जब चार ब्लॉगर आपस में मिल जाएं, तो हंसी-मजाक का दौर तो चल ही जाता है। ऐसा ही कुछ दौर 05 अक्टूबर, 2010 की शाम लखनऊ में आयोजित 'पुस...
लेखकों का औपचारिक परिचय देने के बाद बात ब्लॉग की व्यापकता की चली, बच्चों की भी और बच्चों में आ रहे सामाजिक परिवर्तनों की भी, और बारी-बारी से दोनों लेखकों ने अपने-अपने अंदाज़ में सवालों के जवाब भी दिये। इस सवाल-जवाब के बाद युवा रचनाकार संतोष अर्श के ग़ज़ल संग्रह का विमोचन भी सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 अमिता दुबे का रहा। इस कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट आप 'दैनिक जागरण' में यहाँ पर भी देख सकते हैं।
इस छोटे से कार्यक्रम के बहाने एक छोटी सी नोटिस पर सर्वत जमाल, अल्का मिश्रा, रोशन प्रेमयोगी, अमित ओम, सुशीला पुरी, उषा राय, प्रज्ञा पाण्डेय, कुँवर कुसुमेश और हेमंत आदि ब्लॉगर्स ने पधार कर अपनेपन का परिचय दिया। इस मौके पर बकौल सुशीला जी एक 'छोटी सी टी-पार्टी' हुई और हंसी मजाक का दौर भी चला। वैसे काफी दिनों के बाद लखनऊ के इतने सारे ब्लॉगर एक साथ मिले, इसलिए सबको अच्छा लगा और सभी ने यही कामना की इस तरह के अवसर जुटाए जाते रहने चाहिए, जिससे यह पता चलता रहे कि लखनऊ के ब्लॉगर्स में जीवंतता अभी बची हुई है।
main wahan awashy hota
हटाएंmagar mere bahnoi kii pichhle hafte mriyu ho gayee thi,
aur jiski wajah se mujhe udhar waqt se pahle jana pad jata hai aajkal...
waise prog. achchha raha iske liye sadhuwaad !!!
jakir bhai, aapne bataya hota, to chai party men ham bhi avashya pahunchte.
हटाएंBahut sundar. Is tarah milna milana hota rahna chahiye.
हटाएंLucknow ke kuchh International bloggers ismen kaheen dikh nahee rahe? kya bat hai?
हटाएंइस समाचार को मैंने दैनिक जागरण में सवेरे ही पढा था, जाकिर सर को प्रोग्राम में देख कर खुशी हुई।
हटाएंबेनामी भाई, आप किस इंटरनेशनल ब्लॉगर की बात कर रहे हैं?
हटाएंबेनामी भाई, यह बात तो आप प्रत्यक्ष रूप में भी कह सकते थे। व्यक्ति में इतनी हिम्मत तो होनी ही चाहिए।
हटाएंnice
हटाएंBadhayi Sir.
हटाएंमहिला ब्लोगर्स की भी उपस्थिति देखकर अच्छा लगा ।
हटाएंवैसे ब्लॉगगेर्स जहाँ भी मिलेंगे, जीवंतता अपने आप आ जाती है. सुंदर.
हटाएंएक परिवार के रूप में ब्लॉग जगत को विकसित होते देखना सुखद अनुभव है। मेरी भी शुभकामनाएं लीजिए।
हटाएंयह जीवंतता तो बनी ही रहनी चाहिये. शुभकामनाएं.
हटाएंपर मैं तो समझता था कि जब १४-१५ हजार ब्लागर्स हैं सो कहीं और भी बची होगी
हटाएंअब आप कहते हैं तो ये ही सही ! लखनऊ वालों को बहुत बहुत मुबारकबाद
5 अक्टूबर को पुस्तक मेले में ब्लॉग पर आप द्वारा चर्चा सार्थक रही.ब्लोगर्स की टी पार्टी होनी थी, इसका हमें पता नहीं था.वैसे भी रात हो गई थी और रात को मुझे रौशनी में चकाचौंध होती है अतः आपका प्रोग्राम समाप्त होने के बाद मैं जल्दी लौटना चाह रहा था.प्रोग्राम पूरा देखा था ,अच्छा था.
हटाएंकुँवर कुसुमेश
ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com
तहज़ीब, सलीक़े, नफासत के शहर, लखनऊ में ब्लागर्स मीट के नाम पर हम आसानी से गिन लिए जाने वाले चंद लोग जुटे, वार्ता भी हुई लेकिन एक सवाल देर रात तक मेरे ज़हन को परेशान करत रहा कि कब तक किसी सकारात्मक कार्य के लिए हम सिर्फ मुट्ठी भर लोग ही इकट्ठा होते रहेंगे. बाक़ी लोग आखिर हमारे साथ कब आएंगे? कब तक
हटाएं" एकला चलो रे" पर अमल करना होगा?
अली और सर्वत जी,
हटाएंचराग़ अगर ये सोच ले की मैं छोटा हूँ और अकेला हूँ तो अँधेरे से कौन लडेगा. हर प्रश्न का उत्तर प्रकृति ने दे रक्खा है, बस देखने का नज़रिया सकारात्मक हो तो प्रश्नकर्ता हर प्रश्न का उत्तर खुद ढूँढ लेगा.
कुँवर कुसुमेश
ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com
Jakir ji,
हटाएंBahut sunahare palon ko apne sabhi blagars ke samne prastut kiya hardik abhar....
Poonam
बढ़िया रपट
हटाएंताऊ पहेली ९५ का जवाब -- आप भी जानिए
हटाएंhttp://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_9974.html
भारत प्रश्न मंच कि पहेली का जवाब
http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_8440.html
*बहुत बहुत बधाई इस आयोजन हेतु.
हटाएं[सुशीला जी आप को पहचान लिया तस्वीर में..]
*भविष्य के लिए शुभकामनाएँ .
जाकिर जी जैसे उत्साही और प्रखर ब्लॉगर और लेखक का यह अनुपम प्रयास था जो हम सब पुस्तक मेले मे मिले .......अल्पना जी ! ये तो आपकी मुहब्बत है जो मुझे 'भीड़' मे भी पहचान लेती है ...... काश जाकिर जी जैसे मेजबान की चाय पार्टी मे आप भी होतीं उस दिन !!!
हटाएंसार्थक लेखन के लिये आभार एवं “उम्र कैदी” की ओर से शुभकामनाएँ।
हटाएंजीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव भी जीते हैं, लेकिन इस मसाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये यह मानव जीवन अभिशाप बन जाता है। आज मैं यह सब झेल रहा हूँ। जब तक मुझ जैसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यही बडा कारण है। भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस षडयन्त्र का शिकार हो सकता है!
अत: यदि आपके पास केवल दो मिनट का समय हो तो कृपया मुझ उम्र-कैदी का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आप के अनुभवों से मुझे कोई मार्ग या दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये।
http://umraquaidi.blogspot.com/
आपका शुभचिन्तक
“उम्र कैदी”
बेनामीजी --बडे बडे लोगों का वहां क्या काम---मुनब्बर राना जैसे शायर भी इसीलिये नहीं आये होंगे...
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