('जनसंदेश टाइम्स', 20 अप्रैल, 2011 में 'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा) जीवन क्या है ? यह सवाल उतना ह...
('जनसंदेश टाइम्स', 20 अप्रैल, 2011 में
'ब्लॉगवाणी' कॉलम में प्रकाशित ब्लॉग समीक्षा)
जीवन क्या है? यह सवाल उतना ही पुराना है, जितना कि मानव। जब से मनुष्य ने सोचना-समझना शुरू किया है, इस सवाल से लगातार जूझता रहा है। ऐसा नहीं है कि आज तक कोई इस सवाल की तह तक पहुँचा ही नहीं। पर न जाने क्यों हर बार एक नयी सोच, एक नया फ़लसफ़ा सामने आया है। यही कारण है कि जीवन को समझाने वाले इतने विचार, इतने सिद्धांत संसार में मौजूद होने के बावजूद कोई अपने आप से संतुष्ट नहीं है। और शायद यही कारण है कि हर व्यक्ति अपनी जिंदगी के फ़लसफ़ों की तलाश में दिन-रात एक किए रहता है।
इसी खोज इसी सफर को अपने नज़रिए, अपनी समझ के साथ खोजने निकली हैं पूनम मिश्रा। पूनम का मानना है कि हर व्यक्ति की दिनचर्या कुछ खट्टी, क़ुछ मीठी सी होती है, जिसमें कोई पल बेहद महत्वहीन तो कोई पल बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। और इन्हीं पलों को एक धागे में पिरो कर बनती है ज़िन्दगी की माला। उनके जीवन के इन्हीं अनमोल मोतियों से मिलकर बना है उनका ब्लॉग ‘फ़लसफ़े’ (http://poonammisra.blogspot.com)।
लखनऊ में जन्मी और पली-बढ़ीं पूनम विज्ञान की होनहार विद्यार्थी रही हैं। यही कारण है कि उनकी सोच में एक वैज्ञानिक सोच, एक वैज्ञानिक नजरिया साफ नजर आता है। भले ही गुड़गांव स्थित पावर ग्रिड कॉरपोरेशन में प्रबंधन से जुड़े होने के कारण वे लेखन के लिए इतना समय नहीं निकाल पाती हैं, पर वे संभवत: हिन्दी की उन गिनी-चुनी महिला ब्लॉगरों में से हैं, जो 2006 से लगागातर ब्लॉगिंग से जुड़ी रही हैं। पूनम अपने ब्लॉग को एक ऑनलाइन डायरी की तरह देखती हैं। और सच पूछिए तो वे ब्लॉगिंग में आई ही इसीलिए थीं, जिससे अपने अनुभवों को सहेज कर रख सकें और बाद में मन होने पर उन्हें पढ़ भी सकें।
यूँ तो पूनम ‘भारतीय ज्ञान विज्ञान समिति’ द्वारा प्रकाशित बाल पत्रिका ‘इन्द्रधनुष’ में बच्चों को घुमंती बेन के रूप में दुनिया भर की सैर कराती हैं और ‘साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन’ के लिए रोचक विज्ञानपरक लेख भी लिखती रही हैं, पर उनकी लेखनी की विविधता अगर कहीं देखने को मिलती है, तो वह उनका ब्लॉग ‘फ़लसफ़े’ ही है।
पूनम वास्तव में आज की आधुनिक नारी की प्रतीक हैं, जिसने आगे बढ़कर जीवन की सारी खुशियॉं हासिल की है। लेकिन इसके बावजूद उनके व्यक्तित्व में विनम्रता और सहजता है। वे स्वभाव से ही संवेदनशील हैं और जीवन को पूरी ईमानदारी के साथ जीती हैं। उनकी यह संवेदनशीलता और ईमानदारी तमाम पोस्टों में देखी जा सकती है।
