ब्लॉग जगत के इतिहास की एक अविश्वसनीय घटना। 16 मई 2011 को मैंने मजाक-मजाक में यूं ही मोबाईल खोने की पोस्ट लगा दी थी: ' है कोई मा...
ब्लॉग जगत के इतिहास की एक अविश्वसनीय घटना।
16 मई 2011 को मैंने मजाक-मजाक में यूं ही मोबाईल खोने की पोस्ट लगा दी थी: 'है कोई माई का लाल ब्लॉगर'। अगर सच पूछिए तो मुझे 01 प्रतिशत भी उम्मीद नहीं रह गयी थी कि लगभग 10 महीने पहले खोया मेरा मोबाईल मिल सकेगा। क्योंकि 10 महीने का अर्सा बहुत होता है। लेकिन असम्भव सम्भव हो ही गया। और ये सब हो पाया है ब्लॉगिंग के बल पर।
16 मई 2011 को मैंने मजाक-मजाक में यूं ही मोबाईल खोने की पोस्ट लगा दी थी: 'है कोई माई का लाल ब्लॉगर'। अगर सच पूछिए तो मुझे 01 प्रतिशत भी उम्मीद नहीं रह गयी थी कि लगभग 10 महीने पहले खोया मेरा मोबाईल मिल सकेगा। क्योंकि 10 महीने का अर्सा बहुत होता है। लेकिन असम्भव सम्भव हो ही गया। और ये सब हो पाया है ब्लॉगिंग के बल पर।
मेरे 'इंटेक्स 6633' मोबाईल खोने के बारे में लिखी उस पोस्ट को पढ़कर हमारे ब्लॉगर मित्र डॉ0 पवन कुमार मिश्र का फोन आया कि भागलपुर में गिरिजेश कुमार रहते है। वे ब्लॉगर भी हैं। पवन भाई से नं0 लेकर मैंने गिरिजेश जी से सम्पर्क साधा। उन्होंने मामले में रूचि दिखाई। चोरी का मोबाईल यूज कर रहे व्यक्ति को फोन किया। पहले तो उसने टहलाने की कोशिश की, लेकिन थोड़ा सा टाइट होने पर वह डर गया और मिलने के राजी हो गया।
मिलने-मिलाने और मोबाईल पाने के दौरान बडी नौटंकी हुई। पहले उस व्यक्ति ने मोबाईल के बदले कुछ रूपयों की मांग की, फिर एफआईआर कैंसिल कराने की बात हुई। मैं और गिरिजेश भाई इस दौरान पूरे मन से लगे रहे। वे मेरे लिए पटना का कॉलेज छोड़कर अपने गृह जनपद भागलुपर भी गये। और अंत में बड़ी जद्दोजहद के बाद मोबाईल गिरिजेश भाई के हाथ में आ गया।
लेकिन अब दिक्कत यह हुई कि मोबाईल भागलपुर/पटना से लखनऊ कैसे पहुंचे? कोई कूरियर कम्पनी वाला तैयार नहीं था। ले-देके पता चला कि 'ब्लू डार्ट' कम्पनी मोबाईल को कूरियर से भेजती है। पर उसमें भी फार्म 39 का लफड़ा फंस गया। अंत में अपने पोसटमैन की सलाह पर मैंने स्पीडपोस्ट से मोबाईल भेजने का आग्रह किया। और इस प्रकार मेरा मेरा खोया हुआ लाजवाब मोबाईल 'इन्टेक्स 6633' लगभग एक साल के बाद मेरे हाथ में आ गया।
यह असम्भव सा कार्य था, जो ब्लागिंग की ताकत से और ब्लॉगर गिरिजेश जी के सहयोग से सम्भव हुआ है। गिरिजेश जी ने इस पूरे प्रकरण में जिस प्रकार से सहयोग किया और दौड़ भाग की, उसके लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। वे एक युवा हैं, ऊर्जावान हैं, विचारवान हैं और एक सक्रिय ब्लॉगर है। उनके ब्लॉग 'चलते-चलते' की समीक्षा 08 जून को 'ब्लॉगवाणी' कॉलम के अंतर्गत प्रकाशित हो चुकी है। उसके अतिरिक्त उनका एक अन्य ब्लॉग है 'अल्फाज़-ए-दिल'।
