‘हंसते रहो’ भाई, हंसाने वाला आ गया!

SHARE:

('जनसंदेश टाइम्स', 25 मई, 2011 के 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा) जब से व्‍यक्ति ने लेखनी का महत्‍व समझ...

('जनसंदेश टाइम्स', 25 मई, 2011 के 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा)

जब से व्‍यक्ति ने लेखनी का महत्‍व समझा है, उसे प्रतिरोध के माध्‍यम के रूप में अपनाता रहा है। समाज में जहाँ पर लेखक को जो कुछ भी गलत अथवा असंगत दिखा, उसने उसे अपनी लेखनी के द्वारा समाज के सामने प्रस्‍तुत कर दिया, जिससे प्रबुद्धजनों का ध्‍यान उस ओर आकर्षित किया जा सके और उसे दूर करने के तरीके खोजे जा सकें। समय बदला, लोग बदले, समाज बदला, पर कुछ नहीं बदला तो वह थीं समाज में व्‍याप्‍त निम्‍नकोटि की प्रवृत्तियाँ। बल्कि जैसे-जैसे मनुष्‍य विकास की सीढि़याँ चढ़ता गया, वैसे-वैसे वह अपनी निम्‍न प्रवृत्तियों को तकनीक और साधनों के माध्‍यम से और अधिक विस्‍तार देता चला गया। यही कारण है कि सजग और सचेतक मनुष्‍यों को बदलते समय के साथ अपनी प्रतिरोध की शैली और माध्‍यम भी बदलने पड़े।

हम सब जानते हैं कि किसी समय में नौटंकी लोक-संवाद का सबसे सशक्‍त माध्‍यम हुआ करता था, पर आज अखबार, टीवी और इंटरनेट का जमाना है। किसी समय में हमारे देश में खण्‍डकाव्‍य और महाकाव्‍य की समृद्ध परम्‍परा हुआ करती थी, पर आज लघु कविताएँ एवं हास्‍य-व्‍यंग्‍य बेहद लोकप्रिय हैं। उसी प्रकार लेखन माध्‍यम के रूप में भी ब्‍लॉग लेखन अपनी लोकप्रियता के नित नए रिकार्ड बना रहा है। और अगर आपको इस लोकप्रिय शैली और लोकप्रिय माध्‍यम का कॉकटेल देखना हो, तो ‘हँसते रहो’ (www.hansteraho.com) आपके लिए एक सही ठिकाना है। हास्‍य और व्‍यंग्‍य से परिपूर्ण इस दुकान के प्रोपराइटर यानी रायटर हैं दिल्‍ली निवासी राजीव तनेजा।

राजीव कोई साहित्‍यकार नहीं है, वे कोई हास्‍य कलाकार भी नहीं हैं। पर उनके पास विचार हैं, उनके पास अनुभवों का एक भरा-पूरा संसार हैं। वे अपने उन्‍हीं अनुभवों को बाँटने निकले हैं। और ये उनकी लेखन शैली का कमाल है कि उनकी लेखनी से हास्‍य और व्‍यंग्‍य झरता चलता है और पाठक उसे पढ़कर मन ही मन हंसता और मुस्‍कराता रहता है।
राजीव कोई चुटकुलेबाज नहीं हैं। वे कोई लाफ्टर-मार्का कवि भी नहीं हैं। वे सीधे-सच्‍चे निरीक्षक हैं और अपने निरीक्षण के दौरान उन्‍हें समाज में जो कुछ घटित होता हुआ मिलता है, वे उसे अपनी मौलिक शैली में पाठकों के समक्ष प्रस्‍तुत कर देते हैं। यह सब कुछ इतना सीधा, सरल और साफ होता है कि पाठक को उसे पढ़कर जीवंतता का एहसास होता है। उन्‍हें पढ़ते हुए पाठक किसी चलचित्र की भाँति उन घटनाओं को अपने आसपास घटित होता हुआ सा पाता है और साथ ही साथ वह लेखक की शैली का मुरीद भी बन जाता है।

आम व्‍यंग्‍य लेखकों से इतर राजीव बातचीत की शैली अपनाते हैं और बातों ही बातों में बहुत कुछ कह जाते हैं। वे अपने लेखन की शुरूआत बेहद साधारण तरीके से करते हैं, फिर बातों के बताशे ही नहीं बातों की जलेबियाँ परोसते जाते हैं। नतीजतन वे अपने लेखन-जाल में पाठकों को इस तरह से उलझाते हैं कि जिज्ञासा और रूचि के मारे पाठक उसे समाप्‍त किए बिना रह ही नहीं पाते हैं। राजीव की रचनाओं का ग्राफ किसी सस्‍पेंस फिल्‍म की तरह चलता है। वे अपनी पटकथा में सिर्फ डायलॉग भरते हैं और नैरेशन का सारा दारोमदार पाठकों के जिम्‍मे छोड् देते हैं। लेकिन जब उनका ड्रामा समाप्‍त होता है, तो पाठक अपने आप को सरप्राइज्‍ड पाता है।

राजीव ने इस दुनिया को बहुत करीब से देखा है। उन्‍होंने संसार की ठग-विद्या को बहुत गहराई से जाना है और कब, कहाँ और कैसे लोग उसका इस्‍तेमाल करके लोगों को चूना लगाते हैं, यह उन्‍होंने अपने अनुभव से पहचाना है। यही कारण है कि वे साधु-महात्‍मा, पुलिस, डॉक्‍टर, भिखारी, नेता, युवा, धन्‍धेबाज सब पर अपनी कलम चलाते हैं और हमारे समाज में व्‍याप्‍त धोखाडियों की पोल-पट्टी सलीके से खोल पाते हैं। वे सही मायनों में एक निष्‍पक्ष आलोचक की भूमिका निभाते हैं। वे एक ही हाँके से सबको हाँकते हैं और यही कारण है कि उनकी लेखनी की मार से लेखक और यहाँ तक कि ब्‍लॉगर भी नहीं बच पाते हैं।

समाज की निम्‍न प्रवृत्तियों के बहाने आदमी की मानसिकता के पाठकों को रूबरू कराने वाले राजीव आधुनिक युग की विद्रूपताओं के सार्थक आलोचक हैं। वे स्‍वयं को अंतर्मुखी इंसान मानने के बावजूद लोगों में सच्‍ची रूचि लेते हैं और ब्‍लॉगर्स को ही नहीं आम इंसान को भी समझने हेतु उत्‍सुक दिखते हैं।

सफल व्‍यवसायी होने के बावजूद राजीव यह मानते हैं कि उन्‍हें आत्‍म-प्रचार की कला नहीं आती है और न ही उन्‍हें अपने आप को तीस मारखाँ साबित करने की शैली भाती है। पर वे यह ज़रूर कहते हैं कि ब्‍लॉग की दुनिया ने उनके भीतर दबी कला को निखारा है और उन्‍हें अपने आप को प्रूव करने का मौका दिया है। अगर आप एक आम आदमी से लेखक में परिवर्तित होने वाले जीव को समझना चाहते हैं और अगर आप तनाव भरी इस जिंदगी को भूलकर हास्‍य-व्‍यंग्‍य की रिमझिम में सराबोर होना चाहते हैं तो ‘हंसते रहो’ पर अवश्‍य जाएँ। क्‍योंकि हंसी आज के समय की सबसे कीमती वस्‍तु है और यकीन जानिए यहाँ पर यह एकदम फ्री में मिल रही है।
Keywords: Rajiv Taneja, Hanste Raho, Jansandesh Times, Blog Review, Indian Blogs, Hindi Bloges, Indian Bloggers, Hindi Bloggers, hasya kavita, hasya kavita in hindi, hasya vyangya kavita, hasya blog,<

COMMENTS

BLOGGER: 28
  1. राजीव कोई चुटकुलेबाज नहीं हैं। वे कोई लाफ्टर-मार्का कवि भी नहीं हैं। वे सीधे-सच्‍चे निरीक्षक हैं और अपने निरीक्षण के दौरान उन्‍हें समाज में जो कुछ घटित होता हुआ मिलता है, वे उसे अपनी मौलिक शैली में पाठकों के समक्ष प्रस्‍तुत कर देते हैं।



    राजीव जी के बारे में कही गयी यह पंक्तियाँ उनके लेखन की मूल संवेदना को सामने लाती हैं ..आप बहुत श्रम साध्य कार्य कर रहे हैं ब्लॉग समीक्षा करके ...आशा है आप इसे निरंतर जारी रखेंगे ...आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. राजीव तनेजा जी बहुत अच्चे व्यंग्यकार हैं!

    जवाब देंहटाएं
  3. apne blog ke madhyam se aapne Rajeev ji ka link diya.dhanyavaad.

    जवाब देंहटाएं
  4. सही कहा आपने राजीव तनेजा जी बहुत व्यंग्यकार हैं!

    जवाब देंहटाएं
  5. राजीव जी व्यंग्यकार हैं, मौलिक शैली के

    जवाब देंहटाएं
  6. अच्छे हैं जी राजीव जी

    जवाब देंहटाएं
  7. राजीवभाई के ब्लाग से परिचय तो रहा है लेकिन आप द्वारा दर्शित विशेषताएँ नई जानकारी के रुप में सामने है । इसके लिये आपको धन्यवाद...

    जवाब देंहटाएं
  8. राजीव से परिचय अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  9. राजीव तनेजा जी बहुत अच्चे व्यंग्यकार हैं!
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  10. जीवंतता का नाम है राजीव
    जिंदादिली का पैगाम है राजीव।

    जवाब देंहटाएं
  11. Rajeev ji ka achchha parichay prastut kiya hai aapne .aabhar.

    जवाब देंहटाएं
  12. राजीव नी का परिचय अच्छा लगा. अर्रे केवल जी का टिप्पणी व्रत टूट गया क्या?

    जवाब देंहटाएं
  13. अच्छा लगा पढ़कर...हम तो राजीव के पुराने फैन हैं जी.

    जवाब देंहटाएं
  14. समाज की विसंगतियाँ सदा है शब्दों का आधार पाती हैं।

    जवाब देंहटाएं
  15. राजीव भाई की बात ही कुछ और है, उनके ब्लॉग की समीक्षा के लिए बहुत-बहुद धन्यवाद... जहाँ एक और पूरी दुनिया ग़मों में डूबी हुई है, ऐसे में सबको हंसाने वाले के लिए तो यही कहूँगा कि 'हँसते रहो' भय्या!!!

    जवाब देंहटाएं
  16. राजीव जी से परिचय करवाने के लिए धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  17. हम भी राजीवजी के पुराने फैन है...अच्छा लगा उनके बारे मे पढ़ कर...

    जवाब देंहटाएं
  18. हँसाना सबके वश का नहीं है,मगर राजीव जी इस फन के उस्ताद ठहरे!

    जवाब देंहटाएं
  19. ऐसे मजेदार ब्लॉग के बारे में बताने के लिए शुक्रिया ज़ाकिर जी !

    जवाब देंहटाएं
  20. एक दम सही आकलन किया है आपने राजीव जी के रचनाकर्म का

    जवाब देंहटाएं
  21. इस उच्च कोटि के व्यंग्यकार से आपकी नज़रों से मिलना बहुत अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
  22. राजीव जी के ब्लॉग से परिचय करवाने का आभार ...सुंदर ब्लॉग समीक्षा

    जवाब देंहटाएं
  23. खास कर आज के दौर में यदि कोई हमें हँसा देता है, तो ईश्वर तुल्य लगता है - कम से कम उस क्षण तो|

    एक अच्छी पोस्ट शेयर करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया भाई|

    जवाब देंहटाएं
  24. मै वाकई जिन्दगी को भूल कर हास्य व्यंग्य की रिमझिम फुहारों से सराबोर होना चाहता था इसीलिये हंसते हंसते ही पढा

    जवाब देंहटाएं
  25. राजीव जी को कभी अन्‍तरजाल पर पढ़ा तो नहीं लेकिन इस पोस्‍ट को पढ़ने के बाद अब जरूर पढूँगा। जानकारी के लिए धन्‍यवाद।

    जवाब देंहटाएं
आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

नाम

achievements,3,album,1,award,21,bal-kahani,9,bal-kavita,5,bal-sahitya,34,bal-sahityakar,13,bal-vigyankatha,4,blog-awards,29,blog-review,45,blogging,42,blogs,49,books,9,buddha stories,4,children-books,14,Communication Skills,1,creation,9,Education,4,family,8,hasya vyang,3,hasya-vyang,8,Health,1,Hindi Magazines,7,interview,2,investment,3,kahani,2,kavita,9,kids,6,literature,15,Motivation,71,motivational biography,27,motivational love stories,7,motivational quotes,15,motivational real stories,5,motivational speech,1,motivational stories,25,ncert-cbse,9,personal,18,Personality Development,1,popular-blogs,4,religion,1,research,1,review,15,sahitya,28,samwaad-samman,23,science-fiction,4,script-writing,7,secret of happiness,1,seminar,23,Shayari,1,SKS,6,social,35,tips,12,useful,16,wife,1,writer,9,Zakir Ali Rajnish,28,
ltr
item
हिंदी वर्ल्ड - Hindi World: ‘हंसते रहो’ भाई, हंसाने वाला आ गया!
‘हंसते रहो’ भाई, हंसाने वाला आ गया!
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiqJcNhj55xirPmTgnrSjOlS1niG2FV4dQZ4AYnFx-a64njYzWWay_q538LgKmo_sGSUhB4yZT_S0WhD5kW6y7b2YAGhWE9qBXvUeRYhVaj2QqsEUNuKAj677j_CpHbI73roKhwTrk164dx/s320/Hanste+Raho_Rajeev+Taneja.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiqJcNhj55xirPmTgnrSjOlS1niG2FV4dQZ4AYnFx-a64njYzWWay_q538LgKmo_sGSUhB4yZT_S0WhD5kW6y7b2YAGhWE9qBXvUeRYhVaj2QqsEUNuKAj677j_CpHbI73roKhwTrk164dx/s72-c/Hanste+Raho_Rajeev+Taneja.jpg
हिंदी वर्ल्ड - Hindi World
https://me.scientificworld.in/2011/05/laughing-jokes.html
https://me.scientificworld.in/
https://me.scientificworld.in/
https://me.scientificworld.in/2011/05/laughing-jokes.html
true
290840405926959662
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy