('जनसंदेश टाइम्स', 27 जुलाई, 2011 के 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा) दो पुरानी कहावते हैं: ...
('जनसंदेश टाइम्स', 27 जुलाई, 2011 के
'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा)
दो पुरानी कहावते हैं: ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता’ और ‘एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है’। गहराई से देखें तो ये कहावतें समाज की विडम्बना को प्रस्तुत करती हैं। पहली कहावत का आशय है कि एक अच्छा काम करने वाला व्यक्ति अकेले दम पर कुछ नहीं कर सकता। जबकि दूसरी कहावत बताती है कि एक बुरी विचारधारा का व्यक्ति अकेले दम पर पूरे समाज को प्रभावित कर देता है। शायद इसका कारण यह है कि सकारात्मक प्रवृत्तियों को अपनाना कठिन होता है और नकारात्मकता लोगों को जल्दी आकर्षित करती है। इसीलिए समाज में हमें बुरे लोग ज्यादा मिलते हैं, बनिस्बत अच्छी सोच रखने वालों के।
किन्तु इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि समाज में सारे के सारे लोग नकारात्मक सोच वाले ही हैं। अच्छी सोच रखने वाले लोगों की संख्या भी कम नहीं है, पर वे सूरज की रौशनी में टिमटिमाते हुए तारों के समान हैं, इसलिए हमें आसानी से नजर नहीं आते। सकारात्मक सोच वाले लोगों की मौजूदगी हवा में घुली प्राणवायु आक्सीजन की तरह होती है। वे हमारे आसपास मौजूद तो रहते हैं, पर नजर नहीं आते। जबकि नकारात्मक सोच का काला धुँआ दूर होने पर भी अपनी ओर सबका ध्यान आकर्षित कर लेता है। यही कारण है कि हमें लगता है कि समाज में अच्छे और सदाचारी लोगों की संख्या कम है और नकारात्मक सोच वाले बुरे लोग ज्यादा हैं।
आमतौर से ब्लॉग जगत के बारे में उसके बाहर के लोग भी उपरोक्त कहावतों से ही प्रभावित नज़र आते हैं। शायद यही कारण है कि ब्लॉगजगत के भीतर भी इस विषय पर तेजी से मंथन चल पड़ा है कि लोगों की इस सोच को कैसे बदल जाए, कैसे उसमें परिष्कार लाया जाए। यही कारण है कि पिछले कुछेक समय से ऐसे ब्लॉगर तेजी से सक्रिय हुए हैं जो सकारात्मक सोच को लेकर एक मिशन की तरह कार्य करते हैं। ऐसे ही धीर-गम्भीर लेखक हैं हंसराज 'सुज्ञ', जो अपने ब्लॉग 'सुज्ञ' (http://shrut-sugya.blogspot.com) के द्वारा समाज में सकारात्मकता के प्रचार-प्रसार के लिए कटिबद्ध हैं।
मुम्बई निवासी 'सुज्ञ' की जन्मभूमि वीरों की जन्मस्थली राजस्थान है। वे आयात-निर्यात के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और शौक के लिए ब्लॉगिंग करते हैं। 'सुज्ञ' का मानना है कि ब्लॉग अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बन कर उभरा है। यह न केवल विचार-विमर्श के लिये प्रभावशाली हैं, बल्कि सामान्य से विचारो की सरल प्रस्तुति का इकलौता माध्यम भी है। उनके अनुसार ब्लॉग लेखन निजी विचारो पर भी चर्चा के क्षेत्र खोलता है। उनकी यह धारणा है कि ब्लॉग विचारों को परिष्कृत, परिमार्जित करने के अवसर ही नहीं उपलब्ध कराता है, बल्कि स्थापित विचारों को पूर्ण परिवर्तित कर देने का माद्दा भी रखता है।
'सुज्ञ' का मानना है कि आजकल लोगों में विचार की प्रक्रिया बिलकुल समाप्त हो गयी है। यही कारण है कि जरा सी विपरित प्रतिक्रिया आते ही वे संयम छोड़ देते हैं। लोग इतने आत्मकेन्द्रित हो गये हैं कि अपने निकट मित्र का विरोधी मंतव्य भी सहज स्वीकार नहीं कर पाते और दु:खी हृदय से पलायनवादी हो जाते हैं। इस स्थिति के लिए के वे वैचारिक शून्यता को जिम्मेदार मानते हैं। उनका मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी खास विचारधारा के करीब होता है। लेकिन उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी विचारधारा इतनी सुदृढ नहीं हो सकती कि उस पर प्रतितर्क ही न आए। वे कहते हैं कि कई विचार परम-सत्य हो सकते है पर हमारी यह योग्यता नहीं कि हम पूर्णरूपेण जान सकें कि हमने जो प्रस्तुत किया वह अन्तिम सत्य है और उसको संशय में नहीं डाला जा सकता।
'सुज्ञ' उन धार्मिक विचारधाराओं को, जिनमें दर्शन आधारित विवेचन का कोई स्थान नहीं होता, को समाज के लिए खतरनाक बताते हैं। क्योंकि ऐसी विचारधारा विचार-मंथन को कुंद कर देती है। वे कहते हैं कि ऐसी धार्मिक विचारधाराएँ, सम्प्रदाय प्रचार की दुकानें मात्र हैं, जो फ़ुट्पाथ पर सजी रहती हैं और हर आने-जाने वाले को चिल्ला-चिल्ला कर तथा प्रलोभन देकर आकर्षित करती हैं। वे कहते हैं कि ऐसे अवसर पर मनुष्य को नीर-क्षीर विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए और जो उसे उत्तम और सत्य लगे, उसे अपनाना चाहिए। क्योंकि विवेकपूर्वक हितकारी को अंगीकार करना और अहितकारी को छोडना ही चेतन के लिए कल्याणकारी है।
‘सुज्ञ’ ब्लॉग जगत के प्रवचनकर्ता के रूप में नजर आते हैं। लेकिन वे सिर्फ बातें करने के लिए ही ये सब नहीं कहते, बल्कि इन्हें अपने जीवन में उतारते भी नजर आते हैं। उनकी स्पष्ट धारणा है कि जैसा आपका खान-पान होता है, वैसी ही आपकी सोच भी बन जाती है। वे अपनी बातों को समझाने के लिए सिर्फ भाषण ही नहीं देते, बल्कि रोचक कथा-कहानियों का भी सहारा लेते हैं। यही कारण है कि ‘सुज्ञ’ की बातें सुंदर ही नहीं लगतीं, प्रभावकारी भी होती हैं। उनका ब्लॉग हर वय और वर्ग के लोगों के लिए पठनीय और अनुकरणीय है।
इस ब्लॉग की नियमित पाठक हूँ..... सभी पोस्ट सुंदर चिंतन लिए होती हैं.....इस सुंदर ब्लॉग समीक्षा के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर समीक्षा।
जवाब देंहटाएंपढ़ती रही हूँ इन्हें ...
जवाब देंहटाएंदूसरों की बराई किये बिना सकारात्मक सन्देश इनकी खासियत है !
सुंदर समीक्षा.
जवाब देंहटाएंविचारों से सहमत भी हूँ और नित्य पढ़ता भी हूँ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लेख़ लेकिन सच का साथ देने वालों की कमी इस लेख़ मैं भी दिखाई दे रही है.
जवाब देंहटाएंसुज्ञ के ब्लॉग की अच्छी समीक्षा ..
जवाब देंहटाएंएक अच्छे ब्लॉग के रूप में अपने पहचान बनायीं है बधाई
जवाब देंहटाएंहमने भी सुज्ञ को अपने कई साझा मंचों में शामिल करने के लिए आमंत्रित किया लेकिन वे कभी आए नहीं। अगर वे आते तो हम करते उनसे तर्क और प्रतितर्क। आज भी उनका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंआप ब्लॉगर्स के ब्लॉग का परिचय करा रहे हैं और हम उनकी पोस्ट्स का।
कुछ पोस्ट्स आप देख सकते हैं निम्न लिंक पर
1- अच्छी टिप्पणियाँ ही ला सकती हैं प्यार की बहार Hindi Blogging Guide (22)
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/hindi-blogging-guide-22.html
2- औरत हया है और हया ही सिखाती है , ‘स्लट वॉक‘ के संदर्भ में
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/blog-post_5673.html
3- हाइकु गीत ----- दिलबाग विर्क
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/blog-post_97.html
4- मुस्कुरा दिया करना
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/blog-post_1517.html
5- ये हैं क्रिकेट के बद्तमीज़
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/blog-post_1989.html
6- राष्ट्र गान--किसकी जय गाथा
http://hbfint.blogspot.com/2011/08/blog-post_02.html
7- ख़ुशख़बरी और मुबारकबाद Good news
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/08/good-news.html
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*हिंदी ब्लॉगिंग http://hbfint.blogspot.com* को बढ़ावा देने के मक़सद से ही
आपको यह लिंक प्रेषित किए जाते हैं जिन्हें आप अपने मित्रों को फ़ॉरवर्ड कर दिया
करें ताकि नए लोग हिंदी ब्लॉगिंग से जु़ड़ें। अगर आपको इन लिंक्स के आने से
परेशानी होती है तो कृप्या सूचित करें ताकि आपका नाम सूची से हटाया जा सके।
हमारा मक़सद आपको परेशान करना नहीं है। अगर आप भी अपना ब्लॉग संचालित करते हैं
या आप सामान्य नेट यूज़र हैं और हिंदी ब्लॉगर्स से कोई विचार साझा करना चाहते
हैं तो आप भी अपनी पोस्ट का लिंक या कंटेंट भेज सकते हैं। उसे ज़्यादा से
ज़्यादा हिंदी ब्लॉगर्स तक पहुंचा दिया जाएगा। शर्त यह है कि यह कंटेंट
देशप्रेम की भावना को बढ़ाने वाला और समाज के व्यापक हित में होना चाहिए। हिंदी
ब्लॉगिंग को सार्थक दिशा देना ही ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ का मक़सद है।
धन्यवाद !
ज़ाक़िर जी,
जवाब देंहटाएंयह समीक्षा कहां, आपने तो प्रशंसा ही प्रशंसा कर दी। पर मेरे ब्लॉग को लोगों की नज़र किया,आभार व्यक्त करता हूँ।
प्रवचनकार की पदवी न दिजिए, लोग प्रवचनकारों से दूरी बनाते है।
मासूम साहब नें शायद मेरी ही कमजोरी पकड़ी है। सच जानने परखने की उधेड़-बुन में ही मेरा समय गुजर जाता है। उसी उल्झन में सच्चे लोगों से निकटता नहीं बन पाती।
सुंदर समीक्षा.
जवाब देंहटाएंsugya ji jo kahte hain , nihsandeh use jeete bhi hain
जवाब देंहटाएंनेचर और नर्चर या फिर नेचर एंड नर्चर -दि डिबेट गोज़ आन .अगर सब कुछ जीवन खंड ही तय करतें हैं तो भैया सारी कहावतें नसीहतें जैसे" संग का रंग चढ़ता है" ,"जैसा पानी वैसी वाणी ","जैसा खाना वैसी सेहत" सब गुड गोबर गलत हो जाएगा .एक सड़े हुए आम को दस अच्छे आम के साथ रख दो बाकी भी सड़ने लगेंगे .और कोई एक जीवन इकाई नियामक बनके नहीं आती है व्यवहार की समूह होता है इन जीवन इकाइयों का कौन सी कब सक्रिय होगी कोई निश्चय नहीं अलबत्ता परिवेश एक सक्षम ट्रिगर बनता है यानी माहौल यानी संगत यानी परवरिश .
जवाब देंहटाएंसुज्ञ जी ब्लॉग जगत के एक विज्ञ हस्ताक्षर हैं कई मर्तबा उनकी ज्ञानवर्धक पोस्ट पढने का अवसर मिला है ,आपकी प्रस्तुति जाकिर जी बहुत अच्छी है लेकिन खान- पान और व्यवहार परिवेश का असर लिए है जिससे आप मुकरतें हैं और सारा व्यवहार जीवन इकाइयों के मथ्थे मढ़- तें हैं आप आदमी का फिर तो चयन की अर्जित व्यवहार की गुंजाइश ही नहीं रह जायेगी यदि सभी कुछ प्यार बेवफाई गुंडई ,नेता गिरी जीवन इकाइयों से ही तय होनी है तब .कृपया यहाँ भी पधारें और कृतार्थ करें .http://veerubhai1947.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंhttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/http://sb.samwaad.com/
मेरे प्यारे प्यारे खबरची ,डॉ जाकिर भाई ,ब्लॉग पर विमर्श करके आप एक सार्थक बहस को आगे बढा रहें हैं जो अभी तक अ निर्णीत है .आपकी सक्रियता और सूचना हमारी ऊर्जा है.हिन्दुस्तान में इस चिठ्ठे के प्रकाशन की खबर देकर आपने साइंस ब्लॉग का खुद अपना मान बढ़ाया है . हम तो साइंस ब्लॉग की एक रचना ,एक पोस्ट मात्र हैं ,रचना -कार,और सज्जाकार आप हैं इस ब्लॉग के .आइन्दा ऐसा संशय मन में ना लायें अपने बारे में .विमर्श ही ब्लॉग की चिठ्ठे की सार्थकता है वरना ये सारा भारत "संसद " में चलने वाला फसाद हो जाए .
जवाब देंहटाएंऔर हम सब सांसदों से बेहूदा .
जाकिर भाई यहाँ भी आयें - http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/ http://veerubhai1947.blogspot.com/
aapne hamare param-priya 'sugya' ji
जवाब देंहटाएंka paricharcha kar jo khushi di hai
iske liye haum apko tahe dil se sukriya karte hain......
salam.
सुंदर समीक्षा।
जवाब देंहटाएंHappy friendship day आइए यहां भी
आपने बहुत ही अच्छी चर्चा कि है ज़ाकिर भाई ..
जवाब देंहटाएंआपकी किताब पढ़ी , आपने तो कमाल का लिखा है .. बहुत कुछ सीखने को मिलेंगा आपसे...
धन्यवाद.
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
सुज्ञ जी के दार्शनिक विचारों से मैं बहुत प्रभावित हूं।
जवाब देंहटाएंउनके चिंतन-पथ की आपने अच्छी समीक्षा की है।
सुज्ञजी को पढ़ना मतलब अपने आपको जाँचना परखना..आपकी समीक्षा करने का अन्दाज़ भी कम प्रभावित नहीं करता... दो कहावतों के माध्यम से सकारात्मक और नकारत्मक प्रवृतियों की व्याख्या प्रभावित करती है...
जवाब देंहटाएंजब भी मुझे ब्लोगिंग के मामले में मदत चाहिए इनसे हमेसा ही परामर्श लेता हू. और इन्होने मेरी बहुत ही मदत की है. वैसे तो सुज्ञजी बहुत व्यस्त रहते है. पर मेरी किस्मत कुछ तेज है. लेख पढ़कर बहुत खुसी मिली. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंgreat thoughts . aapne kitne saraltaa se etne gahri baaten kah di .
जवाब देंहटाएंआप सभी मित्रों के अनहद स्नेह के लिए बहुत बहुत आभार!!
जवाब देंहटाएंजाक़िर भाई आपका शुक्रिया!!