16 अगस्त, 2011 एक ऐतिहासिक दिन में तब्दील हो चुका है। इस दिन को भ्रष्टाचार के विरूद्ध आर-पार की जंग के एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप...
16 अगस्त, 2011 एक ऐतिहासिक दिन में तब्दील हो चुका है। इस दिन को भ्रष्टाचार के विरूद्ध आर-पार की जंग के एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में याद रखा जाएगा। यह जंग आगे चल कर क्या रूख अख्तियार करेगी और कहाँ तक जाएगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। पर यह तारीख मेरी व्यक्तिगत जिंदगी के लिए भी एह यादगार दिन में तब्दील हो गयी है।
16 अगस्त की महत्वपूर्ण तारीख को जहाँ एक ओर देश अन्ना के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए मजबूत लोकपाल के लिए संषर्घरत था, वहीं दूसरी ओर मैं लगभग उन्हीं स्थितियों (जिसके लिए यह आंदोलन चल रहा है) में फंसा अपनी पी-एच.डी. की डिग्री की प्रक्रिया पूरी कर रहा था। तमाम छोटी-मोटी औपचारिकताओं और हल्की सी मौखिकी (वायवा) के बाद आखिरकार मुझे ‘आधुनिक हिन्दी बाल कहानियों का विवेचनात्क अध्ययन’ शोध प्रबंध (निर्देशक डॉ. उषा यादव) के लिए कन्हैयालाल मुंशी हिन्दी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ, डॉ0 भीमराव अम्बेदकर विश्वविद्यालय (पूर्ववर्ती आगरा विश्वविद्यालय), आगरा द्वारा ‘डॉक्टर ऑफ फिलासफी’ की डिग्री प्रदान कर दी गयी।
लगभग पाँच साल की लम्बी प्रक्रिया से गुजरने के बाद इस मुकाम तक पहुँचना निस्संदेह एक सुखद एहसास है। कारण सिर्फ यह नहीं कि इस तारीख से मुझे अपने नाम के आगे डॉ0 लगाने का अधिकार प्राप्त हो गया, बल्कि मुझे इस बात की ज्यादा खुशी है कि इसी बहाने मुझे बाल कहानियों को एक नई दृष्टि से देखने और समझने का अवसर प्राप्त हो सका। यह अवसर मेरे मन भाने वाले आलोचनात्मक लेखन को कहाँ तक ले जाएगा, मुझे नहीं पता, पर इतना तो तय है कि आने वाले दिनों में मुझे आलोचनात्मक लेखन करते समय अधिक गम्भीरता और सजगता का परिचय देना होगा।
डॉक्टरेट की उपाधि की प्राप्ति की सूचना जब कुछ खास दोस्तों को मिली, तो उनकी प्रतिक्रिया अत्यंत उत्साहजनक रही। कुछ लोगों ने जहाँ औपचारिक बधाई से काम चलाया, वहीं कुछ लोगों ने दिल को छू जाने वाली बातें कह दीं। मैं उनके शब्दों को यहाँ दोहराने के मोह का संवरण नहीं कर पा रहा हूँ:-
श्रद्धेय डॉ0 उषा यादव |
एक साहित्यकार मित्र की प्रतिक्रिया रही- ‘एक सामान्य विद्यार्थी जब बाल साहित्य पर शोध कार्य करता है, तो वह सिर्फ औपचारिकता निभाता है, लेकिन जब स्वयं बाल साहित्य से जुड़ा हुआ व्यक्ति उस पर शोध कार्य करता है, तो वह मन से इस काम को करता है। इसलिए मुझे आपके शोध प्रबंध की पुस्तक रूप में प्रतीक्षा रहेगी। वह पुस्तक शोधार्थियों ही नहीं बाल सहित्यकारों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी। इसलिए अपने शोध कार्य को पुस्तक रूप में प्रकाशित अवश्य कराइएगा।’
एक अन्य साहित्यकार मित्र की प्रतिक्रिया रही- ‘अभी तक ज़ाकिर अली रजनीश को हम एक सार्थक लेखन करने वाले रचनाकार के रूप में जानते रहे हैं, अब उम्मीद करते हैं कि आप एक प्रखर आलोचक की भूमिका में भी नजर आएँगे।’
प्रतिक्रियाएँ तो और भी रहीं, पर ज्यादा लोगों का उल्लेख करने पर ‘अपने मुँह मियाँ मिट्ठू’ कहलाने का भी डर है। :)
