('जनसंदेश टाइम्स', 18 मई, 2011 में 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा) गत वर्ष लखनऊ में आय...
('जनसंदेश टाइम्स', 18 मई, 2011 में
'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा)
गत वर्ष लखनऊ में आयोजित ‘साइंस ब्लॉगिंग वर्कशॉप’ में राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, नई दिल्ली के निदेशक डॉ0 मनोज पटैरिया ने कहा था कि इन्टरनेट की दुनिया ज्ञान के बाहुल्य की दुनिया है। यहाँ ज्ञान के खोजियों को दुविधा की स्थिति का भी अनुभव करना पडता है। क्योंकि उन्हें सब तरह की जानकारियॉं तो मिल जाती हैं, लेकिन प्राय: काम की जानकारियां, जिसे वे खोज रहे होते हैं, नहीं मिल पाती है। आप यकीन मानिए इस अव्यवस्था को बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान उन्हीं ब्लॉग लेखकों का है, जो इन्टरनेट पर हिन्दी सामग्री को बढ़ाने के लिए दिन-रात लगे रहते हैं। इसका कारण है उन लेखकों का इन्टरनेट की तहज़ीब से अनभिज्ञ होना। नतीजतन ब्लॉगर्स के प्रयास व्यर्थ चले जाते हैं और तमाम मेहनत करने के बावजूद उन्हें अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाते हैं। पर प्रसन्नता का विषय यह है कि अब तकनीकी विशेषज्ञों ने इस अव्यवस्था की ओर भी ध्यान दिया है और उसे दूर करने के प्रयास शुरू कर दिये हैं। ‘योगेन्द्रपाल की सूचना प्रौद्यौगिकी डायरी’ (http://yogendra-soft.blogspot.com/) एक ऐसा ही सार्थक प्रयास है और इस ब्लॉग के संचालक हैं ‘अपना ब्लॉग’ एग्रीगेटर के मॉडरेटर योगेन्द्र पाल।
मैनपुरी, उत्तर प्रदेश में जन्मे योगेन्द्र यूँ तो ‘कम्प्यूटर नेटवर्क और इंटरनेट इंजीयरिंग’ के क्षेत्र के खिलाड़ी हैं और सीडैक (CDAC), मुम्बई में प्रोजेक्ट इंजीनियर के रूप में काम कर चुके हैं, पर शिक्षा के प्रति अपने जुनून के कारण वे अपनी नौकरी छोड़कर आई.आई.टी., मुम्बई से जुड़ गये हैं और शोध के द्वारा ‘एजूकेशनल टेक्नालॉजी’ में नई सम्भावनाएँ तलाश रहे हैं। योगेन्द्र उन समर्पित स्कॉलर्स में जाने जाते हैं, जो शिक्षा को ‘जीवन का अंदाज़’ बदलने का माध्यम मानते हैं। यही कारण है कि वे जहाँ ‘वीडियो बुक’ के द्वारा कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग की बारीकियाँ सिखा रहे हैं, वहीं ‘ई टेक्नालॉजी’ नामक ओपन सोर्स पत्रिका के द्वारा ज्ञान की अलख को गाँव-गाँव तक ले जाने हेतु भी प्रयासरत हैं। इसके अलावा वे ‘लर्न बाई वॉच’ संस्था से भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। यह संस्था इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को सही शैक्षणिक सामग्री उपलबध करवाती है और इससे अर्जित धनराशि के एक भाग को जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा पर खर्च करती है।
योगेन्द्र उस प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं, जो किसी भी काम को डूब कर करने के लिए जाने जाते हैं। वे ब्लॉगिंग को गम्भीरतापूर्वक लेने का श्रेय ‘साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन’ को देते हैं, क्योंकि उसे देखकर ही उन्हें पहली बार लगा था कि ब्लॉग के द्वारा कोई ‘गंभीर’ और ‘सार्थक’ काम भी किया जा सकता है। यही कारण है कि अब वे अपने ब्लॉग पर लोगों को ब्लॉग की ऐसी महत्वपूर्ण बातें बता हरे हैं, जो देखने में तो बहुत छोटी होती हैं, पर ब्लॉग को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
शैक्षिक जागरूकता और शिक्षा के सरल तरीकों की खोज में रूचि रखने वाले योगेन्द्र ब्लॉगिंग को एक सम्भावनाओं से भरे क्षेत्र के रूप में देखते हैं। उनका मानना है कि यदि ब्लॉगिंग को शिक्षा का माध्यम बनाया जाए, तो आश्चर्यजनक नतीजे प्राप्त किये जा सकते हैं। वे ब्लॉगिंग को साहित्य की तरह सिर्फ ‘आत्म प्रचार’ तक सीमित नहीं रखना चाहते, वे उसके द्वारा पैसे कमाने की भी तमन्ना रखते हैं। उनकी यह हसरत ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ भर नहीं है, क्योंकि इस दुर्गम लक्ष्य तक पहुँचने के लिए वे अपने पास एक ‘तार्किक रोडमैप’ भी रखते है। प्रसन्नता की बात यह है कि वे सक्सेस के इस फंडे को गोपनीय नहीं बनाते। वे उस ‘अचूक मंत्र’ को सार्वजनिक करते हुए कहते हैं कि यदि ब्लॉग को विषय आधारित बनाया जाए और उसे ‘इन्टरनेट एटीकेट्स’ को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जाए तो कोई कारण नहीं कि ब्लॉगिंग से पैसे नहीं कमाए जा सकें।
योगेन्द्र ऐसे पहले ब्लॉगर हैं, जिनके पास ब्लॉगिंग की एक गम्भीर चिंतन-धारा दिखाई पड़ती है। वे शिवखेड़ा के इस विचार कि ‘जीतने वाले कोई अलग काम नहीं करते, वे हर काम को अलग ढ़ंग से करते हैं’ से प्रभावित दिखते हैं और यही कारण है कि वे ब्लॉग के हर पहलू पर ईमानदारी से विचार करते नजर आते हैं। यही कारण है कि वे सामुहिक ब्लॉग तथा ब्लॉग मैगजीन के बिन्दुओं से लेकर ‘एक लेख को कई जगह प्रकाशित करने की प्रवृत्ति’ तक पर गम्भीरता से विचार करके उसकी खूबियाँ और खामियाँ बताते नज़र हैं।
योगेन्द्र का सपना है हिन्दी ब्लॉगिंग को अर्थ से जोड़ना और इस क्षेत्र में रोजगार का सृजन करना। इसके लिए वे अपने ब्लॉग और ‘लर्न बाई वॉच’ के माध्यम से प्रयासरत हैं। उनका मानना है कि ब्लॉग जगत में आज भी बहुत सारी गलतफहमियाँ व्याप्त हैं। यदि इन गलतफहमियों को दूर कर दिया जाए और इस दिशा में ईमानदार और गम्भीर प्रयास किए जाएं, तो ब्लॉगिंग सामाजिक विकास का ही नहीं आर्थिक लाभ का ज़रिया भी बन सकता है।
yogendra ji ko hardik badhai
हटाएंयोगेन्द्र जी को बधाई उनका सपना पूरा हो और ब्लॉग जगत की उन्नति हो
हटाएंयोगेन्द्र का सपना है हिन्दी ब्लॉगिंग को अर्थ से जोड़ना और इस क्षेत्र में रोजगार का सृजन करना।
हटाएंयोगेन्द्र जी का सपना पूरा हो........
सार्थक आलेख आभार
इस आलेख को पढ़ कर लगा कि आप के आलेख न केवल प्रिंट पढ़ने वालों को ब्लागरों और ब्लाग जगत से परिचित करवा रहे हैं। ब्लागजगत को भी ब्लागरों से रूबरू करवा रहे हैं।
हटाएंबहुत सार्थक काम कर रहे हैं आप।
ati uttam and congrats to yogendra pal.
हटाएंआप निहायत जरूरी जानकारियां उपलब्ध करा रहे है , सही रूप में आप ब्लॉग्गिंग के उपयोगिता को जनसामान्य में बाँट रहे है, शुभकामनाये और बधाई
हटाएंपरिचय कराने का आभार, शुभकामनायें।
हटाएंबहुत सुन्दर आलेख! योगेन्द्र जी को हार्दिक बधाइयाँ!
हटाएंआप से अनुरोध है कि हिंदी ब्लाग से एड द्वारा धन कैसे प्राप्त किया जाय इस पर विस्त्रुत जानकारी दे
हटाएंअब ब्लाग की तरफ प्रिंट मीडिया का भी ध्यान जाने लगा है। आय का भी ध्यान आएगा एक न एक दिन
हटाएंयोगेन्द्र जी , के बारे में आप ने जो कहा वो इस प्रशंसा के हकदार हैं | वो सब की मदद को तेयार रहते हैं |जिनमें मैं भी हूँ |शुक्रिया!
हटाएंखुश रहें |
अशोक सलूजा !