देश के सर्वोच्च नागरिक अलंकरण के लिए किसी हस्ती के चयन के सिलसिले में उसकी व्यक्गित उपलब्धियों के मुकाबले उस योगदान को तरजीह मिलनी चाह...
देश के सर्वोच्च नागरिक अलंकरण के लिए किसी हस्ती के चयन के सिलसिले में उसकी व्यक्गित उपलब्धियों के मुकाबले उस योगदान को तरजीह मिलनी चाहिए, जिससे समाज को बड़े पैमाने पर फायदा पहुँचा हो। -ओमपुरी
न-न, मैं कोई सचिन का दुश्मन नहीं। मेरा भी क्रिकेट फेवरेट खेल है और सचिन मेरे पसंदीदा खिलाड़ी हैं। जब वे चौका-छक्का जड़ते हैं, तो मुझे भी खुशी होती है। जब वे कोई मैच जिताते हैं, तो मैं भी रोमांच से भर उठता हूँ और जी चाहता है कि मैं जाकर उन्हें गले से लगा लूँ। पर बावजूद इसके मैं इंसान हूँ। मैं सोचता-विचरता हूँ और विभिन्न मुद्दों पर अपनी एक राय भी रखता हूँ। यह लेख भी मैंने इसी राय के तहत लिखा है। और हॉं, मैं इस लेख के द्वारा आपकी अथवा किसी की भावनाओं को आहत भी नहीं पहुँचाना चाहता। पर कुछ सवाल जो मेरे जेहन में हैं, उन्हें आपके सामने रखना चाहता हूँ। आशा है आप उन्हें ध्यान से पड़ेंगे और ईमानदारीपूर्वक उनके जवाब देंगे।
सचिन का योगदान
यह सच है कि क्रिकेट भारतीय उपमहाद्वीप में जुनून की हद तक पसंद किया जाता है। भारत में इसे लोकप्रिय बनाने में कपिल के नेतृत्व में 1983 की विश्वकप जीत का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और इसे जुनून तक पहुँचाने में जिन खिलाडि़यों ने महती भूमिका निभाई है, उनमें कपिल, गावस्कर, सचिन, धौनी, युवराज जैसे बीसियों खिलाडि़यों के नाम लिये जा सकते हैं। निश्चय ही इन तमाम खिलाडि़यों में सचिन सिरमौर हैं। उन्होंने अपनी असाधारण प्रतिभा के बल पर स्वयं को भारत का ही नहीं दुनिया का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी अनेक बार सिद्ध किया है। अपने 21 वर्ष के क्रिकेट के सफर में सचिन ने अपनी असाधारण उपलब्धियों के बल पर अनगिनत रिकार्ड बनाये हैं। यही नहीं उन्होंने भारतीय क्रिकेट को चरम पर पहुँचाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यही कारण है कि वे विज्ञापन कम्पनियों के भी दुलारे हैं और कम्पनियों का प्रचार करके अरबों-खरबों की दौलत भी कमा कमा रहे है।
सचिन की सीमा
सचिन ने क्रिकेट के अलावा भी बहुत कुछ किया है। लेकिन उन्होंने जो कुछ भी किया है वह पैसा लेकर ही किया है। इसे इस तरह से भी कहा जा सकता है कि उन्होंने वह सब कुछ किया है, जो विज्ञापनदाता कंपनी ने कराना चाहा है। क्या आपको ध्यान आता है कि उन्होंने समाज की उन्नति के लिए, समाज के सुधार के लिए कभी कोई काम किया है? नहीं, सचिन ने इस तरह का कोई काम कभी नहीं किया है। सचिन ने आज तक शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी, समाजसेवा के किसी भी काम में कभी भी रूचि नहीं दिखाई है। यहॉं तक कि जब अन्ना हजारे के नेतृत्व में सरा देश भ्रष्टाचार के खिलाफ स्वर से स्वर मिला रहा था, सचिन उस समय भी खामोश थे। हालॉंकि उस समय धौनी ने उस आंदोलन के समर्थन में अपना बयान दिया था, पर सचिन ने उतनी भी ज़हमत उठाना उचित नहीं समझा। क्यों?
