जिस दिन देश के साहित्यकार सो गये, उस दिन यह देश मटियामेट हो जाएगा।
पुरस्कार प्राप्त समस्त रचनाकार
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जिस दिन देश के साहित्यकार सो गये, उस दिन यह देश मटियामेट हो जाएगा।

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पुरस्कार प्राप्त समस्त रचनाकार समय-समय पर देशकाल, परिस्थितियों के अनुसार समाज में जब कभी परिवर्तन की बात आती है, तो हमें साहित्य क...

यादगार बन गया सलूम्‍बर, उदयपुर का बाल साहित्‍य सम्‍मेलन...
..क्‍या आपकी किताब वास्‍तव में कोई पढ़ना चाहता है?
हिन्‍दी में पटकथा लेखन सिखाने वाली अनमोल पुस्तक (Patkatha Lekhan Ek Parichay)
समय-समय पर देशकाल, परिस्थितियों के अनुसार समाज में जब कभी परिवर्तन की बात आती है, तो हमें साहित्य की याद आती है। क्योंकि साहित्यकार समाज को चेताने का काम करता है। साहित्यकार समाज की स्थितियों का सिर्फ चित्रण ही नहीं करता, वह समाज के सोए हुए आत्मसम्मान को जगाने का काम करता है, वह वीरों में हुंकार भरने का काम करता है और वही है जो नि:स्वार्थ भाव से समाज के दबे-कुचले लोगों की आवाज को ऊपर तक पहुंचाता है। इसलिए अपने समय के साहित्यकारों का सम्मान करना प्रत्येक समाज का नैतिक दायित्व है।

उपरोक्त बातें उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायतीराज मंत्री मा0 स्वामी प्रसाद मौर्य ने राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उ0प्र0, लखनऊ द्वारा आज दिनांक 12 फरवरी 2011 को आयोजित सम्मान समारोह में कहीं। वे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के यशपाल सभागार में आयोजित इस भव्य समारोह में राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ने विभिन्न श्रेणियों के अन्तर्गत 8 रचनाकारों को पुरस्कृत किया। पुरस्कृत होने वाले रचनाकारों में सर्वश्री डॉ0 विक्रम सिंह (पं0 महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार), डॉ0 रविशंकर पाण्डेय (सुमिप्रा नंदन पंत पुरस्कार), डॉ0 दिनेश चंद्र अवस्थी (अमृतलाल नागर पुरस्कार), श्री घनानंद पाण्डेय ‘मेघ’ (जयशंकर प्रसाद पुरस्कार), डॉ0 कृष्णकांत रघुवंशी (डॉ0 विद्यानिवास मिश्र पुरस्कार), डॉ0 सुरेश उजाला (डॉ0 शिवमंगल सिंह सुमन पुरस्कार), डॉ0 मिर्जा शफीक हुसैन ‘शफक’ (मिर्जा असदउल्ला खां ‘गालिब’ पुरस्कार), एवं सैयद अब्बास रजा ‘तनवीर’ (फिराक गोरखपुरी पुरस्कार) के नाम शामिल हैं। इन सभी रचनाकारों को 51 हजार रूपये की पुरस्कार राशि एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

मुझे तो पहचान ही लेंगे ?
इस अवसर पर उत्कृष्ट साहित्य सेवा के लिए 21 रचनाकारों को साहित्य गौरव सम्मान से भी विभूषित किया गया। सम्मानित रचनाकारों के नाम हैं सर्वश्री गंगारत्न पाण्डेय, राघवेन्द्र विक्रम सिंह, रविकांत खरे ‘बाबाजी’, गदाधर नारायण सिन्हा, रवीन्द्र कुमार ‘राजेश’, चक्रधर ‘नलिन’, रमनलाल अग्रवाल ‘रम्मन’, आशा श्रीवास्तव, कैलाश चंद्र मिश्र, सुरेन्द्र विक्रम अस्थाना, अखिलेख निगम ‘अखिल’, महेश प्रसाद पाण्डेय ‘महेश’, सुबोध कुमार दुबे ‘शारदानंदन’, अजय नागर, रामकिशोर तिवारी ‘किशोर’, अरविंद सोनकर ‘असर’, कृष्ण प्रताप सिंह ‘सुमन, कमल किशोर ‘भावुक’, अशोक ‘अज्ञानी’, राम बहादुर मिश्र एवं ज़ाकिर अली ‘रजनीश’

इसके अतिरिक्त श्री गिरिजाशंकर दुबे ‘गिरिजेश’ एवं डॉ0 फहमीदा सरदार को विशेष प्रशस्ति सम्मान से भी विभूषित किया गया। सम्मान स्वरूप सभी रचनाकारों को स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान राशि भेंट की गयी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता उ0प्र0 के पूर्व मुख्य सचिव, डॉ0 शंभूनाथ ने की। उन्होंने समाज में फैले भ्रष्टाचार को इंगित करते हुए उसे मनुष्यता के पतन की निशानी बताया और रहीम खानखाना के एक दोहे का उदाहरण देते हुए कहा कि मनुष्य के मन में जब तक देने की भावना हो, तभी तक उसे जीना चाहिए। जिस दिन उसके अंदर यह भावना समाप्त हो जाए, उसे मर जाना चाहिए। बाल अधिकार संरक्षण आयोग, भारत सरकार के सदस्य सचिव श्री लव वर्मा तथा प्रमुख सचिव, पशुधन विभाग, उ0प्र0 सरकार, डॉ0 हरशरण दास ने कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि की हैसियत से बोलते हुए साहित्यकारों के अवदान की सराहना की।

