'समझदार लोग दूसरों के साथ हुई घटनाओं से सबक लेते हैं, सामान्य लोग अपने साथ हुई घटनाओं से सीख हासिल करते हैं और मूर्ख लोग अपने साथ ह...
'समझदार लोग दूसरों के साथ हुई घटनाओं से सबक लेते हैं, सामान्य लोग अपने साथ हुई घटनाओं से सीख हासिल करते हैं और मूर्ख लोग अपने साथ हुई घटनाओं से भी नहीं सीखते।'
हाल ही मेरे पड़ोस में एक घटना घटित हुई, जिसे देखकर उपरोक्त कथन याद आ गया। यदि आप स्वयं को समझदार समझते हैं, तो इस घटना को पढ़ें और हो सके तो सीख भी हासिल करें।
हमारे मोहल्ले में एक हैं सक्सेना जी। वे अपने आपको ज्ञानी समझते हैं (और दूसरों को मूर्ख)। अक्सर वे अपने इस गुमान में दूसरों पर कमेंट भी करते रहते हैं। मोहल्ले के लोग उनकी उम्र का लिहाज करके चुप रह जाते थे, इसलिए उन्हें यह लगने लगा कि वे इस जगत में सबसे श्रेष्ठ हैं और बाकी सब तुच्छ। उन्हें यह भी लगने लगा था कि वे ही इस दुनिया में सिरमौर हैं। जो वे चाहेंगे, वही होगा, जिसको जो कुछ वे कह देंगे, उसे सुनना पड़ेगा। पर कभी न कभी तो ऊंट पहाड़ के नीचे आता ही है। और पिछले सप्ताह यही हो गया।
सक्सेना जी अपने घर के सामने रहने वाले बत्रा जी के साथ बैठकर दारू भी पीते हैं। उस दिन वे दारू का दौर जमाकर घर से बाहर निकले। उस समय बत्रा जी का एक लडका अन्य लोगों के साथ मैच के बारे में बातचीत कर रहा था। चलते समय बत्रा जी के लड़के को पता नहीं क्या सूझा, उसने सक्सेना जी को गुडनाइट कह दिया। यह सुनकर उसके साथ के सभी लड़के हंस पड़े। सक्सेना जी यह देखकर चिढ़ गये। पता नहीं उस समय वे दारू के नशे में ज्यादा थे अथवा अपनी समझदारी के नशे में? नतीजतन वे बत्रा जी के लड़के को गालियां बकने लगे।
बत्रा जी के लड़के ने सोचा कि सक्सेना जी का दिमाग काम नहीं कर रहा है, इसलिए वह अपने घर के अंदर चला गया। यह देखकर सक्सेना जी का हौसला सातवें आसमान पर जा पहुंचा। उनकी आवाज सुनकर मोहल्ले के और लोग भी बाहर निकल आए। तब तक बत्रा जी का लडका भी घर के बाहर आ गया। उसे देखकर सक्सेना जी हमेशा की तरह आउट ऑफ कंट्रोल हो गये। उन्होंने अपनी चप्पल उतार ली और उसे मारने के लिए दौड़े।
यह देखकर बत्रा जी के लड़के का धीरज जवाब दे गया। उसने सक्सेना जी का बडप्पन एक ओर रखा और उनसे चप्पल छीनकर उन्हीं के मुंह पर दो-चार दे मारीं। तब तक बत्रा जी और उनकी पत्नी भी आ गयीं। उन्होंने उन लोगों को अलग किया और मामले को रफा-दफा किया। लेकिन तब तक सक्सेना जी के बड़्रप्पन का बैंड तो बज ही चुका था। चप्पल खाकर वे अपने कमरे में चले गये। सब लोग बत्रा जी के लड़के को डांटने लगे कि सक्सेना जी तुमसे इतने बड़े हैं, तुम्हें कुछ तो लिहाज करना चाहिए। यह सुनकर वह भड़क उठा और बोला- इत्ते दिन से तो इनका लिहाज कर रहे हन। पता नहीं बुड्ढ़े की कौन सी खुन्नस है, हमेशा बेइज्जती किया करत है।
'अरे बेटा, लेकिन.......' पड़ोस की आंटी ने उसे समझाना चाहा, इसपर वह आवेश में बोला, 'बड़े हैं तो का हमरी खोपडि़प चढि़के मुतिहें?'
इतना कहकर वह अपने घर में चला गया। उसके जाने के बाद मोहल्ले के सभी लोग अपनी-अपनी राय देने लगे। कोई कुछ कह रहा था, कोई कुछ। मुझे लगा कि यह बढिया मसाला है, इसे आप सबके साथ शेयर करना चाहिए। क्यों सही किया न?
नोट- यह एक सत्य घटना है, जो पिछले सप्ताह मेरे मोहल्ले में घटी है। (यदि किसी व्यक्ति को डाउट हो, तो उसे कन्फर्म भी कराया जा सकता है)। पात्रों के मान-सम्मान को ध्यान में रखते हुए उनके नाम बदल दिये गये हैं। कृपया इसे किसी व्यक्ति विशेष के साथ न जोडें। इसे सिर्फ एक घटना की तरह ही पढ़ें और यदि स्वयं को समझदार की श्रेणी में रखते हों, तो सीख हासिल करें। और हां, साथ ही साथ एक सवाल भी आपसे पूछना चाहूंगा कि क्या इस घटना से सक्सेना जी सीख हासिल कर सकेंगे अथवा वे पहले की तरह ही आंय-बांय-सांय करते रहेंगे?
you are only one writer from sitapur who has achieved name and fame on his own merit
जवाब देंहटाएंसीख लेना बहुत कठिन काम है.
जवाब देंहटाएंbahut sahi bola bachche ne
जवाब देंहटाएंसक्सेना जी की बचीखुची आपने उतार दी
जवाब देंहटाएंनो जाकिर जी गलत बात :)
सक्सेना जी का तो पता नहीं भैया , पर हमने तो ये बात गांठ बांध ली ।
जवाब देंहटाएंबड़ों को चाहिए के वो छोटों का सम्मान करें...सामने अगर छोटे हैं तो इसका मतलब ये नहीं के हम उन्हें अपने बड़प्पन का फायदा उठाते हुए कुछ भी कह दें...अपनी इज्ज़त इंसान के अपने हाथ में होती है...बत्रा जी के बेटे ने जो किया उसमें सिर्फ उसे दोष नहीं दिया जा सकता...
जवाब देंहटाएंनीरज
aap kah rahe hain........to mane lete hain......
जवाब देंहटाएंsalam.
सक्सेना जी की इज्ज़त नीलम करने में आपका भी हाथ है जाकिर भाई
जवाब देंहटाएंसच है, हर चीज की एक हद होती है
जवाब देंहटाएंक्या आप एक से ज्यादा ब्लॉग पर एक ही लेख लिखते हैं ?
सीख लेना ही बेहतर है।
जवाब देंहटाएंछोटों का सम्मान करें
जवाब देंहटाएंZaroori hai samay rahte seekh le li jay....
जवाब देंहटाएंजी कहो, जी कहाओ| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंहर परिस्थिति में अपनी इज्जत अपने हाथ.
जवाब देंहटाएंयह सक्सेना जी सीख नही लेने वाले
जवाब देंहटाएंजब तक कि इनके खोपडिया का केमिकल लोचा नही हो जाता
--
अजी
जवाब देंहटाएंबहुतै उम्दा कन्फ़र्मेशन की का ज़रूरत
ati kisi bhi mayne me thik nahi hai saksenaji ka te haal hona hi tha
जवाब देंहटाएंकई लोगों की हँसी का पात्र बनने पर सक्सेना जी ने अपना अपमान समझा होगा और लडकों ने माफी मांगने या गलतफहमी दूर करने के बजाय चुप रहकर उनके आक्रोश को और बढा दिया। दूसरा शायद नशे के झोंक में भी वो बकते रहे होंगें।
जवाब देंहटाएंइससे क्या सीख लें ????
दूसरी बात - बडों द्वारा ज्यादा तिरस्कार और अपमान पाने से विद्रोह की भावना प्रबल हो जाती है।
वैसे मुझे लगता है कि बत्रा जी का लडका पहले से ही सक्सेना जी से खार खाता होगा, क्योंकि बत्रा जी के साथ उनका दारु का कार्यक्रम चलता था।
प्रणाम
एक दम सही किया आपने हम सब से share कर के ! और यहाँ पर एक बात याद आ रही है William Wordsworth की जिन्होंने कहा है कहीं कि -
जवाब देंहटाएं'Chaild is the father of man.'
देखिये , छोटी छोटी घटनाएं इसे सच बनाती हैं !
जिद्दी लोग कोई सीख नहीं लेते हैं.सिर्फ समझदार सतर्क होते हैं.
जवाब देंहटाएंदूसरों से सीख लेना ही सबसे बेहतर है ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति !
बड़ा हो या छोटा, हर किसीसे सम्मान से बात करना चाहिए
जवाब देंहटाएं