('जनसंदेश टाइम्स', 13 जुलाई, 2011 के 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा) क्या आपको ‘ स्टार वार्स ’...
('जनसंदेश टाइम्स', 13 जुलाई, 2011 के
'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा)
क्या आपको ‘स्टार वार्स’ अथवा ‘मैट्रिक्स’ सीरीज की फिल्में याद हैं? अगर नहीं, तो फिर ‘जुरासिक पार्क’, ‘वोल्कैनो’, ‘द डे ऑफटर टुमारो’ अथवा कुछ समय पहले आई ‘अवतार’ की याद तो अवश्य ही होगी। ये वे फिल्में हैं, जिन्होंने हॉलीवुड ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में सफलता के कीर्तिमान रचे और करोड़ों लोगों को अपना दीवाना बनाया। क्या आपने कभी सोचा है कि इन फिल्मों में आखिर कॉमन चीज क्या है? इनमें कौन सा ऐसा तत्व है, जिसने इन फिल्मों को विश्व इतिहास में अमर बना दिया? वह तत्व है साइंस फंतासी, अर्थात विज्ञान की भूमि पर रची गयी कल्पना। विज्ञान को आधार बनाकर जो कहानियाँ लिखी जाती हैं, वे साइंस फिक्शन(फंतासी) अथवा ‘विज्ञान कथा’ के नाम से जानी जाती है। हॉलीवुड में विज्ञान कथाओं को आधार बनाकर फिल्में बनाने का बहुत पुराना इतिहास है। ये फिल्में अपनी जबरदस्त कथावस्तु, अद्भुत वातावरणीय, गजब के स्पेशल इफेक्ट्स और शानदार फिल्मांकन के कारण सम्पूर्ण विश्व में सराही जाती हैं और कमाई के नित नए निकार्ड बनाती हैं।
साइंस फिक्शन फिल्मों की तरह ही साहित्य में विज्ञान कथाओं की परम्परा रही है। हिन्दी की पहली मौलिक विज्ञान कथा का श्रेय सत्यदेव परिव्राजक की ‘आश्चर्यजनक घंटी’ को प्राप्त है, जो ‘सरस्वती’ के अप्रैल-जुलाई, 1908 में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद से लगातार हिन्दी में विज्ञान कथाएँ लिखी जाती रही हैं। भले ही अन्य भारतीय भाषाओं विशेषकर बंगला और मराठी की तुलना में हिन्दी में कम विज्ञान कथाएँ लिखी गयी हैं, किन्तु शेष भारतीय भाषाओं की तुलना में यह संतोषजनक ही है। साहित्य की इस महत्वपूर्ण विधा को समृद्ध बनाने में जिन रचनाकारों ने अभूतपूर्व योगदान दिया है, उनमें युवा रचनाकार ज़ीशान हैदर ज़ैदी का महत्वपूर्ण स्थान है। विज्ञान कथाओं पर केन्द्रित उनका चर्चित ब्लॉग है ‘हिन्दी साइंस फिक्शन’ (http://hindisciencefiction.blogspot.com)।
18 अक्तूबर 1973 को लखनऊ में जन्में ज़ीशान एक अन्तर्मुखी और विनम्र व्यक्ति हैं। वे आत्मप्रचार से दूर रहते हुए लगभग डेढ़ दशक से विज्ञान कथाओं का सृजन कर रहे हैं। उनकी रचनाएँ देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं और चर्चा का विषय बनी हैं। गणितीय सांख्यकी में एम.एस-सी. करने वाले ज़ीशान ‘साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन’ पर विज्ञान के क्लिष्ट से क्लिष्ट सिद्धांतों को बेहद सरल ढ़ंग से प्रस्तुत करते रहे हैं। वे उन सिद्धांतों को चुनौती के साथ विज्ञान कथाओं में पिरोने का कार्य भी करते रहे हैं। उन्होंने नाटकों और टीवी धारावाहिकों के क्षेत्र में भी काफी काम किया है और रेडियो तथा टीवी पर उनके अनेक धारावाहिक प्रसारित हो चुके हैं।
‘प्रोफेसर मंकी’ और ‘कम्प्यूटर की मौत’ नामक विज्ञान कथा संग्रहों के लेखक ज़ीशान के अनुसार विज्ञान कथा विज्ञान को लोकप्रिय माध्यमों से जोड़कर उसकी सक्रियता बढ़ाने का काम करती है। उनका मानना है कि विज्ञान कथा भविष्य की वैज्ञानिक प्रगति की झलक दिखाने, वैज्ञानिक प्रगति के सामाजिक प्रभाव का अवलोकन करने, वैज्ञानिक प्रगति की सही दिशा निर्धारित करने तथा वैज्ञानिक विकास की भावी विकृतियों को रेखांकित करने का भी काम करती है। उनके अनुसार वैज्ञानिक साहित्य का असली मकसद मनोरंजन न होकर समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना होता है। उनकी हार्दिक इच्छा है कि विज्ञान समाज में इस तरह रस बस जाये कि आम आदमी भी वैज्ञानिक बनकर सोचने लगे। यही वैज्ञानिक साहित्य की सफलता भी है।
विज्ञान कथा में नौ रसों (श्रंगार, वीर, हास्य, रौद्र,.....इत्यादि) को आवश्यक मानने वाले ज़ीशान इसमें प्राचीन कथाओं, लोक कथाओं एवं धार्मिक मान्यताओं के रंग को शामिल करने की हिमायत करते हैं। उन्होंने विज्ञान कथाओं को नया आयाम देते हुए उसमें हास्य और एडवेंचर का भी समावेश किया है। उनका मानना है कि विज्ञान कथा को लघु कथा, उपन्यास, नाटक, कॉमिक्स, झाँकी, टी.वी. धारावाहिक स्क्रिप्ट, फिल्म स्क्रिप्ट, कविता इत्यादि किसी भी विधा में रचा जा सकता है।
विज्ञान कथा की बात चलने पर आम पाठक के दिमाग में आमतौर से बड़ी-बड़ी प्रयोगशालाओं, रोबोट और अंतरिक्ष के चित्र उभरते हैं। ज़ीशान इस धारणा को खंडित करते हुए कहते हैं कि विज्ञान का मतलब प्रयोगशाला, रोबोट और एलियन ही नहीं हैं। आम आदमी की जिंदगी में भी विज्ञान छिपा होता है। एक रिक्शेवाला अपने रिक्शे को किस तरह का आकार दे कि चलाते समय उसे कम से कम ताकत लगानी पड़े अथवा नदी से पान को खेत तक पानी लाने में किसान कौन सी तरकीब लगाये कि खर्च बचाते हुए उसके खेत को पूरा पानी मिल जाये यह सोच भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाती है।
यदि आपको रोचक कथाओं, विज्ञान के रहस्यों और विज्ञान कथाओं की तिलिस्मी दुनिया में रूचि है, तो इस ब्लॉग को अवश्य देखें। यकीन मानें आप स्वयं को ज़ीशान के बनाए तिलिस्म में खोने से रोक नहीं पाएँगे।
Science fiction is my favorite genre in reading as well as in movies.
जवाब देंहटाएंAlthough I never got the chance read Sci-fi in Hindi..
sach me vigyaan sab jagah hai !!
जवाब देंहटाएंमैं तो कोई साइंस फिक्शन फिल्म अथवा नोवल छोड़ता ही नहीं
जवाब देंहटाएंएक बहुत अच्छे ब्लॉगर से परिचय कराया। इनको पढा नहीं है। अब तो इस पोस्ट को पढ़ने के बाद बस यहां से उनका समर्थक बनने जा रहा हूँ।
जवाब देंहटाएंविज्ञान कथा का रोचक इतिहास हमसे साझा करने के लिए आभार। ये जानकारी मेरे लिए नई थी।
बाक़ी अंग्रेज़ी फ़िल्में मैं देखता नहीं इसलिए उनके बारे में कुछ कह नहीं सकता।
विज्ञान-कथाओं का अपना ही जादू है.रोमांचक और रोचक .
जवाब देंहटाएंजीशान जी ने विज्ञान कथाओं को नया आयाम दिया है.बधाई.
इस सारगर्भित समीक्षा के लिए आप का आभार.
तिलिस्म दुनिया ... गज़ब की फेंटेसी बनाते हैं ... बहुत अच्छा लगा आपका लेख ...
जवाब देंहटाएंkya bat hai
जवाब देंहटाएं.जीसन जी का परिचय देने के लिए आभार अच्छी जानकारी दी ही
जवाब देंहटाएंअंग्रेजी के कई उपन्यास तो पढ़े हैं।
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति हेतु आभार,जीशान जी को बधाई.
जवाब देंहटाएंएक अच्छे ब्लॉग के परिचय के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंएक अच्छे ब्लॉग के परिचय के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा आपका लेख ...
जवाब देंहटाएंएक अच्छे और रोचक ब्लॉग के परिचय के लिए आभार...
एक अच्छे ब्लॉग के परिचय के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंएक अच्छे ब्लॉग के परिचय के लिए आभार
जवाब देंहटाएंआपको गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया जोधपुर और हैम्स ओसिया इन्स्टिट्यूट जोधपुर की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंआपको गुरु पूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनायें..
भाई जाकिर अली जी बहुत ही सुन्दर और रोचक पोस्ट पढ़ने को मिली आपको बधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंभाई जाकिर अली जी बहुत ही सुन्दर और रोचक पोस्ट पढ़ने को मिली आपको बधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसाइंस फ़िक्शन पर अच्छी जानकारी। हां, हिंदी में अभी बहुत कुछ करना बाकी है ताकि बच्चों में इसके प्रति रुची पैदा हो।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लगा! आभार!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
science fiction i also like
जवाब देंहटाएंnice post
Shukriya Zakir Ji,
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