घुमक्कड़ी की शौकीन पूनम ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों को बेहद पसंद करती हैं। लेकिन उनका घूमना महज तफरीह की खातिर नहीं होता। वे जहॉं भी जाती हैं, वहां की ऐतिहासिकता, वहां की सामाजिकता और वहां की विशिष्टता को शिद्दत से महसूस करती हैं और फिर पूरी ईमानदारी के साथ की-बोर्ड के माध्यम से उसे अपने ब्लॉग पर उतार देती हैं। विभिन्न यात्राओं के बहाने अर्जित किये गये ये कीमती अनुभव वे सिर्फ लिखने के लिए नहीं लिखतीं, बल्कि उनके उद्गार प्राकृतिक सोते की तरह दिल से फूटते से प्रतीत होते हैं। अंडमन यात्रा और काबुल यात्रा की अनेक पोस्टें उनकी इस प्रवृत्ति की गवाह हैं। वे अपनी अंडमान यात्रा के अनुभवों को बांटते हुए जहां एक ओर ‘काला पानी’ के नाम से मशहूर ‘सेल्युलर जेल’ की बनावट का सूक्ष्म चित्रण करती हैं, वहीं उसके भीतर बंद किये गये आजादी के दीवानों की पीड़ा का मार्मिक चित्र भी खींचती चलती हैं। साथ ही उन्हें इस बात का एहसास भी होता है कि अपने आजादी के दीवानों की कुर्बानी को लेकर हम कितने लापरवाह हैं: ‘काला पानी के कारावास को देखकर एहसास हुआ कि जिन्होंने अपनी जवानी, अपनी ज़िंदगी आज़ादी के लिए कुर्बान कर दी, उनकी दी गयी विरासत को हम कितनी लापरवाही से रख रहे हैं।’
पूनम उन विशिष्ट महिलाओं में हैं, जिन्होंने प्रकृति के महत्व को समझने की काबिलियत प्राकृतिक रूप में पाई है। यही कारण है कि जब वे अंडमान के जंगलों से गुजरती हैं तो उन्हें जैव विविधता के महत्व का एहसास होता है और जब वे काबुल के एक छोटे से गांव ‘इस्तलिफ’ के पास से गुजरती हैं, तो तालिबान के कारण वहां के नष्ट हुए पर्यावरण को देखकर दु:खी हो उठती हैं। उनकी यह संवेदनाऍं किसी स्थान अथवा समय की मोहताज नहीं दिखतीं, कारण जब वे अपनी छत के एक कोने में उगे पीपल के वृक्ष को भी देखती हैं, तो स्वमेव ही उनकी भावनाएं प्रस्फुटित होने लगती हैं- ‘नयी कोपलें दीखने लगीं। छोटे नाज़ुक से पत्ते आहिस्ता से हवा में झूलते, चुपके से इस नयी दुनिया को देखते, लगता हौले से, डरते, सहमते, शर्माती हुयी सी मुस्कान से हमसे जान पहचान बढ़ा रहे हों।’
कृषि वैज्ञानिक पिता, जागरूक इतिहासविद गृहणी मॉं की बेटी और वायु सेना के फाइटर पाइलेट की पत्नी पूनम एक अन्तर्मुखी महिला हैं। पर इसके साथ ही साथ वे एक मॉं भी हैं। एक ऐसी मॉं, जो अपनी बड़ी होती बेटी को देखकर खुश होती है, जो उसके साथ उन सारे अनुभवों का बांटने को उद्यत रहती है, जो उसने अपनी मॉं से सीखे थे। उनके मन में घर की देखभाल, कढ़ाई-बुनाई, किताबों के प्रति लगाव बचपन से रहा और यही सब वे अपनी बेटी के साथ भी बांटना चाहती हैं, जिससे उसे भी वे अपनी तरह एक जिम्मेदार और जिंदगी के सफर की कामयाब राही बना सकें।
