Ladies importance in indian families
मैंने जितने भी शादीशुदा पुरूषों से पूछा कि 'आदमी सबसे ज्यादा खुश कब होता है', तो अधिकांश लोगों से एक ही जवाब मिला- 'जब उसकी पत्नी मायके जाती है'। जाहिर सी बात है कि इस सर्वे में मेरा जवाब भी शामिल है। लेकिन अगर आप यह सोचिए कि ऐसा क्यों होता है, तो मेरी समझ से अगर आप पुरूष हैं, तो कारण आपको पता होगा, लेकिन यदि आप स्त्री हैं, तो मैं आपसे माफी मांगते हुए कहना चाहूँगा कि शायद आपको यह बात नहीं समझाई जा सकती।
खैर असली मुद्दे पर आते हैं। तो जैसा कि मैं आप लोगों को पहले ही बता चुका हूँ, कि बच्चे के स्कूल में छुट्टियाँ हो जाने के कारण श्रीमती जी उन्हें लेकर मायके की शोभा बढा रही हैं और मैं पिछले 13 दिनों से अकेला हूँ। इसका एक मतलब यह है कि मैं अब घर में जो चाहे वह काम कर सकता हूँ। अर्थात चाहूँ तो सुबह आठ बजे तक सो सकता हूँ, चाहूँ तो रात के बारह बजे तक मैंच देख सकता हँ, चाहूँ तो बिना नाश्ता किए आफिस जा सकता हूँ और चाहूँ तो रात के दस बजे घर लौट सकता हूँ।
लेकिन सिक्के के दो पहलू होते हैं। इसका मतल यह है कि अब मुझे सुबह उठने के बाद दूध लेने भी जाना है, चाय भी खुद ही बनाना है, फिर नाश्ता भी तैयार करना और खाना है, तैयार होकर आफिस भी जाना है। यानी कि रात के खाने से लेकर झाड़ू-पोछा (घर में काम वाली होती, तो शायद मुक्ति मिल जाती) और बरतन वगैरह सब कुछ मुझे ही करना है।
जब पत्नी मायके जाती है, तो शुरू-शुरू में दो तीन दिन तो अच्छा लगता है, लेकिन फिर सब कुछ बोझ जैसा लगने लगता है। सुबह देर तक सोने का भी मन करता है, लेकिन फिर ध्यान आता है, चाय, नाश्ता, झाड़ू, बर्तन, तैयारी कितना काम करना है। इसलिए चाह कर भी देर तक नहीं सो सकते। रात में जल्दी घर जाने की तबियत नहीं करती, पर पता होता है कि घर जाकर रोटी, दाल, चावल, सब्जी कितना कुछ बनाना है। उसके बाद खाना खाने को मिलेगा। (रोज-रोज होटल में भी तो नहीं खाया जा सकता।) ऐसे में बीवी की याद आ ही जाती है.....
इन्हीं प्रक्रियाओं के बीच परसों जब रात में पत्नी का फोन आया और उसने पूछा कि क्या कर रहे हो, तो मुझसे रहा नहीं गया और मैं फटाक से बोल पड़ा, खुद तो मायके में आराम फरमा रही हो और हमसे पूछ रही हो क्या कर रहे हैं? अरे, कर क्या रहे हैं, अभी-अभी सुबह के झूठे बर्तन धुले हैं। एक हफ्ते के कपड़े बाल्टी में भीग रहे हैं। रोटी बन गयी है, सब्जी और दाल तो कल वाली ही चल जाएगी। भूख तो बहुत लगी है, लेकिन खाने से पहले उन्हें फ्रिज से निकाल कर गरम करना पड़ेगा। तब कहीं जाकर खाना नसीब होगा।
मेरी बात सुनकर पत्नी बोली- 'अब पता चला कि लेडीज घर में कितना काम करती हैं?' 'हाँ-हाँ, पता चला।' उस समय तो मैं झोंके में यूँ ही बोल गया, लेकिन रात में जब सोने के लिए बिस्तर पर लेटा, तो उसकी वह बात अनायास दिमाग में गूँज उठी। मैं सोचने लगा कि सचमुच पुरूष लोग तो आजीविका के लिए जो भी काम करते हैं, उसमें कभी न कभी छुट्टी मिल भी जाती है, लेकिन औरतें लगातार बिना रूके 365 दिन घर के काम करती रहती हैं और हमें कभी इस चीज का एहसास तक नहीं होता।
इसके पीछे क्या कारण है, मुझे नहीं मालूम। शायद हमारी परवरिश ऐसी है, शायद हमारा सामाजिक ढ़ाँचा ही ऐसा है या फिर हमारे शरीर में पाए जाने वाले जींसों की संरचना ही ऐसी है कि सब कुछ देखने जानने के बाद भी हम इस सत्य से अनजान बने रहते हैं और जब देखो तक 'तुम घर में करती ही क्या हो' के उपालम्भ से उसे नवाजते रहते हैं।
इसके पीछे क्या कारण है, मुझे नहीं मालूम। शायद हमारी परवरिश ऐसी है, शायद हमारा सामाजिक ढ़ाँचा ही ऐसा है या फिर हमारे शरीर में पाए जाने वाले जींसों की संरचना ही ऐसी है कि सब कुछ देखने जानने के बाद भी हम इस सत्य से अनजान बने रहते हैं और जब देखो तक 'तुम घर में करती ही क्या हो' के उपालम्भ से उसे नवाजते रहते हैं।
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हम तो संयुक्त परिवार में रहते हैं जी
जवाब देंहटाएंइसलिये ऐसी समस्या नहीं आती, चाहे पत्नी पूरा महीना मायके में रहे ;-)
हां याद आना अलग बात है।
आपको और अर्शिया जी को आठवीं सालगिरह की हार्दिक मुबारक
प्रणाम
पति-पत्नी के बीच सामंजस्य बहुत आवश्यक है। आप दोनों को शादी की साल गिरह की शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसोहिल जी, यह आपका सौभाग्य है। पर ऐसा सौभाग्य सब को कहाँ नसीब होता है।
जवाब देंहटाएंआपको और अर्शिया जी को आठवीं सालगिरह की हार्दिक मुबारक.........
जवाब देंहटाएंBAHUT BAHUT BADHAI........
जवाब देंहटाएंखुदा की नेहमत बनी रहे आप दोनो पर,
जवाब देंहटाएंAapne kosish to bahut ki, par bhabhi ji ke prati aapka pyar chhalak hi aaya. Bahut bahut badhayi.
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंशादी मुबारक हो जी।
जवाब देंहटाएंबाक़ी तो सब चलता रहता है। जब इतने सारे काम करने पड़े तो ना ... सॉरी बीवी याद आएगी ही।
उम्दा भावनात्मक अभिव्यक्ति जो सराहनीय सोच के साथ भी है /
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई बीबी के मायके जाने के उपक्रम में छुपी हुई संभावनायें :) आप गोल कर गये ! सच तो ये है कि हर पति इन्ही संभावनाओं पर हरियाता / इतराता और मुदित होता है पर ये भी सच है कि ज्यादातर पतियों की संभावनाओं को पाला मार जाता है और फिर वे पत्नि के अगले मायका प्रवास की बाट जोहनें लग जाते हैं !
जवाब देंहटाएंकुछ पति मेरे जैसे भी होते हैं जिन्हें चौबीसों घंटे / ३६५ दिन पता रहता है कि पत्नियों को कितना काम करना चाहिए था :)
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जवाब देंहटाएंआपको और अर्शिया जी को आठवीं सालगिरह मुबारक हो!
जवाब देंहटाएंPlz visit my blog & send ur comments:
http://anjumsheikh.blogspot.com
चलो, हम दोनों एक जगह बैठकर मिलकर रोते हैं। अपना भी हाल सेम टू सेम :)
जवाब देंहटाएंमनाली का जोड़ा लखनऊ में............ शुभकामनायें बेहतर पोस्ट
जवाब देंहटाएंकौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन
जवाब देंहटाएंपुरूषों की कैटेगिरी में श्रेष्ठ ब्लागर का चयन हो चुका है। हालांकि अनूप शुक्ला पैनल यह मानने को तैयार ही नहीं था कि उनका सुपड़ा साफ हो चुका है लेकिन फिर भी देशभर के ब्लागरों ने एकमत से जिसे श्रेष्ठ ब्लागर घोषित किया है वह है- समीरलाल समीर। चुनाव अधिकारी थे ज्ञानदत्त पांडे। श्री पांडे पर काफी गंभीर आरोप लगे फलस्वरूप वे समीरलाल समीर को प्रमाण पत्र दिए बगैर अज्ञातवाश में चले गए हैं। अब श्रेष्ठ ब्लागरिन का चुनाव होना है। आपको पांच विकल्प दिए जा रहे हैं। कृपया अपनी पसन्द के हिसाब से इनका चयन करें। महिला वोटरों को सबसे पहले वोट डालने का अवसर मिलेगा। पुरूष वोटर भी अपने कीमती मत का उपयोग कर सकेंगे.
1-फिरदौस
2- रचना
3 वंदना
4. संगीता पुरी
5.अल्पना वर्मा
6 शैल मंजूषा
कहते है कि एक लड़के की चिंता की शुरुआत उस वक़्त होती है जब उसकी शादी हो जाती है इसके ठीक विपरीत लड़की की चिंता उस वक़्त बिलकुल ही ख़त्म हो जाती है जब उसकी शादी हो जाती है (यह बात चिंता पर लागु होती है न कि शादी बाद मेहनत पर)
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठ ब्लॉगरिन के लिए मेरा वोट जायेगा बहन फ़िरदौस को !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंआपको शुभकामनाए...
जवाब देंहटाएंहमें पता है.. आखिर दो पैरा दबाब में लिखे गए है.. हम आपका दर्द समझ सकते है.. :)
भाई, हम आप को शादी की सालगिरह की बधाई नहीं दे सके थे। कोई बात नहीं भाभी आ जाएँ तो बताइएगा। हम तब दोनों को एक साथ दे देंगे। वैसे भाभी को गए बहुत दिन हो गये हैं। पत्नी के जाने से जो तथाकथित आजादी मिलती है उस का कचूमर तीसरे दिन ही निकलना आरंभ हो जाता है। हफ्ता होते होते तो .......
जवाब देंहटाएंआगे क्या कहूँ.... पिछले दिनों मैं भी हफ्ते भर अकेला रह चुका हूँ।
शादी की सालगिरह की शुभकामनायें....
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट पढ़ कर भी पुयूश मानसिकता नहीं बदलने वाली...सच्चाई जान कर भी लोगों को लग रहा है कि आखिरी दो पैराग्राफ किसी दवाब में लिखे हैं.... हाँ संयुक्त परिवार वालों को ऐसी परेशानी का आभास नहीं होता...
कल यानी 14 मई को मेरी शादी की आठवीं सालगिरह थी।'
जवाब देंहटाएंक्षमा करें देर से ही सही शादी की सालगिरह की शुभकामनाएँ
पता चला न लेडिस कितना काम करती हैं
आप दोनों को शादी की साल गिरह की शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएं_______________
पाखी की दुनिया में- 'जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा'
आठवीं सालगिरह की हार्दिक मुबारक.
जवाब देंहटाएंशादी की सालगिरह की बहुत शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंमुझे पता नहीं था,मेरी शुभकामना अब आज क़ुबूल कीजिये.
शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
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"शायद हमारी परवरिश ऐसी है, शायद हमारा सामाजिक ढ़ाँचा ही ऐसा है या फिर हमारे शरीर में पाए जाने वाले जींसों की संरचना ही ऐसी है कि सब कुछ देखने जानने के बाद भी हम इस सत्य से अनजान बने रहते हैं और जब देखो तक 'तुम घर में करती ही क्या हो' के उपालम्भ से उसे नवाजते रहते हैं।"
आप की इस संवेदनशील पोस्ट को पढ़ कर पाया कि कभी-कभी मैं भी जो ऐसा हि कुछ कह जाता हूँ वह कितना गलत है...खैर आज से ही सुधर गया मैं तो...
शादी की सालगिरह की हार्दिक शुभकामनायें!
कुछ भी कहने से पहले तो आपको ******"शादी की सालगिरह मुबारक हो " *****
जवाब देंहटाएंअच्छा है आपको जल्दी ही ये बात समझ आ गयी वरना पुरुष समाज इस बात को अच्छी तरह जानने के बावजूद इससे इनकार ही करता रहा है .. फलस्वरूप लिव इन रिलेशनशिप का प्रथा हमारे सामने है ... खैर अब आप हकीकत से रूबरू हो ही गए हैं तो इस जज्बे को यूँ ही बनाये रखिये ... बीवी के मायके से वापस आ जाने के बाद भी ...
दुःख हुआ जानकर कि आप कल अकेले ही रहे ।
जवाब देंहटाएंओह आप अकेले रहे ..च च च ..परेशान न होईये अर्शिया जी आते ही कम्पनसेट कर देगीं ....बीच बीच में पत्नी की जरूरत तो पड़ती ही है .....(कोई नारी वादी न पढ़ ले -घबडा रहा हूँ )
जवाब देंहटाएंसाला यह बड़ा ही चूतियापे का महीना निकला - कई यह दंश भोग रहे हैं दिनेश जी और मैं भी ....
पति-पत्नी के बीच सामंजस्य बहुत आवश्यक है। आप दोनों को शादी की साल गिरह की शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंआप दोनों को शादी की साल गिरह की शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
shadi ki varshganth ki badhai.
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट, बधाई।
जवाब देंहटाएंऔरत के काम के घण्टे पूरी दुनिया में पुरुष के मुकाबले अधिक होते हैं, विभिन्न शोधों में यह पाया गया है। सत्य भी है। परंतु, हम पुरुष कभी अपने दंभ से बाज नहीं आएंगे।
भगवान पुरुषों को सद् बुद्धि दे।
अगर शुरूआत मेरे से करे तो कोई हर्ज नहीं।
सादर।
शुभकामनाएँ आप दोनों को।
जवाब देंहटाएंयह वैराग्य आप भूल जाएँगे जल्दी ही, तब याद रहे, इसके लिए अच्छी सनद है ये पोस्ट।
बेहद उम्दा और सच्ची पोस्ट .......... दिल छु गयी कसम से !!
जवाब देंहटाएंआपको और अर्शिया जी को शादी की आठवीं सालगिरह की हार्दिक मुबारकबाद !
shubhkanaayen! :)
जवाब देंहटाएंbahut hi pyari post...aap dono ko saalgirah ki hardik shubhkamnaye...
जवाब देंहटाएंये सच है कि भारतीय नारी घर सँभालने का जो काम करती है वो किसी भी दृष्टि से कम नहीं है ... और आजकल तो औरतें घर भी संभालती है, नौकरी भी करती है .... सच में दशभुजा बन गई है ...
जवाब देंहटाएंआपको शादी की आठवीं सालगिरह मुबारक हो ...
श्री पाबला सर को बधाई... रवि जी का भी योगदान भुलाया नहीं जा सकता.. आपका आभार
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई
जवाब देंहटाएंआपसे सहानूभूति है। पर एक शिकायत भी है। जब पिछले साल हमारे साथ यही सब कुछ बीता था था तब आप हमसे सहानूभूति व्यक्त करने नहीं आये थे।
:)
हाँ भाई पिछले साल! पिछले साल ही क्यों?
हर साल- इस साल भी (यह टिप्पणी करते समय मूंग की दाल और चावल बना कर आया हूँ) मैं भी यह परेशानी झेल चुका हूँ और यहां अब पता चला बच्चूव्यक्त कर चुका हूँ।
बिल्कुल सही कहा । सभी को अपना काम ही बडा लगता है लेकिन वास्तव मे ऐसा होता नही है ।
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