('जनसंदेश टाइम्स', 10 अगस्त, 2011 के 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा) आदमी और जानवर में एक फर्क यह भ...
('जनसंदेश टाइम्स', 10 अगस्त, 2011 के
'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा)
आदमी और जानवर में एक फर्क यह भी है कि आदमी सोचने-समझने की कूवत रखता है और जानवर नहीं। सोचने-समझने की यह ताकत प्रकृति ने हर व्यक्ति को दी है, पर बावजूद इसके अपनी सोच को विस्तार देने का काम कुछ ही लोग कर पाते हैं। किन्तु देखने की बात यह है कि जिन्हें अपने विचारों की शान पर नाज हुआ करता है, उनमें से ज्यादातर लोग अपनी ही फिक्र में मुब्तिला पाए जाते हैं। लेकिन इसका मतलब यह कदापि नहीं निकाला जाना चाहिए कि दूसरों के बारे में सोचने वाले सारे के सारे लोग इस जहाँ से फना हो गये हैं। अगर हम गहराई से देखें तो अपनी विचार शक्ति का भरपूर इस्तेमाल वे ही लोग कर पाते हैं, जो अपने सीने में दूसरों के लिए भी दर्द के भाव रखते हैं। और ऐसे लोगों के विचार जब बिगुल की तरह बजते हैं, तो फिर यह संसार उनकी बात को बड़े गौर से सुनता है। अपने ओजपूर्ण विचारों के ऐसे ही एक बिगुल के साथ ब्लॉग जगत में विराजमान हैं डॉ0 महाराज सिंह परिहार, जिनके ब्लॉग का नाम ही है ‘विचार-बिगुल’ (http://vichar-bigul.blogspot.com)।
पेशे से पत्रकार और हृदय से साहित्यकार डॉ0 परिहार सूर और नजीर की माटी ताजनगरी आगरा के वासी हैं। वे कहते हैं कि आज पत्रकारिता के मायने बदल चुके हैं। आज की पत्रकारिता घोषित लक्ष्यों के लिए कम और अघोषित उद्देश्यों के लिए ज्यादा चिंतित नजर आती है। यही कारण है कि अपने हृदयोद्गारों को व्यक्त करने के लिए पत्रकारों को मौका ही नहीं मिल पाता। वे अपने ब्लॉग लेखन के उद्देश्य को बताते हुए कहते हैं कि ये समय मूल्यों के पतन का समय है। ऐसे में रचनाकारों का दायित्व बन जाता है कि वे अपने युगधर्म का निर्वाह करें। डॉ0 परिहार कोई प्रवचन करने वाले व्यक्ति नहीं हैं, जो दुनिया की वास्तविकताओं को भूलकर नीति का उपदेश देने चले आए हों। इसीलिए वे अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं ‘युग बदलेगा आज युवा ही भारत देख महान का। कालचक्र की इस यात्रा में आज समय बलिदान का।’
‘कविता कोश’ के रचनाकार डॉ0 परिहार यूँ तो कहानी, कविता, नुक्कड़ नाटक, रिपोर्ताज आदि में समान रूचि रखते हैं, लेकिन इसके साथ ही साथ वे समाज की गति पर भी बराबर नजर रखते हैं। वे समाज का नासूर बन चुके भ्रष्टाचार से बेहद खिन्न नजर आते हैं। वे भ्रष्टाचार की बात करते समय उसके समग्र रूपों पर दृष्टि रखते हैं। सिर्फ सरकारी और राजनैतिक भ्रष्टाचार ही नहीं, वे औद्योगिक घरानों में व्याप्त शोषण और धार्मिक स्थलों में जमा होती जा रही अकूत सम्पदा को अपनी पैनी दृष्टि की ज़द में लाना नहीं भूलते। वे भ्रष्टाचारियों को परोक्ष रूप से प्रोत्साहित करने वाले धार्मिक गुरूओं की खबर लेते हुए कहते हैं कि मुझे आजतक किसी भी धर्म में कोई परमपुरूष ऐसा नहीं मिला, जो सीना ठोंक कर कह सके कि हमारे पूजा गृह में केवल ईमानदार लोग ही आएँ और हमारे दान-पात्र में रिश्वत अथवा कालाबाजारी की कमाई नहीं डालें।
एक ओर जहाँ डॉ0 परिहार भ्रष्टाचार की गंगा में गोते लगा रहे लोगों की खबर लेते हैं, वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज उठा रहे लोगों की भी सम्यक पड़ताल करते हुए नजर आते हैं। वे कहते हैं कि भ्रष्टाचार के विरोध में आज जो लोग मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं, उनमें मुनाफाखोरी, कालाबारी और घटतोली करने वाले लोग ही ज्यादातर नजर आते हैं। ऐसे में हम यह कैसे मान लें कि एक लोकपाल के आ जाने से इन सबके द्वारा किये जाना भ्रष्टाचार स्वत: समाप्त हो जाएगा।
डॉ0 परिहार अपने ब्लॉग के माध्यम से एक सांस्कृतिक सचेतक की भूमिका निभाते हुए नजर आते हैं। बात चाहे भाषाई उपेक्षा की हो अथवा सांस्कृतिक क्षरण की, वे इन बिन्दुओं पर न सिर्फ चिंतित नजर आते हैं, वरन उनके कारणों की पड़ताल करते हैं। इसके साथ ही साथ वे समाज के उन दबे-कुचले लोगों की खबर लेना भी नहीं भूलते, जिनके लिए दो-जून की रोटी जुटा पाना आज भी टेढ़ी खीर हुआ करती है। वे कहते हैं जब तक इनके चेहरों पर मुस्कान नहीं आएगी, हम कितनी भी तरक्की की सीढि़याँ क्यों न चढ़ जाएँ, यह कामयाबी व्यर्थ ही कहलाएगी।
वास्तव में डॉ0 परिहार एक ऐसे रचनाकार हैं, जो अपने लिए ही नहीं दूसरों के लिए भी जीते हैं। वे समाज के समग्र विकास के लिए अलख जगा रहे हैं। यदि आप एक संवेदनशील इंसान हैं और अपने सीने में दूसरों के लिए दर्द रखते हैं, तो आप भी स्वयं को डॉ0 परिहार के विचारों के करीब पाएँगे और उनको पढ़ने के बाद उन्हें सराहे बिना रह नहीं पाएँगे।
shukriya Dr parihar ji se milwane ke liye rajneesh ji
जवाब देंहटाएंDr parihaar ji ke vishya me jaankari dene ke liye aabhar.
जवाब देंहटाएंअच्छे ब्लॉग से परिचय करवाया ...सुंदर ब्लॉग समीक्षा
जवाब देंहटाएंबहुत ही उचित बातें कही हैं आपने रजनीश जी। आय एम विथ यू।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya janakari di hai jakir bhai..
जवाब देंहटाएंआपाक बहुत-बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंव्यक्तित्व व कृतित्व के परिचय का आभार।
जवाब देंहटाएंअच्छे ब्लाग से परिचित करवाया आपने
जवाब देंहटाएंसुंदर ब्लॉग समीक्षा...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे ब्लाग से परिचय कराया है। आभार!
जवाब देंहटाएंब्लॉग की बेहतरीन समीक्षा.
जवाब देंहटाएंअच्छे ब्लॉग से परिचय कराया ...
सुंदर ब्लॉग समीक्षा..धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे शख्सियत से परिचय कराया आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे शख्सियत से परिचय कराया आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानकारी मिली! आभार!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
डॉ.परिहार.से और उनकी बेहतरीन सोच से परिचय अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंThanks for introducing us with Dr Parihar.
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