ब्‍लॉगवाणी : एक नई शुरूआत।

SHARE:

ब्‍लॉगर के लिए अपने ब्‍लॉग से ज्‍यादा अगर कोई चीज़ प्‍यारी होती है, तो वह है एग्रीगेटर। कारण वह  उसका प्रचार जो करता है। और इसमें कोई द...

ब्‍लॉगर के लिए अपने ब्‍लॉग से ज्‍यादा अगर कोई चीज़ प्‍यारी होती है, तो वह है एग्रीगेटर। कारण वह  उसका प्रचार जो करता है। और इसमें कोई दो राय नहीं कि एग्रीगेटर के रूप में जो लोकप्रियता 'ब्‍लॉगवाणी' ने हासिल की, वह किसी और को न मिली। बहुत से ब्‍लॉगर तो आज भी  'ब्‍लॉगवाणी' को अपने पहले प्‍यार की तरह याद करते हैं। 
हालांकि एग्रीगेटर 'ब्‍लॉगवाणी' को बंद हुए एक अर्सा हो गया है,  लेकिन उसके नाम का जादू अब भी बाकी है। यह जादू लखनऊ से प्रकाशित 'जनसंदेश टाइम्‍स' में 'ब्‍लॉगवाणी' नामक एक कॉलम के रूप में प्रकट हुआ है। इस कॉलम में प्रत्‍येक सप्‍ताह किसी ब्‍लॉग के बारे में समीक्षात्‍मक लेख प्रकाशित होगा। सौभाग्‍य से ब्‍लॉग समीक्षा का यह गुरूतर दायित्‍व इन पंक्तियों के लेखक को सौंपा गया है। 
दिनांक 10;02;11 को प्रकाशित पहली कड़ी में मैंने 'दोस्‍त' (http://crykedost.blogspot.com/) ब्‍लॉग को विवेचन का विषय बनाया है। (अगले सप्‍ताह से यह कॉलम प्रत्‍येक बुधवार को प्रकाशित होगा।)
बड़ा काम करने के लिए, हमारे पास एक सार्थक उद्देश्य होना चाहिए। और अगर मकसद सामने हो तथा उसे पाने के लिए ईमानदारी से प्रयत्‍न किया जाये, तो एक न एक दिन कामयाबी जरूर मिलती है। और यह कामयाबी समाज के लिए एक मिसाल सी बन जाती है।

ऐसी ही एक मिसाल बनके दिखाया है 18 साल की संजना ने, जो मुम्‍बई के ब्रीच कैंडी के बी.डी. सोमानी स्कूल की छात्रा है। संजना को जब ‘विक्टोरिया मेमोरियल स्कूल फॉर ब्लाइंड’ के बारे में पता चला, तो उसने उन बच्‍चों के लिए कुछ करने के बारे में सोचा। उसने गत वर्ष जून में INNOCENT TOUCH (http://www.innocenttouch.in/) वेबसाइट का निर्माण किया और अपने साथ हमउम्र के बच्‍चों को जोड़कर अनेक एनजीओ के माध्‍यम से समाज को बेहतर बनाने के लिए कार्य करने लगी। वर्तमान में उसे एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ एफलेरॉन ने संजना को दो सप्ताह की कांफ्रेंस में एम्सटर्डम में बुलाया गया है।

अपनी वेबसाइट के माध्‍यम से 200 बच्‍चों को जोड़ चुकी संजना के कार्य को रेखांकित करते हुए शिरीष खरे कहते हैं- ‘आज हमें एक नहीं, बल्कि अनेक संजनाओं की जरूरत है। अनगिनत संजनाएं चाहिए हमें। ऐसी संजनाएं, जो अपने तमाम कामकाज, अपनी तमाम व्यस्तता और भागमभाग जिंदगी के बीच कुछ पल दूसरों के लिए भी निकाल सकें।’

‘दोस्‍त’ (http://crykedost.blogspot.com/) ब्‍लॉग की यह ताज़ा पोस्‍ट ‘किशोर उम्र को मिला मकसद’ हमें कुछ देर ठहर कर सोचने के लिए विवश करती है। इस ब्‍लॉग पर जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जाते हैं, हमें समाज की ऐसी हृदय विदारक तस्‍वीर देखने को मिलती है, जिसपर सहसा विश्‍वास ही नहीं होता। दोस्‍त के संचालक शिरीष खरे ‘चाइल्ड राइट्स एंड यू’ क्राई (www.cry.org) से जुड़े हुए है और खुद को ‘क्राई के दोस्‍त’ में रूप में परिचित कराते हैं। वे सचमुच अपने आप को समाज के दीन-हीन और निराश्रित गरीबों के लिए काम करते हैं, जिनका पुरसाहाल कोई नहीं है। वे न सिर्फ ऐसे लोगों के बीच जाकर उनका हालचाल लेते हैं, वरन अपनी संस्‍था के माध्‍यम से उनकी सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कार्य भी करते हैं।

शिरीष बच्‍चों के कुपोषण को लेकर बेहद चिंतित नजर आते हैं। ‘अपनी थाली कित्‍ती खाली’ में कुपोषण के आंकड़ों के बारे में बताते हुए शिरीष कहते हैं कि 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी में कुपोषण और भूख की मात्रा बहुत ज्यादा है। खासकर पिछड़ी अनुसूचित जातियों, जनजातियों, औरतों और 5 साल तक के बच्चों में यह समस्‍या ज्‍यादा गम्‍भीर है।

वे अपनी पोस्‍ट में न सिर्फ बीपीएल कार्डों तथा अन्‍त्‍योदय योजना की सच्‍चाई और उसके पीछे के खेल के बेनकाब करते हैं, वरन भुखमरी को दूर करने के लिए एक गम्‍भीर सोच की भी आवश्‍यकता पर बल देते हैं: ‘असल में आर्थिक विकास का संतुलित ढ़ांचा और उचित वितरण का तरीका ही भूख की समस्या को सुलझा सकता है।’

शिरीष ने बच्‍चों की समस्‍याओं और उनकी विद्रूप स्थितियों को लेकर लगातार कार्य किया है। अपनी पोस्‍ट ‘बच्‍चों का लापतागंज’ में वे बच्‍चों के गायब होने सम्‍बंधी आंकड़ों को सामने रखते हुए कहते हैं भारत में हर साल 45000 बच्चे गायब हो रहे हैं। शिरीष बच्‍चों के गायब होने सम्‍बंधी आंकड़ों को बताकर सिर्फ सनसनी नहीं पैदा करना चाहते। वे इसके माध्‍यम से अपनी चिंताओं को उजागर करते हुए कहते हैं, ‘सवाल सिर्फ यह नहीं है कि बच्चे गायब हो रहे हैं बल्कि सवाल यह भी है कि बच्चे कहां जा रहे हैं? रिकार्ड बताते हैं कि ज्यादातर गायब हुए बच्चों से या तो मजदूरी कराई जाती है या उन्हें सेक्स वर्कर बना दिया जाता है। बड़े शहरों के भीतर खेलने-कूदने की उम्र वाले बच्चों को बड़ी संख्या में भीख मांगने के लिए भी मजबूर किया जा रहा है।’ 

जिस गति से पिछले एक दशक में समाज के ढ़ाचे में परिवर्तन आया है, लगभग उतनी ही तेजी से बच्‍चे किसी न किसी बहाने से परिवार से दूर होते चले गये हैं। कभी परीक्षा में असफल होने के डर से, कभी मां-बाप की प्रताड़ना से और कभी मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक परेशानियों के चलते तो अक्‍सर परिवार की आर्थिक दशा के चलते बच्‍चे बाल मजदूरी के दलदल में धंस रहे हैं। ऐसे बच्‍चों को प्रतिदिन 9 से 11 घण्‍टे मेहनत करनी पड़ती है। बावजूद इसके उनके हाथ आता है सिर्फ 50-60 रूपये। ‘बारूद पर ढ़ेर है भारत का भविष्‍य’ पोस्‍ट में शिरीष ने ऐसे बच्‍चों की दशा का सटीक आकलन प्रस्‍तुत किया है।

शिरीष सिर्फ असहाय और मजदूर बच्‍चों के बारे में ही चिन्तित नहीं हैं, बल्कि वे स्‍कूल जाने वाले और बाल सुधार गृहों में ‘कैद’ बच्‍चों और विशेषकर बालिकाओं की स्थितियों के लिए भी समान रूप से चिन्तित हैं। उनकी ये चिंताएं ‘बालिका दिवस इसलिए मनाया जाए’ में साफ तौर पर उभर कर आती हैं।