पूनम आज के युग की नारी हैं। वे जिन्दगी की सारी खुशियॉं पाना चाहती हैं। यही कारण है कि जब वे अपनी बेटी को डांस क्लास में लेकर जाती हैं, तो वहॉं आए दंपतियों को देखकर उनके मन में भी हाथ-पैर मारने की चाहत कुलबुलाने लगती है। लेकिन पति के साथ न होने के कारण वे अपनी हसरतों को दबा देती हैं। पर वे यह कदापि नहीं चाहतीं कि उनके बच्चे अपनी इच्छाओं के अंकुर को कुचलने के लिए विवश हों। इसीलिए वे उन्हें एक मुक्त आकाश प्रदान करना चाहती हैं, जिंदगी की स्वच्छंद उड़ान के लिए। यही कारण है कि जब वे अपनी बच्ची के साथ खिलखिलाती हुई लड़कियों को देखती हैं, तो अपने आप से कह उठती हैं: ‘लड़कियाँ कितनी चुलबुली हैं, कितनी उत्साहित हैं, कितनी कॉनफिडेंट। सच, यह उम्र होती ही ...चटपट-चटपट बातें करने की, खिलखिलाने की, गिगल करने की। अरे, वह चुपचाप क्यों खडी है। चलो जाओ, दोस्त बनाओ, हंसी पर रोक मत लगाओ...।’
इन सबके साथ पूनम के ब्लॉग में ‘क्लोद्स लाइन’ के बहाने घर-घर की मजेदार कहानी भी मिल जाएगी, और ‘मिस कॉल’ के बहाने की जाने वाली शैतानी भी और साथ ही लोकगीतों और परम्पराओं की शानदार उत्सवी परम्परा भी। पूनम भारतीय नारी होने का मतलब जानती हैं और अपने वर्तमान की जिम्मेदारियों को पहचानती हैं। यही कारण है कि उनके ये ‘फ़लसफ़े’ जहॉं एक ओर इस ब्लॉग को खास बनाते हैं, वहीं मूक स्वरों में पाठकों को अपने पास भी बुलाते हैं।
एक अच्छे ब्लाग से परिचय करने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट,अनुपम
जवाब देंहटाएंपूनम आज के युग की नारी हैं। वे जिन्दगी की सारी खुशियॉं पाना चाहती हैं।
जवाब देंहटाएंहम दुआ करेंगे कि उन्हें जीवन में भी खुशियाँ भी मिलें और जीवन के बाद भी.
http://commentsgarden.blogspot.com/
अच्छे ब्लाग से परिचय करवाने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंएक सुन्दर शख्सियत और रोचक ब्लॉग से परिचय करवाने के लिए शुक्रिया ! उनके ब्लॉग में अंडमान यात्रा का विषद विवरण अच्छा लगा !
जवाब देंहटाएंपूनम के उत्साहवर्धन के साथ हर ब्लॉगर का भी मान बढ़ाया है....शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंपूनम जी से परिचय कराने के लिये आभार !
जवाब देंहटाएंअच्छे ब्लाग से परिचय करवाने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंपूनम जी के बारे में जानकार बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंआभार!
हम भी पहुंचे जी फलसफे तक. अच्छे ब्लागरों से परिचय करने के लिए आभार,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी..परिचय कराने के लिये आभार
जवाब देंहटाएंजीवन का फलसफा जितना जटिल पूनम जी उतनी सहज
जवाब देंहटाएंअच्छे ब्लाग के साथ ब्लागर परिचय हेतु आभार...
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आना यहाँ ...
जवाब देंहटाएंएक नए ब्लॉगर से परिचय करवाने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
ज़ाकिरजी, मैंने अपने ब्लोग को इस नज़रिये से नहीं देखा ,जैसा आपने दिखाया. आइने मैं प्रतिबिम्ब की सुन्दरता दिखाने के लिये आभारी हूँ . साथी ब्लोगरों का उत्साहवर्धन के लिये तहे दिल से शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंनमस्कार,
जवाब देंहटाएंएक और मिला अपने जैसा सिरफ़िरा ना-ना सिरफ़िरी।
आपका बहुत आभार ऐसे ही और बताइयेगा।