...क्‍या आप सच्‍चे देशभक्‍त हैं?

SHARE:

सरदार भगत सिंह- एक सच्‍चा देशभक्‍त कल मेरे मोबाईल पर एक मैसेज आया। मैसेज किसने किया, मैं नहीं जानता। पर मैसेज पढ़कर मेरा पूरा शरीर झ...

सरदार भगत सिंह- एक सच्‍चा देशभक्‍त
कल मेरे मोबाईल पर एक मैसेज आया। मैसेज किसने किया, मैं नहीं जानता। पर मैसेज पढ़कर मेरा पूरा शरीर झनझना गया। आप पढ़े, यकीनन आप भी अपने भीतर कुछ ऐसा ही महसूस करेंगे। वह मैसेज इस प्रकार है:
"Indians are poor but India is not a poor country", says one of the Swiss Bank directors. 
He says that 280 LAC CRORE of Indian money is deposited in Swiss banks which can be used for 'taxless' budjet for 30 years,
Can give 60 crore jobs to all Indians.
Can lay 4 lane roads from any village to Delhi.
Can provide lifetime power suply to more than 500 social projects.
Every citizen can get monthly 2000.00 for 60 years.
No need of world Bank & IMF  loan.
Think how our money is blocked by rich politivians. We have full right against our corrupt politicians.
Itna forward karo ki pura INDIA padhe.

यह मैसेज पढ़कर हम और आप क्‍या करेंगे? हो सकता है दो चार लोगों को मैसेज फारवर्ड कर देंगे। हो सकता है कि साथ में नेताओं को दो-चार गालियां सुनादें। लेकिन इससे होगा क्‍या ? क्‍या स्विस बैंकों में जमा पैसा वापस आ जाएगा ?

इस मैसेज को पढ़ने के बाद अनायास मेरे दिमाग में एक बात कौंधी- क्‍या कभी यह अंदाजा लगाया गया है कि हमारे देश के मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरूदारा, मजार, संत, महंत, स्‍वामी, पीर, फकीर, औलिया, बाबा आदि आदि लोगों के पास देश का कितना पैसा फंसा हुआ है? क्‍या यह पैसा स्विस बैंक में जमा रकम से कम होगा? मेरा मानना है कि उससे कहीं ज्‍यादा। लेकिन इसके बावजूद कोई भी व्‍यक्ति इसकी चिंता क्‍यों नहीं करता? 

स्विस बैंक का पैसा तो अभी ले पाना हमारे वश में नहीं है, पर धर्म के नाम पर जमा यह पैसा तो निकाला जा सकता है। स्विस बैंक में रकम पहुंचाने वाले तो देश के राजनीतिज्ञ हैं, पर इन जगहों पर पैसों का अम्‍बार लगाने वाले तो हम स्‍वयं हैं। और यह सबको पता है कि इन जगहों में जमा अकूत पैसा किस काम आता है। कम से कम देश की सेवा में, समाज की सेवा में तो कत्‍तई नहीं (एक आध प्रतिशत अपवाद हर जगह होते हैं)। 

लोग कहते हैं कि देश धर्म से बड़ा होता है, पर धर्म के नाम पर लाखों रूपया गला देने के बावजूद देश के नाम पर एक रूपया खर्च करने की भी हमें कभी जरूरत नहीं महसूस होती है। समाजोपयोगी कामों, दीन दुखियों की मदद का विचार हमारे मन में भी कभी नहीं आता, लेकिन धर्म के नाम पर हम पैसा खर्च करते रहना हम अपनी शान समझते हैं। और इसके बावजूद हम स्‍वयं को सच्‍चा देशभक्‍त कहते हैं। यदि हमसे कोई यह पूछले कि भइये इतनी बड़ी उम्र में देश की सेवा वाला कौन सा काम किया है, तो हम बगले झांकते नजर आएंगे।

सिर्फ नेताओं को गाली देने से न तो देश का पैसा वापस आएगा और न ही हम देशभक्‍त बन जाएंगे। मेरा निवेदन है कि हम सिर्फ राजनीतिक भ्रष्‍टाचार ही नहीं उससे भी बड़े धार्मिक भ्रष्‍टाचार के बारे में भी सोचें। हम सिर्फ दूसरों को ग‍ालियां न दें, स्‍वयं भी आगे बढ़कर समाज के लिए कुछ सार्थक करें। शायद तभी हम एक सच्‍चे इंसान का कर्तव्‍य निभा पाएंगे और शायद तभी हम सच्‍चे भारतीय कहलाएंगे।

COMMENTS

BLOGGER: 28
  1. बहुत सही विषय उठाया हे आपने ज़ाकिर जी, धार्मिक भ्रष्‍टाचार सचमुच बहुत ज्यादा है अपने देश में। आप के साथ में भी सब से अपील करूंगा इस बारे में सोचने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  2. is vishay par to kabhi soch hi nahee. lekin ab to sochna padega.

    thanks.

    जवाब देंहटाएं
  3. यदि हमसे कोई यह पूछले कि भइये इतनी बड़ी उम्र में देश की सेवा वाला कौन सा काम किया है, तो हम बगले झांकते नजर आएंगे।

    मैं भी

    प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सार्थक बात की है आपने...उम्दा पोस्ट...बधाई
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  5. बिलकुल सही कहा .तिरुपति में आये चढावे को देख आकर आँखें फटी रह जाती हैं.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सही बात कही जाकिर जी,बल्कि मैं तो ये कहूँगा की ये धार्मिक भ्रष्टाचार राजनैतिक भ्रष्टाचार से कहीं ज्यादा खतरनाक है.
    बहुत ही विचारणीय चिंतन है आप का.

    जवाब देंहटाएं
  7. आपकी बात से पूरी तरह से इत्‍तेफाक है।

    जवाब देंहटाएं
  8. धर्म की ग़लत अवधारणा से पैदा धर्मभीरूता ही इस तरह के बेहिसाब पैसों की जड़ है। अब तो आलम यह है कि लोगबाग सोने की चरणपादुका चढ़ा आते हैं पर नहीं चाहते कि उनका नाम सार्वजनिक हो!

    जवाब देंहटाएं
  9. 7/10

    एक जरूरी पोस्ट
    इस पर चिंतन करना हर भारतीय के लिए बेहद आवश्यक है.

    जवाब देंहटाएं
  10. पैसा देने वाले तो हम ही हैं? लोगों को जागरूक करें, अंधों की तरह पैसे धर्म के नाम पे ना दिया करें. देने के बाद कभी पैसा निकला नहीं है. ऐसे सपने सच नहीं होती.

    जवाब देंहटाएं
  11. सार्थक सोच. सिर्फ चिंतन से काम नहीं चलेगा.कुछ ठोस कार्रवाई की जरूरत है.

    जवाब देंहटाएं
  12. बेनामी11/16/2010 8:13 pm

    OHH... मैं तो ये कह कह कर थक गया अपने ब्लॉग पर लेकिन लोग अपनी आस्था बीच में ले आते हैं..अब इन अक्ल के अंधों को कौन समझाए की सोने, चाँदी की जरूरत भगवान् को नहीं है... उन्हें तो बस एक सच्चा मन चाहिए जिसमे वो निवास कर सकें.......

    जवाब देंहटाएं
  13. बेनामी11/16/2010 8:13 pm

    OHH... मैं तो ये कह कह कर थक गया अपने ब्लॉग पर लेकिन लोग अपनी आस्था बीच में ले आते हैं..अब इन अक्ल के अंधों को कौन समझाए की सोने, चाँदी की जरूरत भगवान् को नहीं है... उन्हें तो बस एक सच्चा मन चाहिए जिसमे वो निवास कर सकें.......

    जवाब देंहटाएं
  14. बेनामी11/16/2010 9:59 pm

    जाकिर आपने दुखती रग पर हाथ रख दिया है ! भ्रष्टाचार दीमक बनकर आम आदमी को चाट रहा है ! लोंगो में न जाने कितनी भूख है हराम की खाने की ! वक्त जरुर करवट लेगा ! इस पोस्ट के लिए धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  15. आपकी बात से पूरी तरह से इत्‍तेफाक है।

    जवाब देंहटाएं
  16. चिन्तनीय तथ्य। यदि है तो देश का दुर्भाग्य है।

    जवाब देंहटाएं
  17. ज़ाकिर भाई ,
    मोबाइल तो अपने पास भी है पर ... :)

    जवाब देंहटाएं
  18. जाकिर साः,
    जहाँ तक आपका राजनीतिक और धार्मिक भ्रष्टाचार पर कहना है;बिलकुल सही है मैं भी अपने ब्लॉग पर इन सब का विरोध करता रहता हूं इसलिए आपके पूरे लेख का पूर्ण समर्थन करता हूँ.

    http://krantiswar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  19. जाकिर भाई ....आपको और आपके पूरे परिवार को ईद मुबारक ..

    जवाब देंहटाएं
  20. दिगम्‍बर जी, शुभकामनाओं के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  21. jakir ji
    bahut hi sahi avam vicharniy tathy aapne sabke samne rakhha hai.mera manana hai ki jab tak hamaare andar se andh-vishwas ki bhavana nahi khatm hogi ,dharm ke naam par is tarah se kamane walo ki sankhya badhti hi jayegi. halaki iske jimmedar ham jaise log bhi hai jo apni dharmik bhavna kahiye ya usase thoda juda dar iske aage ham jhuk jaate hai .
    aapne bilkul sarthak baat kahi hai,main aapke vicharo ka samman karti hun.
    dhanyvaad
    poonam

    जवाब देंहटाएं
  22. ---पत्तों में पानी न सींचें-----भ्रष्टाचार न राजनैतिक होता है , न धार्मिक--- भ्रष्टाचार आदमी करता है, हम आप सब, आदमी सुधरे तो सब कुछ सुधरजायेगा---आत्म-सुधार,्शुचि आचरण, परहित चिन्ता---यही तो धर्म है, यही नीति-राजनीति है, कर्म है और सबका मर्म है---सोचिये ..विचारिये ...

    जवाब देंहटाएं
  23. मुद्दा विचारणीय है ...सुधरने की प्रक्रिया हर इंसान को खुद से ही करनी चाहिए !

    स्विस बैंक में जमा पैसा उस बैंक अथवा देश की अर्थव्यवस्था को पुष्ट कर रहा है और हमें कंगाल बना रहा है ..कृपया राय दें की क्या मैं सही सोच रही हूँ क्योंकि अर्थशास्त्र की बारीक़ समझ मुझे नहीं है !

    जवाब देंहटाएं
  24. बेनामी4/27/2012 8:51 pm

    Obedient bye, considerate alternative other :)

    जवाब देंहटाएं
  25. बेनामी5/04/2012 5:14 am

    Lofty bye, genial soul mate :)

    जवाब देंहटाएं
  26. बेनामी5/09/2012 5:54 pm

    Lofty bye, genial friend :)

    जवाब देंहटाएं
  27. iske lie bhi hum swayam hi jimmeddar hain aur koi nahi hum log dharam ke nam par, jaati ke naam par itne bante hue hain ki hume barbaad karnne ke lie kisi aur dushaman ki jaroorat hi nahi hai hum swayam apne dushman hain hume hi jaagnaa hogaa tabhi kuch baat banegi. nahi to aise hi chaltaa rahegaa

    जवाब देंहटाएं
आपके अल्‍फ़ाज़ देंगे हर क़दम पर हौसला।
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया! जी शुक्रिया।।

नाम

achievements,3,album,1,award,21,bal-kahani,9,bal-kavita,5,bal-sahitya,33,bal-sahityakar,13,bal-vigyankatha,4,blog-awards,29,blog-review,45,blogging,42,blogs,49,books,9,buddha stories,4,children-books,14,Communication Skills,1,creation,9,Education,4,family,8,hasya vyang,3,hasya-vyang,8,Health,1,Hindi Magazines,7,interview,2,investment,3,kahani,2,kavita,9,kids,6,literature,15,Motivation,71,motivational biography,27,motivational love stories,7,motivational quotes,15,motivational real stories,5,motivational speech,1,motivational stories,25,ncert-cbse,9,personal,18,Personality Development,1,popular-blogs,4,religion,1,research,1,review,15,sahitya,28,samwaad-samman,23,science-fiction,4,script-writing,7,secret of happiness,1,seminar,23,Shayari,1,SKS,6,social,35,tips,12,useful,16,wife,1,writer,9,Zakir Ali Rajnish,27,
ltr
item
हिंदी वर्ल्ड - Hindi World: ...क्‍या आप सच्‍चे देशभक्‍त हैं?
...क्‍या आप सच्‍चे देशभक्‍त हैं?
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh87sX5jCzG5dTjmyF9vYRX5pPpKt5IE2ZqeWD5MILNv-to6waFo4driYLVfAKcLWQIUQVUPahIPN-zVG9MmGDhwc5Fxg6H82aCromSmScBlrfuL9qbkbcpSrAAB8Ug5qb7Kz9N7YinXAXZ/s1600/Sardar+Bhagat+Singh_Sachcha+Desh+bhakt.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh87sX5jCzG5dTjmyF9vYRX5pPpKt5IE2ZqeWD5MILNv-to6waFo4driYLVfAKcLWQIUQVUPahIPN-zVG9MmGDhwc5Fxg6H82aCromSmScBlrfuL9qbkbcpSrAAB8Ug5qb7Kz9N7YinXAXZ/s72-c/Sardar+Bhagat+Singh_Sachcha+Desh+bhakt.jpg
हिंदी वर्ल्ड - Hindi World
https://me.scientificworld.in/2010/11/sachhcha-deshbhakt.html
https://me.scientificworld.in/
https://me.scientificworld.in/
https://me.scientificworld.in/2010/11/sachhcha-deshbhakt.html
true
290840405926959662
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy