Primary ka Master Blog
(जनसंदेश टाइम्स, 23 नवम्बर, 2011 के 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित)
भले ही भारत तेजी से विज्ञान के क्षेत्र में नित नए सोपान चढ़ रहा हो, पर आज भी देश में प्राथमिक शिक्षा का स्तर बेहद खराब है। आज भी प्राथमिक विद्यालय का नाम लेते ही हमारे मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है, वह बहुत से सवालों को जन्म देता है। भले ही फटे-पुराने कपड़ों में लिपटे, हाथ में झोला और टाट-पट्टी लेकर स्कूल जाने वाले बच्चों की तस्वीर अब पुरानी पड़ गयी हो और उसकी जगह सरकार द्वारा मिली ड्रेस पहनकर मिड-डे मील की आस में स्कूल जाते बच्चों ने ले ली हो और गाँव के टूटे-फूटे स्कूलों की जगह सर्व शिक्षा अभियान के बहाने डेन्ट-पेन्ट की जा चुकी इमारतें नजर आती हों, लेकिन शिक्षा के स्तर में अब भी कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं आया है। यही कारण है कि भारत दुनिया के सात सबसे बड़े देशों में शिक्षा के मामले में छठे स्थान पर ठहरता है। आश्चर्य का विषय यह है कि इस श्रेणी में वह ब्राजील, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका ही नहीं इंडोनेशिया से भी पिछड़ा हुआ है।
हालाँकि सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में की जा रही पहलों और गैर सरकारी संगठनों द्वारा किये जा रहे सद्प्रयासों के कारण इस क्षेत्र में काफी सुधार आया है, लेकिन बावजूद इसके स्थिति कोई बहुत संतोषजनक नहीं है। शिक्षा क्षेत्र की इस दुर्दशा के लिए जहाँ एक ओर अध्यापकों की कमी मुख्य रूप से जिम्मेदार है, वहीं उसके साथ ही साथ अनेक अदूरददर्शी योजनाएँ, लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और निकम्मेपन की मानसिकता ने भी इसके बंटाधार में बहुत बड़ा योगदान दिया है। यही कारण है कि बदलाव की हवा बह तो रही है, लेकिन उसकी गति इतनी धीमी है कि वह ज्यादातर लोगों को नजर ही नहीं आती।
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बदलाव की इस हवा को गति प्रदान करने के लिए जहाँ एक ओर देश में अनेक संगठन कार्य कर रहे हैं, वहीं शिक्षा से जुड़ी हुई अनेक शख्शियतें भी ऐसी हैं, जो अपने चिंतन-मनन के द्वारा इस क्षेत्र में मील के पत्थर स्थापित करने का प्रयास कर रही हैं। ऐसा ही एक मील का पत्थर है- ‘प्राइमरी का मास्टर’ (http://primarykamaster.blogspot.com) ब्लॉग, जिसके सूत्रधार हैं श्री प्रवीण त्रिवेदी। प्रवीण उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद के निवासी हैं और वहीं एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापन का कार्य करते हैं। अपनी वैचारिक प्रतिभा के कारण प्रवीण अन्य मास्टरों से इस मामले में भिन्न हैं कि वे शिक्षा जगत की विकृतियों को देखकर चुप नहीं रह पाते। वे उन बुनियादी समस्याओं पर गम्भीरतापूर्वक विचार करते हैं और बड़े विश्वास के साथ उनसे निकलने का रास्ता सबके सामने प्रस्तुत करते हैं।
भगत सिंह, जय प्रकाश नारायण, महात्मा गाँधी और भीमराव अम्बेडकर के विचारों से प्रभावित प्रवीण स्कूली व्यवस्था में सुधार के हामी हैं। वे चाहते हैं कि शिक्षण तंत्र में आमूलचूल परिवर्तन किए जाएँ, जिससे बच्चों का शिक्षा के प्रति लगाव बढ़े और शिक्षकों को अध्यापन बोझ न लगे। प्रवीण का मानना है कि जब तक अध्यापक बच्चों के साथ रागात्मक सम्बंध नहीं बनाएँगे, वे उनकी शिक्षा में रूचि उत्पन्न नहीं कर पाएँगे। प्रवीण जहाँ एक ओर बच्चों के मनोविज्ञान के कुशल पारखी के रूप में सामने आते हैं, वहीं दूसरी ओर वे पाठ्य पुस्तकों की सामग्री को रोचक बनाने के लिए नए-नए तरीके सुझाने के लिए भी जाने जाते हैं। वे एक ओर बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ कराने पर बल देते हैं, वहीं अपनी सृजनात्मक क्षमता के द्वारा गणित जैसे गूढ़तम विषय को भी रोचक और मनोरंजक बनाने के लिए नए-नए तरीके खोज निकालते हैं।
प्रवीण का ब्लॉग शिक्षा, शिक्षण पद्धति, शैक्षिक सामग्री, बाल हितों, बाल मनोविज्ञान, नवीन अध्यापन तकनीकों के साथ-साथ समाज व उससे जुड़े महत्वपूर्ण बिन्दुओं से भी जोड़ता है और पाठकों को देश के महापुरूषों के सद्विचारों से भी अवगत कराता है। इस क्रम में जहाँ एक ओर वे महात्मा गाँधी, गिजुभाई बधेका, रवीन्द्रनाथ टैगोर की बात करते हैं, वहीं वे दूसरी ओर थॉमस अल्वा एडीसन, रोनाल्ड रीगन, अब्राहम लिंकन के बहाने बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने की वकालत करते हैं।
प्रवीण के ब्लॉग का गहराई से अध्ययन करने पर पता चलता है कि वे आदर्श और यथार्थ के बीच से गुजरने वाले ऐसे राही हैं, जो अपने समाज के बारे में निरंतर चिंतन एवं मनन करता है और उसकी बेहतरी के लिए सतत प्रयत्शील रहता है। वे अपनी प्रगतिशील दृष्टि के कारण न सिर्फ अपने पाठकों को सोचने-विचारने के लिए प्रेरित करते हैं, वरन उपयोगी और सार्थक सामग्री भी मुहय्या कराते हैं। यही कारण है कि वे ‘प्राइमरी का मास्टर’ के कारण एक प्रयोगवादी ब्लॉग के रूप में जाने जाते हैं और प्राथमिक शिक्षा की बेहतरी के लिए काम करने वाले जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में पहचाने जाते हैं।
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बहुत सुंदर ब्लॉग समीक्षा ...... बहुत शिक्षाप्रद पोस्ट पढ़ी हैं इस ब्लॉग पर
जवाब देंहटाएंबहु प्रतिभा सम्पन्न हैं मास्टर साहब
जवाब देंहटाएंप्रवीणजी को हार्दिक शुभकामनाये। आपका प्रयास सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंwww.sheelgupta.blogspot.com
प्रवीण त्रिवेदी जी को पढना हमेशा ही एक नया एहसास देता है... बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंप्राइमरी का शिक्षक देश का भविष्य गढ़ सकता है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया समीक्षा।
जवाब देंहटाएंछकाते भी हैं मास्टर जी - संदर्भ पाबला जी काव्लाग प्रसंग.
जवाब देंहटाएंसार्थक ब्लॉग की सुन्दर समीक्षा.
जवाब देंहटाएंएक सकारात्मक समीक्षा ....!
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी शिक्षा के क्षेत्र में मास्टर तो हैं हीं,वे तकनीक के भी गज़ब के मास्टर हैं ! मेरी ब्लॉग्गिंग के आधार हैं वे !
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई की जय हो ......हम जैसों की सुध लेने के लिए!!!
जवाब देंहटाएंसभी टीपकर्ताओं को भी धन्यवाद.....
@राहुल जी!
छकाना वक्त की जरुरत हुआ करता है ....इसी बहाने हम अपने बचपन को जीने की आधी-अधूरी ही सही पर कोशिश तो कर ही लेते हैं!
आभार सहित !
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंजो जहां है वहां अपने तरीके से महत्वपूर्ण है .बहुत कुछ नया देने की क्षमता से लैस है आलेख यही एहसास मुखर करता है .बधाई डॉ जाकिर भाई .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब प्रवीण जी .आभार इसे सांझा करने के लिए .
जवाब देंहटाएंबहुत खूब प्रवीण जी .आभार इसे सांझा करने के लिए .
जवाब देंहटाएंबहु प्रतिभा सम्पन्न प्रवीण जी को शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंprven je ke soch ky ley lakho dhanybad From-----Bhubanesh chauhan teachar Mainpuri
जवाब देंहटाएंExcellent efforts.....................
जवाब देंहटाएंExcellent job you have done friend...................
जवाब देंहटाएंVery good.
जवाब देंहटाएंBAHUT ACCHA LAGA
जवाब देंहटाएंverygood
जवाब देंहटाएंvery good
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