इस अवसर पर ओज के कवि श्री गिरिजाशंकर दुबे ‘गिरिजेश’ के काव्य संग्रह ‘समता के स्वर’ का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम को संस्थान के अध्यक्ष श्री आलोक रंजन, उपाध्यक्ष श्री विनोद चंद्र पाण्डेय ‘विनोद’ तथा महामंत्री विजय प्रसाद त्रिपाठी ने भी संबोधित किया।
Keywords: Sahitya Gaurav Samman, Rajya Karmachari Sahitya Sansthan, U.P.,

COMMENTS

BLOGGER: 23
  1. पुरूस्कार प्राप्त कर्ताओं को बधाई...आपने सच कहा जिस दिन साहित्कारों का सम्मान बंद हो जायेगा उस दिन देश का मटियामेट हुआ समझो...लेकिन साहित्य में धड़ बंदी भाई भतीजा वाद का क्या करेंगे...जिसकी पहुँच है पुरूस्कार उसे ही मिलता है...
    नीरज

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  2. सभी पुरस्कार प्राप्त कर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई। आपको विशेष रूप से बधाई।
    क्योंकि-
    कलम के सिपाही अगर सो गये तो
    वतन के सिपाही वतन बेच देंगे।


    एक निवेदन-

    मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।

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  3. puraskaar praapt lekhakon men kuchh mere parichit naam bhi hai,isliye zyadaa khushee hui. sabko badhai.

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  4. जाकिर जी आपको और बाकी सभी पुरस्कार प्राप्त कर्ताओ को हार्दिक बधाई…………देखकर और जानकर अच्छा लगा।

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  5. हार्दिक बधाई..सभी पुरस्कार प्राप्त कर्ताओ को..

    जवाब दें हटाएं
  6. सभी पुरस्कार प्राप्त कर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई। आपको विशेष रूप से बधाई।

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  7. .शुभकामनायें ...शुभकामनायें ....शुभकामनायें ..शुभकामनायें ...शुभकामनायें ......

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  8. जाकिर जी.... आपको और सभी पुरस्कार प्राप्त कर्ताओ को हार्दिक बधाई…………

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  9. बेनामी2/12/2011 11:05 pm

    बहुत बढ़िया पोस्ट!
    कलम के सिपाही अगर सो गयो तो-
    वतन के मसीहा वतन बेंच देंगे!

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  10. जाकिर भाई आपको बहुत बहुत बधाई
    सत्ता में साहित्य के लिए बोलने वालो की नियत पर मुझे शक है

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  11. सौ प्रतिशत सच , और सभी को बधाई.

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  12. आप सभी को बहुत बहुत बधाई ।
    बस कलम का जलवा यूँ ही दिखता रहे
    साहित्य की मशाल यूँ ही जलती रहे

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  13. साहित्य ही तो देश का चरित्र निर्माण करता है... वर्ना राज्नीति ने तो तबाह ही कर रखा है!!
    ज़ाकिर भाई, बधाई!!

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  14. डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर किया पौधारोपण
    डॉ. दिव्या श्रीवास्तव जी ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर तुलसी एवं गुलाब का रोपण किया है। उनका यह महत्त्वपूर्ण योगदान उनके प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, जागरूकता एवं समर्पण को दर्शाता है। वे एक सक्रिय ब्लॉग लेखिका, एक डॉक्टर, के साथ- साथ प्रकृति-संरक्षण के पुनीत कार्य के प्रति भी समर्पित हैं।
    “वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर” एवं पूरे ब्लॉग परिवार की ओर से दिव्या जी एवं समीर जीको स्वाभिमान, सुख, शान्ति, स्वास्थ्य एवं समृद्धि के पञ्चामृत से पूरित मधुर एवं प्रेममय वैवाहिक जीवन के लिये हार्दिक शुभकामनायें।

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  15. वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर said...

    डॉ. डंडा लखनवी जी के दो दोहे

    माननीय डॉ. डंडा लखनवी जी ने वृक्ष लगाने वाले प्रकृतिप्रेमियों को प्रोत्साहित करते हुए लिखा है-

    इन्हें कारखाना कहें, अथवा लघु उद्योग।
    प्राण-वायु के जनक ये, अद्भुत इनके योग॥

    वृक्ष रोप करके किया, खुद पर भी उपकार।
    पुण्य आगमन का खुला, एक अनूठा द्वार॥

    इस अमूल्य टिप्पणी के लिये हम उनके आभारी हैं।

    http://pathkesathi.blogspot.com/
    http://vriksharopan.blogspot.com/

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  16. पुरूस्कार प्राप्त कर्ताओं को बधाई...आपने सच कहा जिस दिन साहित्कारों का सम्मान बंद हो जायेगा उस दिन देश का मटियामेट हुआ समझो..............

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  17. बेनामी2/15/2011 6:31 pm

    जिस दिन देश के साहित्यकार सो गये, उस दिन यह देश मटियामेट हो जाएगा !और जाकिर भाई साहित्यकारों का सम्मान भी उतना ही जरूरी है !सभी पुरस्कार पाने वालो और आपको बधाई !!!

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  18. रजनीश जी,
    आपको ढेर सारी बधाईयाँ...
    और मंगल कामनाएँ...


    सभी पुरस्कार विजेताओं को हार्दिक बधाई ..

    सस्नेह
    गीता पंडित

    जवाब दें हटाएं
आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

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हिंदी वर्ल्ड - Hindi World: जिस दिन देश के साहित्यकार सो गये, उस दिन यह देश मटियामेट हो जाएगा।
जिस दिन देश के साहित्यकार सो गये, उस दिन यह देश मटियामेट हो जाएगा।
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