सचिन चाहते तो अपनी असाधारण लोकप्रियता का फायदा उठाकर नारी अधिकारों की वकालत कर सकते थे, सचिन चाहते तो कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्ध आवाज उठा सकते थे, सचिन चाहते तो स्वास्थ्य चेतना की मुहिम का हिस्सा बन सकते थे। सचिन चाहते तो सामाजिक सुधार के आंदोलनों को अपना नैतिक समर्थन दे सकते थे। सचिन चाहते तो इस दरिद्र देश के सुधार में अपना अमूल्य योगदान दे सकते थे। उनके ऐसा करने से लाखों-करोणों लोग उनके पीछ-पीछे खड़े हो जाते और सचमुच देश का कायाकल्प हो जाता। पर सचिन ने कभी भी ऐसा कुछ नहीं भी किया। सचिन ने जनहित, समाजहित, देशहित में कभी कुछ नहीं किया। क्यों?
भारत रत्न किसे मिलता है?
देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न 1954 में शुरू हुआ था। उस समय देश के इस सर्वोच्य सम्मान की नियमावली बनाते समय यह निर्धारित किया गया था कि यह सम्मान उस व्यक्ति को प्रदान किया जाएगा, जिसने कला, साहित्य और विज्ञान के विकास में असाधारण सेवा की हो। जाहिर सी बात है, इस सीमा में खिलाड़ी नहीं आते हैं। क्योंकि खिलाड़ी की उपलब्धियां व्यक्तिगत होती हैं। उनसे राष्ट्र का मान तो बढ़ता है, पर उससे समाज को कोई लाभ नहीं होता। इसीलिए भारत रत्न की पात्रता सूची में खिलाडि़यों को शामिल नहीं किया जाता है।
2011 की क्रिकेट विश्व कप विजेता टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी ने भले ही उत्साह में सचिन के लिए भारत रत्न की मांग कर दी हो, पर हकीकत यही है कि अभी भी कई ऐसे दावेदार हैं, जो सचिन से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। ऐसे दावेदारों में सबसे पहला नाम हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का है। उनके बारे में कहा जाता है कि वे रनों के हिसाब से गोल बनाया करते थे। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में 400 से अधिक गोल किए हैं।
ध्यानचंद के अलावा 'भारत रत्न' के दावेदारों में कई ऐसे नाम हैं, जिन्होंने वास्तव में देश की सेवा की है। इनमें श्वेत क्रान्ति के जनक वैज्ञानिक वर्गीज कुरियन इस सम्मान के प्रमुख दावेदार हैं। उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के द्वारा भारत के दुग्ध उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज करते हुए भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाया था। इनके अतिरिक्त भारत में दलित चेतना का विकास करने वाले और दलितों को सत्ता तक पहुँचने का मंत्र देने वाले कांशीराम तथा पश्चिम बंगाल में भूमि सुधार के द्वारा ग्रामीण जीवन की दिशा परिवर्तित करने वाले ज्योति बसु भी इस सम्मान के प्रमुख दावेदार हैं।
कैसे लगेगा आपको?
आप यकीन मानें या न मानें पर क्रिकेट आज जिस मुकाम पर पहुँचा है, उसमें कालेधन और सट्टेबाजी की भी प्रमुख भूमिका रही है। आप खुद सोचिए कि अगर सचिन को भारत रत्न मिल जाए और उनके मैच के दौरान सट्टेबाज इस बात पर शर्त लगाते हुए नजर आएं कि उनकी सेंचुरी के कारण भारत जीतेगा अथवा हारेगा, तो आपको कैसा लगेगा? देश का भारत रत्न जब खतरनाक हद तक कीटनाशक पाए जाने वाले शीतल पेय का विज्ञापन करता नजर आएगा तो आपको कैसा लगेगा? किसी गौरवशाली राष्ट्र का भारत रत्न जब आपके बच्चे को लगभग चिढ़ाते हुए जब यह झूठ बोलता हुआ नजर आएगा कि उसकी एनर्जी का राज इसमें छिपा है, तो आपको कैसा लगेगा?
