ब्‍लॉगवाणी: ‘आखरमाला' लेकर अपनी करने वह ‘संधान’ चला।

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  ('जनसंदेश टाइम्स', 28 सितम्‍बर, 2011 के 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा) लेखक क्‍यों लिखता है ? यह बहस...

  ('जनसंदेश टाइम्स', 28 सितम्‍बर, 2011 के 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा)

लेखक क्‍यों लिखता है? यह बहस शायद उतनी ही पुरानी है, जितना कि लेखन का इतिहास। जितने लोग, उतने जवाब। लेकिन अगर इन जवाबों की मोटी-मोटी दो श्रेणियाँ बनाई जाएँ, तो कहा जा सकता है कि कुछ लोग सिर्फ स्‍वयँ को लेखक दिखाने के लिखते हैं और कुछ लोग अपनी प्रतिबद्धता को जताने के लिए लिखते हैं। प्रतिबद्धता कुछ करने की, कुछ देने की, समाज को बेहतर बनाने की। ऐसे लोग, ऐसी सोच वाली लेखनी ठीक उसी तरह से पहचान ली जाती है, जैसे अंधेरे में टिमटिमाता हुआ दीपक या फिर रेगिस्‍तान में लहराता हुआ हरा-भरा पौधा।

ऐसे लोग दिखावे के लिए नहीं जुनून के लिए जीते हैं। उनका मकसद उतना ही जरूरी होता है, जितना कि जीवन के लिए दाना और पानी। बिना दाना और पानी के लिए कुछ समय तक तो जीवित रहा जा सकता है, पर बिना जुनून के रह पाना इनके लिए नामुमकिन सा होता है। ऐसा नहीं है कि ये लोग दुनिया के मायाजाल से दूर रहने वाले मनुष्‍येतर प्राणी हों, जिन्‍हें राज-समाज से कोई लेना-देना नहीं होता। इनमें और आम लोगों में फर्क सिर्फ इतना होता है कि दूसरे लोग जहाँ ठहरी हुई झील होते हैं, वहीं ये वेगवती नदी के समान होते हैं। ऐसी नदी, जो वक्‍त पड़ने पर अपने नए रास्‍ते बनाने में सक्षम होती है, जो जरूरत पड़ने पर बाँधों को तोड़ने का भी साहस रखती है। ओमप्रकाश कश्‍यप एक ऐसी ही वैचारिक धारा का नाम है।

बुलंदशहर के एक गाँव के जन्‍में ओमप्रकाश यूँ तो साहित्‍य की सभी विधाओं के महारथी हैं, पर उनकी सबसे दृढ़ पहचान अगर किसी क्षेत्र में है, तो वह बाल साहित्‍य है। बाल साहित्‍य, यानी कि बच्‍चों के समग्र विकास के लिए लिखा जाने वाला साहित्‍य। बालसाहित्‍य में उनकी सफलता का सबसे बड़ा राज है उनकी किस्‍सागोई की कला, जो उनकी साफगोई के साथ मिलकर उनकी लेखनी में जान डाल देती है। ऐसी ही दमदार और जानदार लेखनी के प्रमाण हैं उनके आखरमाला(http://omprakashkashyap.wordpress.com) और संधान (http://opkaashyap.wordpress.com) ब्‍लॉग, जहाँ पर भरपूर मात्रा में मौजूद है वैचारिकता और साहित्यिकता का भरपूर संगम देखने को मिलता है।

दर्शनशास्‍त्र में परास्नातक ओमप्रकाश एक सफलतम कहानीकार के रूप में जाने जाते हैं। वे अपनी रचनाओं में कथ्य और वैचारिकता के सम्मिलन से ऐसा समाँ बाँधते हैं कि जो पाठक कब उसके सम्‍मोहन में जकड़ जाता है, उसे इसका पता ही नहीं चलता। यह अद्भुत प्रभाव बहुत कम रचनाकारों में देखने को मिलता है। ओमप्रकाश ने अपने इस कौशल से जिस भी विधा का स्‍पर्श किया है, वह जीवंत हो उठी है। फिर चाहे वह कविता हो, कहानी हो, अथवा व्‍यंग्‍य या फिर विज्ञान लेखन। वे एक ओर जहाँ बच्‍चों के कोमल भावों के चित्रकार के रूप में जाने जाते हैं, वहीं दूसरी व्‍यंग्‍य, आलोचना और मार्क्‍सवाद के द्वारा भी अपनी पैनी लेखनी के दर्शन कराते हैं। उनकी सबसे बड़ी विशेषता है, चीजों को वर्तमान परिप्रेक्ष्‍य में पकड़ना और उसे समकालीन संदर्भों से जोड़कर समालोचनात्‍मक दृष्टि के साथ पाठकों के सामने रखना।

लगभग तीन दशकों से लेखन में सक्रिय ओमप्रकाश के खाते में लगभग तीन दर्जन पुस्‍तकें दर्ज हैं। पर वे संख्‍याओं से ऊपर रहने वाले ऐसे रचनाकार हैं, जो अपनी बेबाकी और गम्‍भीरता के लिए ज्‍यादा जाने जाते हैं। वे जहाँ बाल साहित्‍य के नाम पर कुछ भी लिख देने का खुल कर विरोध करने का साहस रखते हैं, वहीं वे बच्‍चों को उपदेश पिलाने वाले और लोक कथाओं का पुनर्लेखन करने वाले रचनाकारों की भी स्‍पष्‍ट आलोचना करने से पीछे नहीं रहते हैं। और इन सबका कारण है उनके द्वारा बच्‍चों की बेहतरी के लिए किया जाने वाला काम।

उनकी नजर में बच्‍चे हमारी झूठी शान और दम्‍भी पहचान से ज्‍यादा महत्‍व रखते हैं। शायद यही कारण है कि बाल साहित्‍य के विविध पक्षों पर ही नहीं बचपन की विभिन्‍न विद्रूपताओं पर भी अपनी लेखनी चलाते हुए नजर आते हैं। और शायद यही कारण है कि उन्‍होंने मौलिक लेखन और समालोचनात्‍मक लेखन को लेकर अलग-अलग ब्‍लॉग बनाया है। आखरमाला के हिस्‍से में जहाँ आलोचनात्‍मक लेखन आया है, वहीं संधान पर उन्‍होंने अपनी मौलिक रचनाओं को सजाया है। संधान ब्‍लॉग के स्‍याह हाशिए और किस्‍सा कहानी लेबल उनके सर्वाधिक रोचक भाग हैं, वहीं आखरमाला वैचारिक ऊर्जा से जगमग एक रौशन चिराग है। इसके अतिरिक्‍त वे फेसबुक जैसे समय खाऊ मंच को भी उपयोगी बनाते हैं और इंडियन चिल्‍ड्रेन्‍स लिटरेचर ग्रुप के द्वारा सम्‍पूर्ण विश्‍व के लोगों के बीच बाल साहित्‍य की अलख जगाते पाए जाते हैं।

ओमप्रकाश कश्‍यप एक बड़े कैनवास, एक बड़े फ़लक के रचनाकार हैं। उनकी सोच, उनकी दृष्टि सिर्फ उनकी रचनाओं को ही नहीं, उन्‍हें भी बड़ा रचनाकार बनाती है। और इसमें कोई शक नहीं कि ऐसी रचनात्‍मक प्रतिभा बिरले रचनाकारों में ही पाई जाती है। Keywords: Om Prakash Kashyap, Aakharmala, Jansandesh Times, Blog Review, Indian Blogs, Hindi Bloges, Indian Bloggers, Hindi Bloggers

COMMENTS

BLOGGER: 16
  1. खूबसूरत प्रस्तुति ||

    बधाई ||


    dcgpthravikar.blogspot.com
    dineshkidillagi.blogspot.com
    neemnimbouri.blogspot.com

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  2. रोचक परिचय, जाकर पढ़ते हैं।

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  3. बहुत ही सुंदर ...कारवां चलता रहे

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  4. ओमप्रकाश कश्यप का आकर्षण यह है कि वह जितने प्रतिभाशाली लेखक हैं उससे अधिक सरल प्रकृति के वह व्यक्ति हैं। आपने उनके व्यक्तित्व पर लिखकर वस्तुत: यह जता दिया है कि प्रचार से अलग रह रहे सादा-जीवन लेखकों के बारे में भी साहित्य-जगत में सोचा जा रहा है। मैं आपके इस प्रयास और भावना की जितनी प्रशंसा करूँ, कम है।

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  5. अच्छा परिचय दिया है आपने पढ़कर देखेंगे

    समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है। आपको और आपके सम्पूर्ण परिवार को हम सब कि और से नवरात्र कि हार्दिक शुभकामनायें...
    .http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  6. रोचक परिचय्…………आभार्।

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  7. कश्यप जी को जानना सुखद है . प्रभावी पोस्ट .

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  8. श्री ओमप्रकाशजी के इस परिचय के लिये आभार...

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  9. बहुत बढ़िया!
    आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व की मंगलकामनाएँ!

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  10. परिचय प्राप्त कर प्रसन्नता हुई.

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  11. बहुत-बहुत धन्यवाद .....जानकारी देने के लिए

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  12. sundar sidhi dil ki baat panno par utaar di hai ,,

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  13. बेनामी2/01/2012 10:31 am

    Excellent blog post, I have been reading into this a bit recently. Good to hear some more info on this. Keep up the good work!

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आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

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हिंदी वर्ल्ड - Hindi World: ब्‍लॉगवाणी: ‘आखरमाला' लेकर अपनी करने वह ‘संधान’ चला।
ब्‍लॉगवाणी: ‘आखरमाला' लेकर अपनी करने वह ‘संधान’ चला।
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