('जनसंदेश टाइम्स', 31 अगस्त, 2011 के 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा) भारत की धरती को रत्नगर्...
('जनसंदेश टाइम्स', 31 अगस्त, 2011 के
'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा)
'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा)
भारत की धरती को रत्नगर्भा भी कहा जाता है। इसका कारण यह है कि यहाँ पर प्रतिभाओं की कमी नहीं है। छोटे-छोटे कस्बों ही नहीं बल्कि गाँवों में भी अक्सर ऐसी विलक्षण प्रतिभाएँ जन्म लेती रही हैं, जिन्हें अगर अनुकूल माहौल और पर्याप्त अवसर मिलें, तो वह दुनिया में अपना नाम कमा सकें। लेकिन अक्सर होता यह है कि न तो लोग उन प्रतिभाओं को पहचान पाते हैं और न ही वह व्यक्ति स्वयं ही अपनी क्षमताओं का सही आकलन कर पाता है। नतीजतन दुनियादारी की बेरहम धूल उस पर इस तरह जमती जाती है, कि उसका संभावनाशील सम्पूर्ण व्यक्तित्व ही एक दिन मिट्टी में मिल जाता है।
जिस प्रकार किसी पौधे को पनपने के लिए मिट्टी, खाद, पानी और सूरज की रौशनी की जरूरत रहती है, ठीक उसी प्रकार प्रतिभा रूपी पौधे को अंकुरित होने के लिए भी उचित माहौल, प्रेरणा-प्रोत्साहन, आत्मविश्वास, अभ्यास एवं अवसरों की आवश्यकता होती है। और जब किसी सौभाग्यशाली व्यक्ति को ये सारी चीजें सहज ही उपलब्ध हो जाती हैं, तो उसकी प्रतिभा रूपी बेल न सिर्फ पुष्पित-पल्लवित होती है, बल्कि अपनी सुगंध से सारी दुनिया को महकाती भी है। ब्लॉग जगत में भी ऐसी प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जिन्होंने उचित माहौल पाकर स्वयं को आम आदमी से अलग साबित किया है और अपनी रचनात्मक क्षमताओं का लोहा दुनिया वालों से मनवाया है। अल्पना वर्मा एक ऐसी ही बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न ब्लॉगर हैं। उनके चर्चित ब्लॉग का नाम है ‘व्योम के पार’ (http://alpana-verma.blogspot.com), जहाँ पर उनकी प्रतिभा को देखा और परखा जा सकता है।
उत्तर प्रदेश में जन्मीं अल्पना ने बनस्थली विद्यापीठ, राजस्था से विज्ञान विषय में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है और वे वर्तमान में यू.ए.ई. में अध्यापक के रूप में अपनी सेवाएँ अर्पित कर रही हैं। विज्ञान में स्नातक होने के बावजूद अल्पना की कविता लेखन में विशेष रूचि है। वे अपने इस शौक के बारे में बताते हुए कहती हैं कि उन्होंने अपनी पहली कविता तब लिखी थी, जब वे कक्षा नौ में पढ़ती थीं। उस कविता का शीर्षक था ‘प्रिय कृष्ण’। उनकी वह कविता स्कूल की वार्षिक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। उससे वे इतनी प्रोत्साहित हुईं कि उन्होंने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
अल्पना का ब्लॉग उनकी स्वरचित कविताओं, कहानियों, संस्मरणों एवं छाया चित्रों का संग्रह है, जहाँ पर उनकी सोच और जीवन दृष्टि को बखूबी देखा जा सकता है। उन्हें पता है कि वक्त कब किसका हुआ। इसलिए इसके सदुपयोग में ही समझदारी है। इसीलिए वे कहती हैं कि जिंदगी बहुत छोटी है और इसे पूरी तरह जीना चाहिए। किसे मालूम कि अगले क्षण ने हमारे लिए क्या और कैसी योजना बना कर रखी है। अल्पना वास्तव में आज की नारी की प्रतिनिधि हैं,जो अपनी शर्तों पर जीवन को जीना चाहती है। लेकिन अक्सर ऐसा करते हुए आज की नारी को असहज स्थितियों का भी सामना करना पड़ता है। अल्पना उन स्थितियों को छिपाने में विश्वास नहीं करतीं, वे उन्हें पूरे साहस के साथ दुनिया के सामने रखती हैं और लोगों को उनसे बचने की सलाह देती हैं। अल्पना ने भारतीय मूल्यों और परम्पराओं को गहराई से देखा और जाना है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने आज की जरूरतों को भी बखूबी पहचाना है। वे रूढिवादी परम्पराओं और पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण की समान रूप विरोधी हैं। लेकिन इसके बावजूद वे शोभा डे और विदाद नासीर लूता जैसी महिलाओं की प्रशंसक हैं और सेक्स एजूकेशन की हिमायती हैं। उनका मानना है कि इसके अभाव में आज के युवा इधर-उधर से मिलने वाले अधकचरे ज्ञान की ओर आकर्षित होते हैं और बदले में अपना वैवाहिक जीवन नष्ट कर लेते हैं।
सरसरी निगाह से देखने पर अल्पना एक सामान्य ब्लॉगर ही प्रतीत होती हैं, जो समय-समय पर दुनिया के उन तमाम विषयों पर लिखती रहती हैं, जो उनके मन को छू जाते हैं। लेकिन उनकी विलक्षणता यह है कि एक ओर वे कविताएँ लिखती हैं, दूसरी ओर वे विज्ञान के रोचक लेख लिखने में भी माहिर हैं। ‘साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन’ (http://blog.scientificworld.in) पर उनके ऐसे तमाम रोचक आलेख पढ़े जा सकते हैं। यही नहीं उन्होंने इस ब्लॉग पर ‘विज्ञान समाचार’ को ऑडियो के रूप में सुनाने का भी भी एक नया प्रयोग किया है, जो काफी सफल रहा है। उनका एक अन्य चर्चित ब्लॉग ‘भारत दर्शन’ (http://bharatparytan.blogspot.com) है, जहाँ पर भारत के दर्शनीय स्थलों के बारे में जानकारी परोसी जाती है।
दुबई के ‘हम एफएम’ के लिए प्रोग्राम दे चुकीं अल्पना एक निर्विवाद व्यक्तित्व की स्वामिनी हैं और ब्लॉग जगत में ‘विदुषी ब्लॉगर’ के रूप में जानी जाती हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने एक सुरीला गला भी पाया है और अपने गाए हुए हिन्दी के सदाबहार गीतों से ब्लॉग जगत को झुमाया है। उनके जैसे बहुमुखी व्यक्तित्व के स्वामी बहुत कम लोग होते हैं। यही कारण है कि जो लोग एक बार उनके ब्लॉग पर पहुँच जाते हैं, एक तरह से उनके मुरीद हो जाते हैं।
alpana ji ke bare me batane ke liye aabhar.
जवाब देंहटाएंसांसदों के चुनाव के लिए स्नातक होना अनिवर्य
आपके माध्यम से अल्पना जी से रूबरू हुआ हूं अब आगे उनकी रचनाओं को पढ़ता ही रहूंगा। अच्छे परिचय के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअल्पना जी से मिलवाने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंअल्पना जी से मिलवाने के लिये आभार्।
जवाब देंहटाएंअल्पनाजी के ब्लॉग पढ़ते रहते हैं।
जवाब देंहटाएंसही बात,हम भी अल्पना जी के ब्लॉग को पढ़ते रहते हैं.
जवाब देंहटाएंमैं उन्हें मददगार इंसान के रूप में जानता हूं, मेरी पोस्ट संबंधी किसी तकनीकी अड़चन को सुलझाने में उन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया था.
जवाब देंहटाएंबधाई हो।
जवाब देंहटाएंगणेशोत्सव की मंगल कामनाएँ।
रत्नगर्भा के अनेक रत्न आपने हमारे लिए प्रस्तुत किये हैं, जिसके लिए आप बधाई की पात्र हैं!!
जवाब देंहटाएंअल्पना जी से मिलवाने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा पढ़कर. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंअपने ब्लॉग को आप की कलम के द्वारा कुछ और अधिक जाना.
जवाब देंहटाएंजनसंदेश टाइम्स के ब्लोगवाणी कॉलम में 'व्योम के पार'को शामिल करके जो आप ने सम्मान दिया उस के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद और आभार.
अल्पना जी को विस्तार से जाना... सुखद रहा...
जवाब देंहटाएंसार्थक आलेख...
सादर आभार...
अल्पना जी को विस्तार से जाना..अच्छा लगा...
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा पढ़कर. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंजानकारी देने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंअल्पना जी की उत्तरोत्तर प्रगति के लिए शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंअल्पना जी,के रचना संसार और वाणी के माधुरी से परिचित हैं आपने प्रस्तुति को चार चंदा जड़ दियें हैं कृपया राजस्थान शब्द ठीक कर लें और पूरा लिख दें 'युनाईतिद अरब एमिरेट्स "युईए "के स्थान पर या उसके साथ .आभार !
जवाब देंहटाएंआते हैं बड़े धूम से गणपति जी,
सबके दिलों में बसते हैं गणपति जी,
उमंग से भरा हो सबका चेहरा,
यही है मेरी गणेश चतुर्थी की शुभकामना ! हमारी भी यही है शुभकामना आपके लिए आपके परिवार के लिए .आप की ब्लोगिया दस्तक हमारे लिए महत्वपूर्ण है .शुक्रिया !
जन आक्रोश आर हर शू मुखरित है .शुक्रवार, २ सितम्बर २०११
शरद यादव ने जो कहा है वह विशेषाधिकार हनन नहीं है ?
beautifully written !!
जवाब देंहटाएंvery informative
अल्पना जी के गीत, कविताओं के तो हम भी मुरीद हैं ....
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