आप मानें या न मानें, पर क्रिकेट और पैसा ही सब कुछ नहीं होता है दोस्त। क्रिकेट और पैसे से भी बढ़कर होती है सही गलत की सोच, क्रिकेट और पैसे से भी महत्वपूर्ण होती है समाज के लिए अपनी जवाबदेही। और क्रिकेट और पैसे से बढ़कर होती है समाज के लिए कुछ करने की नियत। जाहिर सी बात है कि सचिन के पास अभी इन तीनों ही चीजों का अभाव है। और जब तक वे इन तीनों चीजों को नहीं पा लेते, वे अति उत्साह में 'क्रिकेट के भगवान' की पदवी भले ही पा जाएं, पर 'भारत रत्न' नहीं बन सकते।
Keywords: Bharat Ratna, Sachin Tendulkar, National Award, Major Dhyan Chand, Verghese Kurien, Jyoti Basu, Bhim Rao Ambedkar
desh ka gaurav badhane vale har vyakti ko yah samman milna chahiye.sachin is kasauti par khare utarte hain .
जवाब देंहटाएंशिखा जी, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूँ। पर कमेंट करने से पहले पोस्ट तो पढ़ लिया करें। क्योंकि बड़े फैसले भावनाओं के आधार पर नहीं लिये जाते, उनके पीठे ठोस कारण हुआ करते हैं।
जवाब देंहटाएंbilkul
जवाब देंहटाएंजाकीर जी आपने एकदम सही कहा है ... मैं आपसे सहमत हूँ ... हमारे देश में क्रिकेट प्रेमी नहीं पाए जाते हैं ... क्रिकेट रोगी पाए जाते हैं ... क्रिकेट एक रोग है जो देश और समाज को दीमक की तरह चाट रहा है ...
जवाब देंहटाएंजिसपर ये रोग हावी होता है वो किसी भी तर्कसंगत बात को समझ नहीं पाता है ...
सोलह आने की बात
जवाब देंहटाएंसचिन को सर्वोच्च खेल पुरस्कार मिल गया है.
उन्हें तीनो काम करने होंगे तभी भारत रत्न के अधिकारी होंगे
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वैसे सचिन शायद एड्स पीड़ित बच्चों के लिए कुछ काम कर रहे है
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमैं भी सचिन को भारत रत्न का उत्तराधिकारी नहीं मानता, यह सच है कि उन्होंने भारत का नाम रोशन किया है पर बहुत लोग ऐसे हैं जो कि अपना पूरा जीवन समाज से बुराइयों को दूर करने में लगा देते हैं, सचिन को भारत रत्न मिलना, सच्चे समाज सेवकों को चिढाने के जैसा है|
जवाब देंहटाएंजो लोग सचिन को भारत रत्न दिए जाने की वकालत कर रहे हैं, क्या वो विश्वनाथन आनंद को भी भारत रत्न दिलाने के लिए सहमत हैं? शायद नहीं, किसी खेल को मीडिया ने बेहतर बना दिया तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उस खेल को अच्छा खेलने वाले को भारत रत्न दे दिया जाए, खेल से सम्बंधित पुरुस्कार तक ठीक है, उससे ज्यादा के सचिन या कोई और खिलाड़ी हकदार नहीं हो सकता|
शब्दशः सहमत हूँ आप से !
जवाब देंहटाएंसादर
मैं तो चाहता हूँ कि सितारे रत्न बने।
जवाब देंहटाएंयह सम्मान उस व्यक्ति को प्रदान किया जाएगा, जिसने कला, साहित्य और विज्ञान के विकास में असाधारण सेवा की हो। जाहिर सी बात है, इस सीमा में खिलाड़ी नहीं आते हैं।
जवाब देंहटाएं_____________
इस मे खिलाड़ी की कटेगरी जोड़ी जा सकती हैं क्या नियम इत्यादि संशोधित नहीं होते हैं
सचिन ने जनहित, समाजहित, देशहित में कभी कुछ नहीं किया। क्यों?
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आप ने जो मानक दिये हैं उस हिसाब से नीचे दी गयी लिस्ट मे कितने सही हैं ????
सचिन को भारत रतन मिलना ही चाहिये क्युकी उनकी उपलब्धियां व्यक्तिगत होते हुए भी देश के लिये गौरव का विषय हैं . और ये मत भूलिये सचिन ने बहुत से चैरिटी में दान दिया हैं पर वो उसका जिक्र नहीं करते . उन्होने पैसा कमाया हैं तो गुप्त रूप से उसको बांटा भी हैं .
व्यक्तिगत उपलब्धियां ही मिलकर सकारात्मक सोच और समाज को जनम देती हैं .
वैसे अमिताभ बच्चन भी इसके हकदार हैं पर सोनिया जी के रहते संभव नहीं हैं .
हर व्यक्तिगत उपलब्धि दूसरो को प्रेरणा देती हैं आगे आकर कुछ करने के लिये .
सचिन को भारत रत्न दिलवाओ दिलवाओ दिलवाओ हम तुम्हारे साथ हैं
1. Pandit Bhimsen Joshi (2008)
2. Kumari Lata Dinanath Mangeshkar (2001)
3. Ustad Bismillah Khan (2001)
4. Prof. Amartya Sen (1999)
5. Lokpriya Gopinath Bordoloi (1999)
6. Loknayak Jayprakash Narayan (1999)
7. Pandit Ravi Shankar (1999)
8. Shri Chidambaram Subramaniam (1998)
9. Smt. Madurai Shanmukhavadivu Subbulakshmi (1998)
10. Shri (Dr.) Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam (1997)
11. Smt. Aruna Asaf Ali (1997)
12. Shri Gulzari Lal Nanda (1997)
13. Shri Jehangir Ratanji Dadabhai Tata (1992)
14. Shri Maulana Abul Kalam Azad (1992)
15. Shri Satyajit Ray (1992)
16. Shri Morarji Ranchhodji Desai (1991)
17. Shri Rajiv Gandhi (1991)
18. Sardar Vallabhbhai Patel (1991)
19. Dr. Bhimrao Ramji Ambedakr (1990)
20. Dr. Nelson Rolihlahla Mandela (1990)
21. Shri Marudur Gopalan Ramachandran (1988)
22. Khan Abdul Ghaffar Khan (1987)
23. Shri Acharya Vinoba Bhave (1983)
24. Mother Teresa (Agnes Gonxha Bojaxhiu) (1980)
25. Shri Kumaraswamy Kamraj (1976)
26. Shri Varahagiri Venkata Giri (1975)
27. Smt. Indira Gandhi (1971)
28. Shri Lal Bahadur Shastri (1966)
29. Dr. Pandurang Vaman Kane (1963)
30. Dr. Zakir Hussain (1963)
31. Dr. Rajendra Prasad (1962)
32. Dr. Bidhan Chandra Roy (1961)
33. Shri Purushottam Das Tandon (1961)
34. Dr. Dhonde Keshav Karve (1958)
35. Pt. Govind Ballabh Pant (1957)
36. Dr. Bhagwan Das (1955)
37. Shri Jawaharlal Nehru (1955)
38. Dr. Mokshagundam Vivesvaraya (1955)
39. Shri Chakravarti Rajagopalachari (1954)
40. Dr. Chandrasekhara Venkata Raman (1954)
41. Dr. Sarvapalli Radhakrishnan (1954)
एक दम सही व्याखया की गई है---सचिन सिर्फ़ क्रिकेट रत्न हो सकते हैं-( वह भी क्रिकेट खेलने में रत्न जैसी कोई बात नहीं, पैसे लेकर खेलना व्यवसाय है सेवा नहीं )...भारत रत्न कदापि नहीं...
जवाब देंहटाएंPlease read following links
जवाब देंहटाएंSachin Tendulkar raises Rs 10 Million for Cancer Charity
http://breakingnewsonline.net/newswatch/2237-sachin-tendulkar-raises-rs-10-million-for-cancer-charity.html
Sachin Tendulkar will be sponsoring the education of 200 children through a non governmental organization Apnalaya.
http://www.behindindia.com/india-news-stories/june-09-01/sachin-tendulkar-04-06-09.html
Zakir itnae kafi haen aapki soch ko badlnae kae liyae yaa aur laaun
mae sachin ki fan hun
आपकी बाते सोलह आने सच है --सचिन स्वयम के लिए खेलते है --जो देखने के समय तो उत्साह देता है --पर उसके बाद शून्य हो जाता है --मेरी भी राय में उनको यह सम्मान ' नही ' मिलना चाहिए --
जवाब देंहटाएंकोन दे रहा हा और वो कोई लेने वाला है पता है उसे भी किसी ने नहीं देना
जवाब देंहटाएंअब स्वामीनाथन जी पर विचार किया जाए :)
‘रजनीश’ जी,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने . हार्दिक बधाई.
वैसे आजकल हर सम्मान पर राजनीति हावी रहती है.
अक्षरश: सहमत। आज कृषि्, अंतरिक्ष आदि क्षेत्र के वैज्ञानिकों ने भारत की तस्वीर को बदला है हम उनका नाम तक नहीं जानते लेकिन जो खिलाडी व्यावसायिक हैं उन्हें हम भारत रत्न देने के लिए उतावले हो रहे हैं और कला, साहित्य और विज्ञान के पुरस्कारों में घुसपैठ कराने तक को तैयार हैं। क्या खेल रत्न छोटा पुरस्कार है?
जवाब देंहटाएंRachna ji, daan de dene se koi bharat ratna ka hakdaar nahi ho jata, uske liye saamaajik yogdan dekha jaata hai. Jahaan tak daan ki baat hai Sachin Tata Trust aur Azim Premji Fondation ke aage kaheen naheen thaharte, fir to ubhe bhi Bharat Ratna milna chahiye.
जवाब देंहटाएंऔर पूनम पांडेय को क्यों भूले जा रहे हैं
जवाब देंहटाएंजिनकी वजह से हम जीते हैं
और वे, जिन्हें कहा जाता है विरोधी
वे हारे हैं
देख नहीं पाए फिर भी वे नजारे हैं
भ्रष्टाचार के विरोधी अन्ना हजारे हैं।
हिंदी ब्लॉगिंग पर बुक की बुकिंग अभी जारी है
पोस्टों की चर्चा का जायका : चख तो लीजिए जनाब
सबसे पहले तो मैं ये स्पष्ट दूँ कि सचिन को भारत रत्न दिलाने की होड़ में, मैं शामिल नहीं हूँ. सचिन को भारत रत्न के लिए अभी काफी वक़्त है.वैसे भी इसे पाने वालों की योग्यता की लिस्ट में खेलों को भी शामिल करना पड़ेगा तभी बात बन सकती है.
जवाब देंहटाएं"क्या आपको ध्यान आता है कि उन्होंने समाज की उन्नति के लिए, समाज के सुधार के लिए कभी कोई काम किया है? नहीं, सचिन ने इस तरह का कोई काम कभी नहीं किया है। सचिन ने आज तक शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी, समाजसेवा के किसी भी काम में कभी भी रूचि नहीं दिखाई है। यहॉं तक कि जब अन्ना हजारे के नेतृत्व में सरा देश भ्रष्टाचार के खिलाफ स्वर से स्वर मिला रहा था, सचिन उस समय भी खामोश थे। हालॉंकि उस समय धौनी ने उस आंदोलन के समर्थन में अपना बयान दिया था, पर सचिन ने उतनी भी ज़हमत उठाना उचित नहीं समझा।"
-RAJNEESH JI
रजनीश जी ....ऊपर लिखी पंक्तियों के अलावा जो बातें आपने कही हैं उनपर लोगों के अलग -२ विचार हैं .
लेकिन इन पंक्तियों को लिखने से पहले मुझे लगता है आपने पूरी तैयारी नहीं की.
"अपनालय" नाम के NGO से सचिन जुड़े हुए हैं. इस NGO के बारे में जानकारी आप जुटाएं.
आपको अपनी तैयारियों का पता चल जाएगा.
इसके अलावा भी महाराष्ट्र में 'जल संरक्षण' लिए सचिन ने लोगों से अपील की थी. सचिन ने कई साल पहले कहा था कि वो अपने चैरिटी के कामों को लोगों से शेयर करने में विशवास नहीं करते.
ये तो सब जानते हैं कि हर इंसान जिस काम से वो प्यार करता है उसी में खोया रहता है ..
सचिन क्रिकेट से कितना प्यार करते हैं ये तो सब जानते ही हैं. इसीलिए वो ऐसे मुद्दों पर कभी- कभार ही बोलते हैं जिस मुद्दे पर न बोलने के लिए आपने लिखा है. लेकिन कभी न बोला हो ऐसा भी नहीं है जैसे कि सचिन ने एक बार ये भी कहा था कि मुझे महाराष्ट्र का होने पर गर्व है लेकिन सबसे पहले मैं एक भारतीय हूँ. उस समय बड़े-से बड़े लोग इस मुद्दे पर बोलने से कतरा रहे थे. धोनी ने भी इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा था. अन्ना हज़ारे ने भी महाराष्ट्र में उ ० प्र०/बिहार से आए लोगों पर हुए हमले के दौरान कोई ऐसा बयान नहीं दिया था .
न ही ठाकरे परिवार की आलोचना की. लेकिन इससे अन्ना हज़ारे और धोनी का क़द छोटा नहीं हो जाता.
मैं क्या कहना चाहता हूँ आप समझ गए होंगे.
एक बात और- भारत रत्न के लिए जो पैमाने आपने तैयार किए हैं उन पर तो आपके सुझाए लोग भी खरे नहीं उतरते.
क्योंकि हर इंसान कहीं न कहीं अपूर्ण रहता ही है .
दद्दा ध्यानचंद को मैं तेंदुलकर से भी ज्यदा मानता हूँ लेकिन उन्होंने सामाजिक सेवा की हो ये आज तक किसी ने नहीं कहा. लेकिन उनको भारत रत्न मिले तो ख़ुशी होगी क्योंकि जो काम वो जानते थे उन्होंने उसे दिल लगाकर किया.
और अगर आप ये सोचते हों कि जिन लोगों को ये मिला हैं वो सर्व गुण संपन रहे हैं तो ये आपकी भूल है और पत्रकारिता जगत की छति.
क्योंकि आप एक हिंदी दैनिक से जुड़े हैं और एक पत्रकार हैं आपसे अपेक्षा है कि आपकी लिखी हर बात सभी पहलुओं को ध्यान में लिखकर लिखी जाए.
1. Pandit Bhimsen Joshi (2008)
2. Kumari Lata Dinanath Mangeshkar (2001)
3. Ustad Bismillah Khan (2001
४ Shri Rajiv Gandhi (1991)
५ Dr. Zakir Hussain (1963)
अगर आपके पैमाने पर इन 'भारत रत्न' को कसा जाए तो इनसे तो भारत रत्न वापस लेना पड़ेगा. आप बताएं कि भीम सेन जोशी की कला से कितने गरीबों का भला हुआ?
लता मगेश्कर के गाने से कितने गरीबों की भूख मिटी? बाकी नामों के साथ भी मैं आपको उनका सीमित क़द के बारे में बता सकता हूँ.
शब्दसः सहमत...
जवाब देंहटाएं@ jakir
जवाब देंहटाएंsaamaajik yogdan
jitnae logo ki list maene dee haen unmae samajik yogdaan kis kis kaa haen
???
viredra singh chauhan kaa thanks is vistaar sae diyae gayae kament kae liyae
samajik yogdaan ki paribhasha kyaa haen ???
neta hona
gaayak hona
तर्क वितर्क में मतभेद हो सकता है । लेकिन १२१ करोड़ भारतियों को ख़ुशी प्रदान करने से बेहतर और क्या सेवा हो सकती है ।
जवाब देंहटाएंजो सेवाएँ आपने गिनाई उसके लिए तो और भी बहुत हैं जिनके पास कोई काम नहीं है ।
लेकिन सचिन का कोई सानी नहीं , भले ही सिर्फ क्रिकेट में ही हो ।
विश्व कप में जीत से भला कौन खुश नहीं हुआ होगा ।
मेरा मत तो सचिन के लिए है , बेशक ।
इस पर अंधे से होकर लोग समर्थन करने लगते हैं और भूल जाते हैं कि ये खेल कुछ देशों अंग्रेजी उपनिवेशों की शान बना हुआ है, इसके अलावा जो लोग संगीत के साथ कुतर्क करते दीखते हैं (आपकी टिप्पणियों में भी दिखे) वे भूल जाते है कि क्रिकेट अथवा किसी खेल के द्वारा अभी चिकित्सा नहीं की जा रही है और न ही इस सम्बन्ध में कोई प्रस्ताव-सुझाव-प्रमाण आया है जबकि हमारे वैदिक ग्रंथों ने भी संगीत की महिमा को बताया है, आधुनिक चिकित्सा जगत ने संगीत के द्वारा इलाज को स्वीकार भी है.
जवाब देंहटाएंतमाम सारे नामों को लेकर बहुत तर्क-वितर्क नहीं करेंगे क्योंकि कुछ लोगों को सच सुनने की आदत नहीं होती पर राजीव गाँधी का नाम इस कारण उचित लगता है कि आज जिस कंप्यूटर के द्वारा हम अपने विचारों की खुजली शांत कर ले रहे हैं उसको देश में इतनी सुविधा से लागू कर पाने का श्रेय उसी शख्स को जाता है.....
बहुत कुछ है, शायद टिप्पणी की जगह लेख हो जाएगा इस कारण बस इतना कि सचिन अभी नहीं कदापि नहीं.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
क्यों मिलना चाहीये ?
जवाब देंहटाएंक्रिकेट कितने देश कहलाते है ? ब्रिटेन और उसके भूतपूर्व गुलाम देश ? रोते धोते दर्जन भर ? कितने खेल महाशक्ति(अमरीका, चीन, जापान, रूस) खेलते है ?
खेलो में यदि भारत रत्न दिया जाए तो मेजर ध्यान चंद, विश्वनाथन आनंद, प्रकाश पादुकोण जैसे खिलाडी क्यों नहीं, ये भी विश्व स्तर पर चैम्पियन है!
फेरारी के लिए टैक्स का मुद्दा याद है किसी को ?
सचिन के पक्षधरो से एक प्रश्न ? क्या उन्होंने जार्ज सुदर्शन का नाम सुना है ? उन्हें क्यों नहीं ? रतन टाटा को क्यों नहीं !
जाकीर जी, के पैमानों से सहमति/असहमति एक अलग मुद्दा है ! लेकिन क्रिकेट के लिए भारत रत्न ! कदापि नहीं !
जवाब देंहटाएंमेरा साफ़-सपाट उत्तर होगा... नहीं !
सचिन तेन्दुलकर को भारत रत्न नहीं मिलना चाहिये ।
उनके कला सँस्कृति सामाजिक योगदान पर प्रश्नचिन्ह तो है ही !
पर विश्वकप जीतते ही जिस प्रकार उनके पक्ष में लॉबिइँग शुरु हो गयी है, उसके प्रश्नचिन्ह और भी उलझा देने वाले हैं ।
रचना जी द्वारा दिये सँदर्भों के परिप्रेक्ष्य में मुझे केवल यह कहना है, कि यह आर्थिक सहायता है.. इन्वॉल्वमेन्ट नहीं, यदि भारत-रत्न दिये जाने का यही मापदँड है, तब तो सँजय दत्त, सलमान खान जैसे कई नाम गिनाये जा सकते हैं !
सोचने को विवश करती पोस्ट..आभार
जवाब देंहटाएंविश्व में महानतम क्रिकेटर सर डॉन ब्रेडमेन (आस्ट्रेलिया)के बाद अगले महानतम बल्लेबाज़ सचिन तेंदुलकर (भारत) ही हुए हैं । भारत रत्न तो वे हैं ही । य बहस अनंत काल तक जारी रहे तो भी कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला ।
जवाब देंहटाएंmain vishesh roop se kisi khiladi ka naam nahi loongi kintu yadi is tarah hi ye ratn dena hai to fir to bharat kala ratn ,bharat sahitya ratn ,bharat vigyan ratn aise naamon se diya jana chahiye.khel se desh juda hai aur sirf khel hi nahi har vah vyakti jo desh ka sir uncha karta hai use ratn kee sangya dee ja sakti hai,jakir ji aap shikha ji ko post padhne ke liye kah sakte hain kintu aap khud bhi to sahi bate soch v likh sakte hai yadi aap jaise lekhak in baton par jan jagrookta nahi badhayenge to sahi lekhan nahi kar payenge.
जवाब देंहटाएंयह लीजिये अपने मतलब की पोस्ट
जवाब देंहटाएंऔर लिखिए इस नई खोज पर अपनी शैली में
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/04/mother-tounge.html
आपकी बात से बहुत हद तक सहमत हूँ. सचिन निसंदेह महान खिलाड़ी हैं और उन्होंने देश का नाम ऊंचा किया है,और इसके लिये उन्हें पूरा सम्मान मिलना चाहिए. लेकिन भारत रत्न देने का जो मूल उद्देश्य था उसे भी नहीं भूलना चाहिए. जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कुछ असाधारण व्यक्ति होते हैं और उनका योगदान भी देश का नाम ऊँचा करता है,लेकिन अगर उन सभी को भारत रत्न दिया जाने लगेगा तो भारत रत्न का महत्त्व ही समाप्त हो जायेगा. उनको सम्मानित कराने का और कोई विकल्प तलाशा जा सकता है.
जवाब देंहटाएंपोस्ट और टिप्पड़ियों को पढ़कर असमंजस की स्थिति में हूँ. वैसे एक बात तो कहना चाहूँगा की अभी सचिन को भारत रत्न देना थोड़ी जल्दबाजी होगी. संभव है के वे आने वाले दिनों में देश और समाज को क्रिकेट से भी ज्यादा कुछ दे सकें. वैसे भी सचिन को एक क्रिकेटर से ज्यादा एक व्यक्तित्व के रूप में जाना जाना जाता है.
जवाब देंहटाएंजाकीर जी,आपका कहना उचित है।अगर तार्किक तौर पर देखा जाए तो सचिन भारत रत्न के अधिकारी नहीँ हैँ
जवाब देंहटाएंशब्दशः सहमत हूँ आप से !
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
क्रिकेट विदेशी गुलामी का प्रतीक खेल है.किसी भी क्रिकेटर को कभी भी किसी भी सूरत में 'भारत रत्न'देना इस अलंकरण का महत्त्व घटाना होगा.
जवाब देंहटाएंजाकिर जी, यह पोस्ट नहीं पढ़ पाया था पहले
जवाब देंहटाएंइस पर टिप्पणी बाद में, पहले अपनी पोस्ट
तनख्वाह लेने वाल़े कर्मचारी को भारत रत्न दिया जाना चाहिए क्या? से निपट लूं
सचिन भारत रत्न के लायक नहीं है. इस विषय पर तार्किक एवं दिमाग खोलने वाला आलेख पढ़े. http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com
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