कुछ लोग साहित्य में धूमकेतु की तरह आते हैं और प्रकाश की तरह छा जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो न सिर्फ रफ्ता-रफ्ता अपना सफ...
कुछ लोग साहित्य में धूमकेतु की तरह आते हैं और प्रकाश की तरह छा जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो न सिर्फ रफ्ता-रफ्ता अपना सफर तय करते हैं, बल्कि स्वयं से ज्यादा दूसरों को प्रोत्साहित करने हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहते हैं। हिन्दी बाल साहित्य के क्षेत्र में श्री शमशेर अहमद खान एक ऐसा ही नाम है, जिसने सदैव बाल साहित्य के उत्थान का कार्य किया। वे एक हंसमुख, मिलनसार और समाज के लिए चिंतित रहने वाले साहित्यकार थे। दु:ख का विषय है कि शमशेर जी अब हमारे बीच नहीं रहे।
शमशेर जी पिछले कुछ समय से कैंसर से पीडि़त थे। वे पिछले एक माह से नई दिल्ली स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीटयूट में भर्ती थे, जहां कल दिनांक 07 फरवरी 2011 को दोपहर 12 बजे उनका निधन हो गया। इस समाचार के प्राप्त होते ही बालसाहित्य जगत में शोक की लहर व्याप्त हो गयी।
श्री शमशेर जी को श्रद्धांजलि देने हेतु लखनऊ में आज सुबह एक शोक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें सर्वश्री/सुश्री अल्का मिश्रा, रवीन्द्र प्रभात, सर्वत जमाल, जाकिर अली 'रजनीश', रणधीर सिंह सुमन, सत्येन्द्र तिवारी, मिर्जा इमरान बेग, सुनील कुमार गुप्ता आदि ब्लॉगर तथा साहित्यकार सम्मिलित हुए और उनकी आत्मा की शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में जन्म लेने वाले पचपन वर्षीय श्री शमशेर अहमद खान ने न सिर्फ भरपूर मात्रा में बाल साहित्य का सृजन किया,वरन बाल साहित्य जगत के रचनाकारों को एकजुट करने और उनकी आवाज को देश की राष्ट्रपति तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य दिया। केन्द्रीय सचिवालय, नई दिल्ली में कार्यरत श्री खान ने बाल साहित्य की विभिन्न विधाओं में अपना सक्रिय योगदान दिया, जिनमें यात्रा वृत्तान्त, पशु-पक्षियों के सम्बंध में परिचयात्मक लेख तथा पर्यावरण चेतना सम्बंधित लेखन उल्लेखनीय है। उनकी विविध विषयों पर लगभग दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पुस्तकों के नाम हैं: हिन्दी के मूर्धन्य बाल सहित्यकार, बालसेना, गोलू की सूझ, ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम। उनके साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारतीय बाल कल्याण संस्थान, कानपुर भारतीय कृषि पत्रकार संघ, नई दिल्ली, नागरी बाल साहित्य संस्थान,बलिया, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान, लखनऊ आदि संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जा चुका है।
शमशेर अहमद खान तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ0 अब्दुल कलाम को पुस्तक भेंट करते हुए |
श्री खान मई 2009 से ब्लॉग जगत से भी जुड़े हुए थे और दिल्ली स्थित 'हिंद युग्म' के संचालक श्री शैलेश भारतीय के लगातार सम्पर्क में रहकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देते रहते थे। उनके इस असामयिक निधन से साहित्य जगत और ब्लॉगजगत की अपूर्णनीय क्षति हुई है, जिसे कभी भरा नहीं जा सकता।
हमारी यही प्रार्थना है कि ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे और उनके परिवारजनों को इतनी शक्ति दे, जिससे वे इस असहनीय दु:ख को सहन कर सकें।
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भावभीनी श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंशमशेर अहमद खान साहब को हमारी ओर से भी भावभीनी श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंहमारी यही प्रार्थना है कि ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे और उनके परिवारजनों को इतनी शक्ति दे, जिससे वे इस असहनीय दु:ख को सहन कर सकें।
ॐ शांति शांति शांति !
विनम्र श्रद्धांजलि
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंविनर्म श्रधांजलि.
जवाब देंहटाएंdukhad... un punyaatma ko shraddhaanjali..
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजलि!!!
जवाब देंहटाएंभावभीनी श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंइस विभूति के विषय में जानकर हृदय श्रद्धा से भर गया.. काल पर किसका बस चला है!
जवाब देंहटाएंइन्नलिल्लाहे ओ इन्न अलैह राजऊन!!
श्री शमशेर अहमद खान सा. को विनम्र श्रद्धांजली.
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि!
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंविनम्र श्रद्धांजली
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Dukh hua
विनम्र श्रद्धांजलि। खान साहब कहीं गए नहीं हैं, अपनी रचनाओं से यहीं मौजूद हैं। उनकी पुस्तकों और कार्यों को भरपूर प्रचारित/प्रसारित किया जाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंdukhad khabar mili. meri shraddhaanjali...
जवाब देंहटाएंओह ! काल की क्रूर गति से कौन बच सका है भला -मगर एक रचनाकार अपनी यश काय में जीता है ! विनम्र श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंबाल साहित्य जगत का एक महान योद्धा चला गया । वह आजन्म बाल साहित्य को सम्मान दिलाने के लिए संघर्षरत रहे । मेरी भावभीनी श्रद्धाँजलि ।
जवाब देंहटाएंबाल साहित्य जगत का एक महान योद्धा चला गया । वह आजन्म बाल साहित्य को सम्मान दिलाने के लिए संघर्षरत रहे । मेरी भावभीनी श्रद्धाँजलि ।
जवाब देंहटाएंbhavbhini shrsddhanjali...
जवाब देंहटाएंईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे
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