दो साल की उम्र होती ही कितनी है? बच्चे माँ-बाप, भाई-बहन पड़ोस को पहचानने लगते हैं, तुतलाकर बोलने लगते हैं, जिद करने लगते हैं, नाराज़ होन...
दो साल की उम्र होती ही कितनी है? बच्चे माँ-बाप, भाई-बहन पड़ोस को पहचानने लगते हैं, तुतलाकर बोलने लगते हैं, जिद करने लगते हैं, नाराज़ होने पर लोटपोट मचाने लगते हैं। यही न? लेकिन बच्चों में इतनी समझ कत्तई नहीं होती कि वे सॉरी, प्लीज़ और थैंक्यू जैसे शब्दों के मर्म को समझ जाएं और उसे सही जगह पर उपयोग भी करने लगें।
वैसे यह आमतौर से होता है कि बच्चे माँ-बाप को जो कुछ करते हुए देखते हैं, उसकी नकल करने लगते हैं। और इस नकल का हिस्सा एक आध शब्द भी होते हैं। यह एक स्वाभाविक सी प्रक्रिया है, जो हम अपने आसपास देखते रहते हैं। पर मैं आपसे जो बात कहने जा रहा हूँ, मेरे संज्ञान में वह कुछ अनोखापन लिये जरूर है।
जैसे कि आजकल ही हर पढ़ी लिखी माँ बचपन से ही अपने बच्चों को अंग्रेजी के विभिन्न शब्द रटाने लगती हैं, वैसे ही मेरी पत्नी भी करती रही है। शायद उसी का प्रभाव था कि मेरा छोटा बेटा रामिश काफी पहले से 'प्लीज' शब्द का इस्तेमाल करने लगा था। उसे जब कोई भी चीज़ मांगनी होती है, तो वह पहले तो साधारण तरीके से मांगता है, लेकिन जब मांग पूरी नहीं होती है, तो उसके साथ प्लीज़ लगाने लगता है और तब तक मांगता रहता है, जब तक उसकी मांग पूरी न हो जाए। और जब उसे उसकी मनचाही चीज़ मिल जाए तो 'थैंक्यू' कहना नहीं भूलता है।
आप कहेंगे कि इसमें हैरानी की कौन सी बात है? यह तो अक्सर बच्चे करते हैं। ...यहाँ पर मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ। वह बात दूसरी है, जिसने मुझे यह पोस्ट लिखने के लिए उत्साहित किया। बात आज सुबह की ही है। मैं अखबार पढ़ रहा था और मेरा बड़ा बेटा अहल कॉर्नफ्लैक्स का नाश्ता कर रहा था। उसी समय छोटा बेटा रामिश पीछे से आया और उसे तंग करने लगा। इसपर अहल को गुस्सा आ गया और उसने जोर से रामिश को डांट दिया। अपने बड़े भाई की डांट सुनकर रामिश का चेहरा एकदम से उतर गया और वह मासूमियत से तोतली आवाज़ में बोला- "छॉली भइया।"
उसकी बात सुनकर मुझे और अहल दोनों को हंसी आ गयी। उसके थोड़ी देर बाद रामिश मेरे पास आया और मुझसे किसी चीज़ की जिद करने लगा। मैं अखबार पढ़ने में मग्न था, इससे मुझे गुस्सा आ गया और उसे ज़ोर से डांट दिया। डांट सुनकर रामिश कमरे से बाहर चला गया और दरवाज़े के पास बैठकर रोने लगा। वह रोता भी जा रहा था और साथ ही साथ "छॉली पापा" भी कहता जा रहा था। फिर जब मैंने उसे प्यार से दुलारा, तो उसने रोना कम हुआ। लेकिन जब तक मैंने अपनी डांट के लिए उसे 'सॉरी' नहीं कहा, वह पूरी तरह से नार्मल नहीं हुआ।
तभी मेरे दिमाग में एकदम से यह बात कौंधी कि जो बच्चा अभी तक पूरी तरह से साफ-साफ बोल भी नहीं पाता है, वह सॉरी, प्लीज़, थैंक्यू का इतना सटीक उपयोग कैसे कर लेता है? क्या आजकल के बच्चे इतने समझदार हो गये हैं अथवा यह मेरी आदतों का ही उसमें आनुवांशिक विस्तार है? या फिर मैं कुछ ज्यादा ही सेंटीमेन्टल हो रहा हूं? आपको क्या लगता है? अपने दिल की बात कहें, मुझे उन्हें पढ़कर वाकई अच्छा लगेगा।
तभी मेरे दिमाग में एकदम से यह बात कौंधी कि जो बच्चा अभी तक पूरी तरह से साफ-साफ बोल भी नहीं पाता है, वह सॉरी, प्लीज़, थैंक्यू का इतना सटीक उपयोग कैसे कर लेता है? क्या आजकल के बच्चे इतने समझदार हो गये हैं अथवा यह मेरी आदतों का ही उसमें आनुवांशिक विस्तार है? या फिर मैं कुछ ज्यादा ही सेंटीमेन्टल हो रहा हूं? आपको क्या लगता है? अपने दिल की बात कहें, मुझे उन्हें पढ़कर वाकई अच्छा लगेगा।
जवाब देंहटाएंMeraa Yakeen keejiye, Bahut Sahee jaa rahaa hai aapkaa betaa jaakir ali ji .