इस शोधकार्य को उसकी परिणति तक पहुँचाने में निश्चय ही गाइड डॉ0 उषा यादव जी का महती योगदान है। उन्होंने जिस स्नेह एवं निष्ठा से अपना सहयोग प्रदान किया, उनके लिए आभार जैसा शब्द छोटा है। मैं उन्हें अपना कृतज्ञ मौन समर्पित करता हूँ। इसके साथ ही विद्यापीठ के निदेशक डॉ0 हरिमोहन शर्मा जी का भी बराबर स्नेह एवं आशीर्वाद मिलता रहा। मैं उनके प्रति हृदय से आभारी हूँ।
इस शोधकार्य को सम्पन्न कराने में मेरी पत्नी श्रीमती अर्शिया अली ने भरपूर भावनात्मक सहयोग प्रदान किया। उनके (और बच्चों के) हिस्से का बहुत सा समय इस शोधकार्य को देना पड़ा है। और हाँ, मित्रों और ब्लॉगर बंधुओं ने भी समय-समय पर अपनी शुभकामनाओं एवं भावनात्मक सहयोग देकर मेरा हौसला बढ़ाया है। मैं आप सभी के प्रति हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ। वास्तव में यह आप सबकी शुभकामनाओं का प्रताप ही था, जो यह कार्य इतनी सहजता से सम्पन्न हो सका।
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अरे वाह! यह तो बहुत ही ख़ुशी की बात है.... बहुत-बहुत मुबारक हो डॉ साहब! :-)
जवाब देंहटाएंतहे दिल से मुबारकबाद कुबूल फरमाएं!
आनन्द आ गया भाई। बधाई हो!
जवाब देंहटाएंडा. रजनीश जी !
जवाब देंहटाएंआपको पी .एच.डी. की डिग्री प्राप्त होने पर मेरी बधाई स्वीकार करें !
शुभकामनाओं के साथ ,
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
रजनीश जी, आपको हृदय से बधाई। बालसाहित्य पर आज कार्य की महती आवश्यकता है इसलिए आपने इस विषय पर पीएचडी की इसका सबसे अधिक आनन्द है। डॉ उषा यादव शायद वही हैं जिन्होंने अमावस की रात नामक उपन्यास लिखा है। उन्हें भी मेरा नमस्कार कहें।
जवाब देंहटाएंमुबारक़ हो डॉक्टर साहब, विद्वान तो आप थे ही। अब पहचान के साथ अभिव्यक्त है।
जवाब देंहटाएंडॉ0 ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ साहब को शुभकामनाएँ।
बहुत बधाई हो आपको।
जवाब देंहटाएंबहुत खुशी हुई .. बहुत बहुत बधाई !!
जवाब देंहटाएंdr zakir
जवाब देंहटाएंmujhae bahut khushi hui yae post daekh kar
badhaii
अरे वाह डॉ ज़ाकिर जी ... क्या बात है ... बहुत बहुत मुबारकबाद ... मिठाई सिठाई लाइए ... ये क्या, ऐसी खबर कोई खाली हाथ थोड़े न देता है ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई ...डॉक्टर साहब ...
जवाब देंहटाएंbahut bahut mubaarakbaad
जवाब देंहटाएंये तो बहुत खुशी की बात है डाक्टर साहब ... बधाई हो आपको दिल से ...
जवाब देंहटाएंवाह ! आपको डॉक्टरेट की उपाधि मिलने पर बहुत बहुत बधाई ! आप इसी तरह हिंदी साहित्य की बुलंदियों को छूते रहें और ब्लॉग जगत में चमकते रहें...
जवाब देंहटाएंडा. रजनीश जी,
जवाब देंहटाएंआपको पी .एच.डी. की डिग्री प्राप्त होने पर मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाये...आप इसी तरह हिंदी साहित्य की ऊँचाइयों को छूते हुए ब्लॉग जगत में जगमगाते रहें...
बधाई हो डॉ साहब!
जवाब देंहटाएंडॉO जाकिर अली 'रजनीश' जी मुबारक हो
जवाब देंहटाएंडॉक्टर साहब को बधाईयाँ और शुभकामनाएं…
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉग जगत के चुनिंदा डॉक्टरों की पंक्ति में अब आप भी आ गए… वेरी गुड…
बहुत बहुत बधाई ... डॉक्टर साहब !
