सम्‍बंधों को नया आयाम दे गयी ब्‍लॉगिंग और ‘टेक्‍नोकॉन’

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पवन मिश्र और मैं    भले ही ब्‍लॉगिंग ने और कुछ दिया हो अथवा नहीं, पर उसने लोगों के बीच में सम्‍बंधों की प्रगाढ़ता को बढ़ाने का काम...


पवन मिश्र और मैं 
 भले ही ब्‍लॉगिंग ने और कुछ दिया हो अथवा नहीं, पर उसने लोगों के बीच में सम्‍बंधों की प्रगाढ़ता को बढ़ाने का काम अवश्‍य किया है। इसका एहसास अनायास ही मुझे उस समय हुआ, जब शुक्रवार की शाम कानपुर के रेलवे स्‍टेशन पर कानपुर के युवा ब्‍लॉगर डॉ0 पवन कुमार मिश्र एवं हर्षकांत त्रिपाठी 'पवन' को अपने स्‍वागत में खड़े पाया।

पवन वैसे तो कानपुर स्थित कानपुर इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नालॉजी’ (K.I.T.) में लेक्‍चरर हैं, पर मेरी उनकी  जान-पहचान एक ब्‍लॉगर के रूप में है। शक्‍ल और सीरत दोनों से भोले पवन पछुआ पवन ब्‍लॉग के संचालक हैं  और कानपुर ब्‍लॉगर एसोसिएशन के सक्रिय रचनाकार के रूप में भी जाने जाते हैं। संयोग की बात यह है कि वे मेरी रचनाओं को विज्ञान प्रगति में काफी समय से पढ़ते रहे हैं। दूसरी बात यह है कि वे मेरे हम उम्र हैं और तीसरी बात यह है कि समाज और लोगों के बारे में मेरा और उनका सोचने का तरीका आश्‍चर्यजनक रूप से काफी कुछ मिलता-जुलता है।

बाएं हर्ष दायें पवन बीच में मैं 

दूसरे ब्‍लॉगर हर्ष के0आई0टी0 में पवन के विद्यार्थी हैं। हर्ष कानपुर ब्‍लॉगर एसोसिएशन से तो जुड़े ही हैं, साथ ही मेरी अंतराभिव्‍यक्ति एवं life and litrature@KIT को भी संचालित करते हैं। वैसे हर्ष के एक भैया (कजिन) भी एक जाने-माने ब्‍लॉगर हैं। उनका नाम है: श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी। वैसे हर्ष के इस रिश्‍ते के बारे में मुझे कानपुर जाकर ही पता चला। और जब यह पता चला, तो सहसा दिमाग में कौंधा- ये दुनिया कितनी छोटी है।

अब आते हैं मुद्दे पर। यानी कि कानपुर के रेलवे स्‍टेशन पर होने वाली इस मुलाकात का उद्देश्‍य क्‍या था। दरअसल के0आई0टी0 में 24 से 26 फरवरी 2011 को टेक्‍नोकॉन नाम से तकनीकी सांस्‍कृतिक महोत्‍सव का आयोजन प्रस्‍तावित था, जिसमें विभिन्‍न प्रकार के कार्यक्रम के साथ मंथन नामक काव्‍य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। और हर्ष ने जब अपने गुरूजी यानी पवन कुमार मिश्र से प्रतियोगिता के लिए जज के नाम का सुझाव मांगा, तो उन्‍होंने मेरा नाम सुझा दिया। सो, इस तरह तय हो गयी यह मुलाकात।

स्मृति चिन्ह की स्मृतियाँ  
टेक्‍नोकॉन के बहाने जब मैं के0आई0टी0 के जगमगाते परिसर में पहुंचा, तो वहॉं की तैयारियों को देखकर दंग रह गया। उस समय वहॉं पर डांस कम्‍प्‍टीशन चल रहा था और स्‍टेज पर डिस्‍को लाइट और हजारों वॉट के साउंड सिस्‍टम के बीच प्रतिभागी प्रोफेसनल डांसर्स सा एहसास करा रहे थे। खातिरदारी के दौरान स्‍वयं के लिए वी0आई0पी0 ट्रीटमेंट की खुशी उस समय और बढ़ गयी, जब अन्‍तर्राष्‍ट्रीय ख्‍याति के कवि कुमार विश्‍वास को मैंने पहली बार मंच पर परफार्म करते हुए देखा।

कुमार विश्‍वास के परफार्मेंस ने जहॉं यह बताया कि आज के समय में अच्‍छा रचनाकार होना उतना जरूरी नहीं है, जितना कि अच्‍छा कम्‍युनिकेटर, वहीं टेक्‍नोकॉन के सफल आयोजन ने यह दिखाया कि हमारे देश में प्रतिभाओं को कमी नहीं है। यह अलग बात है कि उन प्रतिभाओं को या तो भविष्‍य में उचित प्‍लेटफार्म नहीं मिल पाता, अथवा वे अपनी जिम्‍मेदारियों के बीच इस तरह से फंस जाते हैं कि अपनी अभिरूचियों की ओर देखने की उन्‍हें फुर्सत ही नहीं मिलती। (वैसे पवन और मैं इसके अन्‍य कारण पर भी सहमत हैं और वह कारण है लोगों में सम्‍बंधित फील्‍ड के जींस’  का प्रखर रूप में न पाया जाना)
बातचीत के अंतरंग पल
भले ही पवन और हर्ष से यह मेरी पहली मुलाकात थी(संयोगवश इस कार्यक्रम से पहले हमने कभी फोन पर बात भी नहीं की थी), लेकिन अगले दिन जब वे दोनों मुझे कानपुर रेलवे स्‍टेशन पर विदा करने आए, तो मुझे कहीं से नहीं लगा कि यह हम लोगों की पहली मुलाकात थी। और जाहिर सी बात है कि हमारे बीच इस आत्‍मीयता को विकसित करने का कार्य ब्‍लॉगिंग ने ही किया था।
Keywords: Teknocon, KIT Kanpur, Kumar Vishwas Songs, Bloggers Meet Kanpur

COMMENTS

BLOGGER: 20
  1. जाकिर जी आपसे मिलने का सौभाग्य हमको नही मिल पाया इसका थोडा सा दुख हो रहा है , मगर खुशी हुई कि आप हमारे के. आई. टी. परिसर में आये ।
    कुछ दिनों पहले तक हम भी यहाँ पर थे । कोशिश की भी थी कि इस अवसर पर हम भी आ पाते ।
    आपने सच कहा कि इस ब्लागिंग की दिनिआ ने लोगो के बीच की दूरियों को कम करने का काम किया है ।
    आपसे मुलाकात का हमे भी इंतजार रहेगा ।

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  2. सच कहा आपने व्लागिंग ने लोगों को करीब ला दिया है तभी तो हम मिले थे लखनऊ में तुम्हें याद हो न याद हो

    जवाब देंहटाएं
  3. यही माहौल बना रहे, ब्लॉग की वृद्धि हो।

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  4. हम भी मिले थे
    वर्धा और लखनऊ में
    याद तो होगा ही
    जिनको मिले थे
    और आपको भी
    जो पढ़ रहे हैं पोस्‍ट
    और टिप्‍पणी क्‍योंकि
    उन्‍होंने वे पोस्‍टें भी पढ़ी होंगी।

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  5. ब्लागरी ने बहुत रिश्ते बनाए हैं और बनाती रहेगी।

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  6. ब्लॉगरी नये आयाम बनाने की और अग्रसर है।

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  7. आप यूँ ही मिलते रहें
    रिश्ते नये बनते रहें

    शुभकामनाये

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  8. जाकिर भाई यह सौभाग्य कि बात है कि हमलोगों कि सोच और तरीके हद तक मिलती है
    आप की मुहब्बत के ऋणी रहेगे

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  9. रोचक और जानकारी से भरी पोस्ट !

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  10. पवन भैया से मिलना बात करना hamesha सुखद होता है
    आप लोग मिल कर इस देश को अज्ञानता के दलदल से उबार सकते हो

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  11. ऐसे मिलते जुलते रहने से रिश्ते में नए आयाम बनते है ब्लॉग्गिंग की बेहतरी के लिए .

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  12. ब्लोगिंग के माध्यम से कई लोगों से आत्मीयता हो गयी है चाहे कभी मिलने का अवसर ना भी मिला हो |आप को तो कई लोगों से मिलने और आत्मीय होने का सौभाग्य मिला है |
    अच्छा लेख |बधाई
    आशा

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  13. कुछ तो अच्छा है ब्लोगिंग में

    काव्य भी अब व्यवसाय हो गया है ।

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  14. रिपोर्ट अच्छी लगी. हम भी आप से मिलकर बहुत खुश है. हमारी कोशिश रहेगी की आप हमारे कुछ ऐसे ही और कर्यक्रमों का हिस्सा बनें. पोस्ट में कुछ आवश्यक सुधार की बात मैने की थी उसे अवश्य कर लिजियेगा.

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  15. सकारात्मक समझ और संबंधों को बल मिलता रहे ...यही कामना है ..... सुंदर पोस्ट

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  16. यही माहौल बना रहे, ब्लॉग की वृद्धि हो।

    जवाब देंहटाएं
  17. सच कहा आपने व्लागिंग ने लोगों को करीब ला दिया है ....

    जवाब देंहटाएं
  18. पवन जी सचमुच भोले लग रहे हैं सूरत और सीरत से ...

    जवाब देंहटाएं
आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

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हिंदी वर्ल्ड - Hindi World: सम्‍बंधों को नया आयाम दे गयी ब्‍लॉगिंग और ‘टेक्‍नोकॉन’
सम्‍बंधों को नया आयाम दे गयी ब्‍लॉगिंग और ‘टेक्‍नोकॉन’
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