दिल्ली के दो दिलवाले ब्लॉगर।

SHARE:

कहते हैं कि दिल्ली दिलवालों का शहर है। इसीलिए जब ग्यारहवें अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं तकनीक के जन संचार सम्मेलन में भाग लेने के बहाने दिल...

कहते हैं कि दिल्ली दिलवालों का शहर है। इसीलिए जब ग्यारहवें अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं तकनीक के जन संचार सम्मेलन में भाग लेने के बहाने दिल्ली में तीन दिन रहने का अवसर मिला, तो मन में चाह उठी कि चलो इसी बहाने एक दिन दिल्ली के दिलवालों के नाम कर दिया जाए। चूँकि मेरी पहले से ही शैलेश भारतवासी और अंतर साहिल जी से बात हो गयी थी, और बकौल अरविंद  मिश्र जी वे सतीश सक्सेना, सीमा गुप्ता, रंजना भाटिया और एम वर्मा से बात कर चुके थे, इसलिए कोई शक नहीं रहा कि यह हसरत अधूरी रह जाए।

मंगलवार, 07 दिसम्बर को दिल्ली पहुँचने पर जब अरविंद जी से बात हुई, तो उन्होंने बताया कि शाम को सतीश सक्सेना जी मिलने आने वाले हैं। मैं चौंका, क्योंकि यह मीटिंग तो 09 को तय थी, फिर अचानक 07 की बात कहाँ से आ गयी। पूछने पर पता चला कि सक्सेना जी 09 को तो आएँगे ही, आज भी कुछ समय साथ में बैठना चाहते हैं। साथ ही जब उन्होंने यह भी कह कि आपभी साथ में रहना, तो मैं व्यक्तिगत रूप से उस वन-टू-वन मीटिंग में इनवाईट न होने के होने के बावजूद अपने आपको रोक नहीं पाया।

एक बार अन्तर सोहिल जी से फेसबुक पर चैट करते समय मैंने स्वीकार किया था कि मैं किसी व्यक्ति विशेष के ब्लॉग नहीं तो पढ़ता हूँ, पर जो कुछ भी सामने अच्छा दिख जाता है, उसे नजर अंदाज भी नहीं कर पाता हूँ। सतीश जी से मेरा कोई खास परिचय नहीं था, पर मैं यदा-कदा उनके ब्लॉग पर जाता रहता था। हालाँकि उनके व्यंग्य भरे तीर किसी के भी कलेजे में अपनी याद छोड़ जाने में सक्षम होते हैं, पर मैं देख रहा था कि पिछले कुछ दिनों से वे अरविंद जी के ब्लॉग पर काफी ज्यादा सक्रिय थे और कमेंट-प्रति-कमेंट के द्वारा एक ब्लॉगर पाठक से कुछ अधिक होने का एहसास दिला रहे थे। शायद इसीलिए मेरे मन में भी उनसे मिलने की कुछ उत्कंठा सी थी।

शाम साढ़े छ: बजे जब अरविंद जी द्वारा विज्ञान कथाओं के सत्र को कोआर्डिनेट करने के कारण लगभग एक घण्टा इंतजार करने के बाद सतीश जी अपनी स्विफ्ट लेकर पूसा रोड स्थित एग्रीकल्चर कैम्पस में दाखिल हुए, तो मुझे यह कत्तई एहसास नहीं था कि मैं किस आदमी से मिलने जा रहा हूँ। लेकिन जैसे ही उन्होंने अरविंद जी के होटल पर चल कर बैठने के प्रस्ताव को विनम्रतापूर्वक मना किया, मुझे लगा कि हाँ इस आदमी में कुछ तो खास है।

तय यह हुआ कि पहले थोड़ी सी हलक तय की जाए, फिर कुछ खाना-साना लिया जाएगा। सो एग्रीकल्चर कैम्पस के पास ही स्थित एक बार में बैठकी जमी। चिली पनीर और मॉकटेल की चुस्कियों के बीच अपने सामने बैठी दो सख्शियतों के छल-ढ़ोंग से रहित एक समान व्यक्तित्व को बीयर के स्वाद में भीगते हुए देखना मुझे अच्छा लगा।

यह सच है कि ज्यादातर लोग भीतर से जैसे होते हैं, ऊपर से बिलकुल वैसे नहीं दिखते। चरित्र का यह दोगलापन अक्सर यत्र-तत्र देखने को मिलता ही रहता है। ऐसे में खरी बात कहने वाले लोग थोड़ा-बहुत तो परेशान होते ही रहते हैं। लेकिन उनको इसकी परवाह ही कहाँ होती है। यह बात मेरे सामने बैठे दो धुरंधर ब्लॉगरों में साफ दिख रही थी।