जवाब देंहटाएंआप की अथक मेहनत का ही परिणाम है यह उपलब्धि.इस उपलब्धि के लिए बहुत- बहुत बधाईयाँ और शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंपांच वर्ष की मेहनत रंग लाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई ।
रजनीश भाई ।
आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
Dr rajneesh ji
जवाब देंहटाएंआपको पी .एच.ड. क डी ा होने पर मेर बधाई वीकार कर !
Is khabar ko hamse share karne ka bhi shukriya.
कभी कभी अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बन जाना चाहिए..:)
जवाब देंहटाएंबधाई!!
Hardik Badhi...
जवाब देंहटाएंआप पहले भिओ इतने ही सुज्ञ और विज्ञ थे अलबत्ता एक अलंकरण का जीवन में अपना महत्व और सौन्दर्य है ,कोंवोकेशन में पीएच- डियों का अलग रूतबा होता है लाल चोगे में . .....http://veerubhai1947.blogspot.com/http://veerubhai1947.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंमंगलवार, १६ अगस्त २०११
पन्द्रह मिनिट कसरत करने से भी सेहत की बंद खिड़की खुल जाती है .
Thursday, August 18, 2011
Will you have a heart attack?
आप पहले भिओ इतने ही सुज्ञ और विज्ञ थे अलबत्ता एक अलंकरण का जीवन में अपना महत्व और सौन्दर्य है ,कोंवोकेशन में पीएच- डियों का अलग रूतबा होता है लाल चोगे में . .....http://veerubhai1947.blogspot.com/http://veerubhai1947.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंमंगलवार, १६ अगस्त २०११
पन्द्रह मिनिट कसरत करने से भी सेहत की बंद खिड़की खुल जाती है .
Thursday, August 18, 2011
Will you have a heart attack?
डॉ.बनने की बहुत बहुत बधाई जाकिर अली रजनीश जी.वैसे तो अज की जो शिक्षा पद्धति है उसमे पी .एच .डी.की डिग्री मिलना अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धी है और आपने ये डिग्री ऐसे समय में पाकर बहुत ऊँची मंजिल पा ली है.बधाई एक बार नहीं सौ बार.
जवाब देंहटाएंओऽहोऽऽऽ… बहुत प्रसन्नता हुई …
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई डॉक्टर ज़ाकिर अली रजनीश जी !
आप जीवन में और भी प्रगति करें …
हार्दिक मंगलकामनाओं सहित
-राजेन्द्र स्वर्णकार
डॉ० सा'ब को ढ़ेरों बधाईयाँ !!!
जवाब देंहटाएंमिठाई कब मिलेगी ?
भई वाह! डा० जाकिर भाई, इस एवरेस्ट को फतह करने पर बहुत बहुत मुबारक. आमतौर पर साहित्यकार पर शोध करके डॉक्टर की डिग्री अक्सर मिल जाती है लेकिन खुद साहित्यकार को यह डिग्री विरले ही मिलती है. लिहाज़ा आप दोहरी बधाई के पात्र हैं.
जवाब देंहटाएंआपको पी .एच.डी. की डिग्री प्राप्त होने पर मेरी बधाई !
जवाब देंहटाएंआपको बहुत-2 बधाई.
जवाब देंहटाएंआजकल इस दुनिया से थोडा दूर हूँ अतः पोस्ट देरी से पढ़ पाया. हम भी खुश हुए जी. फोनबुक में अभी डा. लिख ले रहे हैं.........
जवाब देंहटाएंज़ाकिर आली जी डाकटरेट हासिल करने के लिए हार्दिक मुबारकवाद। हम उम्मीद करते हैं आप इससे भी अधिक और प्रगति करेंगे। हमारी शुभकामनायें अग्रिम रूप से आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंहैलो डॉ रजनीश. बधाई हो पीएडी की नैया पार होने पर.
जवाब देंहटाएंकभी मेरी भी नब्ज़ देखना डॉक्टर :))
डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने पर बधाई।
जवाब देंहटाएंएक पार्टी तो हमारी भी बनती है भाई ॥
डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने पर बधाई
जवाब देंहटाएंलेकिन खाली हाथ यह सूचना!
क्या सोच के आए थे?
कि सरदार खुस होगा सबासी देगा!!
क्यों?
:-)
एक पार्टी तो बनती है भई
पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त होने पर मेरी बधाई !
जवाब देंहटाएं