'बालिका दिवस' सितम्‍बर के चौथे रविवार को मनाया जाता है, जिसकी शुरूआत सर्वप्रथम वर्ष 2007 में क्राई, यूनिसेफ और आर्चीज ने मिलकर की थी। बालिका दिवस मनाने की जरूरत इसलिए महसूस की गयी, क्‍योंकि समाज में बालिकाओं की दशा बहुत शोचनीय है।

अगर आंकड़ों की बात करें तो भारत में 20 से 24 साल की विवाहित महिलाओं में से 44.5% (लगभग आधी) औरतें ऐसी हैं जिनकी शादियां 18 साल के पहले हुईं हैं। इन महिलाओं में से 22% (लगभग एक चौथाई) औरतें ऐसी हैं जो 18 साल के पहले मां बन जाती हैं। ये कम उम्र की लड़कियां देश्‍ा के 73% बच्चों की मां हैं। और सर्वाधिक चिंता की बात यह है कि इन बच्चों में से लगभग 67% (आधे से अधिक) कुपोषण के शिकार हैं।

कन्‍या भ्रूण हत्‍या के कारण हाल के वर्षों में 0 से 6 साल के बच्चों के लिंग अनुपात में भी भारी गिरावट आई है। इस बढ़ती हुई कुप्रवृत्ति के कारण भारत में बच्चों का लिंग अनुपात 976:1000 तक गिर गया है, जो कुल लिंग अनुपात 992:1000 के मुकाबले में काफी कम है। इसके साथ ही साथ समाज में लड़कियां भेदभाव की शिकार हैं। यही कारण है कि 6 से 10 साल की 25% लड़कियां स्कूल से ड्राप-आऊट हो जाती हैं। वहीं 10 से 13 साल की लड़कियों के बीच यह प्रतिशत 50% (ठीक दोगुना) हो जाता है। इसी प्रकार 6 से 14 साल की कुल लड़कियों में से 50% लड़कियां स्कूल से ड्राप-आऊट हो रही हैं। शिरीष अपने ब्‍लॉग में बताते हैं कि लड़कियों के स्‍कूल से ड्राप आउट होने की मुख्‍य वजह उनपर पर लादी गयी छोटे भाई-बहनों को संभालने की जिम्‍मेदारी है।

बच्‍चों, बालिकाओं और मजलूमों की आवाज को शिरीष ने जिस शिद्दत से उठाया है, उसके कारण वे समाज के एक सच्‍चे दोस्‍त के रूप में सामने आए हैं। ऐसे दोस्‍त पर भला किस भारतीय को गर्व नहीं होगा?

COMMENTS

BLOGGER: 48
  1. जाकिर जी!बहुत बहुत बधाई !इस दायित्व के लिए जो आपको मिला है.
    कृपया अपने द्वारा समीक्षा किये गए ब्लॉग के बारे में इसी प्रकार इस ब्लॉग पर भी सूचित करते रहें जिससे आपके नियमित पाठकों को भी अपडेशन मिलता रहे और वो भी इन ब्लोग्स के बारे में जानें.

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. इससे बढ़िया और कुछ नहीं
    आपसे बेहतर कोई और इस गुरुतर कार्य को नहीं कर सकता है
    बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बहुत बधाई आपको जो आपको यह दायित्व सौंपा गया :)

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बेहतर प्रयास. शुभकामनाएँ...

    जवाब देंहटाएं
  5. सही कहा, यह गुरूत्तर कार्य है…बधाई और सफ़लता के लिये शुभकामनाएं!!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छी खबर है ..बहुत बहुत बधाई जाकिर जी! और अनगिनत शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  7. जाकिर अली रजनीश जी
    आपको अनेक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  8. bahut bahut badhai ..........
    isase vo log bhi un pratibhaon ke bare me jan payenge jo net se nahi jude hain.....

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्छी खबर है....शुभकामनाएँ!!

    जवाब देंहटाएं
  10. शुभकामनाएँ..जाकिर भाई !

    जवाब देंहटाएं
  11. ये तो बहुत बढिया बात है आपको बधाई और शुभकामनायें…………बस बताते रहियेगा

    जवाब देंहटाएं
  12. एक शानदार पहल..बधाई एवं शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत बहुत बधाई आपको|

    जवाब देंहटाएं
  14. सार्थक पहल, शुभकामनायें स्वीकारें !

    जवाब देंहटाएं
  15. जाकिर जी बधाई आपको .....
    इन्तजार रहेगा ......

    जवाब देंहटाएं
  16. अच्छा प्रयोग है ...
    आपको बहुत बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  17. जाकिर अली रजनीश जी
    एक शानदार पहल
    आपको अनेक शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत बहुत बधाई । आप इस काम को बखूबी कर सकते हैं , ऐसा विश्वास है । शुभकामनायें ।

    जवाब देंहटाएं
  19. acchha ryash hai..bahut bahut badhai....kripya ise jari rakhe

    जवाब देंहटाएं
  20. आप जहां होंगे भरोसा है, बेहतर करेंगे.

    जवाब देंहटाएं
  21. सार्थक प्रयास, आपको बधाई एवं शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत ही अच्छा आगाज़.
    ढेरों शुभ कामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  23. बधाई ....ढेरों शुभकामनायें जाकिर जी....

    जवाब देंहटाएं
  24. बेहतर प्रयास. शुभकामनाएँ...

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत अच्छी शुरुआत!शुभशंसा!

    जवाब देंहटाएं
  26. आप को बधाई!
    इस काम को आप बेहतर से बेहतर रीति से कर पाएँ, यही शुभकामना है!

    जवाब देंहटाएं
  27. बेनामी2/11/2011 8:33 am

    बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  28. क्राई के दोस्‍त मेरी भी पसंदीदा साईट है.विवेचना पसंद आई धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  29. अच्छी शुरूआत। नेक प्रयास। तटस्थ समीक्षा।

    जवाब देंहटाएं
  30. बहुत बहुत बधाई जाकिर जी!

    जवाब देंहटाएं
  31. बहुत बहुत बधाई आपको जो आपको यह दायित्व सौंपा गया

    जवाब देंहटाएं
  32. बधाई हो...
    हमें ऐसे ही अवगत करते रहें...

    जवाब देंहटाएं
  33. बधाई हो...
    हमें ऐसे ही अवगत करते रहें...

    जवाब देंहटाएं
  34. klam me dhar ho to samalochna aur prashansa dono me hee aanand aata hai badhai

    जवाब देंहटाएं
आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

नाम

achievements,3,album,1,award,21,bal-kahani,9,bal-kavita,5,bal-sahitya,33,bal-sahityakar,13,bal-vigyankatha,4,blog-awards,29,blog-review,45,blogging,42,blogs,49,books,9,buddha stories,4,children-books,14,Communication Skills,1,creation,9,Education,4,family,8,hasya vyang,3,hasya-vyang,8,Health,1,Hindi Magazines,7,interview,2,investment,3,kahani,2,kavita,9,kids,6,literature,15,Motivation,71,motivational biography,27,motivational love stories,7,motivational quotes,15,motivational real stories,5,motivational speech,1,motivational stories,25,ncert-cbse,9,personal,18,Personality Development,1,popular-blogs,4,religion,1,research,1,review,15,sahitya,28,samwaad-samman,23,science-fiction,4,script-writing,7,secret of happiness,1,seminar,23,Shayari,1,SKS,6,social,35,tips,12,useful,16,wife,1,writer,9,Zakir Ali Rajnish,27,
ltr
item
हिंदी वर्ल्ड - Hindi World: ब्‍लॉगवाणी : एक नई शुरूआत।
ब्‍लॉगवाणी : एक नई शुरूआत।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiW5Jiv25biG-eAfeEsw6VoEhevua_rPe18imxJmU-BymIC8qL34zM4d43hgCfZVZCbSdhfRWhJNJ4dqQVo4QAfYLBJ5DUFYElgKv18idfJjDSKd4FY3OFv38-5BzieFWxQPo7DQEbvgwSV/s200/Blogvani.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiW5Jiv25biG-eAfeEsw6VoEhevua_rPe18imxJmU-BymIC8qL34zM4d43hgCfZVZCbSdhfRWhJNJ4dqQVo4QAfYLBJ5DUFYElgKv18idfJjDSKd4FY3OFv38-5BzieFWxQPo7DQEbvgwSV/s72-c/Blogvani.jpg
हिंदी वर्ल्ड - Hindi World
https://me.scientificworld.in/2011/02/blog-post_10.html
https://me.scientificworld.in/
https://me.scientificworld.in/
https://me.scientificworld.in/2011/02/blog-post_10.html
true
290840405926959662
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy