('जनसंदेश टाइम्स', 8 जून, 2011 के 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा) आज के युवाओं की बात चलने पर आमतौ...
('जनसंदेश टाइम्स', 8 जून, 2011 के
'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा)
आज के युवाओं की बात चलने पर आमतौर से हमारे सामने दो चेहरे कौंधते हैं। पहला वह जो दीन-दुनिया को भूलकर किताबी कीड़ा बन जता है और एक अदद शानदार नौकरी प्राप्त करके ऐश की जिंदगी जीने की आकांक्षा रखता है। दूसरा वह जो बिंदास जीवन का आकांक्षी तो है, पर अपना सारा समय क्रिकेट, सिनेमा और फेसबुक में नष्ट करता है। लेकिन इन दोनों प्रकारों से अलग युवाओं का एक ऐसा चेहरा भी है, जो एक संवेदनशील इंसान के रूप में नजर आता है। यह चेहरा अपनी शिक्षा और भविष्य के साथ ही साथ समाज और देश के बारे में भी सोचता है और अपने आसपास के माहौल को बेहतर बनाने के लिए प्रयत्नशील दिखता है। युवाओं का यह चेहरा रेयर सही, पर यत्र-तत्र नजर आ ही जाता है। ऐसा ही एक चेहरा है गिरिजेश कुमार।
गिरिजेश, यूँ तो सिल्क सिटी के नाम से मशहूर भागलपुर (बिहार) के रहने वाले हैं, पर वर्तमान में वे पटना की 'एडवांटेज मीडिया एकेडेमी' में पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन पढ़ाई ही उनका अभीष्ट नहीं है, वे पढ़ाई के साथ ही साथ समाज और देश की समस्याओं पर भी नजर रखते हैं। उनका मानना है कि सामाजिक कुरीतियाँ जब समाज को पीछे धकेलने लग जाएँ, तो आवाज उठाना ज़रूरी हो जाता है। अपनी आवाज को बुलंद करने का माध्यम चुना है उन्होंने ‘चलते-चलते’ (http://nnayarasta.blogspot.com/) ब्लॉग को, जिसपर वे निर्भीकतापूर्वक अपने उद्गारों को व्यक्त करते हुए पाए जाते हैं।
गिरिजेश एक संवेदनशील इंसान हैं। वे जब आज के इंसान पर नजर डालते हैं, तो उसकी खुदगर्जी को देखकर दु:खी हो उठते हैं। वे इसका कारण बताते हुए कहते हैं कि भौतिकवादी चकाचौंध में मनुष्य इतना अंधा हो गया है कि उसके लिए अपने और अपने परिवार को बेचने से भी पीछे नहीं हट रहा है। इस समाज को हर चीज़ की कीमत चाहिए और यही इस वर्तमान सामाजिक व्यवस्था का सबसे दुखद चेहरा है। गिरिजेश का मानना है कि इसी स्वार्थपरता के कारण मनुष्य एकदम अंधा हो गया है। न उसे कानून का खौफ रह गया है और न ही समाज का। इन स्थितियों के लिए गिरिजेश काफी हद समाज में प्रचलित उन कुरीतियों को भी जिम्मेदार मानते हैं, जिन्हें बहुत पहले ही अलविदा कह देना चाहिए था। उनके अनुसार अंतरजातीय विवाहों का विरोध, महिलाओं के प्रति दोहरी मानसिकता, अंधविश्वास, उंच नीच का भेद, छुआछूत कुछ ऐसी ही चीजें हैं।
गिरिजेश एक ओर जहाँ समाज में परम्पराओं के नाम पर प्रचलित कुरीतियों को उखाड़ फेंकने के हामी हैं, वही आधुनिकता की अंधी दौड़ से भी बचने की सलाह देते हैं। क्योंकि इसके चक्कर में युवा अपने पुरखों के द्वारा विरासत में सौंपी गई अपनी सभ्यता को न सिर्फ ठुकरा रहे हैं, वरन आधुनिकता के नाम पर अश्लीलता की गिरफ्त में भी आते जा रहे हैं। समाज की इन स्थितियों के लिए गिरिजेश जहाँ एक ओर जनसंचार माध्यमों की अति व्यवसायिक सोच को जिम्मेदार मानते हैं, वही वे शिक्षाविदों, समाजशास्त्रियों और प्रबुद्ध लोगों को भी कटघरे में खड़ा करने से नहीं चूकते हैं। उनका मानना है कि यदि ये लोग अपनी भूमिका को समुचित रूप से निभाते, तो सम्भवत: समाज इस अधोगति की दशा में न पहुँचा होता।
गिरिजेश की सोच का दायरा सिर्फ अपने आसपास मौजूद समाज तक केन्द्रित नहीं रहता है। वे देश-दुनिया के उन तमाम पक्षों पर खुलकर विचार करते हैं, जो मनुष्य से सम्बंधित हैं और मानवता को प्रभावित करने का दमखम रखते हैं। यही कारण है कि वे जहाँ एक ओर शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को आड़े हाथों लेते हैं, तो दूसरी ओर ओसामा की मौत के बहाने अमेरिका की कुटिल नीति की भी खिंचाई करते नजर आते हैं। एक ओर वे भूकम्प और सुनामी के कारण जापान में आई तबाही के निहितार्थों को समझने की आवश्यकता पर बल देते हुए दिखाई देते हैं, तो दूसरी ओर देश में शहीदों की उपेक्षा पर दु:खी हो उठते हैं और उनकी वैचारिक सोच को युवाओं तक ले जाने पर बल देते हैं।
समकालीन समाज और घटनाओं को अपनी पारखी दृष्टि की जद में रखने वाले गिरिजेश वर्तमान में भ्रष्टाचार और कालेधन पर मची भभ्भड़ को एक नौटंकी के रूप में देखते हैं। वे कहते हैं कि सवाल सिर्फ़ यह नहीं है कि इस आंदोलन को कितना समर्थन मिलेगा या सरकार का रवैया क्या होगा बल्कि सवाल यह भी है कि जिस भ्रष्टाचार रूपी घुन ने पुरे सिस्टम को खोखला बना दिया उसकी दवा मांगने चाहे अन्ना हजारे आयें या बाबा रामदेव, क्या समुचित इलाज हो पायेगा?
हमारे यहाँ राज्यपाल, सींचपाल, लेखपाल पहले से हैं। इन सबके साथ ’पाल’ शब्द जुड़ा है। सुना है-एक पाल और आ रहा है-लोकपाक। सभी पाल अपने-अपने तरह से भ्रष्टाचार को उखाड़ते हैं। कुछ लोग इस बात से खुश हैं कि लोकपाल बिल बनवाने का ठेका अन्ना के पास है। माना लोक- पाल बिल बन गया। चरित्र के बिना फिर समस्या आएगी। दूध का धुला लोकपाल कहाँ से लाओगे और उसे बहती गंगा में हाथ धोने से कौन रोकेगा?
जवाब देंहटाएंएक जागरूक शख्सियत का परिचय देने के लिए शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंएक संवेदन शील और सामाजिक स्तर पर सजग प्रहरी, गिरिजेश जी और उनके ब्लॉग चलते-चलते से मुलाक़ात करवाने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंप्रेम रस
गिरिजेश जी से मेरा व्यक्तिगत परिचय है
जवाब देंहटाएंभविष्य में वह मीडिया को नयी दिशा दे मेरी शुभ कामना
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एक बहुत अच्छे ब्लॉगर से परिचय कराया आपने।
जवाब देंहटाएंअपने समय से संवाद करती एक शख्शियत से आपने मिलवाया .शुक्रिया !आपका ज्यादा .जिन गोविन्द दियो मिलाय!
जवाब देंहटाएंपरिचय का आभार।
जवाब देंहटाएंएक अच्छी शख्सियत का परिचय करवाया आपने..... आभार
जवाब देंहटाएंगिरिजेश जी और उनके ब्लॉग से परिचय करवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंगिरीजेशजी से परिचय हेतु आभार सहित...
जवाब देंहटाएंgirijesh ji aur unke blog se parichy karane ka shukriya
जवाब देंहटाएंrachana
एक अच्छे ब्लॉगर से परिचय कराया, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंगिरिजेश को समझा आपके माध्यम से. अब गिरिजेश के ब्लाग की तरफ चला - बहुत खूब रजनीश जी - आपके प्रयास हमेशा सराहनीय रहे हैं मेरी नज़रों में.
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
गिरिजेश जी और उनके ब्लॉग चलते-चलते से मुलाक़ात करवाने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंगिरिजेश जी के ब्लॉग से मुलाक़ात करवाने के लिए धन्यवाद,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
ब्लॉग पढकर अच्छा लगा..गिरजेश जी के ब्लॉग से अवगत करवाने के लिए धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंAchchhi jaankari ke liye dhanyvaad...
जवाब देंहटाएंएक बहुत अच्छे ब्लॉगर से परिचय कराया आपने। धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंगिरिजेश कुमार को पढ़ा।
जवाब देंहटाएंएक अच्छे ब्लॉग से परिचय के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंएक अच्छे ब्लागर से परिचय करवाने का बहुत बहुत शुक्रिया |
जवाब देंहटाएंगिरीजेश जी से इस तरह परिचित कराने का आभार.
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