अगर आप ब्लॉगर हैं, तो ऐसा तो हो नहीं सकता कि लोग मेल ठेल कर आपसे अपनी पोस्टें पढ़वाने का आग्रह न करते हों। कमबख्त जब भी मेल बॉक्स खोल...
अगर आप ब्लॉगर हैं, तो ऐसा तो हो नहीं सकता कि लोग मेल ठेल कर आपसे अपनी पोस्टें पढ़वाने का आग्रह न करते हों। कमबख्त जब भी मेल बॉक्स खोलो, आधे से ज्यादा मेल ऐसे ही मिलते हैं। इसलिए मैंने ऐसे लोगों को मजा चखाने के लिए एक जवाबी मेल तैयार किया है। कृपया इसे पढ़ें और अपने सुझावों से इसे और अधिक धारदार बनाने में मदद करें। क्या पता इसी बहाने कुछ लोगों की अक्ल खुल जाए?
जवाबी मेल का मजमून इस प्रकार है-
प्रिय बंधु, आपके महत्वपूर्ण साहित्यिक अवदान से परिचित कराने सम्बंधी आपका दावतनामा मिला, बहुत-बहुत शुक्रिया। इस पवित्र अवसर हेतु आपने नाचीज़ को याद रखा, यह देखकर अतीव प्रसन्नता हो रही है। यकीन कीजिए, आपके रचनात्मक अवदान से परिचित होकर मुझे बेहद खुशी होगी।
यदि आप अन्यथा न लें, तो मैं आपसे एक निवेदन करना चाहूँगा। आप भी आज ही समय निकाल कर 'तस्लीम', 'सर्प संसार' एवं 'साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन' नामक वैज्ञानिक ब्लॉग अवश्य देखें। इन ब्लॉग्स पर विज्ञान के विविध पक्षों पर आधारित रोचक/रांमांचक और अद्भुत जानकारियाँ प्रदान की जाती हैं। हमें 100 प्रतिशत विश्वास है कि आपको ये सभी ब्लॉग अवश्य पसंद आएँगे।
यदि विज्ञान विषय में रूचि कम हो, तो भी चिन्ता की कोई बात नहीं है, क्योंकि खास आपकी रूचियों के अनुकूल तीन ब्लॉग और बनाए हैं मैंने- 'हमराही', 'बालमन' और 'मेरी दुनिया मेरे सपने'। आपको बताता चलूँ कि 'हमराही' पर हिन्दी काव्य जगत की चुनिंदा रचनाएँ प्रस्तुत परोसी जाती हैं, 'बालमन' में बच्चों की मनभावन कविताओं का प्रकाशन किया जाता है जबकि 'मेरी दुनिया मेरे सपने' मेरा अपना नितान्त व्यक्तिगत ब्लॉग हैं, जिसमें मन में घुमड़ने वाले विचारों को परोसता रहता हूँ।
प्रिय भाई, मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप अपने कीमती समय में से कुछ पल निकाल कर मेरे सभी ब्लॉगों को अपनी पग-धूलि से धन्य करेंगे। साथ ही मैं यह भी कहना चाहूँगा कि आपका टिप्पणी रूपी आशीर्वाद प्राप्त कर मुझे कितनी प्रसन्नता प्राप्त होगी, मैं इसका वर्णन नहीं कर सकता। यकीन जानें आपके इस महान योगदान के लिए नाचीज़ आपका आजन्म आभारी रहेगा।
आपकी चरणधूलि की प्रतीक्षा में,
आपका अपना
जाकिर अली 'रजनीश'
धार काफी है ज़रा संभल कर ....भाई !
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया रहेगा
जवाब देंहटाएंजबरदस्ती पोस्ट पढवाने वालों से निपटने के लिये मैं भी कुछ ऐसा ही गांधीगिरि टाईप जवाब तैयार करने की कोशिश करूंगा। :)
प्रणाम
Dhanshu.
जवाब देंहटाएंvery good.
जवाब देंहटाएंआइडिया बुरा नहीं है।
जवाब देंहटाएंसर, इस मैटर पर कॉपीराइट का नियम न हो तो अपुन भी उपयोग करना चाहेगा।
जवाब देंहटाएंZabardast vyangya kiya hai aapne. Ise apnane men koi burai nahi.
जवाब देंहटाएंजबर्दस्त्त आईडिया है :)
जवाब देंहटाएंबहुत सही जवाब ...यह पोस्ट क्या हम भी मेल कर सकते हैं ..सिर्फ नाम अपने ब्लॉग के लिख देंगे:)
जवाब देंहटाएंक्या लपेट कर मारा है भैये, मजा आ गया.
जवाब देंहटाएंहम इसका कुछ अलग सा प्रयोग कर चुके हैं पर ठेल कर पढवाने वालों का हाल ये है कि
चोर चोरी से जाए, हेरा-फेरी से ना जाए
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबाप रे पसीना आ गया जाकिर मियां ! खतरनाक ब्लॉगर हो यार ...मुझे नहीं देनी अपनी चरण धूलि !
जवाब देंहटाएंहा हा हा वाकई नहले पर दहला ...देखते हैं किस बच्चू में है दम ...
जवाब देंहटाएंachha idea hai.... sach me dhardar
जवाब देंहटाएंभेज दो.. बस रिप्लाई तो आल मत करना...:)
जवाब देंहटाएंहा हा हा
जवाब देंहटाएंबढ़िया है यह
अपने तरीके के साथ इसे भी जोड़ देता हूँ
बढ़िया है भाई । बस इसे कॉपी पेस्ट करते चलो । एक तीर से दो शिकार होते रहेंगे ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लपेटा है जी !
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग खोलते समय एंटी-वायरस आपके ब्लॉग में वायरस की चेतावनी दे रहा है जो ब्लोगरज़ूम नामक विजेट से सम्बंधित है इसलिए कही आपने ब्लोगरज़ूम वेब साईट का कोड लगा रखा है तो उसे हटा दीजिए |
Ratan Singh Shekhawat जी ने जो सूचना दी है वह पहले भी बताई जा चुकी है, इस गड़बड़ी की ओर केवल कैस्परस्काई इशारा कर रहा जबकि बाकी सब खामोश रहते हैं
जवाब देंहटाएंइसका लोगो ब्लॉगवाणी के ऊपर लगाया गया है
यदि आप अन्यथा न लें, तो मैं आपसे एक निवेदन करना चाहूँगा। आप भी आज ही समय निकाल कर 'तस्लीम', 'सर्प संसार' एवं 'साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन' नामक वैज्ञानिक ब्लॉग अवश्य देखें।
जवाब देंहटाएं-पहला, इसमें उड़न तश्तरी भी जोड़ दें...(यह न कहें कि इसमें विज्ञान कहाँ है...सो तो उनमें भी साहित्य कहाँ है जिनसे आपने साहित्यिक अवदान की बात कही है..इतना झूठ चलता है इतने बड़े महायज्ञ में.)
दूसरा,
यह जरुर कहें कि 'आपकी टिप्पनी मिलते ही हमारा प्रयास होगा कि हम आपके इस मेल पर विचार करें और आपको भी टिप्पणी से नवाजें. अगर न नवाज पायें तो भी आप टिप्पनी देते रहें और अपना प्रयास न रोकें. एक के निक्कमें हो जाने से सब निक्कमें हो जाये, यह उचित नहीं और वो भी आपके जैसी साहित्यिक प्रतिभा वाले लोगों पर बिल्कुल भ शोभा नहीं देता. हमारा तो फिर भी चल खप जायेगा.'
इन दो का एडीशन करते ही आपका जबाब बिल्कुल फिट हो जायेगा..नो एडीशन..नो डिलिशन!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
मेल के बदले मेल ! ज़ाकिर भाई बदले की भावना ठीक नहीं :)
जवाब देंहटाएंरतन जी एवं पाबला जी, वाइरस सम्बंधी सूचना के लिए आभार। मैंने ब्लॉगरजूम का कोड हटा दिया है। बाकी के ब्लॉग से भी हटा देता हूँ, वैसे भी आज तक कोई बंदा इधर से इधर आया ही नहीं, फिर उसे ढोने से क्या फायदा?
जवाब देंहटाएंसमीर जी, मेल को संवर्धित करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंअन्वेषक भाई और रंजना जी, मैटर को आप यूज कर सकते हैं, बस मेहरबानी स्वरूप कभी कभी मेरे ब्लॉगों पर कमेंट कर दिया करें।:)
अली भाई, यह बदला नहीं जी, प्यार के बदले प्यार है। प्लीज आप अपना नजरिए बदल कर देंखें।:)
शिवम भाई, पोस्ट को चर्चा लायक समझने के लिए आभार।
जाकिर भाई,
जवाब देंहटाएंहा हा हा , क्या धाँसू अपील तैयार किया है आपने , यदि संभव हो तो आप अपनी इस अपील में मेरे परिकल्पना,ब्लोगोत्सव-२०१०, वटवृक्ष, शब्द शब्द अनमोल और शब्द सभागार को भी जोड़ दीजिये , विज्ञान को छोड़कर इन ब्लोग्स में आपको वह सबकुछ प्राप्त होगा, जो पाठक की रूचि में शामिल है !मेरा भी यही मानना है इस सन्दर्भ में कि ब्लॉग पढ़ने के लिए किसी को भी बाध्य न किया जाए , क्योंकि इसमें अपनी प्रतिष्ठा खोने का खतरा ज्यादा है । एक-दो बार लोग आपका मन रखने के लिए टिप्पणी तो कर देते हैं , किन्तु आपके पोस्ट से उनकी दिलचस्पी हट जाती है ।
wow..what an idea sir ji...!!
जवाब देंहटाएंवेरी-भेरी नाइस!
जवाब देंहटाएंइतनी आत्मीय भाष मे लिखेंगे तो अगला बेचारा शर्म से पानी पानी हो जाएगा ।
जवाब देंहटाएंरजनीश भाई क्यों दिलों को तोड़ रहे हो? ऐसा धार दार लिखोगे तो दिल टूटने के बजाय कट जायेंगे.
जवाब देंहटाएंवाह ! वाह! क्या बात है! बहुत ही सुन्दर, शानदार और ज़बरदस्त व्यंग्य किया है आपने!
जवाब देंहटाएंTum meri khujao main tumhaee khujata hoon...yahee hai aaj ka blogger.
जवाब देंहटाएंdavatname ka javab bhee davatname se
जवाब देंहटाएंआप दो मेल भेजने वाले से भी दो कदम आगे निकले। इसके कहते हैं ईंट का जवाब पत्थर से या फिर किसी के सवालों का जवाब उसी की भाषा में देना भी कुछ ऐसा ही होता होगा। बहुत बढि़या है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि आपने अपना एक ब्लॉग पढ़ने वालों के लिए आपने ढ़ेरों ऑप्शन दे दिए हैं। बेचारा फंस जाएगा जो भी आप पर मेल करने की गुस्ताखी करेगा। हमने तो कभी ऐसा किया नहीं और अब आपका यह पत्र पढ़ने के बाद ऐसा करने की हिम्मत भी नहीं कर सकूंगा।
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जवाब देंहटाएंहा..हा..हा..<:-)
जवाब देंहटाएंअपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग. वैसे यहां तक मेल बाक्स से नहीं, घूमते-घामते ही चला आया.
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