आपके बच्चे समझदार हैं ...यही जानना काफी है ..अब ये आनुवंशिकता है या बच्चों के जल्दी समझदार होने की आहट ....!!
जवाब देंहटाएंPoot ke paanv paalne men dikkhen...
जवाब देंहटाएंAap bahut khushnaseeb hain. Khuda ki rahamat hai aapke beton par.
जवाब देंहटाएंसही ढंग से बढ़ रहे हैं बच्चे !
जवाब देंहटाएंसमझदार हैं ये !
उत्तर आपकी पोस्ट में ही तो है -अहल और रामिश को प्यार !
जवाब देंहटाएंभई बच्चे जितना स्कूल में सीखते हैं , उससे ज्यादा घर में बड़ों से सीखते हैं।
जवाब देंहटाएंसही राह पकड़ रहे हैं आपके बच्चे ।
बच्चा साफ़ स्लेट होता है
जवाब देंहटाएंउसपर जो लिखा जाएगा वो वही पढ़ेगा
आजकल बच्चे समझदार भी हैं और व्यवहारिक भी.. आपके दोनो बच्चों की प्यारी हरकतों ने मन मोह लिया.. उन्हें प्यार और आशीर्वाद
जवाब देंहटाएंज़ाकिर भाई,
जवाब देंहटाएंहमारे बच्चे पब्लिक स्कूलों में पढ़ रहे हैं, घर के साथ स्कूल में भी मैनर्स के बारे में उन्हें कुछ न कुछ सिखाया जाता है...लेकिन मैं आपको पंजाब के एक सज्जन (मेरे दूर के रिश्तेदार) की बात बताता हूं...है भी पंद्रह-बीस साल पुरानी...उन्हें अपने बच्चे के मुंह से तुतली ज़ुबान में गाली सुनने में ही बड़ा मज़ा आता था...किसी के सामने ही वो बच्चे से कहते थे...गाल कड, अठानी देवांगा...(गाली निकाल, आठ आने दूंगा)...बच्चा अठन्नी के चक्कर में झट से तुतली ज़ुबान में गाली बोल कर दिखा देता...वो जनाब ऐसे खुश होते कि पूछो मत...ज़ाहिर है उस लड़के की हालत आज ये है कि पढ़ा न लिखा...आज किसी दुकान में सेल्समैन की नौकरी कर रहा है...
जय हिंद...
bachchey ab jaldi badae ho rahae haen
जवाब देंहटाएंpeedhiyon kaa antar jyaad dikh rahaa haen
ये हुई न स्मार्ट वाली बात...!!
जवाब देंहटाएं______________
'पाखी की दुनिया' में 'वैशाखनंद सम्मान प्रतियोगिता में पाखी' !
janab zamaana aage badh raha hai
जवाब देंहटाएंbacche bahut samajhdaar ho gaye hain
दोनो बच्चों की प्यारी हरकतों ने मन मोह लिया.अहल और रामिश को प्यार !
जवाब देंहटाएंबच्चे पहले बोलना सीखते है फिर उसका अर्थ समझते है । कुछ बच्चे बड़े होकर भी नही समझते !!
जवाब देंहटाएंare jakir bhai aap ka bachcha to kafee samjhdar nikla. maf karna par jara apni buree aadton se door rakhna. Kal mere ko call karke poonchh raha tha uncle ye blog kya hota hai? main to sann rah gaya.filhal maine usse yahee kaha ki beta ye faltoo logon ke kam hain iska safeefon se koi talook nahee hai.jara dhyan dena aaj se o aapko sak ki najron se dekhega.ab aap ki bahar ki buri aadten ghar par bhee pahunch rahee hain samhal jayiye.
जवाब देंहटाएंaaj kal k bache hain hi smart ....pur sath hi sath ek bat aur hai jo bahut important hai vo hai bacho ka palan poshan... bache to geeli meeti hain jaisa chaho shape do....its all up to you
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