गिरिजेश भाई एक ऊर्जावान, विचारवान ब्लॉगर होने के साथ सहृदय व्यक्ति भी हैं। उनकी सहृदयता का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि मोबाईल भेजने के लिए जो पैसे उन्होंने खर्च किए, लाख अनुग्रह करने के बाद भी उसे यह कहकर मना कर दिया कि यह छोटी सी राशि है, इसके लिए आप क्यों तकलीफ करेंगे।
मैं सच्चे दिल से गिरिजेश भाई के प्रति अपना आभार प्रकट करता हूँ। साथ ही पवन भाई का भी शुक्रिया कदा करता हूँ, जो उन्होंने मुझे उनसे मिलवाया। और हां, ब्लॉगिंग को कैसे भूल सकता हूँ मैं, क्योंकि यह उसी की ताकत है, जिसके बल पर असम्भव काम भी सम्भव में बदल सका।
अपडेट: इस घटना से मैंने यह सीख ली है कि पुराना मोबाईल कभी नहीं लेना चाहिए, जब तक उसकी रसीद और सारी एसेसरीज वगैरह न हों। इसके अलावा कोशिश यही करनी चाहिए कि आप जो मोबाईल खरीदें, उसमें मोबाईल ट्रैकर जरूर पड़ा हो ताकि बाद में यदि कोई उसमें अपने सिम डाले, तो उन नम्बरों की खबर आपको भी हो सके।
Keywords: Mobile Tracking System, Mobile Phone Surveillance, Intex Mobile, Girijesh Kumar, Power of Blogging
मुझे लगा गिरिजेश जी , हाल फिलहाल मुकाम पोस्ट लखनऊ , ने आपकी मदद की होगी पर ये तो भागलपुर वाले निकले :)
जवाब देंहटाएंआपने अपना खोया हुआ मोबाइल पाया सो तो ठीक है पर छोटी बड़ी चपत गिरिजेश जी को क्यों ? कोई उपाय सोचिये और समाधान कीजिये !
मोबाइल भागलपुर में मिला, पूरी कहानी भी बतानी चाहिए थी। लेकिन आपको बधाई। आपसी सौहार्द और संगठन में यही शक्ति होती है। सारा जहान एक परिवार ही लगता है।
जवाब देंहटाएंवाह ये तो चमत्कार हो गया। गिरिजेश जी का सहयोग काबिले तारीफ है।
जवाब देंहटाएंये सर्विलाँस वाली सुविधा के बारे में बतायेंगे, हमारा फोन खोया था पर रिपोर्ट लिखने के अलावा कुछ नहीं हुआ।
पढ़कर अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंगिरिजेश जी एक अच्छे ब्लोगर हैं यह मैं जानता था लेकिन अच्छे इंसान भी हैं यह आज जाना. धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रसंग.
जवाब देंहटाएंwaah, prashansniye
जवाब देंहटाएंपढ कर अच्छा लगा । संस्मरण भी कह सकते है इसे
जवाब देंहटाएंगिरजेश , एक अच्छे इंसान , एक भरोसेमंद दोस्त और एक बेहद काबिल मित्र हैं , ये पुन: साबित हो गया । कोई प्रिय वस्तु , वो भी एक साल बाद इतना घूमघाम कर वापस आ जाए तो आनंद का क्या कहना । आपको बधाई , प्रिय मोबाइल के मिलने पर
जवाब देंहटाएंलाजवाब मोबाईल 'इन्टेक्स 6633'
जवाब देंहटाएंलाजवाब मोबाईल क्यों है ये भी बताने का कष्ट करें
धन्यवाद
बहुत अच्छी बात आपका एक साल बाद मोबाईल मिल गया हर कोई आपकी तरह से किस्मत का धनी नहीं होता है. हमारा तो आज तक नहीं मिला है. दिल्ली पुलिस अखवारों में घोषणा ही करती है लेकिन ऐसे मामलों में कुछ नहीं करती है.अगर उनके किसी अधिकारी का फोन गुम हो तब जरुर कार्यवाही करती हैं.क्या आपने इसका ईआईएम् दिया था.वैसे आपको इस पोस्ट में थोडा विस्तार से लिखना चाहिए था. कब,कहाँ,कैसे,क्यों,क्या आदि के बारें में जानकारी मिलनी चाहिए.
जवाब देंहटाएंब्लोगिंग का एक और सकारात्मक पक्ष देखने को मिला.
जवाब देंहटाएंगिरिजेश जी जो शाबाशी .:)
*त्रुटि सुधार *जो' को 'को' पढ़िये
जवाब देंहटाएंमोबाईल फोन मुझे मिले या न मिले, उसकी चिन्ता नहीं। पर अगर कोई माई का लाल ये एसएमएस आने ही बंद करवा दे, तो मैं वादा करता हूँ कि उसके ब्लॉग पर फ्री में आजन्म टिप्पणियां करता रहूंगा।
जवाब देंहटाएंये बात याद रखिएगा .. और बिहारवालों के बारे में भी आपकी सोंच बदल चुकी होगी अब तो .. मोबाइल वापस मिलने के लिए आपको बधाई !!
गिरिजेश जी पूरे ब्लॉग जगत की ओर से धन्यवाद के पात्र हैं !!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंyeh to behad khub rahi. waise sach me ye blogging ka hi to kamaal hai. bahut achcha laga jaankar.... girijesh ji ko dhanywad.....
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (4-7-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
अविश्वसनीय
जवाब देंहटाएंआख़िरकार आपका पसंदीदा मोबाईल तो मिल गया . अंत भला तो सब भला .
जवाब देंहटाएंगिरिजेश जी का यह कार्य सराहनीय है.
जवाब देंहटाएंखोया हुआ मोबाइल पा लिया आपने जो वाकई एक असंभव सा कार्य है.बहुत बहुत बधाई.
सादर
ब्लागरी ने अनेक असंभव काम अंजाम दिए हैं। आगे भी देती रहेगी।
जवाब देंहटाएंमुबारक हो । ब्लोगिंग के कुछ फायदे तो हैं ही ।
जवाब देंहटाएंगिरजेश जी का काम बहुत सराहनीय है ।
गिरिजेश जी का यह कार्य सराहनीय है|
जवाब देंहटाएंअली जी, मैं और पवन जी काफी दिनों से इसके लिए उनपर दबाव डाल रहा हूं, पर गिरिजेश भाई ने न मानने की कसम सी खा रखी है।
जवाब देंहटाएंअजित गुप्ता जी, पूरी कहानी मैंने पिछली पोस्ट 'है कोई माई का लाल ब्लॉगर' में लिखी थी, उसका लिंक शुरू में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंअजित गुप्ता जी, पूरी कहानी मैंने पिछली पोस्ट 'है कोई माई का लाल ब्लॉगर' में लिखी थी, उसका लिंक शुरू में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंश्रीश जी, पुलिस विभाग ने हर बडे शहर में एक सर्विलांस सेल खोल रखा है, वहां पर मोबाईल खोने की एफआईआर की कॉपी और मोबाइल की रसीद की कॉपी के साथ एप्लीकेशन देने पर वे उसे सर्विलांस पर लगा देते हैं और आईएमई नम्बर के द्वारा उसे ट्रेस करने का प्रयत्न करते हैं।
जवाब देंहटाएंलेकिन मेरा यह मोबाईल मिला, इसमें मोबाईल ट्रेकर का भी बडा योगदान रहा। उसकी मदद से उपयोगकर्ता का नंबर मिला, फिर उस नम्बर को सर्विलांस में देकर उसका पूरा पता निकलवाया गया। उसके आगे का काम गिरिजेश भाई ने किया।
दर्शन जी, 'इंटेक्स 6633' मोबाईल मैने 6 अगस्त 2010 में लिया था, उस समय यह 4500 का मिला था। इसमें 8 जीबी एसडी कार्ड सपोर्ट के साथ फेस टू फेस टॉकिंग (विदाउट थ्रीजी) वाई-फाई, आंसरिंग मशीन, वॉयरलेस एफ0एम0, वॉयस चेंजर, शेक, 1300 एमएएच बैटरी और बहुत सारी सुविधाएं हैं। और इतने कम पैसों में उस समय इतनी सुविधाएं किसी अन्य कंपनी के पास उपलब्ध नहीं थीं।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, बडी गूढ बात खोज कर लाई हैं। उसे याद दिलाने की जरूरत नहीं। वैसे भी गिरिजेश भाई गम्भीर ब्लॉगर हैं और अच्छा लिखते हैं। ऐसे में उनके ब्लॉग को पढना और टिपियाना मुझे अखरेगा नहीं। :)
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई आपका मोबाईल मिल गया इसके लिए बधाई दूसरी बात यह है की ब्लोगिंग से आपको फायदा हो गया मगर सच्चाई यह है की ब्लोगिंग से आपको एक अच्छा दोस्त मिल गया ....
जवाब देंहटाएंबहुत सही. वैसे तो लगभग असंभव ही था ये काम .
जवाब देंहटाएंब्लॉगरों के प्रयास से मोबाइल मिला है, हिन्दी का गौरव भी बहुत दिनों से लापता है।
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग का सकरात्मक पहलू जानना अच्छा लगा !
जवाब देंहटाएंगिरजेश जी को हार्दिक बधाई इस नेक कार्य और ब्लाग परिवार का मान बढ़ाने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबधाई और जानकारी के लिए और जानकारी दीजिए ट्रेकिंग सिस्टम के बाबत .
जवाब देंहटाएंविश्वास नहीं होता ..... अच्छा लगा जानकर ....
जवाब देंहटाएंsurprising.
जवाब देंहटाएंZakir bhai pl elaborate how to continue roman also when needed with transliteration on .I am not known to this technique .Me is not a computer sauvy ,geek.
जवाब देंहटाएंबधाई जी बधाई
जवाब देंहटाएंगिरिजेश जी भी धन्यवाद के पात्र हैं
रमेश जैन जी
दिल्ली पुलिस कभी-कभी काम भी करती है जी मेरे ससुरजी का फोन तीन दिन में ढूंढ निकाला केवल एक एफ़ आई आर कराई गयी थी।
प्रणाम
मुबारक खोया मोबाईल फिर पाना.गिरिजेश जी वाकई धन्यवाद के पात्र हैं सभी को उनका अनुकरण करना चाहिए.
जवाब देंहटाएंAre wah badhaee ho mobile mila aur sath hee ek accha bloger mitr bhee .
जवाब देंहटाएंAre wah badhaee ho mobile mila aur sath hee ek accha bloger mitr bhee .
जवाब देंहटाएंAre wah badhaee ho mobile mila aur sath hee ek accha bloger mitr bhee .
जवाब देंहटाएंब्लॉग्गिंग का एक और सकारात्मक पहलू...बधाई मोबाइल मिलने की..
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉगिंग जगत में यह एक अच्छी मिसाल है. धीरे-धीरे अन्य ब्लॉगरों के अनुभव भी प्रकाश में आएँगे. गिरिजेश जी की प्रशंसा करनी होगी.
जवाब देंहटाएंcongrats
जवाब देंहटाएंyes blogging is powerful
बधाई हो आपको,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
भई बधाई हो आपको....अंत भला सो सब भला...
जवाब देंहटाएंबधाई मोबाइल मिलने की..
जवाब देंहटाएंबधाई हो. आपका ब्लॉग पढ़ने का मौका मिला और उसके लिए धन्यवाद हिन्दयुग्म को.
जवाब देंहटाएंआज आपने अपनी टिप्पणी जो करी थी.
अरे वाह दस महीने बाद आपका मोबाईल वापस मिला सुनकर यकीं नहीं हो रहा पर यह जानकर ख़ुशी बहुत हुई बहुत - बहुत बधाई दोस्त जी |
जवाब देंहटाएंवाह ..यह तो बहुत बढ़िया खबर है ... सच ही ब्लॉग जगत एक परिवार की तरह ही है ...
जवाब देंहटाएंवाकई यह तो 'अनहोनी को होनी' कर देने वाली बात हुई. आशा है अपनी प्रतिज्ञा भी याद रखेंगे. :-)
जवाब देंहटाएंबधाई.
नाम के अनुरूप
जवाब देंहटाएंहैं
गिरिजेश कुमार।
बात करना चाहूंगा।
ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
जवाब देंहटाएं