लगभग दो घण्टे चली इस पीने और खाने की रस्म में सतीश सक्सेना जी के रूप में मैंने एक ऐसे ब्लॉगर को दूसरी बार (पहली बार का दर्जा अरविंद मिश्र के लिए रिजर्व) देखा, जो डंके की चोट पर दिल की बात कहने की हिम्मत रखता है, भले ही वह किसी को पसंद आए अथवा नहीं। उनकी यह साफगाई मुझे दिली तौर पर पसंद आई और इस बात का दु:ख भी हुआ कि ऐसे व्यक्तित्व से मैं अब तक संपर्क में क्यों नहीं आ सका। पर मुझे उम्मीद है कि साफगोई और औपचारिकताओं से दूर रहने वाले सक्सेना जी को अब आगे मैं मिस नहीं ही करूँगा।

दिल्ली के जिस दूसरे ब्लॉगर की मैं कद्र करता हूँ या यूँ कहूँ कि मैं जिसका मुरीद हूँ वह ब्लॉग जगत की एक मिसाल है। बिना किसी विज्ञापनबाजी और नारेबाजी के इतर रहकर चुपचाप काम करने वाले इस ब्लॉगर का नाम है शैलेश भारतवासी


शैलेश से मेरा परिचय लगभग तब का है, जबसे मैं ब्लॉग जगत में आया। लेकिन जब भी मैं उनसे मिला, उनके व्यक्तित्व का नया आकर्षक पहलू ही मेरे सामने उद्घाटित हुआ। हिन्द युग्म को एक ट्रेडमार्क के रूप में स्थापित करना, जगह-जगह जाकर और लोगों को फोन करके ब्लॉगिंग और हिन्दी टाइपिंग सिखाना, हमेशा विनम्रतापूर्वक और सरलतापूर्वक अपने आप को प्रजेंट करना और उससे भी बड़ी बात कि कहीं भी अपने आप को प्रोजेक्ट न करना कुछ ऐसी प्रमुख खूबियाँ हैं, जो यकीनन कहीं और नहीं ही मिलतीं।

इस बार जब शैलेश से मिलना क्या रहना हुआ (उनका आग्रह था कि दिल्ली आने पर आप मेरे साथ ही रूकेंगे), तो उनकी दो खूबियों से दो चार हुआ। पहला यह कि वे एक अच्छे अनुवादक भी हैं और इधर-उधर से काम लाकर तमाम लोगों को एक प्रकार से रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं। उनकी दूसरी विशेषता यह भी है कि वे एक बहुत अच्छे कुक भी हैं। उन्होंने अपनी देर तक सोने की आदत को त्यागते हुए सुबह उठकर मेरे लिए सत्तू के मसाले को भर कर मकुनी (पराठे) बनाए, तो मैं अचरज में पड़ गया। क्योंकि वे देर रात डेढ़ बजे तक लैपटॉप पर आवश्यक कार्य करते रहे थे। उनके बनाए हुए पराठों का स्वाद अभी तक मेरे मस्तिष्क में तैर रहा है। मुझे डर है कि कहीं ये स्वाद मुझे फिर से दिल्ली न खींच ले जाए। :)

शैलेश ने इस वर्ष जो एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है, वह है एक प्रकाशक के रूप में हिन्द युग्म को प्रतिष्ठा दिलाना। उन्होंने पहली बार प्रकाशन का काम शुरू किया और एक साल में पन्द्रह टाइटल प्रकाशित किए हैं। उनकी कुछ प्रमुख पुस्तकों के नाम हैं: सम्‍भावना डॉट कॉम,  उनकी नजर है हम पर, तस्वीर ज़िंदगी के (भोजपुरी गजलें), रेत का समंदर, शोर के पड़ोस में चुप सी नदी, शब्‍दों का समन्‍दर आदि। कम कीमत में किताबों को वे इस स्तर का बना देते हैं कि बड़े से बड़ा प्रकाशक उन्‍हें प्रतिस्पर्धात्‍मक दृष्टि से देखने को विवश हो जाते हैं। शैलेश का लक्ष्य है कि वे इस वर्ष 20 किताबें प्रकाशित करेंगे। जबकि अगले साल वे 50 पुस्तकों के प्रकाशन का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। और मुझे विश्वास है कि वे अपने इस लक्ष्य में अवश्य कामयाब होंगे।

जैसा कि तय था 09 तारीख को बहुत सारे ब्लॉगर वहाँ पर जमा होने वाले हैं, पर अचानक वाराणसी में विस्फोट हो जाने के कारण अरविंद मिश्र जी को वापस लौटना पड़ा। इस वजह से प्रस्तावित ब्लॉगर्स मीट रद्द करनी पड़ी। पर इन दो ब्लॉगर्स से मिलने का हर्ष इतना प्रगाढ़ रहा, जिसने ढ़ेर सारे ब्लॉगर्स से न मिल पाने के दु:ख को भी धो दिया।

COMMENTS

BLOGGER: 48
  1. दिल्‍ली के दिलवालों से मिलकर प्रसन्‍नता हुई। शैलेश जी से तो मैं तसलीम की वर्कशाप में भी मिली थी।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस मुलाक़ात में मैंने ख़ुद को भी शामिल पाया। अच्छा चित्रण। ब्लॉग परिवार और मज़बूत हो,हम सब चाहते हैं। ऐसे प्रयास उस दिशा में भावनात्मक पहल माने जाएंगे।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपके बहाने हम इन दो धुरंधरों से मिल लिए...आपका बहुत बहुत शुक्रिया...

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  4. "यह सच है कि ज्यादातर लोग भीतर से जैसे होते हैं, ऊपर से बिलकुल वैसे नहीं दिखते।"
    इसका क्या मतलब हुआ ? आज मालूम हुआ कि ऊपर से मैं भयावह दिखता हूँ -मुगालते को दूर करने के लिए शुक्रिया !

    जवाब देंहटाएं
  5. मिश्रा जी, यह उनके लिए है, जो पीठ पीछे तो बुराई करते हैं, पर सामने से तारीफ के पुल बांधते रहते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  6. रिपोर्टिंग के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. बढ़िया रही आपकी रिपोर्ट

    जवाब देंहटाएं
  8. सच कहा गया है ... दिल्ली है दिलवालों की ..... बढ़िया रिपोर्ट.

    जवाब देंहटाएं
  9. ब्लोगर मिलन न हो सका , इसका अफ़सोस रहेगा ।

    जवाब देंहटाएं
  10. दिल्‍ली के दिलवालों से मिलकर प्रसन्‍नता हुई।

    जवाब देंहटाएं
  11. अच्छी रिपोर्ट ...शैलेश जी को शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  12. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  13. दोस्तों से मिल कर अच्छा लगा...आप सभी को शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  14. यह मीटिंग में आपकी उपस्थिति एक बोनस के रूप में लेता हूँ जिसका पूरा आनंद लिया गया ! शैलेश भारत वासी की चर्चा सुनकर , मिलने की उत्कंठा है ! मेरी हार्दिक शुभकामनायें आप दोनों के लिए !

    जवाब देंहटाएं
  15. शैलेश की सक्रियता देखकर तो मैं हैरत में डूब जाता हूँ। इंटरनट पर हिंदी भाषा के प्रयोग को बढ़ाने में उनका योगदान स्तुत्य है। एक जुनून के साथ शैलेश अपने बनाये रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। निश्चित रूप से वे बधाई के पात्र हैं।

    जवाब देंहटाएं
  16. जाकिर भाई, हम भी दिल्ली में ही रहते हैं, हमें तो इस मीट का पता ही नहीं चला.... खबर लग जाती तो हम भी मिल लेते...

    जवाब देंहटाएं
  17. बेनामी12/14/2010 10:16 pm

    आपकी इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा
    बुधवार के चर्चामंच पर भी लगाई है!

    जवाब देंहटाएं
  18. व्यक्तित्वों का सुन्दर परिचय। काश सबका व्यक्तित्व यूँ ही पारदर्शी होता।

    जवाब देंहटाएं
  19. पुनर्परिचय के लिए धन्यवाद. जब जब चर्चाएं पढ़ते हैं यूं लगता है कि शायद पहली ही बार जान रहे हैं.

    जवाब देंहटाएं
  20. दिल्ली के ब्लोगर्स से मिलना अच्छा रहा।

    जवाब देंहटाएं
  21. Shailesh ji ke sath main bhi dhaabe ke bhojan ka swad chakh chuka hoon.. unke hath ka khana baki hai abhi.. Satish ji se bhi dekhte hain kab milen.. aabhar

    जवाब देंहटाएं
  22. मयंक जी, चर्चा मंच पर इस पोस्‍ट को लगाने का शुक्रिया।

    शाहनवाज जी, मुझे मालूम है कि आप भी दिल्‍ली में रहते हैं। दरअसल इस मीट की प्‍लानिंग अरविंद जी की थी। हॉं, अगली बार जब दिल्‍ली आना होगा और इस तरह का कार्यक्रम बनेगा, तो आपको भी अवश्‍य याद किया जाएगा।

    जवाब देंहटाएं
  23. इतनी अच्छी जानकारी प्रदान करने के लिए आपका धन्यवाद।

    हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    मालीगांव
    साया
    लक्ष्य

    हमारे नये एगरीकेटर में आप अपने ब्लाग् को नीचे के लिंको द्वारा जोड़ सकते है।
    अपने ब्लाग् पर लोगों लगाये यहां से
    अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से

    जवाब देंहटाएं
  24. शैलेश प्रकाशक भी हैं?? यह नयी जानकारी है मेरे लिए...
    बहुत सी नयी बातें पता चलीं आपसे...

    आभार !!!

    जवाब देंहटाएं
  25. बढ़िया रहा दो ब्लोगरों से आत्मीय परिचय

    जवाब देंहटाएं
  26. ज़ाकिर भाई सच कह रहा हूँ बड़ा मजा आया इसे पढ़कर, आपका अंदाज लाजवाब है। बढिया रपट।

    सोमेश
    क्योंकि हर बात की एक हद होती है

    जवाब देंहटाएं
  27. सतीश जी दिलचस्प इन्सान हैं .. एक बार उनसे बात करने क सौभाग्य मुझे भि प्राप्त हुवा है .... आपकी पोस्ट से याद ताज़ा हो गयी ...
    .

    जवाब देंहटाएं
  28. ये मुलाकात भी अच्छी रही. आपके साथ हम भी मिल लियें. सुंदर प्रस्तुति....

    जवाब देंहटाएं
  29. सतीश जी और अरविन्द मिश्र जी के ब्लॉग पर तो जाया करते थे......... शैलेश भारतवासी के लिंक मुहैया करवाने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  30. ज़ाकिर भाई...दिल्ली में तो हम भी रहते हैं...
    कभी हमें भी मौका दें अपने आतिथ्य सत्कार का

    जवाब देंहटाएं
  31. राजीव जी, आपसे एक बार चैट पर बात भी हुई थी, पर माफी चाहूँगा कि बेहद व्‍यस्‍त शिड्यूल होने के कारण आपको कॉल नहीं कर सका। अगली बार आने पर आपसे अवश्‍य मिलना चाहूँगा।

    जवाब देंहटाएं
  32. आज १७-१२-२०१० को आपकी यह रचना चर्चामंच में रखी है.. आप वहाँ अपने विचारों से अनुग्रहित कीजियेगा .. http://charchamanch.blogspot.com ..आपका शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  33. आपके ब्लाग पर आ कर प्रसन्नता हुई। कई आलेखों का आस्वादन किया। भावपूर्ण लेखन के लिए बधाई। सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

    जवाब देंहटाएं
  34. मन बैचेन हो गया .....बहुत बढ़िया रिपोर्ट ...शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  35. Arvind ji aur shailesh ji ke vyaktitva se to main bhi abhibhut hun hi. Dilli ke anya blougars se shayad dheere- dheere mulakat ho sake.

    जवाब देंहटाएं
  36. मगर पोस्ट काफी सारी पढ़ लेता हूँ... वैसे किसी भी लेखक को सच्ची ख़ुशी तभी मिलनी चाहिए की अधिक से अधिक लोग उसके विचारों को पढ़ें ना कि अधिक से अधिक लोग उसकी पोस्ट को पढ़े बिना ही झूटी तारीफें करें

    जवाब देंहटाएं
  37. आपने बात स्‍पष्‍टवादिता से प्रारम्‍भ की थी तो पता नहीं आज क्‍यों मेरा मन भी यहाँ एक बात स्‍पष्‍ट लिखने का कर रहा है। शायद जाकिर जी आपसे परिचय है इसलिए हिम्‍मत जुटा पा रही हूँ। मैंने देखा है कि जब भी दो ब्‍लागर मिले हैं उनकी मुलाकात में पीने पिलाने की बात जरूर हुई है। पुरुषों का इस तरह से सार्वजनिक रूप से बीयर या और कुछ के बारे में लिखना मुझे कुछ अटपटा सा लग रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे हम ब्‍लोगर मिलते ही केवल इसीलिए हैं। मेरा मन भी कभी होता है कि जब दिल्‍ली जाऊँ तो कुछ लोगों से मिला जाए लेकिन जब से ऐसी पोस्‍ट पढ़ रही हूँ तब से नेट की दुनिया कम्‍प्‍यूटर के पीछे ही अच्‍छी लग रही है। आपको निश्चित ही बुरा लगा होगा, लेकिन मैं स्‍पष्‍टवादी हूँ और जो मुझे बुरा लगता है उसे कहना मैं अपना अधिकार मानती हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  38. बढ़िया रही आपकी रिपोर्ट

    जवाब देंहटाएं
  39. आपके बहाने हमारी भी मुलाकात हो गई। बहुत मजा आया पढ़ने में...

    जवाब देंहटाएं
  40. zaakir ji aapkaa likhaa bahulaansh to nahin alpaansh bhi nahin ,kuchh hissaa baanchaa .achchhaa lagaa .aap do took likh rahen hain jo lekhan ki pahli shart hai .
    badhaai naye saal ki ,vigyaan ke prasaar me isi tarh jute raho .
    Adaab .
    veerubhai .

    जवाब देंहटाएं
  41. प्रिय जाकिर भाई,

    दिल्ली के दिलवाले ब्लॉगर्स की क्या बात है श्रि सतीश जी से मिलना तो नहि हो पाया लेकिन आपके एवं श्री अनूप जी शुक्ल के माध्यम से काफी कुछ पहचान हो पाई है, मुलाकात तो अगले दिल्ली प्रवास पर जरूर होगी।

    शैलेष जी का तो मैं भी मुरीद हूँ, पिछले वर्ष दिल्ली में ही विश्व पुस्तक मेले में और सम्भावना डॉट कॉम (जिसका जिक्र भी आपने किया उसमें मेरी भी प्रविष्टियाँ हैं) के विमोचन के अवसर मिला हूँ, इशांल्लाह वो जरूर अपने ध्येय में कामयाब होंगे लगन के पक्के हैं।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी
    कवितायन

    जवाब देंहटाएं
आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

नाम

achievements,3,album,1,award,21,bal-kahani,9,bal-kavita,5,bal-sahitya,33,bal-sahityakar,13,bal-vigyankatha,4,blog-awards,29,blog-review,45,blogging,42,blogs,49,books,9,buddha stories,4,children-books,14,Communication Skills,1,creation,9,Education,4,family,8,hasya vyang,3,hasya-vyang,8,Health,1,Hindi Magazines,7,interview,2,investment,3,kahani,2,kavita,9,kids,6,literature,15,Motivation,71,motivational biography,27,motivational love stories,7,motivational quotes,15,motivational real stories,5,motivational speech,1,motivational stories,25,ncert-cbse,9,personal,18,Personality Development,1,popular-blogs,4,religion,1,research,1,review,15,sahitya,28,samwaad-samman,23,science-fiction,4,script-writing,7,secret of happiness,1,seminar,23,Shayari,1,SKS,6,social,35,tips,12,useful,16,wife,1,writer,9,Zakir Ali Rajnish,27,
ltr
item
हिंदी वर्ल्ड - Hindi World: दिल्ली के दो दिलवाले ब्लॉगर।
दिल्ली के दो दिलवाले ब्लॉगर।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjxUIvpEkafGHPSLUzj9teqMY-oPNY1WYCEJH7JNM6eETcdxI3ZyzavxdpEVSwLO9YIIBZlqfDBYz9uQ1D8rDNHRFwDeidScgTdU-gJXDBozUt_mJ_l3GWNWmmLt16XRrXUYgSbLiiXmd8/s220/papa21.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjxUIvpEkafGHPSLUzj9teqMY-oPNY1WYCEJH7JNM6eETcdxI3ZyzavxdpEVSwLO9YIIBZlqfDBYz9uQ1D8rDNHRFwDeidScgTdU-gJXDBozUt_mJ_l3GWNWmmLt16XRrXUYgSbLiiXmd8/s72-c/papa21.jpg
हिंदी वर्ल्ड - Hindi World
https://me.scientificworld.in/2010/12/blog-post.html
https://me.scientificworld.in/
https://me.scientificworld.in/
https://me.scientificworld.in/2010/12/blog-post.html
true
290840405926959662
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy