जब से भ्रष्टाचार के विरूद्ध अन्ना हजारे का आंदोलन हुआ है, हमारी कालॉनी कमेटी के लोग जागरूक हो गये हैं। उन्होंने समस्त कॉलोनी वासियों को कसम खिलाई है कि वे अब भ्रष्ट और दोगले नेताओं को वोट नहीं देंगे और अपने विधानसभा क्षेत्र से अच्छे और ईमानदार आदमी को जिताएंगे।
लेकिन इस घोषणा के बाद एक अभूतपूर्व संकट पैदा हो गया। सबके सामने यह सवाल खड़ा हो गया कि अच्छा आदमी किसे कहते हैं? हर आदमी की अपनी-अपनी परिभाषा। कोई कहने लगा, जो धर्म-कर्म करे, वह अच्छा आदमी। कोई बताने लगा, जो सादा जीवन जीता है, वह अच्छा आदमी है। जबकि कुछ लोगों का विचार था कि जो भ्रष्टाचार से दूर रहे, वह अच्छा आदमी है। अच्छे आदमी की परिभाषा को लेकर ही अजीबो गरीब स्थितियाँ पैदा हो गयीं। लोग अपनी परिभाषा वाले आदमी को ज्यादा अच्छा बताने के लिए लड़ने-भिड़ने पर उतारू हो उठे। ऐसी दशा में कॉलोनी कमेटी ने फिर से अपनी बैठक बुलाई और काफी हील-हुज्जत, डाँट-डपट के बाद अच्छा आदमी की एक परिभाषा बनाई- जो सच को सच कहे, लोभ, मोह से दूर रहे, सभी को समान दृष्टि से देखे और आवश्यकता पड़ने पर निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करे, वही अच्छा आदमी है।
अब कॉलोनी के हर जागरूक व्यक्ति की तरह मैं भी एक अदद अच्छे आदमी की तलाश में हूँ। पिछले एक सप्ताह से मैंने अपने सारे घोड़े खोल दिये हैं, पर मुआ एक अदद ऐसा आदमी नहीं मिल रहा, जो इस परिभाषा में फिट बैठ सके। इस खोज अभियान से एकदम दिमाग का दही हो गया है। इसलिए हे सुधी पाठकों, अब मैं आपकी शरण में हाजिर हुआ हूँ। प्लीज, जरा अपने आसपास देखिए। कोई तो ऐसा व्यक्ति होगा जो सच को सच कहता हो, लोभ, मोह से दूर रहता हो, सभी लोगों को समान दृष्टि से देखता हो और जरूरत पड़ने पर लोगों की मदद करता हो। क्या कहा आपने? आपकी नजर में ऐसा व्यक्ति है? कहाँ? क्या नाम है उसका? क्या करता है वह?
क्या? अरे भई, आपकी आवाज मुझे सुनाई नहीं पड़ी। प्लीज, थोड़ा जोर से बोलिए। कुछ सुनाई तो पड़े। अरे, वो देखिए, शायद हमारे और आपके बीच हो रही बातचीत कुछ और लोगों ने भी सुन ली है। वे एक जगह एकत्रित हो रहे हैं और उसी आदमी के बारे में बातें कर रहे हैं। मैं भी सुनने का प्रयत्न कर रहा हूँ आखिर वे क्या कह रहे हैं?
एक व्यक्ति कह रहा है कि वह तो साम्प्रदायिक व्यक्ति है, एक बार वह कारसेवकों से हाथ मिलाते हुए देखा गया था। क्या? क्या सच में? कुछ लोग उसे माओवादी बता रहे हैं। वे कह रहे हैं कि उसने एक बार एक माओवादी नेता को अपने घर में पानी पिलाया था। अरे, ये तो और भी बुरी खबर है। वो देखो, शायद कुछ लोग और भी बातें बता रहे हैं उस व्यक्ति के बारे में। वे कह रहे हैं कि वह व्यक्ति तो देशद्रोही है। क्योंकि एक बार उसे आतंकवादियों के प्रतिबंधित संगठन का पर्चा पढ़ते हुए पकड़ा गया था।
अरे, ये तो बहुत बुरा हुआ हुआ। इतनी मुश्किलों से हमारी परिभाषा पर फिट बैठने वाला एक अच्छा आदमी मिला भी, तो... इतने गम्भीर आरोपों के बाद भला इसकी अच्छे आदमी की छवि कैसे बच पाएगी? लोग इसे वोट क्यों देंगे? नहीं, बिलकुल नहीं। आम आदमी की नजर में अच्छे आदमी से मतलब है दूध का धुला आदमी। एकदम निष्कलुष, जैसे मर्यादा पुरूषोत्तम। लेकिन क्या वे भी आज के समय में अच्छे आदमी माने जाएँगे? आखिर वे अपने ऊपर ‘दलित उत्पीड़न’ और ‘नारी उत्पीड़न’ के आरोपों को कैसे धो पाएंगे?
तो क्या हमारी विधानसभा के लिए एक अदद अच्छे उम्मीदवार की तलाश व्यर्थ ही जाएगी? नहीं, मैं अभी पूरी तरह से नाउम्मीद नहीं हुआ हूँ। इस धरती पर कहीं तो अच्छे आदमी पाए जाते होंगे? कोई प्रदेश, नगर, मोहल्ला तो ऐसा होगा? आप बताइए तो सही, मैं वहीं से ले आता हूँ। क्या कहा? ऐसी कोई जगह नहीं। लेकिन मैं अब भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहता। मेरा दिल कहता है कि कहीं न कहीं, कभी न कभी तो जन्मा ही होगा एक अदद अच्छा आदमी। ऐसा आदमी, जिसके दामन पर कोई दाग न हो, जिसके सिर पर कोई आरोप न हो। प्लीज, आप इतना ही बता दीजिएए कि उस आदमी को आखिरी बार कब और कहाँ पर देखा गया? भले ही इतिहास के गर्त में हो दबा हुआ हो वह, या फिर समय के काल खण्ड में। आप बस उसका नाम पता बताइए, हम वादा करते हैं कि उसे समय की गर्त से भी बाहर ले आएंगे और उसे विधान सभी चुनावों हेतु अपने क्षेत्र का उम्मीदवार बनाएंगे। (जनसंदेश टाइम्स में 28 जनवरी, 2012 को प्रकाशित व्यंग्य)
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इसी तलाश में ६२ साल गुजर गए ।
हटाएंजारी रखिये ।
शुभकामनायें ।
भगवान आजकल इस तरह के लोग नहीं बनाता है
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एक ऐसा सपना जो कभी सच नहीं होगा .....
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दराल साहब, अभी और साल ऐसे ही गुजारने पड़ेंगे, काजल जी, भगवान आदमियों को बनाता है न औरतों को। इंसान जरूर भगवान बनाते हैं।
हटाएंअंजु जी, सपना सच जरूर होगा। ऐसे लोग जनान्दोलनों के बीच बनते हैं। जनता जब साथ होती है तो उन्हें चुनाव जीतने के लिए रुपए पैसे की भी जरूरत नहीं होती।
उम्मीद पर दुनिया कायम है.
हटाएंउम्मीद पर दुनिया कायम है .. पर कोई अच्छा आदमी यदि कहीं मिले तो हमें भी बताईए.....
हटाएंबहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
हटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
भला मानुस,
हटाएंखोज जारी आहे..
उम्मीद बनी रहे ...शायद ऐसा हो पाए.....
हटाएंतिहाड़ से जो लौटे विजय भाव लिए वाही अच्छा है .
हटाएंब्लॉग बुलेटिन पर की है मैंने अपनी पहली ब्लॉग चर्चा, इसमें आपकी पोस्ट भी सम्मिलित की गई है. आपसे मेरे इस पहले प्रयास की समीक्षा का अनुरोध है.
हटाएंस्वास्थ्य पर आधारित मेरा पहला ब्लॉग बुलेटिन - शाहनवाज़
तलाश जारी है
हटाएंरिपोर्ट दर्ज कर ली गयी है
विवेचना अधिकारी आपसे संपर्ककर लेंगे
आप इत्मीनान से घर जाइए.
डॉ साहब कि बात से सहमत हूँ शुभकामनायें
हटाएंएक परीकथा की तरह लगती हैं ये बातें!!
हटाएंअपना पता दूं क्या ?
हटाएंआपकी उम्मीद में हमारी भी उम्मीद है जाकिर जी !
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