजेंट के रूप में कम्पनिया काम कर रही हे।देशी मोह भंग कर विदेशी संस्कृति के मोह ने हिंदुस्तान में पेर पसारे हुए हे।आज फिर से सुभाष,शास्त्री,आजाद,भगत,कलाम,राजीव दीक्षित माँगता हे देश।जय हिन्द जय किसान 🙏
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